जन्म दिन पर चुदी शिखा रानी-2
चूतेश
मैं उठा और उसकी तरफ लपका तो मेरी लिपटी हुई लूंगी खुल कर गिर गई और मैं पूरा नंगा हो गया।
मुझे नग्न देखते ही शिखा रानी ने हाथ उठाकर आँखों पर ढक कर आँखें बंद कर लीं लेकिन जैसे ही हाथ उठाये तो उसका तौलिया भी झट से गिर पड़ा।
अब शिखा रानी भी पूरी नंगी थी और शर्म से जहाँ तक पहुँची थी वहीं की वहीं अटक गई और घूम कर मेरी तरफ पीठ कर ली।
मेरी नज़र शिखा रानी के मदमस्त नितम्बों पर अटक गई। भगवान की सौगंध बहुत ही ज्यादा आकर्षक चूतड़ थे हरामज़ादी के… गोल गोल सलोने सुन्दर और मनलुभावने।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
दिल करता था कि बस जीवन भर इन्हें देखे ही जाओ और चूमे-चाटे ही जाओ।
फिर मेरी निगाह मुश्किल से नीचे उतरी और फिर अटक गई शिखा रानी की हद से अधिक खूबसूरत टाँगों पर।
यार यह लड़की तो ऐसी थी कि हर अंग पर नज़र अटकी जाये, अटकी ही जाये।
तभी मेरे ध्यान में शिखा के चूचुक आये जिन पर मेरी एक उड़ती उड़ती सी नज़र पड़ी थी शिखा रानी के पलटने से पहले।
लपक कर मैं अपनी प्यारी सी शिखा रानी के सामने जा खड़ा हुआ फिर से उन चूचियों को निहारने लगा।
यारो, मेरे दिल धड़कन जैसे थम गई, साँसें तेज़ हो गई, और कानों में शाँय शाँय धांय धांय की आवाज़ें आने लगीं।
उस बला की हसीन शिखा रानी ने मुझे एक तेज़ बिजली का करंट सा दे दिया था… चूचियाँ थीं या क़यामत !
बहुत ज़्यादा मोटी नहीं थीं, मेरे अंदाज़ से 34 D की ब्रा उसे फिट आती होगी, हल्के भूरे रंग के छोटे छोटे निप्पल जो पुकार पुकार के चुस जाने और मसले जाने को बेताब दिखाई पडते थे।
इतनी हसीन चूचों का होना असम्भव सा लगता था परन्तु यह सत्य था मेरी आँखों के सामने…
शिखा रानी तो खूबसूरती के एक जीती जागती तस्वीर थी। उसका हुस्न हर मर्द के स्वप्नों का साकार रूप था। मेनका या उर्वशी या रति, इनमें से कोई भी अप्सरा शायद मेरी जान बिल्लो रानी से बढ़ कर ना होगी।
यह वह मादक सौन्दर्य था जिसे देख कर बड़े बड़े ऋषि, मुनियों और अवतारों की तपस्या भंग हो जाती। इसे देखकर शरीफ से शरीफ मर्दों में खून खच्चर हो जाये।
बला की लड़की थी शिखा रानी जो अभी तक अपनी आँखों को अपने हाथों से ढके थी।
मैंने कहा- शिखा रानी, अपने हाथ तो हटा आँखों पर से।
शिखा ने कहा- हमें बहुत शर्म आ रही है।
उसका उत्तर प्रदेश के लोगों का मैं शब्द के स्थान पर हम शब्द का प्रयोग मेरे कानों को भिन्न भी लगता था और कर्णप्रिय भी।
मैंने झट से उसे गोद में उठा लिया, एक हाथ उसकी गर्दन के नीचे और दूसरा उसके रेशमी चूतड़ों के नीचे। जैसे ही मैंने उसे उठाया, गिरने के भय से उसने तुरंत अपने हाथ आँखों से हटा कर मेरी गर्दन में लपेट लिये। शिखा रानी एक ताज़े फूल के समान नाज़ुक, मुलायम और नरम थी, उसका वज़न 45-46 किलो से अधिक ना होगा।
मैंने बहुत नज़दीक से उस हसीन चेहरे को निहारा, शिखा रानी की आँखें अभी भी बंद थीं, उसके पके संतरे की फांकों जैसे मुलायम होंठ लरज़ रहे थे, कंपकंपा रहे थे। माथे पर महीन महीन पसीने की बूंदें छलक आईं थीं, चेहरा अभी भी शर्म से लाल सुर्ख़ हो रहा था, बदन तप रहा था जैसे चुदास उस पर बुरी तरह छाई हुई हो !
मैंने होंठ शिखा रानी के होंठों से लगा कर धीमे से कहा- शिखा रानी… HAPPY BIRTHDAY रानी !
वो भी धीरे से बोली- थैंक यू राज जी, हमें आपसे बड़ी शर्म आ रही है, प्लीज़ आप अंधेरा कर दीजिये ना…
मैंने एक और चुम्बन लिया और कहा- शिखा रानी, अगर तुम मुझे राज जी और आप कहोगी तो मैं कुछ भी तुम्हारा कहना नहीं मानूँगा। तू मुझे राजे कह और तू कह कर बुला… रानी अगर अंधेरा कर दिया तो मैं तेरा ये परियों को भी शर्मिंदा कर देने वाला हुस्न कैसे निहारूंगा… रानी अब शर्म छोड़ और जल्दी से मुझे एक गाली बक !
‘राज जी आप बड़े बदमाश हैं…’
मैंने फिर से एक चुम्बन लिया और कहा- फिर राज जी और आप?
शिखा रानी शरमाते हुई बोली- राजे, तुम बहुत बदमाश हो…तुम चलेगा ना?
मैंने उसके रसीले होठों का चुम्बन फिर से लेते हुए कहा- नहीं बिल्कुल नहीं चलेगा, चलना तो दूर यह तो रेंगेगा भी नहीं। तू और सिर्फ तू ही चलेगा और भागेगा !
शिखा रानी- राजे, तू सच में बहुत बदमाश है। साथ साथ में दुष्ट भी है।
मैं- हाँ अब ठीक है शिखा रानी। चलो अब आँखें भी खोल दो ना मेरा जान !
मुझे तू कहने से शायद उसकी शर्म खुल गई थी क्यूंकि उसने आँखें खोल दीं थीं।
मैंने उसकी आँखों में झांक कर देखा, शिखा रानी बेहद प्यार से लबालब भरी हुई नज़रों से मुझे देख रही थी।
मैंने लपक के उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया।
यार क्या स्वाद आ रहा था कि मैं वर्णन कर सकूँ इतनी मेरी शब्दावली ही नहीं है।
शिखा रानी के होंठ चूसते हुए मैं आहिस्ता आहिस्ता बिस्तर के पास पहुँच गया और शिखा रानी को हौले से बिस्तर पर लिटा दिया।
मैंने कहा- शिखा रानी, तू सच में बेहद सुन्दर है। इतनी सुन्दर कि तुझे दिल में बसाकर पूजा करने का दिल कर रहा है।
शिखा रानी ने इतरा के कहा- राज..तू बहुत झूठा है, यूँ ही मक्खन लगा रहा है, जब हम तेरे हो ही चुके हैं तो क्यों खुशामद कर रहा है? हमें पता है हम कोई खास सुन्दर नहीं हैं। लेकिन तू परले दर्ज़े का झूठा है।
उसकी आवाज़ बहुत धीमी थी और प्यार से भरपूर !
मैंने बिना कुछ काहे अपना मोबाइल उठाया और अपने डाउनलोड लिये हुए चुनिंदा गानों में से यह गाना लगा दिया:
‘चौदहवीं का चाँद हो, या आफताब हो, जो भी हो तुम खुदा की कसम लाजवाब हो…’
अब मैंने शिखा रानी की ठुड्डी को चूमते हुए कहा- तू क्या है शिखा रानी… वो मैं तुझे समझा नहीं सकता। तू बस यह गाना सुन और जान ले तू कितनी सुन्दर है।
किसी लड़की की खूबसूरती बयान करने के लिये इससे बेहतर गाना ना तो कोई आज तक बना है और ना ही बनेगा।
मैं उसके मुखड़े को चूमता रहा और गाना बजता रहा।
जैसे ही गीत खत्म हुआ, मैंने पूछा- क्यों शिखा रानी अब तो तुझे समझ आ गया ना कि मैं तेरे में कितनी खूबसूरती देखता हूँ।
शिखा रानी ने मेरा सिर कस कर पकड़ लिया और धड़ाधड़ बीसियों चुम्मे मेरे चेहरे पर लगा दिये।
फिर उसने मेरा सिर ज़ोर से भींच के अपने गले से चिपटा लिया और मेरे कान में बहुत धीमी आवाज़ में घंटियाँ बजाते हुए कहा- राजे… तूने आज मेरा दिल ही नहीं मेरी रूह भी जीत ली… तेरे लिये मेरे दिल में कितना प्यार उमड़ रहा है मैं बता नहीं सकती… राजे…राजे अब तू मेरा शरीर भी ले ले… राजे अब देर ना कर…मैं जले जा रही हूँ तुझ से संगम करने के लिए… गाना सुना के तो तूने आग में घी डाल दिया….बस राजा अब ज़रा भी देर ना कर…बस समा जा मेरे अंदर…
अब तक मैं भी बेतहाशा उत्तेजित हो चुका था, मैंने तुरंत शिखा रानी की टांगें चौड़ी कीं और उनके बीच में घुटनों पर बैठ के लंड को चूत से लगाने ही वाला था कि शिखा रानी ने रोका- एक पल रुक राजे… ज़रा मैं अपने भोले का स्वाद तो चख लूँ…
कहानी जारी रहेगी।
What did you think of this story??
Comments