दोस्त की मम्मी और उनकी सहेली की चूत चुदाई -1

(Dost Ki Mummy Aur Unki Saheli Ki Chut Chudai-1)

भारत शर्मा 2015-08-01 Comments

This story is part of a series:

हाय फ्रेंड्स.. मेरा नाम भारत शर्मा (काल्पनिक नाम) है.. मैं रेवाड़ी से हूँ। मैं एक इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ता हूँ.. जो कि फरीदाबाद में है। मेरी उम्र 20 साल है।
आज मैं आप सबको अपनी पहली चुदाई के अनुभव के बारे में बताने जा रहा हूँ। यह स्टोरी मेरी और मेरे फ्रेंड की मॉम और उनकी एक ग्राहक की है। आंटी का नाम मंजू है (बदला हुआ नाम) जो कि एक बुटीक चलाती हैं। आंटी का फिगर एकदम मस्त है। आंटी की उम्र 42 साल है और दिखने में बिल्कुल हीरोइन लगती है।

यह बात आज से 1 महीने पहले की है जब मैं फरीदाबाद से घर आया था.. उस समय मेरे इम्तिहान शुरू होने वाले थे.. सो मुझे कुछ किताबें भी लेनी थीं और मैंने सोचा कि इम्तिहान से पहले एक बार घर भी हो आऊँ।

शाम को जब मैंने आंटी को देखा तो मैं पागल ही हो गया.. क्या पीस लग रही थीं वो.. एकदम गरम माल.. वैसे तो वो हमेशा ही सेक्सी लगती हैं लेकिन उस दिन कुछ ज्यादा ही मस्त लग रही थीं।
मैंने आंटी को नमस्ते की.. तो आंटी ने पूछा- कब आया तू?
तो मैंने कहा- आज ही आया हूँ.. किताबें वगैरह लेने आया था।

फिर मैं घर आ गया।

अगले दिन छुट्टी का दिन था.. तो 12 बजे उठा और फिर थोड़ा पढ़ने लग गया। लेकिन पढ़ने का मन ही नहीं लग रहा था और बार-बार आंटी की याद आ रही थी।

मैंने बुक साइड में रखी और आँखें बन्द करके आंटी के बारे में सोचने लगा। फिर अचानक से आंटी घर पर आ गईं और जैसे ही कमरे में आईं तो उसकी नज़र सीधा मेरे खड़े लण्ड पर पड़ी, वो चुपचाप 2 मिनट तक देखती रहीं।
यह बात आंटी ने मुझे बाद में बताई थी।

फिर आंटी ने मुझे आवाज़ लगाई.. मैंने फटाफट अपना लोवर ठीक किया और हाथ से लण्ड को छुपाने लगा।
यह देख कर आंटी हँसने लगीं और बोलीं- तू ये पढ़ रहा था.. या किसी के सपनों में खोया हुआ था।
मैंने बोला- आंटी ऐसी कोई बात नहीं है.. मैं पढ़ ही रहा था.. वो थोड़ा रेस्ट करने के लिए 5 मिनट सो गया था।
तो आंटी बोलीं- हाँ.. मुझे पता है.. कितना सो रहा था तू..
मैं जरा झेंप सा गया।

फिर वो बोलीं- अच्छा यह तो बता कि तेरी मम्मी कहाँ हैं?
मैंने बोला- वो चाची के घर गई हैं.. उनकी थोड़ी तबियत खराब है।
वो कुछ सोचने लगीं तो मैंने बोला- कुछ काम है.. तो मुझे बता दो?
तो उन्होंने बोला- कुछ नहीं.. सूट की कहने आई थी.. चल मैं बाद में आ जाऊँगी.. तू अपनी पढ़ाई कर.. और जो कर रहा था वो भी कर..
कह कर वो हँसते हुए चली गईं।

उसके बाद तो मेरा और दिमाग़ खराब हो गया और उसे चोदने के बारे में सोचने लगा। फिर उसके नाम की मुठ्ठ मारी तब चैन पड़ा।
शाम को मैं दोस्तों के साथ घूमने चला गया और वापिस आया.. तो आंटी बाहर ही खड़ी थीं। वे अपने किसी कस्टमर के साथ आई थीं.. जो सूट के लिए आई थी और कुछ बातें कर रही थी।

मेरी आज की बात बता रही थीं तो आंटी ने मुझे वहाँ बुलाया और उनसे कहा- ये मेरे बेटे का दोस्त है और इंजीनियरिंग कर रहा है.. ओर सारा दिन ‘पढ़ता’ ही रहता है.. यहाँ तक की सोते-सोते भी ‘उसी’ के बारे में सोचता रहता है।
यह बात करके वे दोनों हँसने लग गईं।

मैंने भी कमेन्ट मार दिया- आंटी.. यही तो सोचने का समय है.. और अभी नहीं सोचूँगा.. तो तरक्की कैसे होगी.. और फिर काम कैसे पूरा होगा।
‘अच्छा.. यह बात है..’
फिर अगले दिन वो फिर मेरे घर आईं और आते ही मुझसे बोलीं- आज तू चुपचाप कैसे बैठा है.. अब तरक्की नहीं करनी.. क्या हुआ?
मैं कुछ नहीं बोला..
वो मम्मी को सूट देकर चली गईं।

अगले दिन मम्मी ने मुझसे बोला- आंटी के घर चला जा और यह सूट आंटी को दे आ.. मैंने आंटी को बोल दिया है कि तेरे हाथ से भिजवा दूँगी।
मैं आंटी के घर चला गया.. मेरे जाते ही आंटी ने बड़ी कातिल अदा से बोला- आ जा.. तेरे ही लिए बैठी थी मैं..
आज आंटी का मूड कुछ अलग ही लग रहा था और उसने नाइटी पहन रखी थी.. जो बिल्कुल पतली सी थी।
मैंने उन्हें सूट दे दिया और जाने लगा.. तो आंटी बोलीं- दस मिनट रुक जा.. मैं ठीक करके दे देती हूँ।

मैं वहीं बैठ गया.. आंटी कोल्ड ड्रिंक लेकर आईं और रखने के लिए झुकीं तो उनकी चूचियों के बीच की क्लीवेज साफ़ दिख रही थी।
मैं तो उनकी दूध घाटी देख कर पागल सा ही हो गया और शायद आंटी ने भी ये देख लिया तो बोलीं- क्या देख रहा है?
तो मैंने बोला- कुछ नहीं..

आंटी बोलीं- तू घर से बाहर जाकर बहुत बदल गया है.. लगता है तेरी भी गर्लफ्रेण्ड बनवानी पड़ेगी.. आजकल ज्यादा ही इधर-उधर देखने लग गया है तू।

तो मैंने भी बोल दिया- आप ही बनवा दो एक-दो.. आपके बुटीक में तो बहुत आती रहती हैं।
तो आंटी बोलीं- एक साथ दो को सम्भाल लेगा?
तो मैंने बोला- दो.. कहो तो.. उन दोनों के साथ आपको भी सम्भाल लूँ..
आन्टी बोली- अच्छा.. देख ले.. मुझे तो तेरे अंकल भी नहीं सम्भाल पाए..
मैंने कहा- ट्राई करके देख लो.. पता लग जाएगा.. कि मैं कितनों को सम्भाल सकता हूँ।

इतने में उनकी वो सहेली.. जो उस दिन बात कर रही थी.. वो भी आ गई।
उनका नाम निशी था। वो आते ही मुझसे बोली- तू यहाँ क्या कर रहा है?
तो मैंने बोला- मम्मी का सूट देने आया हूँ।
‘हम्म..’

वो आंटी से बातें करने लग गईं।
मैंने मन ही मन सोचा कि यह कहाँ से आ गई.. अच्छी भली बात चल रही थी.. बीच में आ कर सब मजा बिगाड़ दिया।
मंजू आंटी उनसे बोलीं- तुम यहाँ बैठो न.. मैं अभी आती हूँ।
निशी आंटी मेरे पास आ कर बैठ गईं और मुझसे बात करने लगीं, उन्होंने मेरी फैमिली के बारे में पूछा, बोलीं- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेण्ड है?
मैंने कहा- नहीं..

कहने लगी- तो तू ऐसी हरकतें क्यों करता है?
तो मैंने पूछा- मैंने क्या किया?
उन्होंने बोला- मंजू ने मुझे सब बता दिया है और मैं तेरी और मंजू की बातें भी सुन रही थी.. जो तुम अभी कर रहे थे।
तो मैं थोड़ा डर गया कि ये सब बातें मंजू आंटी ने मेरे घर पर ना बता दी हों।

इतने में मंजू आंटी उनका सूट लेकर आईं और बोलीं- तू ट्राई कर ले.. तब तक मैं इसकी मम्मी के सूट ठीक कर दूँ।
तो निशी आंटी उसी कमरे में परदे के पीछे जाकर चेंज करने लग गईं।

वहाँ पर एक शीशा लगा हुआ था.. मैं भी उधर ही बैठा था.. तो मुझे थोड़ा-थोड़ा साइड में से दिखने लगा। वैसे भी पंखे की हवा की वजह से परदा थोड़ा उड़ रहा था।

मैं उन्हें देखने लगा.. उन्होंने जैसे ही अपनी कमीज़ उतारी.. तो पागल ही हो गया।
उन्होंने नीचे ब्रा नहीं पहन रखी थी।
मुझे थोड़े-थोड़े साइड में से उसके चूचे दिखे.. हाय.. क्या मस्त सीन था वो..!!

उन्हें भी शायद पता लग गया था.. तो वो भी जानबूझ कर थोड़ा और मेरी तरफ दिखने वाली साइड में हो गईं और अपने शरीर पर हाथ फेरने लगीं।
फिर उन्होंने अपनी सलवार भी उतार दी और मेरे सामने उनकी बड़ी-बड़ी गाण्ड दिखने लगी।
उन्होंने काले रंग की पैन्टी पहन रखी थी और उसमें वो बिल्कुल पोर्नस्टार लग रही थीं। मेरा मन कर रहा था कि अभी जाकर उसको चोद दूँ।

मंजू आंटी और उनकी सहेली निशी की काम पिपासा ने मुझे इस चूत चुदाई के खेल में कहाँ तक भोगा, उसकी यह मदमस्त कहानी आपके चूतों और लौड़ों को बेहद रस देने वाली है।
मेरे साथ अन्तर्वासना से जुड़े रहिए और मुझे अपने प्यार से लबरेज कमेंट्स जरूर दीजिएगा।
नमस्कार दोस्तो.. अगले भाग में मिलते हैं।
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