दोस्त ने खुद अपनी बीवी चुदवाई

(Dost Ne Khud Apni Biwi Chudwai)

दोस्तो, आज आपके लिए पेश है एक बिल्कुल सच्ची कहानी।
यह बात अभी दो महीने पहले की है। हमारे ग्रुप के ही दोस्त हरीश की शादी हुए अभी 4-5 महीने ही हुए थे, बाकी हम सब अभी कुँवारे थे, मतलब कुँवारे तो नहीं थे मगर और किसी की शादी नहीं हुई थी।
अक्सर हम सब शाम को बैठ के दारू शारु पिया करते थे, एक दिन ऐसे ही बैठे पेग लगा रहे थे, तो हरीश कुछ परेशान सा लग रहा था।
जब तीन चार पेग अंदर चले गए तो उसने बताया कि उसकी बीवी का शादी से पहले किसी और के साथ चक्कर था और अब भी है, अब उसकी बीवी ने साफ साफ कहा है- या तो मुझे छोड़ दो नहीं तो मैं किसी दिन भाग जाऊँगी।
हरीश ने आगे कहा- अब दिक्कत यह है कि उसने मुझे अभी तक हाथ तक नहीं लगाने दिया है और मैं उसे छोड़ने का फैसला कर चुका हूँ। मगर मैं चाहता हूँ कि जैसे वो अपना कौमार्य उस हरामज़ादे के लिए संभाल कर बैठी है, वो उसे ना मिले, अगर वो मेरी नहीं हो सकी तो उसकी भी इतनी आसानी से नहीं होने दूँगा।

हम सब ने उसे समझाया कि अगर वो तुझसे प्यार ही नहीं करती तो तू उसे छोड़ दे और यह फालतू की बात मत कर, अगर वो जाना चाहती है तो जाने दे।

मगर वो अपनी ज़िद पे अड़ा रहा।

करीब 4-5 दिन बाद हम सबका फिर से पेग-शेग का प्रोग्राम बना।
जब हम पी रहे थे तो हरीश ने बताया- मैंने मंजु से बात कर ली है, वो किसी भी कीमत पे मुझे छोड़ने को तैयार है, मैंने कह दिया कि अगर तलाक चाहिए तो मुझसे और मेरे 4 दोस्तों से तुझे चुदवाना पड़ेगा।

‘अबे पागल है क्या? यह क्या बकवास कर रहा है तू?’ अरुण बोला।

मगर हरीश ने अपनी बात जारी रखी- और वो इसके लिए भी तैयार है, वो बोली कि मुझे सिर्फ मेरा प्यार चाहिए, चाहे किसी भी कीमत पे मिले।

हम सबको यह सुन कर बड़ी हैरानी हुई कि वो लड़की मान कैसे गई, और वो भी ऐसी बात के लिए?

खैर हम सब दोस्तों ने हरीश से अलग भी इस विषय पर बात की, अब दिक्कत यह थी कि हम सब गैर शादीशुदा थे तो एक तरफ तो दिल कह रहा था ‘यार एक खूबसूरत नौजवान लड़की चोदने को मिल रही है, मज़ा करेंगे…’ मगर दूसरी तरफ दिमाग कह रहा था ‘नहीं यार, वो अपने लंगोटिया यार की बीवी है, उसके साथ हम ये सब कैसे कर सकते हैं?’
मगर जब लण्ड अकड़ता है तो दिल दिमाग सब की माँ चुद जाती है। हम सबने फैसला यह किया कि अगर तो हरीश ने हल्के से बात की तो मना कर देंगे, पर अगर उसने ज़ोर डाला तो उसकी बीवी की रजामंदी जान कर ही आगे बढ़ेंगे।

खैर हमने अपना फैसला हरीश को सुना दिया, अमित ने कहा- देख हरीश, तू हमारा यार है, तेरे साथ हम ऐसा नहीं कर सकते, पर फिर भी अगर तू ज़्यादा ज़ोर लगाएगा तो हम भाभी की रजामंदी जानना चाहेंगे, अगर वो खुद हमारे सामने इस बात को कबूल करती है तो देख लेंगे, फिर हम तेरे साथ हैं।

हरीश मान गया।

अगले ही दिन उसने कहा- मंजु तुम सबसे मिलना चाहती है।

शाम को हम सब मैं (प्रेम कुमार), अरुण, अमित और गुरु चारों दोस्त हरीश के घर जा पहुँचे। हम सब ड्राइंग रूम में बैठे थे, हरीश अंदर गया और मंजु को साथ ले कर आ गया।
एक 22-23 साल की ज़्यादा खूबसूरत तो नहीं, पर फिर भी दिखने में अच्छी, गोरी सी लड़की हमारे पास आकर बैठ गई।
अब हम सोचें कि बात कौन शुरू करे और क्या बात करे?

खैर इन मामलों में हमेशा मुझे ही आगे किया जाता था तो इशारे से मुझे ही बात शुरू करने को कहा गया।
मैंने मंजु से इधर उधर-घुमा कर बात शुरू की, फिर दोनों की अनबन की और बाद में हरीश की शर्त की बात भी की।

मंजु एक बड़ी ही समझदार लड़की थी, उसने बड़े साफ शब्दों में कहा- मैं अपने प्यार को हर कीमत पे पाना चाहती हूँ, आप क्या अगर 10 और भी आ जाएँ तो मैं मना नहीं करूंगी, मैंने अपने बोयफ्रेंड से बात कर ली है और इस शर्त के बारे में भी बता दिया, वो इस सब के बावजूद भी मुझसे शादी करने को तैयार है।

हमें यह जान कर बड़ी हैरानी हुई।
खैर मैंने हरीश से पूछा- तो फिर क्या प्रोग्राम है, कब करना है?

वो बोला- तुम देखो, मेरी तरफ से तो चाहे आज ही कर लो।

मैंने मंजु की तरफ देखा, उसने भी कह दिया- ठीक है, मुझे कोई ऐतराज नहीं!
कह कर वो बेडरूम में चली गई।
मैंने हरीश को दारू का इंतजाम करने को कहा, जब बाकी दोस्तों से बात की तो सबकी फटी पड़ी थी कि यार एकदम से ये कैसे पॉसिबल है।
मगर अब जब मिल रही थी, तो मन में तो सब के लड्डू फूट रहे थे। खास बात यह थी कि हरीश और मंजु में से किसी को भी ऐतराज नहीं था।
हरीश दारू और नमकीन, चिकन, पनीर वगैरह ले आया, सबने दारू पीनी शुरू कर दी। आज सबकी दारू पीने की स्पीड बढ़ी हुई थी, सब को था कि जल्दी से पीना खत्म करें और चुदाई शुरू करें।

जब सब लोग करीब डेढ़ बोतल के करीब पी चुके और फुल टाइट हो गए तो यह तय नहीं कर पा रहे थे कि पहले कौन जाए। तो पर्ची डाली गई, पर्ची में मेरा नाम निकला।

मैंने एक मोटा सा पेग और मारा और जाने से पहले हरीश से पूछा- बात सुन, तूने एक आध बार तो किया होगा?

वो बोला- नहीं।

‘एक बार भी अंदर डाल के नहीं देखा?’ मैंने फिर पूछा।

‘नहीं…’ उसने खीज कर जवाब दिया।

‘ज़रा सा भी नहीं?’ मैंने फिर पूछा।

‘तूने जाना है या नहीं?’ उसने जब गुस्से से कहा तो मैं झट से वहाँ से चल पड़ा।

कमरे में घुसा, अंदर देखा कि मंजु बेड पत बैठी थी, मैं उसके पास गया और जाकर बिल्कुल पास उसके सामने बेड पर बैठ गया।

‘मंजु…’ मैंने कहा- एक बार फिर सोच लो, अगर तुम्हारा बॉयफ्रेंड मुकर गया तो तुम्हारा क्या होगा, हम तो मज़ा करके चले जाएंगे, मगर तुम न इधर की रहोगी, न उधर की?

‘मैने आकाश से अभी फोन पर बात की है और उसे बता दिया है कि कौन कौन आया, उसे यह भी पता है कि आप सब हमारे घर बैठ कर शराब पी रहे हो और पीने के बाद सब के सब मुझे लूटोगे!’ वो बोली।

‘देखो मंजु, हम लुटेरे नहीं हैं, न ही देह शोषणकर्ता, अगर तुम नहीं चाहती तो हम चले जाते हैं, तुम लोग इस मसले को कैसे भी सुलझा लो!’ मैंने उसे समझने की कोशिश की हालांकि मेरी अपनी जुबान तुतला रही थी।
मगर मंजु इस बात के लिए अपने आप को पूरी तरह से तैयार कर चुकी थी, वो उठी और उसने जैसे एक झटके में ही अपनी कमीज़ और सलवार उतार दी।
उसके बदन पे सिर्फ ब्रा और पेंटी ही बचे थे।
मैंने उसे अपने पास बुलाया, मैं बेड पे दोनों टाँगें नीचे लटका कर बैठा था, मैंने उसे अपनी टाँगों के बीच में ले लिया और उसकी कमर के गिर्द अपनी बाहों का घेरा बनाया।
उसको दो गोल गोल, ज़्यादा बड़े नहीं, मगर बहुत ही प्यारे प्यारे से स्तन मेरी आँखों के सामने थे।
मैंने उसके दोनों स्तनों के बीच में बन रहे उसके क्लीवेज पर चुम्बन किया और फिर अपनी जीभ ही उसकी क्लीवेज में फिरा दी।

उसने अपने दोनों हाथ मेरे कंधों पे रख लिए, मैंने पीछे से उसकी ब्रा का हुक खोला और उसका ब्रा उतार दिया।
वाह क्या बात थी… बिल्कुल गोल और खड़े हुए स्तन थे उसके, ज़रा भी झोल या गिरावट नहीं थी। मैंने बारी बारी से उसके निप्पल मुँह में लेकर चूसे।
जब निप्पल चूस लिए तो मैंने उसे बाहों में कसा और बेड पे गिरा लिया और खुद उसके ऊपर ही जा चढ़ा।

कपड़े उतारे क्या बस फाड़े नहीं, मैंने अपने सारे कपड़े उतार डाले और अपना तना हुआ लण्ड उसके मुँह के पास ले कर गया- चूसोगी इसे?
मैंने पूछा।

‘नहीं, मैंने ऐसा काम आज तक नहीं किया है।’ उसने कोरा जवाब दिया।

‘कोई बात नहीं!’ कह कर मैं नीचे को हुआ, उसकी चड्डी उतारी और अपना मुँह उसकी टाँगों में दे दिया।

वो एकदम से सिकुड़ गई, शायद ज़िंदगी में पहली बार चूत चटवाई होगी। मैंने अपने अब तक के पूरे तजुर्बे के साथ उसकी चूत चाटी। मेरे दोनों हाथ उसके स्तनों पर थे जिन्हें मैं दबा के सहला के मज़े ले रहा था और उसकी छोटी सी चूत पूरी की पूरी मैंने अपने मुँह में ले रखी थी।

मैंने उसकी टाँगें पूरी तरह से चौड़ी करके जहाँ से उसकी चूत की रेखा शुरू होती है वहाँ से लेकर जहाँ उसके चूतड़ों की रेखा खत्म होती है वहाँ तक पूरे 9 इंच की दरार को एक सिरे से दूसरे सिरे तक चाटा, उसकी गाँड के सुराख को भी चाटा, उसकी चूत और गाँड के बीच में जो छोटी सी जगह है उसको भी चाटा।
मैं उसकी चूत चाट रहा था और वो कसमसा रही थी, बिस्तर पर पड़ी इधर उधर करवटें बदल रही थी मगर मैंने उसको मजबूती से पकड़ के रखा और लगातार उसकी चूत चाटी।

उसकी चूत पानी से सरोबार हो चुकी थी, अब मैं भी चाहता था कि उसे वो हसीन दर्द दे दूँ, जिसे वो सारी उम्र याद रखे, मैंने उसे बेड के बीचों-बीच लेटाया और खुद उसके ऊपर लेट गया, अपना लण्ड उसके हाथ में पकड़ाया और उससे कहा- इसे अपनी चूत पे सेट करो!

उसने मेरा लण्ड पकड़ा और अपनी छोटी सी चूत पे रख लिया, मैंने उसके दोनों हाथ अपने हाथों में पकड़े और खींच के ऊपर ले गया, उसके बाद उसके होंठ अपने होंठों से पकड़े और लण्ड को उसकी चूत में घुसेड़ा।
मेरे ज़ोर लगाने से मेरे लण्ड का सर उसकी चूत में घुस गया, मगर वो दर्द से तड़प उठी, उसने खींच कर अपने होंठ मेरे होंठों से अलग किए और अपने मुँह में वो अपनी चीख दबा न सकी।

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‘आ… ह, हाय मेरी माँ…’ उसके मुँह से निकला।

बेशक उसे बहुत दर्द हुआ होगा, पर सच कहता हूँ, मेरी मर्दानगी को एक अजब सा सुकून मिला।
उसकी दोनों आँखों की कोरों से आँसू बह निकले, मगर शराब और शवाब के नशे ने मुझे पीछे नहीं मुड़ने दिया, मैंने दूसरा धक्का और ज़ोर से मारा, फिर तीसरा, फिर चौथा।
वो अपने बाजुओं के ज़ोर से मुझे पीछे धकेल रही थी, मगर मैं अपनी ताकत से उसके अंदर घुसता जा रहा था। उसका गोरा चेहरा गुलाबी हो गया था, उसका रोना, उसका तड़पना मुझे बहुत अच्छा लग रहा था, मैंने अपना पूरा लण्ड उसकी चूत में उतार दिया।

जब मुझे लगा के मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में समा चुका है तो मैं वहीं पर रुक गया, मैंने अपना लण्ड बाहर नहीं निकाला।

वो बोली- भैया, बहुत दुख रहा है, प्लीज़ बाहर निकाल लो।

मैंने कहा- ओके, बाहर तो निकाल लेता हूँ, मगर फिर से डालूँगा तो रुकूँगा नहीं।

वो बोली- ठीक है, पर अभी निकाल लो थोड़ी देर के लिए।

मैंने बाहर निकाल लिया, मेरा लौड़ा एकदम से तन कर लोहा हुआ पड़ा था, उसने अपने दोनों हाथ अपनी चूत पे रखे और करवट लेकर लेट गई, जैसे दर्द को दबा रही हो।
मैं उठ कर बाहर आ गया, हम सब क्योंकि एक साथ लौंडिया चोदते थे सो एक दूसरे के सामने नंगा होने में हमे कोई शर्म नहीं होती थी। मैंने बाहर आकर कहा- भोंसड़ी के, साले, एकदम कड़क आइटम थी, तूने खामख्वाह छोड़ दिया उसे, सिर्फ एक बार पूरा डाला है और अभी तक बिलबिला रही है।

मेरी बात सुन कर बाकी सबके चेहरे भी खुशी से खिल गए। मैंने एक छोटा सा पेग और लिया और फिर कमरे में घुस गया। वो वैसे ही लेटी थी।

मैंने उसे जाकर सीधा किया, कोई उसके दर्द की परवाह नहीं की, फिर से लण्ड उसकी चूत पे रखा और अंदर धकेल दिया, वो इस बार भी तड़पी मगर मैंने लण्ड अंदर डालते ही उसको चोदना शुरू कर दिया।
मैं उसे चोदे जा रहा था और उसके मुँह से ‘हाई, उफ़्फ़, आ…ह, आ… उऊँ… हाय मेरी माँ, मर गई, छोड़ दो, नहीं…’ जैसे न जाने कौन कौन से दर्द भरे शब्द निकल रहे थे।

जितना वो मेरे नीचे पड़ी तड़प रही थी उतना ही मैं उसे बेदर्दी से चोद रहा था, मुझे उसके दर्द से ज़्यादा अपना मज़ा आ रहा था और उसका दर्द से तड़पना मेरे मज़े को और बढ़ा रहा था।

करीब 10 मिनट तक मैंने उसे बड़ी बेदर्दी से चोदा, उसका चेहरा पूरा लाल हो रखा था, उसके नर्म-ओ-नाज़ुक स्तनों को दबा दबा कर मैंने निचोड़ डाला था, उसके स्तनों पे मेरी उँगलियों के निशान साफ दिख रहे थे, उसके गालों को जो मैंने चूसा तो उसके चेहरे पे मेरे होंठों के निशान पड़ गए थे, यहाँ तक के उसके पेट और बगलों पर भी मेरे हाथों के दबाने से निशान पड़ गए थे, उसके बाल बिखर चुके थे, मेकअप मैं सारा चाट गया था।

जब मैं झड़ने वाला हुआ, तो पहले सोचा कि बाहर छुटवा दूँ, फिर सोचा जब अपना यार ही इसे छोड़ रहा है तो फिर काहे की चिंता, मैंने उसकी चूत में ही अपना माल झाड़ दिया, सारा माल अंदर छुटवा कर मैं उसकी बगल में ही गिर गया।

मेरे उतरते ही वो फिर अपने हाथों में अपनी चूत दबा कर लेट गई।
4-5 मिनट मैं वैसे ही लेटा, अपनी सांस को काबू में करता रहा, जब थोड़ा ठीक हुआ तो चड्डी पहन के बाहर चला आया।
मेरे बाहर आने से पहले ही सब ने अपनी अपनी बारी बाँट रखी थी।

मैं बाहर आ कर सोफ़े पर गिर गया। उसके बाद मुझे नींद आ गई, मुझे नहीं पता फिर क्या हुआ।

अगले दिन ऑफिस जाने लायक नहीं रहा, सो फोन पर ही छुट्टी मांग ली।

उसके बाद हम अभी तक हरीश के घर नहीं गए हैं, दोनों का तलाक का केस कोर्ट में है। कई बार सोचता हूँ तो समझ नहीं पाता कि हमने अच्छा किया या बुरा, अगर अच्छा किया तो किसके साथ अच्छा किया और अगर बुरा किया तो किसके साथ बुरा किया।
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