मजदूर औरत को चोद दिया उसकी बेटी के सामने
(Desi Aurat Xxx Kahani)
देसी औरत Xxx कहानी में मैंने एक औरत की मदद की उसे काम दिलवाया, कमरा दिलवाया, मेरी नजर उसकी जवान बेटी पर थी. पर मुझे बेटी नहीं माँ की चूत मिली चोदने को!
सभी लन्ड वालों को और चूत वालियों को मेरा सलाम!
मैं आलम अलवर से अपनी नई कहानी के साथ आपके सामने उपस्थित हूँ.
यह कहानी है मेरे एक दोस्त की और मध्यप्रदेश की रहने वाली सरला बाई की!
वह मजदूरी करने के लिए मेरे शहर अलवर अपने परिवार के साथ आयी थी।
मेरे दोस्त के शब्दों में ही कहानी पढ़ें.
यह देसी औरत Xxx कहानी आज से 8 साल पहले की है।
मैं उन दिनों रिक्शा चलाया करता था.
उस समय उसके परिवार में सरला बाई, उम्र 40-42 साल, रंग सांवला पर बला की खूबसूरत है.
उसकी बेटी रेशमा 20-21 साल रंग गोरा साइज 32-30-32 एकदम हीरोइन जैसी; उसके बेटे अरविन्द और अजीत!
एक दिन मैं रिक्शा लेकर रेलवे स्टेशन के बाहर खड़ा था सवारी की इन्तजार में!
मुझे वहां सरला बाई मिली।
वह अपने बच्चों के साथ किसी सवारी गाड़ी से उतर कर स्टेशन से निकली थी.
उस समय मैं ही अकेला खड़ा था तो वह सीधी मेरे पास आई और बोली- भाई साहब, कोई कमरा मिल जाएगा क्या? हम यहां मजदूरी करने आये हैं।
मैं- हाँ मिल जाएगा 1500 रूपये तक में!
मेरे घर के पास ही दो तीन कमरे किराए के लिए खाली थे तो मुझे पता था.
सरला बाई- ठीक है भाई साहब चलो!
मैंने उनको कमरा दिखा दिया और मकान मालिक से बात करवा दी.
उसे कमरा ठीक लगा और तुरंत 100 रूपये पेशगी देकर अपना थोड़ा बहुत सामन रख लिया वहां उसने!
तब मैंने उसे अपना नंबर दे दिया- कोई परेशानी हो तो फोन कर देना, वैसे मेरा घर पास में ही है। मैं वहां अकेला ही रहता हूँ.
रात को सरला बाई का कॉल आया- भाई साहब, आपने कमरा तो दिला दिया है. आपकी बड़ी मेहरबानी. अब आप कोई काम भी दिला दो. हम नए हैं यहां!
मैं उसको सुबह पास की ही एक मिठाई की फैक्ट्री में ले गया.
वहां उसे तुरंत काम मिल गया.
उसे काम पर लगा कर मैं आ गया.
1-2 दिन बाद मैं ऐसे ही उसका हाल जान्ने चला गया उसके कमरे पर!
असल में मेरी नजर उसकी बेटी रेशमा की जवानी पर थी.
उसने बताया कि उसने अपने पूरे परिवार को उसी फैक्ट्री में काम दिलवा दिया है.
कुछ दिन बाद उनका फिर कॉल आया- भाई साहब, आप मेरे कमरे पर आ सकते हो क्या?
मैं शाम को उसके कमरे पर गया.
सरला बाई ने बताया- भाई साहब, यहां कुछ लोफर लड़के हमें परेशान करते हैं। आप भी अकेले सोते हो अपने घर पर! क्या आप मेरे यहाँ सो सकते हो कुछ दिन?
मैंने हां कह दिया.
मेरा इरादा अब भी कोई गलत नहीं था, हां उसकी लड़की पर दिल जरूर आ गया था।
रात को खाना खाया, सब सो गए.
कमरा छोटा था तो सब चिपक के सोये थे।
मैं उनसे थोड़ा अलग होकर सो गया।
रात को उसके लड़के अरविन्द को हाथ पैर चलाने की आदत थी।
जैसे तैसे मैं उस रात सो गया.
सुबह वे सब काम पर चले गए.
मैं भी रिक्शा लेकर काम पर चला गया.
फिर रात को सरला बाई ने मुझे बुलाया फोन करके!
तो मैं उसके कमरे पर गया और बोला- आज मैं यहां नहीं सो सकता. रात को अरविन्द हाथ पैर चलाता है।
सरला बाई ने आज अजीत और अरविन्द को हमारे पांव के पास नीचे सुला दिया और ऊपर हम तीनों सो गए.
मैं बीच में, मेरी एक तरफ सरला बाई और दूसरी तरफ रेशमा सो गई।
रात को मैं पेशाब के लिए उठा तो वापस आते वक्त पैर फिसल गया और मैं सरला बाई के ऊपर गिर गया और मेरा हाथ उसके चूचियों पर चला गया!
उसकी चूचियां छोटी छोटी लगी मुझे.
मैं नींद में था … उसको रेशमा समझ के मैं उसके साथ सो गया और उसकी चूचियों से खेलने लगा और मसलने लगा.
कुछ देर मसलने के बादमैंने उसका घाघरा ऊपर कर दिया.
अब मैंने अपना हाथ उसकी गर्म चूत पररख दिया जिस पर बहुत घने बाल थे।
उसकी चूत में उंगली घुसाई तो उसकी चूत गीली हो चुकी थी।
मैं समझ गया कि वह भी जाग रही है।
अब मैंने उसकी चूत में जोर जोर से उंगली करना चालू कर दिया.
वह आहह हहह आह हहहह करने लगी और सिसकारियां लेने लगी।
सरला बाई- भाई साहब, अब सब्र नहीं हो रहा है। जल्दी करो … मेरी प्यास बुझा दो. मैं तड़फ रही हूं कई सालों से! आज मेरी तड़फ को शान्त करो।
और वह मेरी पैन्ट को उतारने लगी, फिर मेरे लन्ड से खेलने लगी।
मैंने अब अपना लन्ड उसके मुंह में डाल दिया जिसको वह आराम से चूसने लगी।
थोड़ी देर चूसने के बाद वह 69 की पोजीशन में आ गयी।
अब मैं उसकी चूत और वह मेरा लन्ड चूसे जा रही थी।
कुछ देर बाद सरला बाई बोली- भाई साहब, अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है। अब अपना ओजार डाल दो मेरी चूत में!
मैं- साली रांड, मुझे भाई साहब मत बोल, आज से मैं तेरा खसम हूँ।
सरला बाई- अबे ओ मेरे खसम … साले अब डाल भी दे!
अब मैंने उसको लिटा दिया और अपना लन्ड उसकी चूत पे रगड़ने लगा.
सरला बाई सिसकारियां लेने लगी- आह … अब मत तड़फाओ मेरी जान।
अब मैंने एक झटके में पूरा लन्ड उसकी चूत में पेल दिया।
सरला बाई- आईई ईया मर गई आय्य या! साले कुत्ते … रांड समझा है क्या? आराम से कर हरामी … हाय्य्य मार दिया रे!
मैं अब उसे ताबड़तोड़ चोदने लगा.
सरला बाई भी मजे लेकर अपनी बालों वाली चूत चुदवाने लगी- आआई ईईया और जोर से … आहह हहह … मजा आ गया।
कुछ देर बाद वह बहुत जोर जोर से सिसकारियां लेने लगी और बोलने लगी- भाई साहब, मेरा होने वाला है. जल्दी जल्दी करो … आह … और जोर से!
फच फच घच घच की आवाजों से पूरा कमरा गूंज रहा था।
सरला बाई- भाई ईईई सहाआआ आब … मैं आईई ईओ मजा आआआ ग्याआआ आ हह हहहह!
उसके साथ साथ मैं भी झड़ गया.
कुछ देर बाद हमने कपड़े पहन लिए और सो गए।
सुबह रेशमा मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी.
मैंने उससे पूछा- क्या हुआ?
रेशमा- मैंने रात को आपकी और मम्मी की चुदाई देख ली थी. अब मैं आपको मामा कहूँ या पापा?
मैं- यार मैं चोदना तो तुमको चाहता था. गलती से तेरी माँ को चोद दिया।
वह हँसकर चली गयी.
फिर वे सब काम पर चले गए.
मैं भी रिक्शा लेकर काम पर चला गया।
तो पाठको, आपको यह देसी औरत Xxx कहानी आपको कैसी लगी?
मुझे कमेंट्स में बताएं.
लेखक के आग्रह पर इमेल आई डी नहीं दी जा रही है.
लेखक की पिछली कहानी थी: ठेकेदार ने मेरी अम्मी की चुदाई की
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