चुदासी आंटी जी की चूत चुदाई
(Chudasi Aunty Ki Chut Chudai)
मेरा नाम रोहित है.. मैं पंजाब के अमृतसर का रहने वाला हूँ, लेकिन मैं जालंधर रहता हूँ। मैं एक पार्ट टाइम पेन्टर हूँ और फुल टाइम जॉब करता हूँ।
यह बात आज से दो साल पहले की है.. जब मैं किसी काम से दिल्ली गया हुआ था.. मैं वहाँ एक दोस्त के घर रुका हुआ था। वहाँ आंटी ने मेरी खूब आवभगत की.. आंटी की कोई दोस्त भी शाम को आई हुई थीं।
वो थी तो लगभग 35-36 साल की.. लेकिन गजब का माल लगती थीं।
उसके रेशमी बाल क्या मस्त लग रहे थे.. बालों में से लटकते उसके कानों के सुनहरे गोल-गोल छल्ले.. उसका चेहरा ऐसा लग रहा था.. जैसे मोम का हो।
मैं उसे सिर से पैर तक देखता ही जा रहा था.. उसका सारा जिस्म कपड़ों से ढका हुआ था.. मगर मैं उसे देखने से खुद को रोक नहीं पा रहा था।
एक मिनट के लिए मैं भूल गया था कि मैं कहाँ बैठा था।
जब मैं उसकी आँखों तक पहुँचा तो मैंने देखा वो मेरी तरफ ही देख रही थी। उस वक्त आंटी रसोई में गई हुई थीं।
उसके देखते ही मुझे लगा कि जैसे मेरी कोई चोरी पकड़ी गई हो। मैं बस ज़रा सा मुस्कुरा दिया और दूसरी तरफ देखने लगा। मुझे नाश्ता करके जाना था.. फिर मैंने नाश्ता किया और वहाँ से निकल गया।
मेरे निकलने से दो मिनट पहले ही वो निकली थी.. मुझे उस दिन काम ख़त्म करके वापस पंजाब आना था।
मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि वो मुझे नीचे गली में मिल जाएगी.. वो अपने घर के सामने अपने डॉगी से खेल रही थी। जब मैं उसके पास से निकला.. तो उसका डॉगी मेरी तरफ आ गया। मैं डर गया.. मैंने सोचा कि मैं आराम से खड़ा हो जाऊँगा.. तो ये डॉगी कुछ नहीं बोलेगा।
यही हुआ.. वो मेरे पास आया और मुझे चाटने लगा।
फिर वो पास आई और डॉगी को दूर करने लगी। डॉगी ने मेरी पैंट में दाँत गाड़ दिए और खींचने से पैंट पैर के पास से फट गई।
अब वो ‘सॉरी.. सॉरी..’ बोलने लगी और मुझे गुस्सा आने लगा।
मुझे अब कपड़े बदलने थे.. और मुझे वापस अपने दोस्त के घर की तरफ मुड़ता देख कर उसने कहा- मेरे घर में आकर चेंज कर सकते हो.. अगर कोई प्राब्लम ना हो तो..
मुझे भी लगा कि इतना सा फेवर तो ले ही लेता हूँ और मैं उसके घर में अन्दर चला गया।
मैंने जब तक पैन्ट बदली.. तब तक मैडम जी ने कॉफी बना दी।
कॉफी पीते-पीते हम बातें करने लगे, वो मेरे काम के बारे में पूछने लगी.. कहाँ जा रहा हूँ.. वगैरह वगैरह..
मुझे जहाँ जाना था.. यह जानते ही उसने कहा- मेरा ऑफिस भी वहीं पास में है.. और मैं भी आधा घंटे में निकलने ही वाली हूँ.. तुम मेरे साथ ही चलना..
उसे मना करना मुझे ठीक नहीं लगा.. वो नहाने चली गई और मैं उसके आने का इन्तजार करने लगा।
उसके पति की तस्वीर दीवार पर लगी थी लेकिन मैंने कुछ पूछा नहीं.. जब उसने दरवाज़ा खोला.. तो मैं तो देखता ही रह गया.. क्या हसीन माल लग रही थी..
फिर निकलने का टाइम हुआ तो हम दोनों उसकी कार में निकल पड़े। करीब 90 मिनट में हम अपनी मंजिल पर आ गए। अब ‘गुड बाय’ कहने का टाइम था.. उसने मुझे अपना सेल नम्बर दिया और कहा- वापसी में अगर लेट हो जाओ तो मुझे फ़ोन करना..
‘ओके’ बोल कर मैं निकल गया।
वास्तव में मैं लेट हो गया था.. जिसके लिए मुझे एक रात और रुकना पड़ गया.. मैंने सोचा मैडम को कॉल करता हूँ.. पहले मुझे लगा कि वो मना कर देगी.. लेकिन फिर सोचा कि पूछने में क्या जाता है।
मैंने फोन किया.. तो वो बोली- घर पर आ जाओ.. यहाँ मेरा डॉगी है बस..
मैंने सोचा कि खाली हाथ जाना ठीक नहीं होगा.. तो मैंने एक वाइन की बोतल खरीद ली।
जब उसके घर पहुँच कर मैंने डोर बेल बजाई.. तो मैडम जी ने दरवाज़ा खोला।
मैं अन्दर चला गया.. उसे वाइन दी फिर मैं उससे बात करने लगा उसने मुझसे कहा- तुम फ्रेश हो लो..
मैं नहाने चला गया.. अब तक मेरे मन में लड्डू फूट रहे थे.. जब मैं नहा कर निकला.. तो देखा कि सारे कमरे में अंधेरा था और टेबल पर मोमबत्ती जल रही थी और वाइन की बोतल के साथ दो गिलास रखे थे।
वो अपने बदन पर एक बहुत ही सेक्सी सी टी-शर्ट और शॉर्ट्स पहने हुए अपनी आँखों में वासना के डोरे लिए बैठी थी।
मैं टी-शर्ट और शॉर्ट में था.. मैं उसके सामने वाली कुर्सी पर बैठ गया.. मैंने गिलास में वाइन डाली और चियर्स करके पीने लगा। हम दोनों पीते-पीते बातें करने लगे.. दो गिलास पीने के बाद वो मेरी कुर्सी की तरफ आ गई।
मैंने उसे गोदी में आने को कहा.. वो मेरी गोदी में आ गई.. उसके जिस्म की मादक गंध पाते ही मुझ पर जैसे जादू होने लगा। मैं अपने हाथों से उसे वाइन पिलाने लगा।
हमने वाइन ख़त्म की.. वो मेरी गोदी में घूम कर बैठ गई।
मैंने उससे कहा- तुम बहुत खूबसूरत हो..
वो शर्मा गई.. मैंने उसके गालों पर हाथ फेरा.. फिर हमारी नज़र मिलीं और होंठ एक-दूसरे की तरफ बढ़ते चले गए।
उसके होंठ कमाल के थे।
मैंने धीरे-धीरे उसके मम्मों को दबाना स्टार्ट कर दिया, उसकी गर्दन पर अपनी ज़ुबान फेरने लगा।
अब मैं धीरे से उसका टॉप उतारने लगा.. उसने मेरी टी-शर्ट उतारी.. हम एक-दूसरे को चूस रहे थे।
दोनों को इतना मज़ा आ रहा था कि क्या बोलूँ.. फिर मैंने उसे हल्के से उठाया और सोफे पर ले गया।
उसने अपनी पैन्टी उतारी और मैंने अपना शॉर्ट उतार दिया।
मोमबत्ती की रोशनी में उसका जिस्म क्या मस्त लग रहा था।
मैंने उसकी टाँगों को कंधे पर रखा और अपनी ज़ुबान को उसकी फुद्दी पर रख दिया।
मुझे उसका स्वाद कमाल का लगा.. मैंने उसे पंद्रह मिनट तक चाटा। इतनी देर में वो पागल हो गई थी.. उसका एक हाथ मेरे बालों में था और दूसरा हाथ अपने मम्मों पर।
अब मैंने उसकी तरफ देखा तो उसका चेहरा बिल्कुल लाल हो गया था।
मैं उसके होंठों को चूसने लगा उसका एक हाथ मेरे बालों में था और दूसरा मेरे लंड को फुद्दी के मुँह पर टिका रहा था।
मैंने होंठों को चूसते हुए दबाव बनाना शुरू किया। मेरा लंड फुद्दी में उतरता जा रहा था.. मुझे ऐसा लग रहा था.. जैसे मैं जन्नत में प्रवेश करता जा रहा हूँ।
अब मैंने धीरे-धीरे घस्से मारना स्टार्ट किए.. उसके मुँह से ‘आ.. आ.. सी..’ की आवाजें निकल रही थीं।
करीब 5 मिनट बाद मैंने उसे बिना लंड बाहर निकाले उठाया और खुद सोफे पर बैठ गया.. अब वो मेरे ऊपर आ गई थी।
अब वो धीरे-धीरे धक्के लगाने लगी और में बारी-बारी से उसके दोनों मम्मों को मुँह में ले कर चूस रहा था।
हम दोनों पागल से हो रहे थे.. दस मिनट बाद हमने फिर आसान बदला और डॉगी स्टाइल में चुदाई करने लगे।
दो और आसानों में चुदाई करने के बाद हम दोनों चरम सीमा पर थे।
मैंने देखा उसका मुँह लाल हो रहा था.. मैं तेज़-तेज़ घस्से लगाता हुआ छूट गया। हमने एक-दूसरे को किस किया और ऐसे ही लेट गए।
करीब 45 मिनट बाद मैं उठा तो मैंने देखा कि उसी टेबल पर खाना लगा हुआ था.. हमने खाना खाया और एक-दूसरे की बाहों में सो गए।
सुबह उठ कर हमने बाथटब में सेक्स किया और मैं 11 बजे मैडम जी को बाय बोल कर वापस आ गया।
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