दिल्ली मेट्रो में मिली भाभी की चुदने की चाहत-2
(Delhi Metro Me Mili Bhabhi Ki Chudne Ki Chahat- Part 2)
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अब तक आपने पढ़ा..
एक भाभी जो मुझे मेट्रो में मिली थीं, उन्होंने मुझे फोन करके अपने घर बुलाया था।
अब आगे..
मैं उस समय ऑफिस में ही था, मैंने भाभी से बोला- हाँ.. मैं अभी ही आ जाऊँगा.. बस आप अपना एड्रेस मुझे मैसेज कर दीजिये।
भाभी ने अपना एड्रेस मुझे तुरंत ही मैसेज कर दिया, मैं ऑफिस में कस्टमर से मिलने की बात कह कर भाभी से मिलने की सोच लिए जल्द ही ऑफिस से निकल गया।
उस समय दिन के 3 बज चुके थे और भाभी का वो एड्रेस लगभग एक घंटे का रास्ता था। मैंने उन भाभी से मिलने की ख़ुशी में ऑफिस के बाहर से एक ऑटो लिया और उस पते की तरफ निकल गया।
भाभी एक बहुत बड़ी इमारत में एक तीन कमरे वाले फ्लैट में रहती थीं, जो कि दूसरी मंजिल पर था, वो फ्लैट उन्होंने खरीद रखा था।
मैंने वहाँ पहुँच कर बेल बजाई और अपने आपको थोड़ा शांत करने लगा.. क्योंकि मेरे अन्दर एक ख़ुशी और घबराहट दोनों थीं।
बेल बजाते ही भाभी ब्लैक कलर का बिल्कुल कसा हुआ सूट पहने हुए दरवाजे के पास आईं, पहले उन्होंने दरवाजे की झिरी में से मुझे देखा और मुस्कुराते हुए दरवाजा खोल दिया।
मैं भाभी को चुस्त सूट में देख कर एकदम से चौंक गया और उनकी हसीन जवानी को देखता ही रह गया, फिर मैंने अपने आपको सम्भालते हुए कहा- नमस्ते भाभी!
भाभी भी ‘नमस्ते..’ बोली और ‘अन्दर आइए..’ बोलते हुए गेस्टरूम की तरफ चल दीं।
गेस्टरूम में पहुँचते ही दो सीट वाला सोफा जो कि एक बड़े से टेलीविज़न के बिल्कुल सामने लगा हुआ था.. उस पर बैठने के लिए मुझसे बोलीं।
भाभी किचन की तरफ चलते हुए बोलीं- आप अभी बैठिए, मैं चाय बना कर लाती हूँ।
मैंने कहा- नहीं भाभी, चाय अभी रहने दीजिए.. मुझे अभी वापस ऑफिस में रिपोर्ट भी करना है।
भाभी बोली- रिपोर्ट तो होती ही रहेगी.. बस मैं अभी चाय लेकर आती हूँ।
कुछ ही समय में भाभी एक हाथ में चाय और दूसरी हाथ में एक प्लेट में नमकीन और कुछ बिस्किट लेकर आ गईं और मेरे ठीक सामने से आकर सोफे के आगे टेबल पर धीरे से झुक कर ट्रे को रख दिया।
वो टेबल काफी कम ऊँचाई की थी इसलिए भाभी को कुछ ज्यादा ही झुकना पड़ गया था। भाभी ने अपने सीने पर दुपट्टा भी नहीं लिया हुआ था जिसके कारण भाभी के दोनों चूचे पूरे दिखाई देने लगे ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
मैं भी बड़े ध्यान से उनके गोरे चूचों को देख रहा था, भाभी भी इस बात की नोटिस कर रही थीं।
भाभी के चूचे एकदम मक्खन से गोरे थे और एक चूची पर तिल का छोटा सा निशान उस चूची पर चार चाँद लगा रहा था। सही मायने में तिल की खूबसूरती जिस्म के उसी हिस्से में नज़र आ रही थी। इस शरीर पर कोई तिल इतना सुन्दर लग सकता है.. ये मैंने सोचा भी नहीं था।
भाभी चाय रख कर फिर से किचन की तरफ चली गईं और मैं भाभी को पीछे से देखता रहा। जब तक कि उनके चूतड़ों का मटकना मुझे दिखता रहा। मैं मन ही मन सोच रहा था कि काश भाभी किसी बहाने से फिर से झुकें ताकि मैं उनके मम्मों का मज़ा दुबारा ले सकूँ।
भाभी किचन से अपने लिए चाय लेकर फिर मेरे पास आ गईं और एक सिंगल सोफे पर साइड में बैठ गईं, वे चाय पीने लगीं, मैंने भी अपना कप उठाया और चाय पीने लगा।
भाभी का चेहरा थोड़ा लाल सा दिखने लगा और उनके चेहरे को देखने से यह साफ जाहिर हो रहा था कि भाभी किसी सोच में पड़ी हैं।
लेकिन वो नार्मल दिखने का कोशिश कर रही थीं और टेलिविज़न देख रही थीं। परन्तु ये साफ़ महसूस हो रहा था कि उनका दिमाग टेलिविज़न पर नहीं था।
भाभी चाय पीते हुए कुछ नहीं बोलीं तथा मैं भी अपनी चाय पीता रहा। मैं कभी भाभी की तरफ.. तो कभी टेलिविज़न की तरफ देख रहा था.. लेकिन मैं भी कुछ बोल नहीं रहा था।
चाय खत्म करने के बाद भाभी ने मेरा वाला कप और अपना कप उठाया और फिर किचन में जाकर रखने के बाद फिर से आ गईं।
अब वो मेरे पास खड़े होकर टी.वी. देखने लगीं।
मैं भाभी से बात तो करना चाहता था.. पर शुरुआत नहीं कर पा रहा था।
भाभी वहां से बाथरूम चली गईं। फिर 2-3 मिनट बाद फिर से आईं और आते ही मैं जिस डबल सोफे पर बैठा था उसी पर खाली सीट पर बैठ गईं और टेलिविज़न देखने लगीं।
अब तक मेरे समझ में भी कुछ-कुछ आने लगा था कि भाभी जो मुझसे जो कहना चाहती हैं शायद वो कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही हैं और इसलिए ये परेशान सी लग रही हैं।
जब भाभी मेरे बगल में बैठ गईं तो मैंने बात की शुरुआत की क्योंकि बिना बात किए कुछ भी संभव नहीं था।
मैंने कहा- भाभी आपकी बेटी नज़र नहीं आ रही है और भैया भी?
भाभी- श्वेता (भाभी की बेटी) सोई हुई है और उसके पापा अपने होम टाउन एक दोस्त की शादी अटेंड करने गए हैं। वो उधर से दो दिन बाद आने वाले हैं।
अब तक मैं समझ गया था कि भाभी को मुझसे क्या काम है। मैं मन ही मन बहुत खुश हो रहा था और भगवान का शुक्रिया भी अदा कर रहा था।
मैंने बात को आगे बढ़ाते हुए पूछा- क्या आप शादी में इनवाइट नहीं थीं?
भाभी बोलीं- नहीं उनके दोस्त ने तो बहुत जोर देकर कहा था कि भाभी को साथ में जरूर लाना। लेकिन मेरे यहाँ पर बहुओं को दूसरी जाति की शादी में जाने की इजाजत नहीं होती है। मेरे ससुर जी को ये सब पसंद नहीं है, इसलिए मेरी छुट्टी ना मिलने का बहाना बनाकर गए हैं।
मैंने- आप जॉब करती हैं क्या?
भाभी- मैं सरकारी स्कूल में टीचर हूँ। मैं 2 बजे फ्री हो जाती हूँ।
फिर मैंने पूछा- आपकी शादी लव मैरेज थी या अरेंज?
तो भाभी बोलीं- अरेंज थी.. मेरे पति सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं.. अच्छी तनख्वाह है। इसलिए पापा ने उन्हें पसंद किया था। मेरे घर में लड़कियों से उसकी पसंद नहीं पूछी जाती है। शादी के समय तो जब मेरी सहेलियों ने लड़का देखा तो सभी ने मुझसे शादी से मना करने के लिए बोला लेकिन मैंने सबको फटकारा कि ये मेरे पापा की इज्ज़त का सवाल है और उनको यदि लड़का अच्छा लगा है तो वो मेरे लिए जरूर अच्छा है। क्योंकि दुनिया में माँ और बाप से बढ़ कर कोई दोस्त नहीं होता है।
मैं हैरान सा भाभी की तरफ देख रहा था, भाभी बोले जा रही थीं- और वही हुआ भी.. मेरे पति बहुत ही अच्छे इन्सान हैं और मैं भी उनके साथ बहुत खुश हूँ। जब मुझे लड़की हुई और वो भी अपने पापा पर गई.. मैं तब भी बहुत खुश थी। लेकिन जब मैं अपनी लड़की के साथ किसी पार्टी में या कहीं और भी जाती हूँ.. तो सब मेरी बच्ची की तरफ अजीब निगाह से देखते हैं।
मैं हैरत से भाभी की कहानी को सुने जा रहा था।
भाभी- उस समय लगता है कि उसने या मैंने कोई जुर्म किया हो। अभी कुछ दिनों पहले मैं अपने मायके एक शादी में गई थी.. तो वहाँ पर सभी श्वेता को नाइजीरियन, काली आदि इस तरह के नामों से बुलाते थे.. जो कि मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था। अब मुझे लगता है कि इसे स्कूल, कॉलेज़ में भी इसके दोस्त ऐसे ही चिढ़ाते रहेगें।
यह सब कहते-कहते भाभी बहुत उदास हो गईं और फिर बोलीं- श्वेता 3 साल की हो गई है और मैं दूसरे बच्चे के लिए सोच रही हूँ.. इसलिए मैंने आपको बुलाया है।
भाभी के मुँह से इन सब बातों को सुन कर मुझे कुछ कुछ समझ में आने लगा था कि भाभी मुझसे चुद कर बच्चा चाहती हैं।
आपको कहानी कैसी लग रही है प्लीज़ मेल जरूर करें।
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यह हिंदी सेक्स स्टोरी जारी है।
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