एक दिन की ड्राईवर बनी और सवारी से चुदी-1
(Ek din ki driver bni aur sawari se chudi- Part 1)
मेरी पिछली कहानी
वासना के वशीभूत पति से बेवफाई
आपने पढ़ी होगी.
अब नयी कहानी का मजा लें.
सुबह दस बजे का वक्त था, सड़क पर बहुत ट्रैफिक थी। मैं बड़ी मुश्किल से ट्रैफिक में गाड़ी चला रही थी, कार के डैश बोर्ड पर लगे मोबाइल की तरफ देखा तो जिस सवारी को मुझे रिसीव करना है वह अभी दो सौ मीटर की दूरी पर दिख रही थी, पर ट्रैफिक के वजह से वह फासला भी दो किलोमीटर की तरह लग रहा था।
मेरा नाम नीतू है, मैंने अभी अभी अपनी कॉलेज की फर्स्ट ईयर की एग्जाम खत्म की थी. एक महीने की छुट्टी पर मैं घर आई हुई थी। मेरे पापा का ट्रांसपोर्ट का बिज़नेस है, बहुत सारे ट्रक हैं और बहुत सारी कार भी हैं जो ऑनलाइन ऐप कंपनी के लिए काम करती हैं।
जब मैं घर पर आई तो पहले दो चार दिन अच्छे से गुजरे … पर उसके बाद मुझे बहुत बोर लगने लगा। मेरे सारे फ्रेंड्स को पता नहीं क्या हो गया था, सभी छुट्टियों में पार्ट टाइम जॉब करने लगे थे।
मैंने भी अपने पापा को पार्ट टाइम जॉब करने के बारे में पूछा तो उन्होंने साफ साफ मना कर दिया- इतना सब तो है हमारे पास, तुम्हें काम करने की क्या जरूरत? और वैसे भी सब काम उल्टे कर देती हो, तुमसे कोई काम ठीक से नहीं होगा.
मुझे बहुत बुरा लगा और बहुत गुस्सा भी आया, पर उनकी बात भी सही थी। मैं पहले से ही बड़े लाड़ प्यार में पली बढ़ी थी, घर में भी कुछ काम करने की जरूरत नहीं पड़ी और जब भी कुछ काम करने जाती तो वो गलत हो जाता।
उसके बाद दो दिन तक मैं घर में बैठ कर टीवी देखती और सोती रही।
अगले दिन पापा सुबह हॉल में बैठ कर सभी गाड़ियों पर ड्राइवर कौन कौन होगा यह तय कर रहे थे. तब उन्हें पता चला कि एक कार के लिए ड्राइवर कम पड़ रहा था।
पापा ने पूछताछ की तो उस ड्राइवर की तबियत अचानक खराब हो गई थी इसलिए वह नहीं आ सकता था।
मैं वैसे भी बोर हो रही थी तो मैंने सोचा क्यों ना मैं आज ड्राइवर बन जाऊँ, वैसे तो मैं स्कूल के टाइम से कार चला सकती थी और पिछले महीने में ही 18 साल पूरे किए थे और मेरा ड्राइविंग लाइसेंस भी बन गया था।
“पापा, आज मैं उस कार पर ड्राइवर बन जाऊं, प्लीज प्लीज प्लीज … मना मत करना!”
“माना कि तुम्हें ड्राइविंग आती है पर तुम्हें रास्ते मालूम नहीं है, कुछ गलत हो गया तो। वैसे भी धंधे में कॉम्पिटिशन ज्यादा हो गया है, कुछ गलत रेटिंग मिल गयी तो हमारी कंपनी का कॉन्ट्रैक्ट खतरे में पड़ जायेगा.” पापा मुझे समझाते हुए बोले।
“कुछ नहीं होगा पापा … मैं कुछ गड़बड़ नहीं करूंगी … प्लीज … प्लीज … मैं घर में बैठे बैठे बोर हो रही हूं.”
मैं जिद पकड़ कर बैठी थी कि मुझे काम पर जाना है।
“अच्छा चलो ठीक है … समीर इसे गाड़ी की चाबी दो.”
पापा के मैनेजर को मुझे चाबी और गाड़ी के पेपर्स दिए।
“देखो नीतू बेटा, गाड़ी आराम से चलाना, और कुछ प्रॉब्लम हो मुझे तुरंत कॉल करना … पापा को ज्यादा तकलीफ मत देना, वह वैसे ही बिज़नेस के काम से परेशान रहते हैं। पापा के मैनेजर ने मुझे समझाया।
“आप टेंशन मत लो समीर अंकल … मैं सब ठीक से करूंगी.”
समीर अंकल बहुत सालों से हमारे यहां पर काम कर रहे हैं और मुझे अपनी बेटी की तरह मानते हैं।
मैं तैयार होकर कार लेकर निकली, गर्मी का मौसम था तो मैंने एक सफेद रंग की टीशर्ट और एक नीले रंग की जीन्स पहनी थी। अब मैं सिर्फ ड्राइव कर रही थी, तभी मोबाइल पर एक पिकअप रिक्वेस्ट दिखी जो मेरे पास में ही थी और मैंने उसे एक्सेप्ट कर ली।
थोड़ी ही देर बाद मेरी कार ट्रैफिक से निकलकर उस लोकेशन पर पहुंची, मैंने इधर उधर देखा तो एक हैंडसम लड़का अपने मोबाइल फोन की तरफ देखते हुए मेरी गाड़ी का नंबर चेक कर रहा था। मेरी भी मन ही मन यही इच्छा थी कि मेरी पहली सवारी कोई हैंडसम मर्द ही हो।
वह लड़का कुछ ही पल में कार के पास आया और विंडो के सामने झुका, मैंने विंडो की ग्लास नीची की। वह अंदर देखकर ही चौंक गया क्योंकि उसके एप में ड्राइवर का नाम किसी आदमी का दिखा रहा था जो कि बीमारी की वजह से आज नहीं आया था।
वह आगे जाने लगा.
“हे … आपने कैब बुक कराई है?” मैंने उसे पूछा।
“हाँ … हाँ …” वह थोड़ा शॉक होकर बोला।
“तो बैठिये ना!” मैंने उसे कार में बैठने को बोला।
वह कुछ हिचकिचाते हुए कार की पिछली सीट पर बैठ गया।
“सॉरी आज हमारे ड्राइवर की तबियत खराब है इसलिए मैं ड्राइव कर रही हूं … आप शायद इसी वजह से कंफ्यूज़ हुए होंगे.”
फिर मैंने उससे वन टाइम पासवर्ड लिया और गाड़ी शुरू कर दी, गाड़ी की ए सी में वह थोड़ा रिलैक्स हो गया।
“कहां पर जाना है आपको?”
“जी मुझे स्टेशन पर जाना है.” वह बोला।
वह लड़का शायद पच्चीस साल का होगा, मैं उसे दर्पण से देखने लगी। उसने अपने बालों को जेल से अच्छे से सेट किया हुआ था, सांवला रंग, लंबी नाक, क्लीन शेव किया हुआ चेहरा, भरे हुए बाजू, चौड़ा सीना, उसके ऊपर पहना हुआ टाइट फॉर्मल शर्ट और पैंट। उसने शर्ट पर टाई भी पहनी हुई थी, साथ में एक छोटी सी बैग थी जिसमें सिर्फ फ़ाइल ही आ सकती है।
तो मैंने अंदाजा लगाया कि शायद ये कहीं पर इंटरव्यू देने जा रहा है।
तो मैंने बातचीत शुरू की- कहीं इंटरव्यू देने जा रहे हैं आप?
“हाँ … आपको कैसे पता चला?”
“आपकी तैयारी देख कर … वैसे मेरा नाम नीतू है.”
“हाई … मैं नितिन … हाँ मेरा एक कंपनी में इंटरव्यू है. बहुत दिनों से मैं इसी का इंतजार कर रहा था … आज मौका मिला है.”
“कौन सी जॉब के लिए जा रहे हो नितिन?”
“एक मैनेजर पोस्ट की जॉब है … एक बड़ी कंपनी में … पहले स्टेशन पर जाना होगा और फिर ट्रेन पकड़ कर आगे जाना पड़ेगा.”
मैं ड्राइव करते हुए उससे मिरर में देख कर बात कर रही थी, वह भी हँसते हुए मुझसे बाते कर रहा था। उसकि मुस्कुराहट किसी भी लड़की को दीवाना बना सकती थी, मैं सोच रही थी कि ऐसे लड़के मेरी कॉलेज में क्यों नहीं हैं।
“नीतू … जरा तेज चला सकती हो … नहीं तो मेरी ट्रेन छूट जाएगी.” वह टेंशन में बोला, वह बार बार घड़ी की ओर देख रहा था।
मैंने मोबाइल की तरफ देखा तो वह एप दूर का रास्ता दिखा रहा था, मुझे एक शॉर्टकट भी मालूम था। उस शॉर्टकट पर मैं और मेरा स्कूल के वक्त का बॉयफ्रेंड ड्राइव करने आते थे, वैसे तो वह थोड़ा सुनसान रास्ता था और कपल के लिए चुम्माचाटी और अच्छी जगह मिले तो चुदाई के लिए अच्छी थी।
मुझे समीर अंकल ने बताया था कि कुछ भी हो जाये, एप के बताए हुए रास्ते पर ही ड्राइव करना पर नितिन की अर्जेंसी को देखते हुए मैंने रास्ता बदल कर उस शॉर्टकट पर गाड़ी ले गयी।
“नीतू … शायद तुमने गलत रास्ता लिया है … एप में तो दूसरा रास्ता बताया है.” वह टेंस हो कर बोला।
“डोंट वरी नितिन … यह शॉर्टकट है … मैं पहले भी इस रास्ते पर आई हूं …” मैंने उसे तो बोल दिया पर वह स्कूल के वक्त की बात थी और उसके बाद मैं उस रास्ते पर कभी नहीं गयी थी।
“मैं दुआ करता हूँ कि तुम सही हो … अगर गलत हुई तो घूम कर वापस जाने का कोई फायदा नहीं होगा … तब तक ट्रेन छूट जाएगी.” वह बोला।
उसके ट्रेन को छूटने में अभी पंद्रह मिनट का टाइम था, मैं जिस रास्ते जा रही थी उस रास्ते से मैं उसे दस मिनट में पहुंचा सकती थी, पर कुछ गलत हुआ तो फिर उसकी ट्रेन छूट जाती। अब मुझे भी थोड़ी टेन्शन होने लगी.
और दोस्तो … जो डर था, वही हुआ।
पांच मिनट बाद ही एक मोड़ लेने पर पता चला कि उस रास्ते पर पाइपलाइन का काम चल रहा है और वह रास्ता बंद हो गया है।
नितिन तो मानो ग़ुस्से से आगबबूला हो गया था- मैंने पहले ही कहा था कि यह गलत रास्ता है, तुम मुझे जबरदस्ती इस रास्ते ले आयी, तुम्हारी वजह से मैं ट्रेन और नौकरी खो बैठा … बहुत हो गया … मुझे वापिस ले चलो … नहीं तो मैं तुम्हारी ऑनलाइन कंप्लेट कर दूंगा.
मैंने कार वापस घुमाई, मुझे पापा की बात याद आने लगी। शायद मेरी इस गलती की वजह से उन्हें कॉन्ट्रेक्ट गंवाना पड़ सकता था। मैं अपने आपको कोसने लगी, एक काम भी ठीक से नहीं कर सकती तुम।
मुझे नितिन के बारे में भी बुरा लग रहा था, मैंने उसकी ओर देखा तो वह ग़ुस्से में बैठा था। शायद अभी तक उसने ऑनलाइन कंप्लेट नहीं की थी. पर इसकी भी कोई गारंटी नहीं थी कि वह गाड़ी से उतरने के बाद कंप्लेट दर्ज नहीं कराएगा।
अब मुझे उसे कंप्लेंट ना करने के लिए मनाना था।
“सॉरी नितिन … मेरी वजह से तुम अपनी इंटरव्यू को नहीं जा सके … मुझे बहुत बुरा लग रहा है.”
“अब इससे क्या फायदा … पता नहीं ऐसा मौका फिर मिले न मिले!”
“सॉरी यार … तुम बोलो मैं तुम्हारी और क्या मदद कर सकती हूं … इस गलती को सुधारने के लिए मैं कुछ भी कर सकती हूं.”
“जो मदद तुमने की है वही काफी है … अब और मदद नहीं चाहिए!”
उसकी बातों से मुझे लग रहा था कि शायद वह गाड़ी से उतरने के बाद मेरी कंप्लेट कर सकता है। मुझे किसी भी कीमत पर उसे यह करने से रोकना था।
तभी वह गली आयी जिस गली में मैं और मेरा बॉयफ्रेंड मस्ती करने आते थे, मैंने और मेरी सहेलियों ने इसी गली में जिंदगी के मजे लिए हुए थे। उस गली के पास आते ही मेरी पुरानी यादें ताजा हो गई.
और तभी मुझे एक आईडिया आया, मैं नीतिन को वह दे सकती थी जिसके लिए हर मर्द तरसता है और तब शायद नितिन मेरी कंप्लेंट ना करे।
“आर यू श्योर नितिन … मैं तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकती हूं.” मैंने यह बड़े ही मादक आवाज में बोला।
नितिन भी थोड़ी देर कंफ्यूज हो गया कि क्या बोले।
मैंने अपनी गाड़ी एक जगह रिवर्स में पार्क की और एप से मीटर बंद किया और मोबाइल स्विच ऑफ कर दिया, मेरी एक तरफ ओर पीछे दीवार थी और दूसरी तरफ एक कंटेनर था। वह जगह इतनी छोटी थी कि हम हमारी गाड़ी का दरवाजा भी नहीं खोल सकते थे, अब गाड़ी के अंदर देखना बिल्कुल नामुनकिन था। गाड़ी हैंडब्रेक पर लगाकर मैंने पीछे की ओर देखा, नितिन अपनी बैग अपनी जांघों पर रखे हुए कंफ्यूज हो कर मेरी तरफ देख रहा था।
मैंने अपनी सीटबेल्ट निकाली और दोनों सीट के बीच से पिछली सीट पर जाने लगी।
“ये … ये … क्या नीतू … गाड़ी क्यों रोकी … तुमने?”
“स्वीटहार्ट … मेरी वजह से तुम्हारा नुकसान हुआ … मुझे बहुत बुरा लग रहा है … सोचा तुम्हारा थोड़ा नुकसान कम करूँ.”
कह कर मैंने उसके सिर को पकड़ा और अपने नाजुक होंठ उसके होठों पर रख कर उसे किस करने लगी, नितिन का पूरा बदन थरथरा रहा था, फुल एसी में भी उसे पसीना आ रहा था। उसने होश में आते ही मुझे पीछे धकेल दिया और ज़ोर से साँस लेने लगा, मैं उसके साथ पिछली सीट पर बैठी थी।
“ये … क्या … कर रही … हो तुम?” वह अब भी शॉक में था।
“ओह … पुअर बेबी … क्या तुम्हें सच में यह नहीं चाहिए.” कहते हुए मैं अपने दोनों स्तनों को हाथों में पकड़ कर उसके मुँह के सामने दबाने लगी।
मेरी हरकत देख कर वह शॉक हो गया था पर अब धीरे धीरे उत्तेजित होने लगा था। शॉक की वजह से उसका मुँह खुला ही रह गया था और वह बिना पलकें झपकाए मेरे स्तनों की ओर देख रहा था।
“क्या हुआ … इन्हें छूना है तुम्हें?” मैं अपने बदन को कमनीय ढंग से हिलाकर उसे और उत्तेजित कर रही थी।
आखिरकार नितिन का डर थोड़ा कम हुआ और उसने हाँ में सर हिलाया।
“तो छू लो इन्हें!” कहकर मैं अपने स्तनों को उसके सामने ले आयी.
उसने डरते हुए ही अपने हाथ अपनी बैग से उठाते हुए मेरे स्तनों पर रख दिये।
“उफ …” बहुत दिनों बाद किसी ने मेरे स्तनों को छुआ था, उसका हाथ अभी भी थरथरा रहा था।
मेरे स्तन बिल्कुल उसके मुँह के सामने थे थोड़ी देर उन्हें मसलने के बाद उसका डर खत्म हो गया और उसने ऊपर मेरी तरफ देखा, उसकी आँखों में भी वासना का नशा चढ़ने लगा था। मैंने नीचे झुकते हुए उसके होठों पर अपने होंठ रख दिये, हम दोनों की आँखें अपने आप बंद हो गयी और हम किस करने लगे।
उसके हाथ अभी भी मेरे स्तनों को मसल रहे थे, मेरे हाथ नितिन के बदन को सहलाने लगे। उसके सीने को सहलाने हुए मैं धीरे धीरे नीचे की ओर जाने लगी. जैसे ही मेरा हाथ पेट के नीचे चला गया, मेरा हाथ उसके बैग से टकराया। मैंने बैग को उठाया और अंदाजे से आगे वाली सीट पर फेंक दिया. हमारी आँखें अभी भी बंद थी और हम दोनों एक दूसरे के होठों को चूसे जा रहे थे।
मैंने धीरे से अपनी जीभ को उसके मुँह में डाल दिया, उसने भी अपना मुँह खोल कर मेरी जीभ का स्वागत किया। हमारी जीभ एक दूसरे से द्वंद्व खेल रही थी, उसके हाथ मेरे स्तन मसलने में व्यस्त थे और मेरा हाथ उसके लंड के काफी करीब पहुँच गया था। मैंने अपना हाथ पैंट के ऊपर से ही उसके लंड पर रखा और हल्का सा दबाया, मेरे छूने से उसके बदन में थरथराहट हुई और उसकी जांघें अपने आप खुल गई।
मैं उसकी बेल्ट और पैंट खोलने की कोशिश करने लगी, पर मेरे एक हाथ से यह बहुत मुश्किल था। तभी नितिन ने किस तोड़ी और अपने हाथ से अपनी बेल्ट और पैंट खोली। यह करते हुए वह बार बार लड़खड़ा रहा था, शायद उसे भी अब कंट्रोल नहीं हो रहा था।
उसने अपनी पैंट को अंडरवियर के साथ ही नीचे खींचा तो उसका बड़ा लंड पैंट से निकलकर उसके पेट से टकराया।
“उफ़ …” कितने दिनों बाद मैं लंड देख रही थी.
उसका लंड उसकी तरह सावले रंग का था। उसका टोपा हल्का चॉकलेटी रंग का था और नींबू की तरह फूला हुआ था। मैंने हाथ से उसकी पैंट को नीचे खींचा. मेरा इशारा समझते हुए उसने अपनी पैंट और अंडरवियर अपने कूल्हों के नीचे से उतारकर घुटनों के नीचे तक ले आया। उसकी पैंट अब कार की मैट पर थी और उसके पैर अभी भी उसके पैंट के अंदर ही थे.
मैं उसके बाल रहित लंड को मंत्रमुग्ध होकर देख रही थी।
मैं अब सीट से नीचे उतरी और कार की मैट पर घुटनों के बल बैठ गयी, मेरी हाइट कम होने की वजह से ड्राइवर वाली सीट बहुत आगे खिसकी हुई थी और पीछे बहुत जगह बनी हुई थी।
मैंने उसके लंड के नजदीक जाते हुए अपनी उंगलियाँ उसके बॉल्स से होते हुए उसके टोपे तक घुमाई।
“आह …” नितिन के मुँह से एक सिसकारी निकली और आगे क्या होने वाला है इस उत्सुकता से वह मेरी तरफ देखने लगा।
“चलो नितिन, तुम्हारी इंटरव्यू मिस हो गयी तो क्या हुआ … मैं तुम्हारी इंटरव्यू लेती हूं.” कहकर मैंने उसके गर्म लंड को मेरी मुठ में पकड़ा और उसे ऊपर नीचे करने लगी।
“तो मेरा पहला सवाल … लंड की मोटाई और लंबाई कैसे नापते है?”
“आह … टेप से … ओह …” नितिन मुश्किल से बोला।
“गलत जवाब!” मैं उसके बॉल्स को दबाते हुए बोली।
“आह … सॉरी …” वह दर्द से चिल्लाया।
कहानी अगले भाग में जारी रहेगी.
मेरी सेक्सी कहानी कैसी लगी? मुझे मेल करें.
मेरा मेल आई डी है nitu.patil4321@gmail.com
कहानी का अगला भाग: एक दिन की ड्राईवर बनी और सवारी से चुदी-2
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