दोस्त की बहन की बुर का उद्घाटन
(Dost Ki Bahan Ki Bur Ka Udghatan)
दोस्तो, मेरा नाम मिलन है.. मैं आगरा से हूँ। यह कहानी मेरे दोस्त की बहन की है.. जिसका नाम है प्रियंका है, उसकी उम्र 25 साल है
और मेरी उम्र अभी 24 साल है।
मेरा उसके घर बहुत आना-जाना है.. मैं उसके घर का एक तरह से फैमिली मेंबर जैसा ही हूँ।
एक दिन शाम के 3 बजे थे.. मैं अपने दोस्त के घर पहुँचा.. तो उसके घर से पता चला कि घर पर कोई भी नहीं है सिर्फ़ प्रियंका ही घर पर थी।
उसने बताया- सब लोग आउट ऑफ स्टेशन गए हैं और रात को 10 बजे वापस आने वाले हैं।
मैं जाने लगा तो उसने मुझसे कहा- मैं अकेली हूँ.. तो प्लीज़ थोड़ी देर रुक जाओ।
मुझे अच्छी तरह से याद है कि उस दिन रविवार था.. मैं वहाँ रुक गया.. वो मेरे लिये कोल्डड्रिंक लेकर आई।
हम दोनों बातें करने लगे।
मैंने कहा- दीदी.. आज रात को डांस पार्टी है.. और मेरे साथ जाने को कोई लड़की नहीं है।
तो वो उछल पड़ी- चल मिलन.. मैं तेरे साथ चलती हूँ।
मैंने मना कर दिया- वहाँ सिर्फ़ फ्रेंड्स को ही ले जाया जा सकता है।
उसने कहा- किसी को क्या पता कि मैं कौन हूँ।
मैं बोला- वहाँ ऐसे सूट में नहीं जाते हैं.. वहाँ सिर्फ़ जीन्स और स्कर्ट्स पहन कर ही जाया जा सकता है।
उसने कहा- सेक्सी बन कर?
मैंने कहा- हाँ.. यू आर राइट..
वो बोली- तो क्या हुआ.. मैं सेक्सी बन कर चलूँगी।
फिर मैंने उसको बोला- मैंने कभी लड़कियों के साथ डांस नहीं किया है.. तो फिर मैं आपके साथ डांस कैसे करूँगा?
तो वो बोली- कोई बात नहीं.. अभी डांस की प्रेक्टिस कर लेते हैं।
उसने गाना लगा दिया और हम लोग प्रेक्टिस करने लगे।
दीदी बोली- एक हाथ कमर पर और दूसरा हाथ मेरे हाथ में ले..
मैंने वैसे ही किया और हम डांस करने लगे। उसने उस वक़्त ऑरेंज कलर का सूट पहना हुआ था.. जिस पर दुपट्टा नहीं लिया था।
डांस करते-करते मेरी नज़र उसके कुरते के गहरे गले में से झाँकते और मचलते मम्मों पर पड़ी.. क्या मस्त मम्मे थे दीदी के.. एकदम गोरे-गोरे और बड़े-बड़े भरे हुए चूचे थे।
मैं तो उसको देखता ही रह गया। मैंने उसी वक़्त अपनी नज़र टीवी की ओर घुमाई.. लेकिन दुबारा मेरी नज़र वहाँ पर फिर से आ टिकी और देखते ही देखते मेरा लंड एक रॉड की तरह खड़ा हो गया।
मैंने उसी वक़्त उसको छोड़ दिया तो वो बोली- क्या हुआ मिलन तुमको.. आओ ना.. डांस की प्रेक्टिस करते हैं.. शाम को पार्टी में नहीं जाना है?
मैंने कहा– सॉरी दीदी.. मैं आपके साथ अब और डांस नहीं कर सकता।
तो दीदी बोली- कम ऑन मिलन..
मैं बोला– ओके.. जस्ट वेट..
मैं दुबारा उठा और फिर से डांस करने लगा। डांस करते-करते मैं उसके साथ लिपट गया और उसको अपनी बाहों में कस लिया।
वो मुझ पर चिल्लाई- यह क्या बदतमीज़ी कर रहे हो.. छोड़ो मुझे..
उसने मुझे अपने से अलग कर दिया।
मैंने कहा- प्लीज दीदी.. एक स्मूच दे दो..!
वो मेरी तरफ देखने लगी.. फिर मैंने उठ कर उसका एक मम्मा पकड़ लिया।
वो फिर से मुझ पर चिल्लाई.. मैंने उसी वक़्त अपने होंठों को उसके होंठ से लगा दिए और 3-4 मिनट का एक ‘वंडरफुल किस’ किया।
उसी वक़्त वो भी मस्ती में आ गई थी प्लीज़..ओह्ह.. छोड़ो ना.. मुझे कुछ हो रहा है.. प्लीज़ मिलन आराम से दबाओ न.. हाँ.. अहा..
ऊऊह..
फिर उसने मुझे अपने सीने से जोर से चिपका लिया और मैं भी उससे लिपट गया। मैंने फिर से उसको स्मूच किया और सूट के ऊपर से ही उसके मम्मों को दबाया।
उफ़फ्फ़.. क्या मस्त मम्मे थे उसके.. मैं तो जैसे स्वर्ग में था..
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मैंने उसका सूट का टॉप ऊपर कर दिया। उसने काली ब्रा पहनी हुई थी उसके मम्मों का साइज़ काफ़ी बड़ा था।
उसकी फिगर 34-26-36 की थी। मैंने ब्रा के ऊपर से ही उसके मम्मों को अपने मुँह में डाल लिया।
वो मस्ती में कहे जा रही थी- आह.. प्लीज़.. आराम से चूसो.. ब्रा उतार दो..
मैंने ब्रा उतार कर एक मम्मा मुँह में डाल लिया।
‘आहह.. अब और मज़ा आ रहा है..’
मैं चूसता ही गया।
‘अब बस प्लीज़.. मुझसे नहीं रहा जा रहा है.. अब डाल दो प्लीज़..’
तभी मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए और बिस्तर पर लेटा दिया और उसके ऊपर आकर उसकी चूत में लंड डालने लगा।
तो वो बोली- नहीं.. यहाँ नहीं.. क्योंकि मैं वर्जिन हूँ.. और वर्जिनिटी तोड़ना नहीं चाहती हूँ।
मैंने कहा- दीदी.. कभी ना कभी तो यह होना ही है.. क्यों नहीं आज ही उदघाटन करवा लो..
फिर थोड़ा मनाने के बाद वो मान गई।
अब सबसे पहले मैंने उसकी पूरे शरीर को बेतहाशा चूमा और चाटा.. फिर उसके मम्मों को मुठ्ठी में भर कर दबाने और भंभोड़ने लगा।
वो मस्ती से गर्म हुए जा रही थी और उसकी कामुक आवाजों से कमरा गूँज रहा था।
फिर मैं थोड़ा नीचे आया और उसकी चूत को चाटने लगा, वो बिन पानी मछली की तरह तड़पने लगी।
फिर मैंने उसकी करारी चूत में उंगली करना शुरू कर दी.. इतने में वो झड़ गई।
फिर मैंने भी अपने सारे कपड़े उतारे और अपना लंड उसको चूसने को कहा.. वो मेरे लंड को चूसने लगी।
उफ़.. उस वक्त क्या मज़ा आ रहा था.. वो लॉलीपॉप की तरह मेरा लंड चूस रही थी।
फिर हम दोनों 69 की अवस्था में आ गए।
थोड़ी देर उसकी रसीली चूत चूसने से वो तड़प उठी.. फिर उसने मुझसे कहा- मिलन.. मेरी जान.. अब और ना तड़फा.. और जल्दी से
अपना लंड मेरी कुँवारी चूत के नाम कर दे।
मैंने कहा- ठीक है दीदी.. अब मेरे लवड़े का मजा ले।
मैंने उसको सीधा लेटा दिया।
फिर उसकी टाँगें चौड़ी कीं और अपना लंड उसकी बुर के छेद में घुसाने लगा.. पर वो अभी वर्जिन थी.. इसलिए उसकी चूत में लंड घुस ही नहीं रहा था।
फिर उसने मुझे तेल दिया और टाँगें चौड़ी करके लेट गई.. पहले मैंने तेल नहीं लिया और फिर से एक ट्राई करने लगा। इस बार मैंने
एक कस के झटका मारा और मेरा लंड थोड़ा सा उसकी चूत में घुस गया.. और वो दर्द से छटपटाने लगी।
बिस्तर पर खून आने लगा.. इससे वो डर गई।
फिर मैंने उसको बताया- आपको तो मालूम ही है कि पहली बार में ऐसा होता है।
तब वो फिर से तैयार हुई.. मैंने फिर से एक ज़ोर का झटका मारा.. लंड अन्दर घुसते ही वो ज़ोर से चिल्ला उठी- आहह.. उईए.. माँ.. मर
गई.. प्लीज़ स्टॉप इट.. मिलन स्टॉप इट.. ओह्ह.. नो.. प्लीज़.. तुम प्लीज़ निकाल लो.. मैं हाथ से तुम्हारा काम कर देती हूँ.. प्लीज़
मुझसे नहीं होगा यह सब.. प्लीज़ निकालो..
उसकी आँखों में से आँसू निकलने लग गए।
फिर मैंने कहा- दीदी अब तो पूरा घुस ही गया है.. बस अब कुछ नहीं होगा.. मजा आएगा..
मैंने लण्ड को कुछ देर वैसे ही चूत में पड़ा रहने दिया और उसके मम्मों को दबाने लगा।
थोड़ी देर के बाद उसने कहा- अब धीरे-धीरे करो।
फिर मैंने धीरे-धीरे झटके लगाने शुरू किए।
‘आहह.. धीरे करो.. हाँ.. मजा आ रहा है.. उऊहह.. धीरे हाँ.. करते जाओ.. करते जाओ.. मेरे मम्मों को दबाओ.. हाँ ऐसे..’
वो अकड़ने लगी और एकदम से मुझसे चिपट गई और शायद झड़ गई उसकी बुर की गर्मी से मुझे कुछ लगा और मैं आँख बंद करके..
सब कुछ करता गया और फिर मैं उसकी कसी हुई बुर में डिसचार्ज हो गया।
फिर हम दोनों साथ-साथ नहाये.. नहाते समय भी हमने चुदाई की।
उसके बाद मैंने उसकी गांड भी मारी।
फिर मैं वापस आ गया और शाम को हम पार्टी में भी नहीं जा सके क्योंकि दीदी का दर्द के मारे बुरा हाल था.. काफ़ी दिनों तक यह सब कुछ चलता रहा।
बाद में उसकी शादी हो गई.. अब जब भी वो यहाँ आती है.. तो हम लोग ज़रूर लण्ड-चूत का खेल खेलते हैं।
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