चाहत और वासना की आनन्द भरी दास्तान
(Chahat Aur Vasna Ki Aanand Bhari Dastan)
सुबह के 9 बज गए थे. अरुण अपने ऑफिस के लिए निकला था, वह अपनी बाइक को स्टार्ट करके निकला ही था कि कुछ ही दूर एक लगभग 27 वर्ष की औरत खड़ी थी. वो शायद बस का इंतजार कर रही थी. उसका चेहरा देखकर ऐसा लग रहा था कि वो परेशान थी.
अरुण ने उसे देखा तो बाइक रोकी और उससे बात की- आप परेशान लग रही हैं.. क्या बात है, क्या मैं आपकी मदद कर सकता हूँ?
उस औरत ने अरुण को देखा और कुछ सोचने लगी. कुछ पल सोचने के बाद कहने लगी- क्या आप मुझे सिटी प्लेस तक लिफ्ट देंगे?
अरुण- अरे क्यों नहीं.. मैं तो रोज ही उसी रास्ते से जाता हूँ.
अरुण ने उसको लिफ्ट दी, करीब 5 किलोमीटर तक का सफर था, अरुण ने उस औरत से उसका नाम पूछा.
उसने अपना नाम आशिना बताया और दोनों में बातें शुरू हो गईं.
अरुण- क्या आप जॉब करती हो?
आशिना- जी हां मैं सिटी प्लेस के पीछे एक ब्यूटी पार्लर है, उसमें काम करती हूँ, और आप?
अरुण- मैं भी एक प्राइवेट बैंक में काम करता हूँ.
बातें करते करते कब सिटी प्लेस आया पता ना चला. आशिना बाइक से उतरी और अरुण शुक्रिया किया.
अरुण- यह तो मेरा फर्ज था, आपसे बात करके बहुत अच्छा लगा.
अरुण उसे निहारता ही चला जा रहा था उसकी नजरें हटने को राजी ना थीं. क्योंकि आशिना थी ही, ऐसी खूबसूरत कि किसी अप्सरा को भी फेल कर दे. वो 27 साल की शादीशुदा होकर भी एकदम हीरोइन सी लग रही थी. उसका मस्त गोरा रंग, मदमस्त बदन, गुलाबी होंठ, शर्माती आंखें, पतली कमर, वाह क्या माल थी वो.. मस्त एकदम हॉट, कोई भी देखकर पिघल जाए.
आशिना- आप कहां खो गए, मुझे लेट हो रहा है.. मैं चलती हूँ.
अरुण- एक बात कहूं, आप तो बिल्कुल परी सी लगती हो.
आशिना शर्म से लाल होकर नजरें झुका कर कहने लगी- छोड़िये.. कुछ भी, आप भी तो बिल्कुल हीरो लगते हैं.
बस इतना कह कर वो जाने को हुई. जैसे ही आशिना जाने के मुड़ी, तो अरुण ने आवाज दी- सुनिए आप अपना मोबाइल नंबर तो दे दीजिये.
“जी नहीं अभी नहीं..”
आशिना चल पड़ी. आंखों से दूर होने तक अरुण बस उसे देखता ही रहा. उसके इन कुछ पलों में ही शायद दोनों के दिल में एक चाहत सी बन गई थी.. तभी तो नम्बर मांगने का और अभी न देने का सिलसिला चल पड़ा था.
अभी अरुण आगे बढ़ पाता कि तभी उसके मोबाइल पर किसी के कॉल ने उसका ध्यान आकर्षित किया- कहां हो … अभी जल्दी पहुंचो, काम बहुत है.
अरुण अपनी बाइक को स्टार्ट करके चला गया.
शाम को अरुण अपने घर पर पहुंचा, डोर बेल को बजायी, कुछ देर बाद उसकी पत्नी नीलम ने दरवाजा खोला. उसकी पत्नी वो भी लगभग 28 की होगी. दिन भर घर का काम करते करते बिल्कुल शाम तक मुरझाए हुए गुलाब की तरह काम वाली बाई की तरह लग रही थी.. चेहरे पे कोई रौनक ना थी.
अरुण ने ग़ुस्से से कहा- क्या करती हो दिन भर घर में.. दरवाजा खोलने में इतना देर क्यों लगाया.. तुम ऐसे करती हो कि पूरा दुनिया का काम तुम ही करती हो.. जाओ मेरे लिए एक कप चाय बना लाओ.
अरुण अपनी आँखें मूंदकर उस औरत आशिना के बारे में सोचने लगा. उसे आज दिन भर आशिना ही दिख रही थी. उसे पाने के लिए वह बेचैन था.
दूसरे दिन उसने अपने मोबाइल पर फेसबुक से उसका नाम लिखकर सर्च करने लगा. उसे कुछ देर बाद एक उसी के नाम की एक प्रोफाइल दिखी, जिसमें उस औरत ने अपना खुद की इमेज को लगाया हुआ था. अरुण ने देरी ना करते उसे फ्रेंड रिकवेस्ट भेज दी.
दोपहर में उसने चेक किया तो उसका फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर लिया गया था
कुछ दिन यूं ही चैट होती रही और दोनों ने एक दूसरे को पसंद कर लिया.
फिर एक दिन अरुण ने उसे मैसेज किया- आप मुझे शाम को रोज गार्डन में मिल सकती हैं?
जवाब आया- हाँ.
अरुण का दिल मिलने के लिए मचलने लगा.. वो उसके लिए पागल हो गया था. शाम का इन्तजार में ही पूरा दिन निकाल दिया. आज उसने घर जाने की बजाए अपनी बाइक रोज गार्डन की तरफ मोड़ दी.
अरुण आशिना से पहले ही गार्डन में पहुंच गया था, बेताब जो था. कुछ देर बाद उसे आशिना आती हुई दिखाई दी. हाय हैलो होने के बाद दोनों कॉफी पीने चले गए.
आशिना ने भी अपना पूरा परिचय दिया कि वो एक तलाक शुदा है, अकेली रहती है.
वो दोनों इतना क्लोज हो गए कि आशिना ने उसे दूसरे दिन के रात को घर पर खाने के लिए बुला लिया.
उस दिन अरुण को आशिना ने अपना प्रणय निवेदन भी कर दिया था. अरुण से उसने साफ़ कह दिया था कि आज की रात मुझे तुमसे खुल कर मिलना है.
उसी रात अरुण ने आशिना को फोन लगाया.
“हैलो..”
“हैलो..”
“क्या कर रही हो?”
“बस यूं ही टीवी देख रही थी.”
“मुझे कुछ पूछना था.”
“हां बोलो.”
“खाने में मुझे क्या क्या मिलेगा?”
“जो भी आप चाहो.”
“मुझे ताजा दूध पीना पसंद है.”
“आजकल दूध आ नहीं रहा है.”
“तो नमकीन शहद चाट लूँगा.”
“नमकीन शहद? वो क्या होता है?”
“मुझे मालूम है कि आपके पास है और यदि आप मुझे रोके ना, तो मैं निकाल लूँगा.”
“किधर से निकाल लोगे?”
“मुझे जगह मालूम है.”
“अच्छा समझी, चलिए आइये तो, फिर आज आपकी हर ख्वाहिश पूरी करने की कोशिश करूँगी.. आपको संतुष्ट करने का पूरा प्रयास रहेगा.”
“मतलब आप मेरी इच्छा जान गई हो?”
“हां अब बात मत करो मुझे कुछ होने लगा है.”
इतना कह कर उसने फोन काट दिया.
इसका मतलब साफ़ था कि आशिना अब अरुण से चुदना चाहती थी.
आज अरुण बहुत खुश था. उसे उसकी सपनों की परी मिलने वाली थी. शाम को अरुण ने घर फ़ोन करके कह दिया कि आज कुछ काम की वजह दूसरे सिटी में जा रहा है.
शाम को अरुण करीब 8 बजे आशिना के घर के लिए निकला. उसका घर एक मध्यम वर्ग के मोहल्ले में था. आशिना का घर शायद किराये का था लेकिन बहुत ही सुंदर था.
जब अरुण आशिना के घर पर पहुंचा तो कई नौजवानों की नजर उस पर लगी हुई थी. आशिना ने दरवाजा खोला और अरुण अन्दर आ गया.
अरुण ने तो अन्दर आते ही आशिना को गोद में उठा लिया. आशिना ने कहा- अरे आप तो बहुत ही उतावले हो गए हो.. थोड़ा सब्र करो, सब्र का फल मीठा होता है.
अरुण- मुझे तो आज खट्टे ही फल खाने है.
दोनों ने मुस्कराये.
आशिना को बेड पर लिटा दिया. आशिना नाइट गाउन पहने हुई थी. वो आज के खास वक्त को और भी हॉट करना चाहती थी. वो एक लाल कलर का ट्रांसपेरेंट गाउन था. अन्दर की ब्रा और पेंटी साफ़ दिख रही थी, जो पिंक कलर की थी.
अरुण ने उसे नीचे से चूमना शुरू कर दिया था, चूमते चूमते ऊपर की तरफ बढ़ रहा था. जैसे ही वो आशिना की चूत पर पहुंचा तो झट से पैंटी को खींचकर अलग कर दिया. गाउन का खोलकर फेंक दिया गया.
अरुण ने चूत को देखा तो देखता रह गया क्योंकि चूत के बालों एकदम डिज़ाइन से दिल का आकार देकर काटा गया था, जिससे वह और भी खिल उठी थी. अरुण का लंड अन्दर ही अन्दर पिंजरे के शेर की तरह फड़फड़ा रहा था.
चूत में अरुण ने अपना पूरी जीभ को घुसाया और अन्दर बाहर करने लगा. कुत्ते की तरह चूत चाटने लगा था. आशिना का तो हाल बेहाल था इतने दिनों की प्यास आज बुझने लगी थी. उसके मुँह से ‘आहह… उहह…’ के सुर निकल रहे थे.
अरुण अब ऊपर की तरफ बढ़कर नाभि पर होंठों से चूम रहा था. आशिना अग्नि की तरह तप रही थी. दोनों तरफ आग बराबर लगी थी. अरुण और ऊपर आ गया और आशिना के दोनों स्तनों को ब्रा से आजादी दे दी. जैसे कबूतरों को पिंजरे से आजादी मिल गई हो.. ऐसे उसके दोनों उरोज सुडौल मस्त गदगद होकर उछलने लग गए थे. अरुण ने फट से एक निप्पल को अपने होंठों से दबाते हुए हौले हौले काटना शुरू कर दिया था. वो किसी छोटे से बच्चे की तरह दूध चूसने लगा. अरुण भी कई दिन से भूखा सा हो.. ऐसी बेताबी दिखा रहा था.
उसके बाद अरुण ने ऊपर गर्दन को चूमते हुए होंठों को चूसा. दोनों की जीभें एक दूसरे को आपस में लड़ना चाहती थीं. इस तरह अरुण ने चूमते चूमते आशिना के कान के निचले हिस्से को काटा, आशिना एकदम से गनगना उठी.
फिर आशिना ने अरुण को बाजू में धकेल दिया और खुद उसके ऊपर आकर उसका शर्ट को खोल कर फेंक दिया. फिर बेल्ट खोलकर पेंट फेंक दिया. बनियान और अंडरवियर भी निकाल कर उसे पूरा नंगा कर दिया. उसके तनकर खड़े लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी. पूरा लंड मुँह लेने लगी. लंड को चूस चूस कर लाल कर दिया.
आशिना ने अरुण से कहा- चलो अरुण.. अब शुरू हो जाओ, आज मेरी चूत को मजा चखाओ.
अरुण ने किसी गुलाम की तरह उसकी बात मानकर आशिना को घोड़ी पोजीशन में कर दिया और अपना 7″ का लंड उसकी चूत पर रखकर रगड़ने लगा.
आशिना की चूत गीली हो गई थी. फिर अरुण ने झट से लंड को एकदम अन्दर घुसेड़ दिया. आशिना के मुँह से चीख निकली, लंड अन्दर तक घुस चुका था. घोड़ी बनी हुई आशिना के आँखों के आगे अंधेरा छा गया था. अब लंड ने अपनी रफ्तार को बढ़ा दिया.
उसकी चूत से अजीब सी आवाज आने लगीं और आशिना मस्त होकर चुदवाने लगी थी. ऐसा सफर मानो वो स्वर्ग को महसूस करने लगी. अब अरुण उसे अपने लंड के ऊपर बैठने के लिए कहा. आशिना ने बिना देर किए लंड को चूत में लेकर हॉर्स राइडिंग करने लगी. कुछ ही देर में आशिना भी झड़ने लगी.
इधर अब अरुण ने भी इशारा किया कि उसका भी वीर्य निकलने वाला है.
आशिना ने अरुण को खड़ा होने के लिए कहा. वो झट से खुद घुटने के बल बैठ गई और लंड चूसने लगी. अरुण के लंड ने गरमागरम वीर्य आशिना के मुँह में निकाल दिया.
गरम लोहे पर पानी डाल दिया हो वैसे दोनों भी ठंडे होकर एक साथ बेड पर लेट गए.
कुछ देर तक शांत हो गया जैसे मानो एक बड़े युद्ध के बाद सन्नाटा छा गया हो.
दोनों कुछ देर बाद नहाकर फ्रेश होकर खाना खाकर लेट गए. उस रात में चूत और लंड ने कई जंग लड़ीं.
और आप ने मेरी पिछली कहानी
भाभी की चूत की चुदाई करके स्वर्ग का मजा लिया
पढ़ी ही होगी? नहीं पढ़ी तो जरूर पढ़ें.
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