परपुरुष से शारीरिक सम्बन्ध- 2
(Dick Suck Sex Kahani)
डिक सक सेक्स कहानी में मैं रात में बस में सफ़र कर रही थी. मैंने देखा कि मेरे साथ बैठा लड़का मुठ मार रहा था. मुझे उसका लंड बड़ा अच्छा लगा. तो मैंने क्या किया?
फ्रेंड्स, मैं काव्या आपको अपनी सेक्स कहानी के अगले भाग में पुनः मजा देने के लिए अपनी टांगें खोल रही हूँ.
कहानी के पहले भाग
अनजान लड़के के सामने नंगी हुई
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैं अपने पति को एक सरप्राइज़ देने की नीयत से अपनी चूत के दाने ( क्लिट, क्लाइटोरिस, भगन, भगनासा ) में एक छल्ला लगवाने गई थी.
उधर मेरी सोच के विपरीत एक लड़के ने मुझे नंगी करके मेरी चूत के दाने में स्टील का तार घुसेड़ दिया, जिससे मेरी चीख निकल गई.
अब आगे डिक सक सेक्स कहानी:
उस युवक ने मेरी स्थिति देखते हुए तेजी दिखाई और क्लिट में हुए छेद में से पहले उसने एक गोल छल्ला पार किया, फिर उसी छल्ले में एक स्टील की गोली पहना कर उसने छल्ले के दोनों सिरों को बंद कर दिया.
दाने के आस पास थोड़ा बहुत खून लगा हुआ था, जिसे उसने कपड़े से साफ़ कर दिया.
सारा काम खत्म कराने के बाद वह अपने औजारों को वापस रखने लगा.
मुझे देखने का मन कर रहा था कि उसने कैसा काम किया … तो मैं अपनी गर्दन उठा कर देखने की कोशिश करने लगी.
मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था इसलिए उसने मुझे एक आईना दे दिया.
लेकिन अभी भी कुछ साफ नहीं दिखाई दे रहा था.
तो उसने मुझसे मेरा मोबाइल मांगा, मैंने उसे अनलॉक करके दे दिया.
उसने पियर्सिंग की दो तीन फोटो क्लिक की और मुझे दिखाने के लिये जैसे ही उसने गैलरी खोली … मुझे याद आया कि कल रात को अविनाश से फोन सेक्स करते समय जो मैंने अपनी नंगी फ़ोटो खींची थी, उसे डिलीट करना ही भूल गई हूं.
इतना याद आते ही एक बार फ़िर से मुझे मेरी गलती पर गुस्सा आया और मैंने लगभग उसके हाथ से फोन खींच लिया.
सच में उसने बहुत अच्छा काम किया था.
मैंने उसे थैंक्यू बोला तो उसने पियर्सिंग वाली जगह पर एक टेप लगा कर कुछ घंटों पानी डालने से मना किया.
मैं अभी भी उसकी कुर्सी पर नंगी हो टांगें खोलकर बैठी थी.
मुझे लगा कि जिस नज़ाकत से उसने मेरी पैंटी उतारी है, उसी तरह से वह वापस पहनाएगा भी … लेकिन साले ने ऐसा नहीं किया.
उस समय मुझे बहुत बुरा लगा तो मैंने खुद ही अपनी पैंटी और जींस पहन ली. फिर बिना उसकी तरफ बिना देखे ही बाहर निकली और घर आ गई.
कुछ देर आराम करने के बाद मैं अपनी पैकिंग में लगी क्योंकि मुझे कल जाना था.
रात को सब काम करके मैं जल्दी सो गई क्योंकि मुझे बहुत थकान हो थी और वैसे भी मैं कल तो मैं अविनाश के पास जा ही रही थी, इसलिए मैंने उनको फोन नहीं किया.
सुबह उठ कर जल्दी जल्दी घर के काम करने के बाद मैं नहाने चली गई.
बाथरूम में मैंने अपने कपड़े उतारने के बाद धीमे से पैंटी उतारी और पियर्सिंग वाली जगह का टेप निकाला, तो अब वहां की सूजन बिल्कुल खत्म हो चुकी थी.
मैंने शॉवर चला दिया.
चूत पर ठंडा पानी पड़ते ही मैं ऐसे छुनक गई, जैसे यह चूत मेरी नहीं किसी ओर की हो.
अच्छे से नहाने के बाद में खुद को शीशे को में देखकर शर्माने लगी.
मुझे पता था कि इस त्यौहार के सीजन में ट्रेन में रिजर्वेशन मिलना मुश्किल है.
तो मैंने बस से जाना ठीक समझा.
इसलिए मैंने रात 10 बजे वाली बस में एक सीट बुक कर ली क्योंकि मुझे रात का सफर अच्छा लगता है.
रात को घर का सारा काम करने के बाद मैंने अपने सास ससुर का आशीर्वाद लिया और अपना सामान लेकर कैब में बैठ गई.
बीच रास्ते में कैब वाले की कार ख़राब हो गई.
किसी तरह मैं बस स्टैंड पहुंची लेकिन मेरी बस छूट चुकी थी.
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था.
गुस्से से मेरा दिमाग खराब हुआ जा रहा था इसलिए मैं सीधे मैनेजर के ऑफिस में घुस गई.
मैनेजर ने मुझे बताया कि मैं अकेली ही लेट नहीं हुई हूँ. मेरी तरह और भी लोग हैं, जिनकी बस छूट गई है. वह व्यवस्था कर रहा है ताकि मुझे बाकी लोगों साथ दूसरी बस से मेरी मंजिल तक मुझे पहुंचा सकें.
अब मैं भी क्या करती बाकी लोगों के साथ बैठ कर बस का इंतजार करने लगी.
बहुत देर इंतजार करने के बाद आखिर 11:30 बजे हमारी बस आयी.
वह बस कुछ खास नहीं थी इसलिए मैं मैनेजर से बात करने गई.
उधर मैंने देखा कि वह जा चुका था और ऑफिस में ताला लटक रहा था.
रात भी बहुत हो चुकी थी और मेरा जाना भी बहुत जरूरी था तो मन मार कर बस में चढ़ गई.
यह एक मिनी बस थी और इसमें बस ड्राईवर और उसके सहायक के अलावा कुल 7 लोग थे यानि कि 9 लोग.
मैं पीछे की सीट पर जाकर बैठ गई.
यहीं मेरी मुलाकात मेरी कहानी के अन्य किरदारों से हुई.
मेरे बगल में एक 30 साल का लड़का बैठा हुआ था उसका नाम आद्विक था.
अभी मैं अपना सामान जमा ही थी कि किसी ने मुझे पीछे से आवाज़ दी- टिकट दिखाओ टिकट!
जैसे मैं पीछे मुड़ी तो यह रवि था.
रवि बस ड्राईवर का सहायक और वह कोई 22 साल का लड़का था. उसके चेहरे पर अभी अभी मर्दानगी का आगमन हुआ था.
उसने सरसरी निगाह से सभी के टिकट देखे और वापस से ड्राइवर के पास लौट गया.
ड्राइवर यानि मगनलाल, जिसकी उम्र लगभग 45 साल रही होगी. उसका भरा सा शरीर, थोड़ी सी तोंद निकली हुई.
मगनलाल की दाढ़ी तो सफ़ेद थी, लेकिन बाल काले थे … शायद वह ऐसा अपनी बढ़ती हुई उम्र को छुपाने के लिए बाल काले करता होगा.
अभी मैं सब कुछ देख रही थी कि अचानक से बस चल पड़ी जिस वजह से मेरा बैलेंस बिगड़ गया और मैं लगभग आद्विक के ऊपर गिर ही जाती लेकिन तभी उसने मुझे पेट से पकड़ लिया.
मैंने जल्दी से खुद को सही किया और अपनी सीट पर बैठ गई.
शर्म के मारे मैं अपने पैरों को घूरे जा रही थी.
मैंने एक नज़र आद्विक की तरफ देखा.
वह खिड़की से बाहर झांक रहा था.
मैंने भी चुपचाप अपना मोबाइल निकाला और अपने पति को मैसेज किया कि मैं यहां से निकल गई हूं.
थोड़ी देर तक जब उनका जवाब नहीं आया तो मैंने मोबाइल वापस से रख लिया.
कुछ ही देर बाद मुझे भूख लगने लगी थी.
मैंने बैग से खाना निकाला और खाने लगी.
एक बार मन में आया कि बगल वाले से भी पूछ लूं लेकिन फिर नहीं पूछा.
अभी बस मुश्किल से 50 किलोमीटर ही चली होगी कि एक जगह बस रुक गई.
बस से हम चारों को छोड़ कर बाकी सब लोग उतर गए.
रवि ने बस का दरवाजा अन्दर से लॉक कर दिया. मुझे थोड़ा अजीब लग रहा था. मन में आया कि मैं भी यहीं उतर जाती हूं, लेकिन अनजान जगह क्या करूंगी … वह भी इतने रात को. इसलिए बैठी रही.
पति को भी फोन नहीं कर सकती थी क्योंकि शायद वे सो रहे होंगे वर्ना वे खुद फोन से फोन करते.
बस फ़िर चल दी.
थोड़ी देर में सफर की थकान ने मुझे घेरना शुरू कर दिया और मेरी आंखें अपने आप ही बंद होने लगी थीं.
फिर मेरी आंख कब लगी, पता ही नहीं लगा.
आधी रात के बाद मुझे ऐसा लगा कि कोई मेरे बगल में फुसफुसा कर बात कर रहा था.
लेकिन मैं इस बात पर बिना ध्यान दिए सोने की कोशिश करती रही.
पर अब मेरी नींद उड़ चुकी थी इसलिए मैं आंखें बंद करके वैसे ही बैठी रही और आद्विक की बातें सुनने लगी.
वह अपनी गर्लफ्रेंड से बात कर रहा था.
बीच बीच में मैं थोड़ी सी आंखें खोल कर उसे देख लेती कि वह क्या कर रहा है.
एक बार को मुझे ऐसा लगा कि जैसे वह मुझे घूर कर देख रहा हो मानो वह यह सुनिश्चित करना चाह रहा हो कि मैं सो रही हूं या नहीं.
जब उसे यकीन हो गया कि मैं गहरी नींद में सो रही हूं … तो वह अपनी सीट से उठा और थोड़ा बहुत हिल-डुल कर बैठ गया.
मेरा बहुत मन कर रहा था कि मैं देखूं कि उसने अभी अभी क्या किया लेकिन यह सोच कर आंखें नहीं खोलीं कि कहीं वह मेरी तरफ ही न देख रहा हो.
तभी एक बहुत पुरानी चिरपरिचित सी गंध मेरी नाक में जाकर मेरी दिमाग पर हावी हो रही थी.
मैं जानती थी कि यह गंध किस चीज की है, लेकिन मेरा मन मानने को तैयार नहीं था कि ये सच है इसलिए मैंने देखने का सोचा.
जैसे ही मैंने आंख खोल कर देखा तो मेरे होश फाख्ता हो गए थे.
आद्विक ने अपनी जींस को अपनी कमर से नीचे सरका रखा था और वह अपने लंड को बाहर निकाल कर हिला रहा था.
जैसे ही मैंने यह देखा मैंने तुरंत आंखें बंद कर ली थीं.
वह धीमे धीमे से अपने लंड को हिला रहा था.
थोड़ी देर रुकने के बाद मैंने फिर से आंखें खोलीं.
इस बार आद्विक की आंखें बंद थीं.
मैंने एक नज़र उसके चेहरे को देखा, फ़िर उसके लंड को घूरने लगी.
अच्छा मोटा लंबा और एक बड़े शीर्ष वाला लंड था उसका.
मैंने फिर से आंखें बंद कर लीं.
लेकिन तब तक उसके लंड की छवि मेरी दिमाग में छप चुकी थी.
रह रह कर मुझे टैटू वाली शॉप का लड़का याद आ रहा था कि कैसे वह मेरी चूत से खेल रहा था.
यही सब सोचते सोचते मेरी चूत गीली होने लगी और चूत से रस बह कर पैंटी को गीला करने लगा था.
मैं इत्मीनान से उसके लंड को देखने लगी.
कुछ देर देखने के बाद मन में आया कि एक बार इसका लंड पकड़ कर देख लूं.
इसलिए मैंने अपने हाथ आगे बढ़ा दिया.
लेकिन आगे के अंजाम की सोच कर मैंने अपने हाथ वापस ले लिया.
अब मेरा मन दो रास्ते के बीच में फंस गया था.
पिछले कुछ दिनों से चुदाई न होने की वजह से मैं अपने मन से हार गई और बिना अंजाम की परवाह किए मैंने धीमे से उसका लंड पकड़ लिया.
लंड पर हाथ लगते ही आद्विक की आंखें खुल गईं,
इससे पहले वह कुछ बोलता … मैंने उसके होंठ पर उंगली रख कर उसे चुप करवा दिया.
पहले मैं उसके लंड को केवल अपनी मुट्ठी में पकड़े रही.
उसका लंड लंबाई में मेरे पति जितना ही था बस मोटाई थोड़ी ज्यादा थी.
मैं उसके लंड को केवल मुट्ठी में भर कर केवल दबा रही थी.
लेकिन शायद इसमें आद्विक को मज़ा नहीं आ रहा था इसलिए उसने मेरे हाथों को पकड़ लिया और मेरे हाथ से अपने लंड को ऊपर नीचे करवाने लगा.
फिर उसने अपने हाथ हटा लिए और मैं वैसे ही करती रही.
तब उसने फोन बंद करके साइड में रख दिया और मेरी हस्त कला का आनन्द लेने लगा.
लेकिन शायद उसे मुझसे कुछ और की भी उम्मीद थी इसलिए उसने मुझे मेरी सीट से उठा कर अपनी टांगों के बीच में बैठा लिया.
मैं भी किसी दासी की तरह सामने बैठ कर उसकी मुट्ठी मारने लगी.
फिर उसने मेरे सिर पर हाथ रख मेरे सिर को लंड की तरफ धकेलने लगा.
एक बार तो उसका लंड मेरे होंठों से छुआ भी तो मैंने तुरंत सिर को पीछे खींचा … लेकिन उसके अगले प्रयास से मेरा मुँह खुल गया और लंड अन्दर घुसता ही चला गया.
इस बार आद्विक नीचे से धक्के लगा कर मेरा मुँह चोद रहा था.
डिक सक सेक्स का मजा मुझे भी आ रहा था.
फिर उसने मेरे ब्लाउज के दो हुक खोल दिए और मेरे एक दूध को ब्रा से बाहर निकाल लिया व दबाने लगा.
कुछ देर बाद जब मैंने अचानक आंख खोली तो मेरे पैरों से ज़मीन सरक चुकी थी.
सामने रवि अपने मोबाइल से हमारे कार्यक्रम को रिकॉर्ड कर रहा था.
मैंने धीमे से लंड अपने मुँह से निकाला, तो आद्विक की भी आंखें खुल गई थीं.
तब मैंने रवि की तरफ मिन्नत भरी नज़रों से देखा लेकिन शायद उस पर इसका असर नहीं हुआ था.
मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने बगल में बैठाया और कहा कि मैं तेरा भी लंड चूस देती हूं … बस वह वीडियो डिलीट कर दो.
इस बात पर वह उठ खड़ा हुआ और खिसियानी हंसी हंसते हुए बोला- ये सब भी करवाऊंगा जान!
वह मेरे गाल पर चुंबन करते हुए ड्राईवर के पास चला गया.
हम दोनों ने अपने आपको ठीक किया और मैं अपनी सीट पर बैठ गई.
मैं डर से कांप रही थी कि अब क्या होगा मेरे साथ!
कुछ देर वह ड्राइवर से बात करता रहा, फिर वह वापस मेरी तरफ आया.
उसने पहले सारी खिड़की के परदे गिराए.
वह मेरे पास आया, मुझे कंधे से पकड़ कर उठाया और मुझे घूर कर देखने लगा.
मेरी आंखें आंसू से भर आयी थी.
उसने मेरा पल्लू नीचे गिरा दिया और मेरे चिकने पेट पर हाथ फेरने लगा.
फिर वह मेरे पीछे आया और बालों को आगे करके मेरी पीठ पर किस करने लगा.
वह हाथ आगे लाकर मेरी चूचियां दबाने लगा.
उसके हाथों के मर्दन से लग रहा था कि उसके लिए ये सब कोई नया नहीं हैं.
कुछ देर चूचियां दबाने के बाद उसने मेरे ब्लाउज के बाकी के हुक खोलने शुरू कर दिए.
पूरे हुक खोलने के बाद रवि ने मेरे ब्लाउज को कंधे से पकड़ा और सरकाते हुए मेरी बांह से निकाल कर एक कोने में रख दिया.
इतना होने के बाद मेरी आंखें खुद ब खुद शर्म से बंद हो गई थीं.
दोस्तो, यह गर्म कर देने वाली डिक सक सेक्स कहानी आपको कैसी लग रही है, प्लीज बताएं.
आगे के भागों में आपको सेक्स का भरपूर मजा मिलने वाला है इसलिए मेरे साथ बने रहें और प्लीज कमेंट्स जरूर करें ताकि मेरा हौसला बना रहे.
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डिक सक सेक्स कहानी का अगला भाग:
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