आज दिल खोल कर चुदूँगी -1

(Aaj Dil Khol Kar Chudungi-1)

नेहा रानी 2014-06-14 Comments

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मेरी कहानी बड़ी अजीब है। आज से 4 साल पहले की बात है मेरी शादी हुई, शादी के बाद मेरे पति की पारिवारिक आर्थिक हालत खराब चलने लगी।

उस वक्त मेरे पति का काम-धन्धा नहीं चल रहा था। मैं एक नई-नवेली दुल्हन थी, पर पति को परेशान देखती तो मुझे दु:ख होता।

मैं पूछती तो वे टाल जाते, मुझसे कहते- सब ठीक हो जाएगा.. तुम चिंता मत करो !

पर उनकी परेशानी बढ़ती ही जा रही थी, रात देर से आना, मेरी चुदाई कभी करते, कभी नहीं..! मैं चुदाने के लिए बेकरार रहती।

एक दिन मैं रात में जिद कर के पूछने लगी, तो बोले- मुझे घाटा हो गया है !

तो मैं बोली- सब ठीक हो जाएगा !

तो वो बोले- कुछ ठीक नहीं होगा… मेरे पास पूंजी नहीं है..!

मैं बोली- गहने बेच दो..!

तो बोले- नहीं.. कुछ उपाय करूँगा… तुम चिंता मत करो..!

मैं बोली- चिंता क्यूँ न करूँ.. नई-नवेली दुल्हन हूँ.. आप मुझे छोड़ कर गायब रहते हो, मुझे आपकी बाँहों का सहारा चाहिए…. मैं रातभर आपके साथ रहना चाहती हूँ..!

तो बोले- सब ठीक हो जाएगा..!

वो मेरी बात पर ध्यान ही नहीं दे रहे थे, तो मैं गुस्से से बोली- मेरी जवानी को बर्बाद मत करो… मुझे सुख चाहिए…!

तो उस समय तो वे मुझे प्यार करके सो गए पर उनके दिमाग में कुछ कीड़ा कुलबुलाने लगा।

कुछ दिन बाद वे बोले- चलो, आगरा चलना है… तुम पैकिंग कर लो…!

तो मैंने सोची कि शादी के बाद तो परेशान थे, शायद मेरा और अपना दिल बहलाने के लिए आगरा मुझे भी ले चल रहे होंगे।

मुझे लगा मेरे गुस्से की वजह से तो नहीं ऐसा कह रहे हैं…!

तो मैं बोली- तुम परेशान हो.. आगरा जाओगे, पैसा खर्च होगा… रहने दो… मैं यहीं खुश हूँ..!

तो वो बोले- नहीं.. बस आगरा पहुँचना है… सब इंतज़ाम हो जाएगा..!

मैं बोली- कैसे…! आगरा में कोई जादू होगा..!
तो बोले- ऐसा ही कुछ समझो…!

उनकी बात मेरी समझ में नहीं आई।

फिर मैं तैयार हो गई।

इतनी जल्दी प्रोग्राम बना था कि वगैर ट्रेन के रिजर्वेशन ही आगरा जाना पड़ा।

स्टेशन के रास्ते में बोले- आगरा में मैं एक दोस्त सुनील के बुलाने पर जा रहा हूँ… उसने बोला है कि भाभी को लेकर आगरा आ जाओ… पैसा मैं कमवा दूँगा…!

मैं बोली- मेरे जाने से क्यों… तुम भी जाते तो भी पैदा हो जाता…!

तो बोले- दोस्त बोला है… भाभी को जरूर लाना है…!

इतने में रेलव स्टेशन आ गया। प्लेटफार्म पर भीड़ थी। वाराणसी के प्लेटफार्म नम्बर 9 से मरुधर एक्सप्रेस से जाना था। पति टिकट लेकर आए, हम लोग ट्रेन में बैठ गए।

देखते ही देखते ट्रेन में भीड़ हो गई। एक लड़का जो मेरे पास बैठा था, वो मुझे लगातार घूर रहा था, मुझे उसका घूरना अच्छा लग रहा था।

ट्रेन में भीड़ बढ़ती जा रही थी, मैं तो सेक्स के मामले मे बहुत तेज हूँ। मैं निगाह बचा कर मुस्कुरा कर उसको मूक निगाहों से आमंत्रित कर रही थी। मेरी इस अदा से वो मेरे चूतड़ों को बगल से छू रहा था।

मुझे मज़ा आने लगा।

मेरे पति ने कहा- तुम ऊपर बैठ जाओ..!

उन्होंने मुझे ऊपर वाली बर्थ पर भेज दिया।

तभी ऊपर एक आदमी मेरे पति से बोला- तुम भी ऊपर आ जाओ..! मैं नीचे आ जाता हूँ।

तो मेरे पति बोले- नहीं.. ठीक है, तब तक जो मेरे बगल मे लड़का नीचे था।

वो बोला- भाई साहब आप आ जाओ… मैं ऊपर आ जाता हूँ।

वो लड़का ऊपर आ गया। मैंने एक चादर बिछा ली और आराम से बैठी थी। रात के 9 बज चुके थे। एकाएक उस लड़के ने मेरी चूत को सहला दिया।
मैं फुसफुसाई- कोई देख लेगा..

तो बोला- कोई नहीं देखेगा !

इतना कहते ही वो भी समझ गया कि मैं राज़ी हूँ। वैसे भी मैं कई दिन से चुदी नहीं थी।

वो धीमे से एक उंगली मेरे चूत में डाल कर आगे-पीछे करने लगा और मैं गर्म होती जा रही थी। फिर वो एक रुमाल की आड़ देकर लण्ड निकाल कर दिखाया, तो मैं मस्त हो गई। उसका ‘छानू’ बहुत मोटा था।

मैंने सब की निगाह बचा कर एक बार पकड़ कर छोड़ दिया पर अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था।

वो फुसफुसाया- चुदोगी..!

मैं बोली- यहाँ कहाँ..!

तो बोला- चलो बाथरूम..!

मैं बोली- बाथरूम नहीं.. कोई देख लेगा ऐसे ही ठीक है..!

मैंने अपने ऊपर कंट्रोल किया, फिर मज़ा लेती रही। ट्रेन तेज रफ्तार से चली जा रही थी। उसने मेरी चूत को पानी-पानी कर दिया।

मैं उसके लण्ड को मुठिया रही थी। तभी उसके लण्ड ने पानी फेंक दिया, वो शान्त हो गया।

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मैं भी ठीक से बैठ गई। वो लड़का लखनऊ में उतर गया, मैं देखती रह गई… उससे ना चुदाने का मलाल था।

खैर हम आगरा स्टेशन पर उतरे, पति से बोली- अब कहाँ चलना है?

तो बोले- फोन लगाता हूँ..!

पति ने फोन लगा कर बात की, उस आदमी ने एक पता बताया कि यहाँ आ जाओ।

पति ने फोन काट दिया, तो मैं बोली- यह कैसा दोस्त है, जो बुला कर लेने नहीं आया… और मैं आप के सभी दोस्तों को जानती हूँ। आगरा में आप के इस दोस्त को मैंने पहले कभी नहीं देखा है।

तो पति बोले- यह नेट के थ्रू मिला है…

फिर मुझे कुछ शक हुआ, मैं भी पढ़ी-लिखी हूँ, एमए (इंग्लिश) हूँ।

मैं बोली- तो वो मुझे कैसे जानता है..!

वे बोले- तुम्हारे चाहने से ही अब सब ठीक होगा..!

मैं बोली- मेरे चाहने से कैसे..!

तो बोले- सब तुम्हारे हाथ में है..!

यह कह कर मेरे पति रोने लगे।

मैं बोली- मैं आप की पत्नी हूँ.. मुझसे जो बन पड़ेगा मैं करूँगी..!

तो बहुत पूछने पर बोले- वो आदमी, जिसने मुझे बुलाया है, वह ‘फ्रेंडशिप-क्लब’ चलाता है, वो मुझसे बोला है कि एक महीने में तुमको बहुत पैसा पैदा करवा देगा, वो बोला था कि आप अपनी वाइफ को ले कर आओ.. बस तुम्हारी वाइफ को फ्रेंडशिप करनी होगी। कुछ लोगों के साथ कुछ पल अकेले रहना पड़ेगा और कुछ नहीं..!

फिर मैं खुल कर गुस्से से बोली- और तुम तैयार हो गए…! जानते हो क्या होगा..! फ्रेंडशिप की आड़ में मेरी चुदाई होगी… पता है?

पति नीचे सर कर के बोले- हाँ.. पता है…!

इतना कहते मेरे पैरों तले ज़मीन खिसक गई। मैं ज़्यादा गुस्सा करने लगी।

वह रोने लगे मुझे मनाने लगे और बोले- इसके सिवा कोई चारा नहीं..!

तो मैं बोली- तुम बर्दाश्त कर लोगे?

वे बोले- बस कुछ दिनों की ही बात है… मान जाओ…!

मैं कुछ देर चुप रही, फिर सोचने लगी कि जब इसको बुरा नहीं लग रहा… तो मुझे क्या…! फिर पैसे की ज़रूरत भी पूरी हो जाएगी और ट्रेन की बात याद आई, उस लड़के के साथ भी तो ग़लत कर रही थी।

सब सोच कर मैंने कहा- चलो जैसी तुम्हारी मर्ज़ी..!

फिर हम लोग उसके बताए पते पर पहुँचे, वो पहले मेरे पति से मिला, फिर मुझसे बोला- मैडम थोड़ा अन्दर चलो… कुछ बात बतानी है। मैंने पति की तरफ देखा, पति ने जाने का इशारा किया, मैं उसके साथ अन्दर रूम में चली गई।

उसने पूछा- तुमको सब पता है ना..!

मैंने सर हिला दिया- हाँ..!

फिर वह मेरे मम्मों को छूते हुए बोला- 34 के हैं न… मस्त हैं !

मैंने ‘हाँ’ में सर हिलाया।

बोला- खड़ी हो ज़ा…

वो मेरी चूत में उंगली डाल कर सहलाने लगा, मैं गरम हो गई, चूत से पानी आने लगा।

वो बोला- मस्त चूत है तेरी… खूब चुदेगी..!

फिर हाथ बाहर निकाल लिया और पति को आवाज़ देकर अन्दर बुलाया और उससे बोला- एक ग्राहक आने वाला है, अपनी बीवी को समझा दो, नखरे न करे..!

पति ने हामी भर दी।

वो फिर मेरे पति से बोला- तुमको मेरे साथ चलना होगा, ग्राहक जब मीटिंग करके चला जाएगा तो हम लोग आ जाएँगे।

मुझे डर लगा, मैं बोली- आप लोग बाहर ही रहो.. कहीं और मत जाओ.. मुझे डर लग रहा है।

वह बोला- डरो नहीं.. वो बहुत बड़ा आदमी है बहुत प्यार से तेरी चूत मारेगा…!

फिर पति से बोला- तुम एक महीना रूकोगे तो एक लाख रुपया दूँगा। रोज इसको 4-5 ग्राहकों से चुदाना होगा।

वो साला मेरे पति के सामने खुल कर बोल रहा था।

फिर उसने मेरी तरफ मुँह कर के मुझसे बोला- चुद लेगी न… रोज 4-5 लोगों से?

मैं कुछ ना बोली। फिर वह मोबाइल निकाल कर किसी से बात करने लगा- सेठ, मेरे फ्लैट पर आ जाओ… मेरे पास वाराणसी एक मस्त माल आया है, आपका दिल खुश हो जाएगा !

उधर से सेठ बोला- आधा घंटे में आता हूँ।

बात कर फोन रख कर बोला- तू नहा-धोकर फ्रेश हो जा..!

कह कर बाहर गया, पति भी उसके साथ दूसरे कमरे में चले गए। मैं अच्छे से नहा धोकर फ्रेश होने लगी और पहली बार कपड़े उतार अपने नंगे बदन को देखने लगी, मैंने अपनी चूत सहला दी, चूत पर हल्के-हल्के रोयें थे। मैंने सोचा कि आज चूत को चिकनी कर दूँ… आज दिल खोल कर चुदूँगी.. जब पति को कोई फ़र्क नहीं, तो मैं क्यूँ चिंता करूँ…!

फिर मैंने चूत के बाल साफ कर दिए, मेरी चूत लौड़ा लेने के लिए खिल उठी। फिर मैं फ्रेश हो ली। तब तक शायद कोई आया था, क्यूँ कि बाहर बात होने की आवाज़ आ रही थी। फिर मैं जल्दी से बाहर आकर तैयार हुई।

तभी पति अन्दर आए, बोले- तुम मुझसे नाराज़ मत होना..!

मैं बनावटी क्रोध से बोली- कोई पत्नी से यह सब करवाता है..!

‘प्लीज़ साहस रखो… मैं हूँ ना…!” फिर चुटीले अंदाज में बोले- क्या मस्त तैयार हुई हो… क्या तुम भी चुदाना चाहती हो..!’

मैं फिर थोड़ी बनावटी गुस्से से बोली- बिल्कुल नहीं.. बस तुम्हारी खातिर कर रही हूँ… जाओ अब मैं कुछ नहीं करूँगी।

फिर पति मिमयाने लगे- अरे तुम मेरी जान हो… मज़ाक किया यार… सॉरी !

मैं बोली- चलो, बात मत बनाओ..!

हमारी बात हो ही रही थी कि तब तक सुनील अन्दर आ गया।

कहानी जारी रहेगी।
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