पूजा बहकी या मैं-1

रवीश सिंह 2013-11-12 Comments

अपनी पिछली कहानी में मैंने बताया था कि कैसे शाहीन की सखी पूजा मल्होत्रा मेरे घर में हफ्ते भर के लिए रुकी थी। उसके पापा कनाडा में थे और अपनी बेटी के साथ जो हुआ उसके बाद वहीं शादी कराने वाले थे। वैसे पूजा मस्त सेक्सी पंजाबन थी सही जगह उभार लिए।

इत्तेफाकन जिन दिनों वो मेरी ज़िन्दगी में आई मैं भी कई चीजों से गुजर रहा था। मेरा एस्टेट एजेंट का बिज़नेस जम गया और मैंने अपनी एजेंसी खोल ली। जिम ट्रेनर का काम छोड़ दिया तो रिया (और उसकी क्लाइंट्स) से भी छूट गया। सच बोलूँ तो दूर से सब अच्छा लगता है कि नई नई औरतों को चोदने मिलता है और पैसे भी, पर पूर्ण सुख (चुदाई का भी) अपनी प्रेयसी के साथ ही आता है।

शाहीन मेरी ज़िन्दगी की अहम हिस्सा और जरूरत बन गई थी। पर शाहीन की मजबूरी थी अपने घर से आने में, जॉब भी संभालना था नहीं तो हमारे मिलन के आसार शून्य हो जाते। इसलिए इस कहानी में वर्णित घटना के होने का उसे पूर्व आभास था और शायद इसीलिए सहमति भी।

मुझे इस बात का एहसास था कि पूजा मानसिक परेशानी से गुजर रही थी। अपने यार के साथ किये अंतरंग सम्भोग भी रैप से प्रतीत हो रहे होंगे इसलिए मैं एक दूरी बनाये हुए था।

अगले सवेरे मैं रूम में कसरत कर रहा था क्यूँकि जिम छोड़ दिया था। सिर्फ वर्कआउट शॉर्ट्स में था मेरा एक एक मसल फड़क रहा था और पसीने से चमक रहा था। तभी आवाज़ हुई और पीछे मुड़ा तो पूजा खड़ी थी, स्पोर्ट्स ब्रा और बरमूडा शॉर्ट्स में सेक्सी लग रही थी। मैं एकाएक मुड़ा तो सकपका कर पूजा ने अपनी शॉर्ट्स से हाथ खींच लिया और बात बदलते हुए बोली, “गु…गु…गुड मॉर्निंग, क्या एक सिगरेट ले सकती हूँ?”

सिगरेट दी तो उसके हाथों पर लगी चिकनाहट अपने हाथ पर महसूस हुई। सूंघा तो समझ गया कि यह तो पूजा की चूत का रस है और काफी देर से खड़ी हो मुझे कसरत करते हुए देख रही थी, अपनी योनि सहला रही थी। मैं भी बेशर्मों के जैसे उसके सामने ही अपनी उंगली चाट गया।

पूजा सिगरेट जलाये बिना रसोई की ओर बढ़ी चाय बनाने को। मैंने एक जलाई और ठीक पूजा के पीछे खड़ा हो गया।

“चाय तो बन जायेगी पहले दो कश तो मार लीजिये !” मैंने एक कश लेते हुए सिगरेट बढ़ाई।

पूजा घूमी तो प्लेटफार्म और मेरे बीच बहुत कम जगह थी वह फिर भी वहीं खड़ी रही। कश लेते हुए मेरे पसीने से लथपथ छाती पर छूते हुए बोली, “मस्त बॉडी है, सिक्स पैक्स हैं !”

मैं कुछ कहता उससे पहले दरवाजे पर घण्टी बज गई।

“मैं देखता हूँ, शायद शाहीन होगी !”

शाहीन ही थी, उसने ऑफिस से छुट्टी ले ली पर घर पर नहीं बताया ताकि साथ में मस्ती कर सके।

“तुम दोनों तैयार नहीं हुए? और तुम्हें वर्कआउट करके पसीना हुआ या पूजा को इम्प्रेस करने के लिए पानी स्प्रे किया है?” शाहीन चहकते हुए बोली।

मैंने कस के उसे आलिंगन किया और गर्दन पर एक चुम्बन दे दिया।

मुझे धक्का देते हुए शाहीन प्यार से झिड़कते हुए बोली, “मेरी ड्रेस ख़राब कर दी? चलो, अब दूसरी दिलाओ।”

“ठीक है दिला दूँगा, इसे नाप के लिए छोड़ जाओ !” कहते हुए मैंने कुर्ते की चैन खोल दी। हम दोनों दो प्रेमियों की तरह बेतुकी मस्ती में लगे थे ताकि एक दूसरे को ज्यादा से ज्यादा छू सके।

पूजा रसोई से सब देख रही थी।

शाहीन ने कोई प्रतिकार नहीं किया बल्कि लिपट कर मेरी निप्पल चूसने लगी। मैं भी उसके सलवार का नाड़ा खोल उसके चूतड़ मसलने लगा। सलवार नीचे गिर गई पर शाहीन बेतकल्लुफ़ चुम्बनरत थी। सलवार के गिरते ही एक पल के लिए पूजा पलटी पर कनखियों से हमारी इस बेशर्म मस्ती को देख रही थी।

“चाय तैयार है।” पूजा की आवाज़ ने हमारी अनवरत चुम्बन को तोड़ा। शाहीन ने कुर्ता ठीक किया मगर चैन नहीं लगाई सोफे पे मेरे से सट कर बैठी तो उसकी मखमली जांघें नंगी दिख रही थी। मुझसे रहा नहीं गया और मैं हाथ फेरने लगा।

“पहले चाय तो पी लो !”

“तुम्हारी कमनीय जांघें मुझे विचलित कर रही हैं जानू !”

“कमनीय तो पूजा की भी हैं?”

“ठीक है।” कहते हुए मैं पूजा की जांघों पर भी हाथ फिराने लगा। पूजा ने कोई झिझक नहीं दिखाई।

“सारे मर्द कुत्ते ही होते हैं, जहाँ हड्डी दिखी नहीं, जुबान से लार टपक जाती है।” कहते हुए शाहीन ने पूजा की जांघ से मेरा हाथ खींच लिया, “उसे परेशान मत करो, चलो नहा लो। याद है ना मूवी जाना है?” शाहीन बोली।

“तुम नहला दो, देखो ना पीठ तक हाथ ही नहीं पहुँचता !”

“हाँ, मालूम है तुम मर्दों का हाथ सिर्फ हमारी पीठ पर पहुँचता है। ब्रा के हुक खोलने के लिए !” शाहीन ने चुटकी ली और मेरे साथ कमरे में चल दी।

अन्दर जाते ही शाहीन को निर्वस्त्र किया और अपने शॉर्ट्स भी खोल लिपट कर एक दूसरे को चूमने लगे। शाहीन पलंग के किनारे बैठ मेरा लंड चूसने लगी, मैं उसकी चूत में उंगली कर और उत्तेजित कर रहा था। हम अपनी निर्लज्ज काम क्रीड़ा में भूल गए कि पूजा भी घर में है और चाय के खाली कप रसोई में रखने गई तो हमारी इस प्रेम क्रीड़ा की गवाह बन गई।

मेरे निरंतर उंगली चोदन से शाहीन का पानी निकल गया। मैंने अंजुली भर उसकी चूत के शहद का सेवन कर उसका चेहरा मेरे लंड से हटा चुम्बन दे दिया, उसके कान में फुसफुसाया, “पूजा हमें देख रही है।”

“भाड़ में गई पूजा ! मेरी चूत में आग लगी है, मुझे चोदो।” शाहीन प्रत्युत्तर में फुसफुसाई। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

“चल बाथरूम में चल !” मैंने कहा और उठा कर अन्दर चल दिया।

बाथरूम में दोनों नल पकड़ शाहीन झुकी और मैंने पीछे से चूत पर लंड रगड़ना शुरू किया। शाहीन की चूत पहले से ही चिकनी थी इसलिए उसके हल्के से हाथ लगाने से मेरा लौड़ा शाहीन की चूत में घुसता जा रहा था। हर नई गहराई के साथ उसकी सिसकारियाँ भी बढ़ती जा रही थी। एक मिनट का विराम देने के बाद मैंने पेलना चालू किया तो बाथरूम शाहीन की सेक्सी किलकारियों और सीत्कारों से गूंज गया।

बाहर पूजा की हालत भी बेकाबू हो रही थी। चुदाई की प्यास और आँखों के सामने हमारे बदतमीज़ सेक्स क्रीड़ा ने उसे मजबूर कर दिया। वो कमरे में आई और मेरी शॉर्ट्स को सूंघने लगी। जहाँ मेरी लूली रहती है उसे चाटने लगी। वहीं बिस्तर पे लेट कर अपनी चूत में उंगली करने लगी।

बाथरूम में शाहीन की कामुक सिसकारियाँ मेरी गति को बढ़ा रही थी। फिर काम वासना में मेरी पिचकारी शाहीन की चूत में ही चल गई।

शाहीन घबरा गई, आज तक हमने ध्यान रखा था मैं अंदर वीर्य नहीं छोड़ता था। शाहीन ने मुझसे पहले बिना कंडोम के चुदाई भी नहीं कराई थी।

घबराहट में मुझ पर गुस्सा करते हुए शाहीन बाथरूम से निकल गई और उसके पीछे पीछे में भी। एकाएक बाहर निकले तो पूजा भी सकपका गई। तपाक से मेरी शॉर्ट्स को अपने नंगे चुचों पर से फेंका और अपनी चूत से उंगली निकाल बैठ गई। अपने एक हाथ से अपने उरोज ढक कर बोली, “शाहीन, क्या हुआ?”

शाहीन बस खड़े खड़े रो रही थी।

“वो मैं अन्दर ही स्खलित हो गया… बिना कंडोम के !” मैंने हाथ से अपने सुसुप्त हो चुके लंड को छिपाते हुए कहा।

“क्या बाथरूम में लेट कर कर रहे थे?” पूजा ने सवाल दागा।

“नहीं, खड़े खड़े ही !” मैंने उत्तर दिया

“कोई बात नहीं, डियर तू प्रेग्नेंट नहीं होगी, रोना बंद कर और जैसा मैं कहती हूँ वैसा कर !” पूजा ने शाहीन के आँसू पौंछे और गले लगाया। इस प्रक्रिया में मुझे उसके मस्त मम्मों के दर्शन हुए। पूजा ने अपनी स्पोर्ट्स ब्रा पहनी, मैं चाह कर भी अपनी शॉर्ट्स नहीं पहन सकता था, पूजा ने दूर के कोने में फेंक दी थी।

“चल अन्दर चल, रवीश तुम थोड़ी कॉटन और एक कटोरी गुनगुना पानी ले आओ।” पूजा ने कहा और शाहीन को ले कर बाथरूम में चल दी। मैं भी पीछे चल दिया क्योंकि कॉटन अन्दर ही थी और गर्म पानी भी।

“अब तुम लड़कों की तरह खड़ी होकर सुसु करो, बैठना मत !” पूजा का आदेश आया।

थोड़ा ज़ोर लगाया तो शाहीन का मूत निकल गया।

“अब मैं गुनगुने पानी से गीली कॉटन से चूत के अन्दर से साफ कर देती हूँ। कुछ खा के एक पिल ले लेना। मेरे पास है।” पूजा ने कार्य पूरा किया।

शाहीन बाहर जाने लगी तो मैं बोल पड़ा, “नहलाया तो है ही नहीं?”

“वाकई मर्द कुत्ते होते हैं।” पूजा मुस्कुराते हुए बोली, “शाहीन, नहला आ !” और बाहर चली गई।

मैं शाहीन को चूमते हुए शावर के नीचे ले गया।

कहानी ज़ारी रहेगी।

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top