चलती बस में चूत चुदाई
दोस्तो, मेरा नाम अचिन है, मैं देहरादून से हूँ। मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ।
आज मैं आप लोगों के साथ अपने साथ घटित एक वाकया पेश कर रहा हूँ लेकिन उससे पहले मैं आपको अपने बारे में बता दूँ।
मेरी उम्र 23 साल है। मेरी लम्बाई 5’11” इंच है और मैं एक स्वस्थ और हृष्टपुष्ट युवक हूँ। मेरे लौड़े की लम्बाई जैसे सबकी होती है 5′ और मोटाई 2.5 इंच है।
मुझे चुदाई करने का बहुत शौक है, चाहे वो कोई लड़की हो या कोई आंटी या भाभी हो।
और जो कहानी मैं आपके लिये लेकर आया हूँ, यह मेरे जीवन की सत्य घटना है, इसमें नाम बदले हुए हैं।
बात दिसम्बर महीने की है, मैं देहरादून से दिल्ली किसी काम से जा रहा था तो मैं देहरादून आई.एस.बी.टी. से एक ऐ.सी. बस में सबसे आगे वाली सीट पर बैठ गया बस लगभग खाली सी ही थी उसमें बीस सवारी के करीब थी।
मेरे साथ वाली सीट खाली पड़ी थी क्योंकि वो मैंने जानबूझ कर खाली रखी थी जब भी कोई वहाँ बैठने के लिए बोलता, मैं बोल देता कि कोई बैठा है, तो वो यात्री आगे चला जाता।
मैं सोच रहा था कि कोई लड़की आ जाए तो रात कट जाएगी। लेकिन जब बस चल दी और कोई भी लड़की बस में नहीं आई तो में भी बस ऐसे ही मायूस होकर बैठ गया।
उसके बाद बस रूड़की आकर रुकी तो मैं फिर से देखने लगा कि कोई लड़की आ जाये।
तभी एक 30-32 साल की एक औरत एक आदमी के साथ बस में चढ़ी। मैंने उस पर ध्यान नहीं दिया, मैंने सोचा कि साथ में उसका पति होगा।
पर वो औरत एकदम से मेरे पास वाली खाली सीट पर आकर बैठ गई और वो आदमी उसको बैग देकर वापस चला गया।
मैं एकदम से हैरान हो गया और मन ही मन खुश भी हो रहा था लेकिन वो औरत देखने में बड़ी तेज लग रही थी मतलब खतरनाक…
उसकी लम्बाई 5’9″ होगी और थोड़ी भरी पूरी भी थी, उसकी चूचियों का आकार भी 36″ से ऊपर और उसके कूल्हे 38″ के आस पास होंगे।
बस वहाँ से चल दी थी।
पहले तो मैं उसको देखता रहा, ऐसे ही रात का एक बज गया था और बस मुज़फ्फरनगर पहुँचने वाली थी। तो वो औरत सोने लगी और मेरी आँखों से तो नींद गायब थी।
अब आप ही बताओ ठण्ड का मौसम और बगल में सेक्सी माल तो नींद कहाँ आती है। वो सो गई थी और उसका हाथ कुर्सी के हत्थे पर रखा था। मैंने अपना हाथ डरते डरते उसके हाथ के ऊपर रख दिया और सोने का नाटक करने लगा।
वो तो नींद में थी ही, मैंने अपना हाथ ऐसे रखा था जिससे उसको मेरे हाथ का अहसास हो जाये।
और फिर वही हुआ थोड़ी देर बाद मेरा हाथ रखे होने की वजह से उसका हाथ गर्म हो गया फिर उसने मेरे को सोया मानकर मेरा हाथ अपने हाथ से दबा दिया।
मैं कुछ नहीं बोला, वो उठ चुकी थी और वो ऐसे ही मेरे हाथ अपने हाथ में लेकर सहला रही थी।
उसके बाद मैंने भी अपने हाथ में थोड़ी हलचल पैदा की जिससे उसको पता लग गया कि मैं जाग गया हूँ।
उसने मेरे हाथ छोड़ दिया पर मैंने उसके हाथ को दोबारा पकड़ लिया और उससे कहा- पकड़ लो, ठण्ड हो रही है।
उसके बाद मैंने अपना हाथ उसकी जांघ पर रख दिया।
उसने साड़ी पहन रखी थी, मैं उसको कपड़ों के ऊपर ही सहलाने लगा और वो भी जवाब में अपना हाथ मेरे लंड पर ले गई।
मैंने पैंट की ज़िप खोलकर उसके हाथ में अपना लौड़ा दे दिया और उसकी मोटी-२ चूचियों को हल्के-2 दबाने लगा और एक हाथ से उसकी साड़ी को ऊपर उठाकर उसकी चूत के दाने को छेड़ने लगा।
वो थोड़ी कुनमुनाने लगी और उसके मुख से हल्की ‘उह्ह्ह अहह हहा’ की आवाज़ आने लगी और वो मेरे लंड को जोर जोर से आगे पीछे करने लगी।
आप सोच रहे होंगे कि बस में ये सब कैसे?
तो में आपको बता दूँ कि ऐ सी बस होने की वजह से उसकी कुर्सी ऊँची थी, रात की वजह से अन्धेरा था और हमने एक चादर ओढ़ रखी थी।
हाँ तो अब कहानी पर आते हैं.
वो पूरे जोश में आ गई थी।
फिर उसने अपना मुँह नीचे करके मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और उससे लोलीपोप की तरह चूसने लगी।
मुझे भी बहुत मजा आ रहा था, मैं भी उसकी चूत में उंगली अन्दर बाहर कर रहा था।
ऐसा करते-2 मेरा लंड उसके मुँह में ही झड़ गया, तब उसने रुमाल से उसको साफ़ किया और इधर मैंने उसकी चूत में उंगली करके उसका भी पानी निकाल दिया था, उसने उसको साफ़ किया।
उसके बाद बस एक ढाबे पर रुकी, वहाँ पर सबने चाय पी।
वहाँ पर मैंने बस कंडक्टर को पैसे देकर ऊपर सोने के लिए जगह ले ली उसके बाद हम सोने के लिए ऊपर शयन यान में चले गये लेकिन नींद तो हमारी आँखों से कोसों दूर थी।
बस चल दी थी, हम दोनों लेट गये, मैंने उसकी चूचियों को सहलाना शुरु किया और उसका ब्लाउज उतार दिया.
क्योंकि शयनयान में अलग-2 भाग होते हैं सोने के लिए जिससे किसी दूसरे को कुछ नहीं दीखता।
उसके ब्लाउज निकालने के बाद मैंने उसकी चूचियों को उसकी ब्रा के ऊपर से चुसना शुरु कर दिया, फिर मैंने उसकी ब्रा से उसकी मोटी-2 चूचियों को निकाला और उनको जोर-2 से मुँह से काटने लगा।
उसको बहुत मजा आ रहा था और उनमें से दूध भी निकल रहा था।
मैंने उसकी चूचियों को काटना चालू रखा और एक हाथ से उसकी साड़ी को ऊपर करके उसकी चूत पर हाथ ले जाकर उसकी चूत के दाने को दबाकर उसकी चुदने की इच्छा को और ज्यादा बढ़ा दिया।
अब वो मेरे लिंग को निकाल करके हाथ से आगे पीछे करके अपनी चूत पर ले जा रही थी पर मैंने उसकी चूचियों पर से मुँह हटा कर उसकी चूत की फूली हुई फांकों पर रख दिया और उनका रसपान करने लगा।
उसके बाद उसने मेरे लण्ड को मुँह में लेकर चूसना शुरु कर दिया, अब हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गये थे, वो बड़े मजे से मेरा लिंग को चूस रही थी, मैंने चूस-चाट कर उसका रस निकाल दिया, फिर मैं उठा और उसकी दोनों टांगों को अपनी कमर के दोनों तरफ करके उसकी चूत पर अपने लंड महाराज को ले गया और उसकी चूत पर लंड को रगड़ने लगा।
वो बार-2 अन्दर घुसाने को कहने लगी लेकिन मुझे उसको तड़फाने और उसकी तड़प देखकर मजा आ रहा था।
काफी देर बाद मैंने उसकी चूत में अपने लंड का प्रवेश कराया तो वो चिंहुक उठी।
उसकी चूत तो पूरी गीली पड़ी थी, लंड अपने आप अन्दर सरकता चला गया और उसकी जड़ तक जाकर बैठ गया।
उसने मेरी कमर को अपनी टांगों से जकड़ लिया। दो मिनट तक ऐसे ही पड़े रहने के बाद मैंने थोड़ा सा ऊपर उठकर हल्का सा अपना लंड बाहर निकालकर अन्दर किया और हल्के हल्के अन्दर बाहर करने लगा। वह भी मेरे लंड के साथ ही अपने हिसाब से चूतड़ों को आगे पीछे करने लगी और उह्ह्ह्ह अहा अह अह ऊऊ… की आवाज़ करने लगी और मेरे कानों में ‘चोदो मुझे’ कहने लगी।
तब मैंने अपने लंड से उसको तेज तेज चोदना शुरु कर दिया पर बस चलने की आवाज की वजह से चुदाई की फच फच की आवाज का पता नहीँ चल रहा था।
2-4 मिनट शॉट मारने के बाद ही उसका शरीर ऐंठने लगा और वो झड़ गई, उसका कामरस उसकी चूत से निकल कर उसकी जांघों से नीचे बहने लगा।
तभी मैंने भी 2-4 आखिरी शॉट मारकर अपना रस उसके रस में मिला दिया और उसके ऊपर लेट गया।
दस मिनट बाद हम अलग हुए और फिर एक दूसरे को साफ़ करके अपने कपड़े सही किए और लेट गये।
थोड़े देर बाद ही दिल्ली आ गया था फिर मैंने उससे बात की तो पता लगा कि उसका नाम पूनम है, दिल्ली में उसका मायका है और उसकी ससुराल रूड़की है, उसके पति का मार्केटिंग का बिजनेस है, जिस कारण वो उसको ज्यादा टाइम नहीं दे पाते हैं और वो सेक्स की भूखी रहती है।
मैंने उसका फ़ोन नम्बर ले लिया और उसको फिर से मिलने का और फ़ोन से मिलने का वादा किया।
आज भी मैं उसको फ़ोन करता हूँ और जब भी मौका मिलता है उसको उसके घर रूड़की जाकर चोदता हूँ।
मेरी कहानी पर अपने विचार मुझे बतायें!
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