ऐसी तसल्ली कभी नहीं हुई
कमल प्रीत
मैं कमल जालंधर से हूँ। दोस्तो, मेरी पिछली कहानियों पर मुझे बहुत सी मेल आईं जिससे मुझे बहुत उत्साह मिला। इनमें महिला वर्ग की बहुत ईमेल भी थीं जिन्होंने मेरी कहानी को पसंद किया। मैं आप सभी का आभारी हूँ।
आज नई कहानी आपकी नज़र कर रहा हूँ। यह बात दो साल पुरानी है।
अपने व्यापार के काम से मुझे लुधियाना अक्सर जाना पड़ता है। रात में देर हो जाने के कारण मैं अपने चाचा के लड़के संजीव के घर रुक जाता हूँ। उनकी वहाँ काफ़ी बड़ी कोठी है।
2011 में जून के महीने में भी मैं लुधियाना गया। चाचा का लड़का और उसकी पत्नी दोनों एक प्राइवेट कंपनी में अच्छी पोस्ट पर हैं।
रात करीब नौ बजे मैं उनके घर पहुँचा और फ्रेश होकर खाना खाकर करीब ग्यारह बजे ऊपर के कमरे में सोने के लिए चला गया।
उन्होंने कोठी के ऊपर अलग से गेस्ट-रूम बनाया है और मैं वहीं सोता हूँ।
वहाँ एक अलग टू-रूम सैट भी है जो अभी कुछ दिन पहले ही एक विवाहित जोड़े को किराए पर दिया था।
मैं जैसे ही सोने लगा तो लाइट चली गई।
एसी बंद होते ही काफ़ी गर्मी लगने लगी।
इनवर्टर से पंखा तो चल रहा था लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी।
मैं कमरे से बाहर आकर खुले में टहलने लगा।
तभी मैंने देखा कि पास के किरायेदार वाले कमरे से एक औरत बाहर आई।
चाँद की हल्की रौशनी में मैंने देखा कि वो कोई 30 साल के करीब की महिला होगी।
उसने गुलाबी नाइटी पहनी हुई थी और हाथ में मोबाइल से शायद मैसेज कर रही थी। वो मुझे देख कर एकदम से सकपका गई।
मैंने एकदम से कहा- मैं संजीव का कज़िन हूँ। लाइट चली गई तो बाहर आ गया।
‘इट्स ओके, मैं भी इसी लिए बाहर आ गई।’
इस बीच मैं उसके ज़रा करीब आ गया। मैंने गौर से देखा कि उसने नाइटी के नीचे ब्रा नहीं पहनी थी।
उसके मम्मों का साइज़ करीब 34 था और उसके निपल्स का उभार भी साफ़ नज़र आ रहा था। खुले बालों में वो बहुत हसीन लग रही थी।
मैंने बात बढ़ाते हुए कहा- आप को यहाँ रहते कितन समय हुआ, मैं तो यहाँ आता रहता हूँ, आपको कभी नहीं देखा?
‘हमें यहाँ आए अभी दो हफ्ते ही हुए हैं। आज तो मेरे पति भी अमृतसर गए हैं, मुझे नींद नहीं आ रही थी, लाइट भी चली गई तो बाहर आ गई।’
‘और बच्चे?’
‘एक बेटा है, वो तो सो रहा है। मैं टाइम पास करने के लिए अपनी सहेली से मैसेज पर चैटिंग कर रही थी। आप कहाँ रहते हो?’
‘जालंधर… मेरा नाम कमल है, आपका?’
‘मैं रजनी।’
तभी लाइट आ गई।
‘ओके गुड-नाइट कमल जी..।’रजनी बोली और अपने कमरे की ओर चल दी।
मेरा लंड इतनी सेक्सी औरत को देख कर खड़ा हो चुका था।
‘गुड-नाइट रजनी जी, एक मिनट।’
‘जी.. कहिए।’
‘मुझे नींद नहीं आ रही, क्या हम मैसेज पर बात कर सकते हैं, अगर आप ठीक समझो।’
एक मिनट तो वो सोचती रही, फिर बोली- आपका सेल नंबर?
मेरा दिल बाग-बाग हो गया। मैंने तुरंत अपना नंबर बोला और अपने रूम में चला गया।
अभी बिस्तर पर लेटा ही था कि ‘हैलो’ का मैसेज आ गया।
मैंने ‘हाय’ में जवाब दिया।
रजनी ने बताया, ‘उसके पति टूर पर रहते हैं। उसने बी.एड. किया है और वो स्कूल जॉब के लिए ट्राई कर रही है, उसका बेटा चार साल का है।’
इधर-उधर की बातें करके मैंने लिख दिया कि आप बहुत खूबसूरत हो।
उसका ‘थैंक्स’ का जवाब आया तो मैंने जान-बूझ कर ‘गुड-नाइट’ का मैसेज भेज दिया।
जवाब आया, ‘क्या हुआ, इतनी जल्दी नींद आ गई क्या?’
‘नहीं तो, मैंने सोचा कहीं आपको बोर ना कर रहा होऊँ?’
‘नहीं.. नहीं.. मुझे तो आपसे बात करना अच्छा लग रहा है।’
मैंने हिम्मत करके मैसेज भेजा, ‘आप आ जाओ मेरे रूम में, यहीं कुछ देर बैठ कर बातें करते हैं।’
दो मिनट तक तो कोई जवाब नहीं आया, फिर मैसेज आया, ‘ऐसे अच्छा नहीं लगता, मैसेज पर भी तो बातें हो रही हैं।’
मैंने जानबूझ कर कोई जवाब नहीं दिया।
पाँच मिनट बाद मैसेज मिला, ‘नाराज़ हो गए आप?’
‘नहीं तो, नाराज़ तो उससे होते हैं जहाँ हक हो, मेरा क्या हक आप पर?’
‘ऐसा मत कहो, मैं आ रही हूँ।’
‘ओके.. मैं आपका इन्तजार कर रहा हूँ।’
एक मिनट बाद ही दरवाज़े पर आहट हुई, मैंने झट से दरवाज़ा खोल दिया।
रजनी बहुत हसीन लग रही थी।
मैंने नोट किया कि वो अब वो ब्रा पहन कर आई थी।
मैंने उसका स्वागत किया और ध्यान से देखा कि उसका फिगर 34-30-36 का रहा होगा।
रजनी आकर बिस्तर के पास सोफे पर बैठ गई।
पहले हम इधर-उधर की बातें करते रहे। हमने एक-दूजे से कॉलेज टाइम की बातें की, घर की बातें की।
बातों में मैंने उसको आराम से बिस्तर पर बैठने को कहा।
वो मुझसे कुछ दूर बिस्तर पर आकर बैठ गई। मैंने खुद उससे दूरी बनाए रखी। मैं सोचने लगा कि आगे बात कैसे बढ़ाऊँ।
आख़िर हिम्म्त करके मैंने कह ही दिया, ‘आपने खुद को इतना मेंटेन कैसे करके रखा है?’
‘क्या मतलब?’ रजनी बोली।
‘मतलब आपका फिगर तो लड़कियों से भी बढ़िया है? इसका राज़ क्या है?’
उसने सिर झुका लिया और मैं उसकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार करने लगा।
उस वक्त मैं बहुत डरा हुआ था कि अगर रजनी ने गुस्सा किया तो क्या होगा?
मेरे कज़िन के सामने मेरी इज़्ज़्त क्या रहेगी?
लेकिन फिर सोचा कि अगर वो मेरे रूम में रात को चलकर आई है तो डरने की बात नहीं है।
दो मिनट हम दोनों में से किसी ने कोई बात नहीं की।
रजनी सिर झुककर बैठी रही। अचानक बोली- मैं चलती हूँ।
मुझे तो काटो तो खून नहीं।
मैं बोला- सॉरी रजनी जी, मुझे ऐसा नहीं कहना चाहिए था। प्लीज़.. जो मैंने कहा, किसी से ना कहना।
‘ये तो आपको बोलने से पहले सोचना चाहिए था। वैसे मैं ये बात किसी से नहीं करूँगी, क्योंकि मैं खुद चलकर आपके रूम में आई हूँ। मेरी भी ग़लती है।’
अचानक मुझमें हिम्मत आ गई और मेरे मुँह से निकला, ‘रजनी एक किस दे दो, प्लीज़।’
वो सिर झुका कर खड़ी रही। मैंने उसके करीब आकर उसके कंधों पर दोनों हाथ रख दिए और पूछा- मैं चुम्बन कर लूँ?
वो खामोश रही। उसका बदन काँपता महसूस हुआ।
मैंने उसके चेहरे को हाथों में ले लिया। वो कुछ ना बोली।
मैं अपना चेहरा उसके चेहरे के बिल्कुल करीब ले गया।
तब हम एक-दूजे की सांसों को महसूस कर रहे थे, जो बहुत तेज़ चल रही थीं।
मैंने हल्के से उसकी गर्दन पर चुंबन ले लिया, वो सिहर उठी। इसके बाद मैंने अपने होंठ उसके गुलाबी होंठों पर रख दिए।
आह.. क्या पल था वो, सच में जन्नत..!
रजनी के होंठों का रसपान करते मैं दुनिया भूल गया।
रजनी की आँखें बंद थीं और वो भी सब कुछ भूल कर मेरा साथ देने लगी।
मेरे हाथ उसके मरमरी बदन पर रेंगने लगे।
जब मैंने उसके मम्मों को छुआ तो रजनी को जैसे करेंट लगा।
एकदम से मेरी आगोश से निकल कर बोली- ये सब ग़लत है कमल।
‘प्लीज़ रजनी, कुछ ग़लत नहीं… प्लीज़ आओ ना।’
मैंने फिर से रजनी को अपनी बाँहों में ले लिया।
अब उसने ज़्यादा विरोध नहीं किया।
मैं उसको बिस्तर पर ले आया और लिटा दिया। मैंने एकदम से उसकी नाइटी ऊपर उठा कर उसकी टाँगों पर हाथ फेरना शुरू कर दिया।
उसकी टाँगें एकदम मुलायम थीं, बिल्कुल मक्खन जैसी।
अब रजनी मेरा साथ देने लगी।
मैंने एकदम से उसकी गुलाबी पैन्टी झटके से उतार दी।
अब मेरा मुँह उसकी फुद्दी पर था, जो एकदम चिकनी थी। मैंने बिना रुके उसकी फुद्दी चूसनी शुरू कर दी।
रजनी के मुँह से सेक्सी आवाजें निकलनी शुरू हो गईं।
अब मैंने उसकी नाइटी उतार दी और उसकी गुलाबी ब्रा का हुक खोल कर उसके मम्मों को आज़ाद कर दिया।
मैंने रजनी की पूरे जिस्म पर चूमना शुरू कर दिया और बहुत देर तक मम्मों चूसता रहा।
फिर मैंने अपना लंड उसके मुँह के पास किया, बिना मेरे कहे रजनी ने लंड मुँह में ले लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी।
उसकी फुद्दी पूरी तरह गीली हो चुकी थी।
मैंने उसके चूतड़ों के नीचे तकिया रखा और उसके ऊपर चढ़ गया।
रजनी अब खुलकर मेरा साथ देने लगी, उसने खुद पकड़ कर मेरा लंड चूत में ले लिया।
करीब दस मिनट बाद उसका बदन ढीला पड़ गया और मैं समझ गया कि वो झड़ गई है।
अब मैंने उसको घोड़ी बना लिया और ज़ोर-ज़ोर से चुदाई करनी शुरू कर दी।
रजनी आगे-पीछे होकर मेरा साथ देती रही।
अब मैं झड़ने वाला था। मैंने अपना लंड उसकी फुद्दी से निकाल कर उसके मुँह के पास लाकर मूठ मारनी शुरू कर दी।
रजनी लंड हाथ में लेकर बोली- लाओ कमल, मैं करती हूँ।
रजनी मेरा लंड अपने मुँह के पास लेकर मूठ मारने लगी। दो मिनट बाद मेरा माल निकल गया और पिचकारी रजनी के मुँह पर पड़ी।
उसने कस कर मुझे बाँहों में ले लिया और बोली- थैंक्स.. कमल… ऐसी तसल्ली कभी नहीं हुई.. लव यू मेरी जान।
‘मुझे भी कभी ऐसे स्वर्ग का नज़ारा नहीं मिला मेरी रानी।’
मैंने गुसलखाने से तौलिया लेकर उसका मुँह साफ़ किया। इसके बाद उसने गुसलखाने में जाकर अपना मुँह धोया और मेरे लंड को भी धोया।
‘मैं जाऊँ?’रजनी ने पूछा।
‘रूको ना जान, यहीं सो जाओ।’मैंने आग्रह किया।
‘नहीं राजा… बेटा अकेला है, जाग गया तो मुश्किल होगी।’
‘ठीक है मेरी जान… मैसेज पर बात करते हैं।’
हमने एक बार एक-दूजे को बाँहों में भर कर दीर्घ चुम्बन किया और वो ‘गुड-नाइट’ कह कर चली गई।
सारी रात हम मैसेज पर बातें करते रहे। केवल सेक्स की नहीं, घर परिवार की, एक-दूसरे की पसंद-नापसंद की, और भी बहुत सी।
उसने बताया कि उसको कविता लिखने का बहुत शौक है। उसने अपनी लिखी कुछ कविताएँ भी मुझे सुनाई।
सुबह 4 बजे मैंने रजनी को कहा- कुछ देर के लिए आ जाओ।
वो आ गई, हमने जी भर कर प्यार किया।
सुबह के वक्त तो पहले से भी ज़्यादा मज़ा आया।
मैंने उसको पूरी नंगी करके बिस्तर पर लिटा दिया और खुद खड़ा हो कर उसकी टाँगें अपने कंधो पर रख लीं। करीब 15 मिनट तक इस पोज़ में चुदाई करने के बाद मैंने उसको कुर्सी पर बैठ कर, गोदी में लेकर उसकी फुद्दी मारी।
वो दो बार झड़ चुकी थी, मैं झड़ने लगा तो मैंने लंड निकाल कर रजनी को पकड़ा दिया।
उसने मुठ्ठ मार कर मेरा माल अपने हाथों में ले लिया।
इसके बाद रजनी चली गई।
जब कभी वो अकेली होती, मुझे बता देती, मैं व्यापार के बहाने लुधियाना जाता और रात को खूब प्यार करते।
एक बार उसका बेटा जाग गया, मौका कैसे संभाला, फिर कभी बताऊँगा।
इसके अलावा वो मुझे जालंधर में एक बार मिली और हमने पूरा दिन होटल के कमरे में खूब चुदाई की।
उस दिन मैंने उसकी गाण्ड भी मारी। अब 3 महीने से वो प्रेग्नेंट है और हम करीब एक साल तक मिल नहीं पाएँगे।
लेकिन फोन पर हम बराबर बात करते हैं।
मैं बताना भूल गया, जब वो पहली बार मुझसे सुबह-सुबह रूम में मिलने आई तो वो मेरे लिए एक प्यारा सा, छोटा सा गुलाबी रंग का टेडी लेकर आई थी।
मेरे पास उस वक्त उसको देने को कुछ नहीं था तो मैंने अपना बढ़िया पेन उसको गिफ्ट कर दिया।
उसका टेडी मैंने कार में टांगा हुआ है और वो उसने मेरे पेन को संभाल कर रखे हुए है।
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