जन्म दिन पर चुदी शिखा रानी-6
दो ही मिनट के अंदर शिखा रानी ने टांगें कस के ‘दन दन दन दन’ मेरे मुँह पर धक्के लगाये और एक लम्बी सी सीत्कार भरते हुए स्खलित हो गई, गर्म गर्म चूत रस की एक फुहार ने मेरी जीभ को तृप्त किया और मैं झन्नाटे से शिखा रानी के मुँह में फूटा।
उसने मेरे चूतड़ थाम कर मुझे संभाले रखा और सारा लावा मुँह में झड़ने दिया।
जब मलाई निकालनी बंद हो गई तो शिखा रानी ने उंगली से लंड को पोंछा और फिर उंगली अपने मुँह में लेकर चूस लिया।
मैंने भी चाट के चूत, झांट प्रदेश, जाँघें इत्यादि को साफ किया।
मैं सीधा हो गया और शिखा रानी के पास उसके नरम गर्म चूचों के बीच अपने मुँह रख के लेट गया।
शिखा रानी पसीने में भीगी हुई थी, मेरा बदन भी पसीने में तर था, हम दोनों निढाल से एक दूसरे से लिपट कर पड़े रहे, कभी कभी मैं शिखा रानी का मुँह चूम लेता तो कभी कभी वो मेरा मुँह चूम लेती।
मैं उसकी छोड़ी हुई सांसों में ही सांस ले रहा था। उसके भीतर की सांस के साथ अति सुगंध से मैं प्रसन्नचित लेटा हुआ था।
हम यूं ही काफी देर तक चिपके लिपटे लेते रहे, इतने उत्तेजक और मादक सेक्स के बाद थोड़ा सा सुस्ताना भी ज़रूरी था।
थोड़ी देर बाद मैंने शिखा रानी से पूछा- क्यों मेरी जान, अब तो नहीं कहेगी कि मैंने भेद भाव किया?
कह कर मैंने उसके गुलाब की पंखड़ियों के समान होंठ चूसे।
शिखा रानी ने इठला कर कहा- अभी दो भेदभाव वाली चीज़ें तूने ठीक की हैं, अभी भी एक बाकी है।
मैंने पूछा- क्या बाकी रह गया?
अब तो शिखा रानी शरमाते हुए बोली- तूने सलोनी रानी को कितनी अच्छी गालियाँ दी थीं… हमें कहाँ दीं?
मैंने कहा- रानी रानी.. सलोनी ने भी तो गाली दी थी… वो भूल गई… अगर तू देगी तो मैं भी दूंगा।
शिखा रानी धीमी आवाज़ में बोली- तू राजे बड़ा कमीना है.. तू बदमाश है और दुष्ट भी है।
मैं हंसा- शिखा रानी मेरी जान, ये कोई गाली है… ऐसी गाली मैं अगर सलोनी रानी को देता तो वो दस जूते मेरी गांड पर मारती… कहती, राजे तू बहन का लौड़ा है…तू मादरचोद है…
शिखा रानी बोली- इतनी भारी गाली हमसे न दी जाएगी।
मैं- दे हरामज़ादी रंडी की औलाद… कुतिया कहती है हम से ना दी जायगी… बहन चोद रांड… देती है या तुझे नंगी ही घसीट के ले जाता हूँ रंडी बाज़ार में जहाँ दिन में दो सौ लंड चोदेंगे साली कुतिया को…
शिखा रानी ने अटकते अटकते हुए कहा- राजे तू बहन…बहन…चो…चो..चोद कुत्ता कमीना है…तू बड़ा तंग करता है अपनी शिखा रानी को…
‘हाँ, यह तो कुछ बात हुई ना शिखा मेरी रानी… मैं तंग करता हूँ हराम की ज़नी चुदक्कड़ रांड को… बहन की लौडी.. प्यार कितना करता हूँ।’
‘नहीं तू कमीना तंग ज़्यादा करता है और प्यार कम… तू सच में बहुत हरामी है।’ शिखा रानी ने आँखें छुपा के गाली वाली भाषा बोली। मज़े में उसके सुन्दर चहरे पर मुस्कराहट खेल रही थी। वो चाहे खुद गाली देने में शरमाती हो पर गाली सुनने में तो उसे खूब मज़ा आया था।
मैंने शिखा रानी की चूचे कस के निचोड़े और निप्पल उमेठते हुए कहा- शिखा रानी अब क्या सबूत दूं प्यार का.. फिर से गाना बजाऊँ…?
‘नहीं कमीने कुत्ते राजे… पहले तो पूछ मेरे से कि मैं अब चुदाई में क्या चाहती हूँ… जो मैं कहूँ वो करेगा तो मान लूँगी कि तू सच में प्यार भी उतना ही करता है जितना कि तंग !’
मैंने उसकी रेशम जैसी मुलायम जाँघों पर हाथ फिराया और मस्त होकर पूछा- बता मेरी रानी अब इस लंड की दीवानी को क्या चाहिये… किस स्टाइल की चुदाई करवाना का दिल है इस हरामज़ादी शिखा रानी का?
बड़े शरमाते हुए शिखा रानी मेरे कान में बोली- राजे… यार गांड में तेरा लंड महसूस करना है… चूत में कर लिया… मुँह में कर लिया… बेचारी गांड को छोड़ दूँगी तो गांड खफा नहीं हो जायगी… बता तू ही बता….खफा होगी या नहीं?
मैंने हंसते हुए कहा- हराम की ज़नी, सीधे सीधे नहीं कहेगी की राजे मेरी गांड मार ले… बहन चोद यह कहेगी कि लंड को गांड में महसूस करना है… रुक ज़रा अभी कराता हूँ तुझे सब महसूस… साली रंडी की गंडमरी औलाद…
शिखा रानी खुश होकर बोली- राजे… तू कितनी मस्त मस्त गाली देता है साले… एक बात बता.. सलोनी रानी से पहले जितनी कहानियाँ छपी थीं उनमें तो कोई गाली नहीं थी, ऐसा क्यों?
मैंने कहा- सुन मां की लौड़ी, वो इसलिये शिखा रानी कि सलोनी रानी मेरी पहली गर्ल फ्रेंड थी जो गाली देने और गाली खाने में बड़ी खुश होती थी… उसे चोदने से पहले कई दिन चैटिंग में जो गालियाँ उसने दीं और मैंने दीं उसमें मुझे इतना मजा आया कि मेरा अब बहुत दिल करता है लड़की से गाली सुनने को और उसे गाली देने को.. बस इतनी सी बात है… अब जल्द बता कि तेरी गांड मारूं या यूं ही मज़ाक कर रही थी हरामज़ादी?
शिखा रानी नक़ली गुस्से से डांट के बोली- कहा तो था कि मार मेरी गांड…अब क्या बहन के लौड़े को INVITATION CARD छपवा के डाक से भेजूँ?
मैंने कहा- ले मादर चोद, रांड पहले लंड चाट चाट के अच्छे से गीला कर दे नहीं तो घुसेगा ही नहीं गांड में… पहले मरवाई है कभी गांड?
शिखा रानी ने कहा- नहीं आज पहली बार होगा…
और फिर उसने गीली जीभ से लंड को खूब तर कर दिया।
मैंने उसे कहा कि घुटनों और कोहनियों के बल कुतिया की तरह हो जाये और चूतड़ ऊपर को उठा ले।
जब वो सही पोज़िशन में आ गई तो मैंने एक बार फिर उसकी गांड के छेद को चाट चाट के तर कर दिया, फिर लंड को छेद पर जमाया और शिखा रानी की कमर पकड़ कर एक हल्का सा धक्का मारा तो लंड का सुपारा गांड में घुस गया।
‘हाय हाय थोड़ा दर्द हो रहा है… ज़रा धीरे धीरे घुसाना राजे…’
मैं तो जानता था कि गांड मे रस तो होता नहीं इसलिये बहुत धीरे धीरे ही लंड घुसाना होता है।
हौले से धक्का लगाया तो लंड करीब दो इंच और भीतर चला गया, मैंने पूछा- क्यों शिखा रानी… बहन चोद, आ रहा है मज़ा… दर्द तो नहीं है ना अब?
शिखा रानी- खूब मजा आ रहा है… दर्द है लेकिन मीठा मीठा… बहुत अच्छा लग रहा है… राजे पूरा घुसा ना !
मैंने एक गहरी सांस ली और फिर एक हौले से धक्का दे के लंड आधा गाण्ड में दे दिया।
शिखा रानी का मुँह तकिये में घुस गया था धक्के के कारण और वो हैं…हैं….हैं की आवाज़ हर धक्के पर निकाल रही थी।
जब लौड़ा पूरा जड़ तक अंदर गड़ गया तो मैंने पूछा- शिखारानी शिखारानी शिखारानी अब कैसा लग रहा है…पूरा लंड अंदर है अब तेरी मस्त गाण्ड के !
शिखारानी- हाय सच में बड़ा मज़ा आ रहा है… तू राजे बार बार मेरा नाम बोलता है तो मेरे दिल में कुछ कुछ होने लगता है… मत बुलाया कर इतनी बार मेरा नाम… अब बस तुनके मार मार के मुझे आराम से इस मूसलचंद को गाण्ड में महसूस करने दे…
मैंने कहा- यार क्या करूं, तेरा नाम हज़ार बार लेने का दिल हो जाता है… तो क्या करूं… ना लिया करूं तेरा नाम… ले अब दस तुनके मारता हूँ…. शिखा रानी शिखा रानी शिखा रानी शिखा रानी…. ले ले ले… शिखा रानी शिखा रानी शिखा रानी शिखा रानी…
शिखा रानी तड़प के बोली- तू कमीने आज मेरी जान लेकर ही मानेगा… इतनी बार बुलायेगा तो मेरा दिल धड़कना बंद कर देगा तभी दुष्ट तुझे तसल्ली होगी… तू पुकारता है तो मेरे दिल में पता नहीं क्या हो जाता है… दिल डूबने को होता है… और हाँ यूं ही तुनके लगाये जा। मज़े के मारे तेरी बिल्लो रानी मस्त हो रही है।
मैंने कहा- शिखा रानी, अब मैं अपना पूरा वज़न तेरे ऊपर डालूंगा… ज़रा अच्छे से कोहनियाँ टिका ले नहीं तो ढह जायेगी बिस्तर पर।
मैं शिखा रानी की कमर पर टिक गया और अपने हाथ उसकी कमर के आज़ू बाज़ू से लेजाकर एक एक चूचा कस के पकड़ लिया।
मैंने पूरा पंजा खोल के उंगलियाँ फैला के चूचे को सब तरफ से भींच लिया। मेरी उंगलियाँ और अंगूठा उसके नरम मम्मों में घुस गईं। जब मैं अपने पंजे को बंद करता तो चूचा हर ओर से ज़ोर से भिंच जाता।
अब मैंने शिखा रानी को चूचियों से ही पकड़े हुए आगे पीछे आगे पीछे करना शुरू किया।
शिखा रानी का बदन को आगे पीछे धकेलने का सारा बोझ अब उन चूचियों पर था। लेकिन क्योंकि मैं गांड मार रहा था तो धकापेल बहुत हौले हौले थी।
मैं लंड को कुछ देर तक गांड में रखे रखे तुनके मारता और फिर शिखा रानी को चूचियों से 5-7 बार आगे पीछे करता, शिखा रानी के मुँह से हैं…हैं…हैं.. जैसी आवाज़ आती।
खूब अच्छे से मैं उसे लौड़ा गांड के अन्दर महसूस करवा रहा था।
यह सिलसिला काफी देर तक चला। फिर मैंने कहा- शिखा रानी शिखा रानी… अब मैं तेरी चूत और गांड दोनों मारूंगा… क्या कहती है.. चलेगा?
शिखा रानी की मरी मरी सी आवाज़ आई- राजे… मुझे नहीं पता… जैसी तेरी मर्ज़ी हो वैसे तू चोद… मज़ा बड़ा आया गांड में लंड लेकर। मैं तो राजा, तीन चार बार झड़ गई।
‘अब और झड़ेगी बहन की लौड़ी… रुक ज़रा सा और जलवा देख हराम की ज़नी !’
मैंने तपाक से लौड़ा गाण्ड से निकाला और एक ही शॉट में उसे पीछे से ही चूत में पेल दिया…
लंड का घुसना था कि शिखा रानी ने सीत्कार भरी और धमक धमक खुद ही चूतड़ उछाल उछाल के धक्के मारने लगी।
मैं थोड़ी देर लंड को चूत में रखता और शिखा रानी को धक्के मारने देता और 8-10 धक्कों के बाद लंड को गांड में घुसाकर शिखा रानी की कमर जकड़ के धक्के रोक देता।
गांड बहुत ज्यादा टाईट होती है, एक बिन चुदी चूत से भी कहीं ज्यादा और कोई रस का प्रवाह ना होने से और भी टाईट लगती है।
फिर भी बार बार लंड चूत में जाने से लौड़े पर चूत का रस लग जाता था जिसकी चिकनाहट से गांड में घुसने में भी दिक्कत कम हो रही थी।
तो मेरे यारों, काफी वक्त तक यह खेल चलता रहा। शिखा रानी भी खेल का रूल समझ गई थी कि जब लंड चूत में हो तो धक्के मारने हैं और जब गांड में हो तो शान्त रह कर लंड के गांड में घुसे होने का स्वाद लेना है।
जब मैं झड़ने के करीब हो गया तो मैंने पूछा- शिखा रानी… लावा कहाँ छोडूं….चूत में या गांड में?
शिखा रानी इतरा के बोली- तू मालिक है हमारा राजे… जहाँ छोड़ के तू खुश हो, वहीं छोड़… हर बात पूछा ना कर हरामी !
मैंने कहा- शिखा रानी, मैं तो गाण्ड में झड़ूँगा। चूत में झड़ चुका और मुँह में भी झड़ चुका, इसलिये गांड में जूस निकाल के मैं अपनी शिखा रानी को HAPPY BIRTHDAY कहूँगा।
शिखा रानी खुश होकर बोली- हाय चोदू राजा मैं तुझ पे कुर्बान… तूने तो कुत्ते मेरे दिल की बात कह दी।
इतना सुन कर मैंने गाण्ड से लौड़ा निकाल के चूत में ठूंसा और शिखा रानी के चूचे पहले की तरह जकड़ के दनादन तगड़े धक्के ठोके।
यकायक शिखा रानी के मुँह से एक ज़ोर से सी सी सी की आवाज़ आई और वो चरम सीमा के उस पार उतर गई।
तुरन्त ही चूत से लपलप करके जूस बहा जिसके गर्म गर्म स्पर्श से लंड भी झडने वाला हो गया।
मैंने फौरन लौड़ा चूत से बाहर खींचा और चूतरस में सने हुए लंड को शिखा रानी की मस्त गांड में पेल दिया।
जैसे ही लंड पूरा घुसा, मेरे टट्टों में एक ज़बरदस्त सुरसुरी हुई और लावा कई मोटे थक्कों के रूप में शिखा रानी की गांड में भर गया। लौड़े ने बार बार तुनके मारे और हर तुनके पर कुछ बूंदे वीर्य की निकलीं।
आखिर टट्टे खाली हो गये और मैं निढाल होकर शिखा रानी के ऊपर फैल गया।
बेचारी शिखा रानी की कोहनियाँ मेरा इतना बोझ, जो उसकी कमर पर अचानक आ गया, सहन ना कर सकी और मुझे अपने ऊपर लिये लिये शिखा रानी बिस्तर पर ढेर हो गई।
बहुत देर तक हम यूँ ही पड़े खुद को संभालने की कोशिश करते रहे। फिर मैं पलट के शिखा रानी की साइड में लेट गया। तब जाकर शिखा रानी की सांस में सांस आई।
थोड़ी देर के बाद मैंने कहा- शिखा रानी… HAPPY BIRTHDAY… आज तो रानी का जन्मदिन क्या मस्त मनाया गया… शिखा रानी ने हर छेद में चुदाई करवाई… अब रानी रात को अपने पति से और चुदेगी… व़ाह यार क्या जन्मदिन है यह मेरी शिखा रानी का !!!
शिखा रानी ने मस्ती में डूबते हुए कहा- थैंक यू राजे डार्लिंग… लेकिन बिना तोहफे के कैसा सूखा सूखा जन्मदिन?
मैं बोला- शिखा रानी शिखा रानी शिखा रानी बोल ना क्या तोहफा दूँ तुझे हरामज़ादी… तेरी फरमाइश का तोहफा… बोल बहनचोद?
‘बस तू यह जन्मदिन का जश्न जो हमने इकट्ठे मनाया, उसे कहानी के रूप में लिखकर अन्तर्वासना में छपवा दे। हमारी बड़े दिन से इच्छा है कि हम अन्तर्वासना में नई कहानी पढ़ें। हमें और कुछ नहीं चाहिये हमें बस अपनी कहानी पढ़नी है। वही हमारा तोहफा है… बता राजे कितने दिन में कहानी भेज देगा… हमसे ज़रा भी सबर नहीं हो रहा है।’
मैं शिखा रानी के होंठ चूम कर बोला- मेरी शिखा रानी की इच्छा मेरे लिये सुप्रीम कोर्ट का हुक्म के समान है… मुझे रानी चार दिन दो… कहानी मिल जायगी… लेकिन रानी, अन्तर्वासना में छपने में कहानी भेजने के बाद भी कुछ दिन और लग जाते हैं… मैं कहानी तुझे मेल कर दूँगा, फिर छपती रहेगी अन्तर्वासना में !
‘नहीं हमें तो अंतर्वासना में ही पढ़नी है…’ शिखा रानी इतराने और इठलाने में तो माहिर थी।
जब वो ऐसा करती थी तो दिल में उसके लिये बेहिसाब प्यार उमड़ता था।
मैंने उसे चूमा और कहा- ठीक है, जैसा रानी चाहती है वैसा ही होगा।
फिर शिखा रानी ने बड़े प्यार भरी आवाज़ में कहा- एक तोहफा हमने भी तुझे दिया है लेकिन जब तक हम बतायेंगे नहीं तुझे पता ही नहीं चलेगा।
मैं- तो जल्दी बता न शिखा रानी?
शिखा रानी ने अपनी निगाहें मेरी आँखों में डालीं और बोली- हमने तेरे लिये चूत को फ्रेश करके रखा था।
मैंने पूछा- शिखा रानी चूत कैसे फ्रेश की जाती है?
शिखा रानी मुझे ऐसे देखा जैसे मैं दुनिया का सबसे बड़ा चूतिया हूँ, और बोली- राजे… बुद्धू राम, चूत ढाई दिन में फ्रेश हो जाती है। मैंने पढ़ा है कि ढाई दिन में चूत में झड़े हुए वीर्य के सभी अंश चूत से गायब हो जाते हैं। कुछ अंश तो चूत सोख लेती है और बाकी के चूत के रस के साथ निकल जाते हैं.. तो बौड़म राजा हमने चार दिन से अपने पति को चूत में लंड घुसाने ही नहीं दिया। तो हो गई ना आज फ्रेश तेरे लिये !
मैंने शिखा रानी के चूचों पर एक एक चुम्बन दागा और पूछा- शिखा रानी हो तो गई चूत फ्रेश.. पर तूने अपने पति को क्या समझाया कि वो चुदाई न करने को राज़ी हो गया?
शिखा रानी ने हंस कर कहा- हमने उनसे कहा कि हम कुछ दिन सिर्फ लंड चूस के आपका माल पीना चाहते हैं। आपको हमने चार साल तक मुँह में न झड़वा कर जो आपका मज़ा चूर किया हम उसकी भरपाई कम से कम दस पंद्रह दिन सिर्फ आपको चूस चूस कर आपकी मलाई ही पी कर करेंगे.. वो बहुत खुश हुए और अपनी दिल की इतनी पुरानी तमन्ना पूरी करने में लग गये। अब वो रोज़ तीन बार लंड चुसवाते हैं और मुँह में निकलने का मज़ा लूटते हैं… वो भी खुश और तू भी खुश !
मैंने उसके इस स्मार्ट प्लान पर प्रसन्न चित्त होकर उसके चूचुक चूस के अपनी खुशी दिखाई और साथ में उसे थैंक यू भी कहा।
फिर मैं बोला- शिखा रानी तू सच में बहुत बड़ी हरामज़ादी कुतिया है… जितनी तू भली लगती है, असल में तू उतनी ही चालू रकम है… कैसे तूने चूतिया बनाया अपने बेचारे पति को… मान गये यार बिल्लो रानी !
शिखा रानी इठला के बोली- चल राजा, अब हम चलते हैं… देख साढ़े पांच बजने को हैं। आधे घंटे में वो आते होंगे… अब हम फ्रेश भी हो लें… कम से कम दिखें तो नहीं कि पूरी दोपहर हम चोदे गये हैं।
मैं बोला- ठीक है, मुझे भी अब घर जाना है।
मैंने शिखा रानी के होंठों, गालों, चूचों, हाथों, पैरों, चूत और गांड़ पर चुम्बन लिये और एक बार फिर उसे HAPPY BIRTHDAY कहा। शिखा रानी ने मेरे सामने ही धीरे धीरे मुझे दिखा दिखा के कपड़े पहने, बाल सही किये और एक चुम्मा मेरी तरफ उड़ा कर चली गई।
मैं भी थोड़ी देर के बाद होटल से निकल गया और अपने घर चला गया।
यारों इसी प्रकार तीन दिन ज़बरदस्त चुदाई का खेल हुआ।
मैं रोज़ सुबह 11 बजे होटल पहुँच कर अपने रूम में आ जाता और शिखा रानी कुछ ही देर मैं दरवाज़े पर खटखट करती।
हमने भिन्न भिन्न स्टाइल में चोदा। मैं नीचे वो ऊपर, घोड़ी बनाकर, सोफे पर बैठकर उसे गोद में बिठाकर, बाथरूम में शावर चला कर, नीचे फर्श पर बिछे गलीचे पर इत्यादि।
तीनों दिन एक दौर चूत मारने का, एक दौर चुसाई का और एक दौर गाण्ड चूत साथ साथ मारने के हुए, बहुत मज़ा रहा।
शिखा रानी ने एक दिन भी अपने पति को चूत में लंड नहीं देने दिया। वो उसका लंड चूस के मलाई पीकर ही उसे खुश रखे रही।
मैंने पूछा- शिखा रानी तूने पायज़ेब के बारे में क्या कहानी फिट की?
शिखा रानी बोली- मेरे पति ने देखा ही नहीं कि मेरे पैरों में नई नई पायज़ेब है… वो तेरी तरह पैर थोड़े ही चाटता है जो उसे दिखाई पड़ती… असल में तो वो चूत और चूचे के सिवाय कहीं भी चाटता नहीं है… अगर बाइ चांस देख लेता तो कह देती कि मैंने आपको सरप्राइज़ देने के लिये अपना जन्म दिन का तोहफा खुद ही चुन लिया था।
शिखा रानी वापिस मुज़फ्फरनगर चली गई।
मैं भी अपनी रोज़ की दिनचर्या में पहले जैसे लग गया।
पाठकों और पाठिकाओ… इस कहानी में भी सभी कहानियों की तरह नाम बदल दिये गये हैं। यदि कोई लड़की वास्तव में इस नाम की इस शहर में रहती है तो यह केवल एक संयोग मात्र है।
धन्यवाद
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