बस में मिली भाभी पर दिल आया

(Bus Me Mili Bhabhi Par Dil Aaya)

दोस्तो, मेरा नाम सूरज है, मैं सहारनपुर का रहने वाला हूँ, फिलहाल पढ़ाई कर रहा हूँ।
मैं 21 साल का जवान पर दिखने के साथ ही थोड़ा मोटा भी हूँ।

यह मेरी पहली कहानी है.. अगर कोई गलती हो जाए.. तो माफ़ करना।

यह कुछ दिनों पहले की ही बात है। मुझे जरूरी काम से दिल्ली जाना पड़ा। वहाँ से अपना काम पूरा करके मैं वापस आने के लिए रोडवेज बस स्टैंड गया।
वहाँ बहुत देर तक बस का इंतज़ार किया.. पर कोई बस सहारनपुर के लिए जाने का नाम नहीं ले रही थी। बहुत देर तक इंतज़ार करने के बाद मैं इन्क्वायरी ऑफिस चला गया, पता चला कुछ ही देर में एक बस सहारनपुर को जाने के लिए आने वाली है।

आखिर 5 मिनट वेट करने के बाद एक बस आई। मैं बस में चढ़ गया, हालांकि बस फुल थी। ध्यान से देखने पर पीछे की एक सीट ख़ाली थी, उस पर एक सुन्दर सी बहुत ही प्यारी 36 साल के करीब की उम्र की भाभी बैठी हुई थीं।
मैं उनके पास जाकर बैठ गया।

बस चलने लगी, मैंने इयर फ़ोन निकाल कर कानों में लगाए और गीत सुनने लगा।

तभी मुझे लगा भाभी भी बोर हो रही हैं। शायद इसलिए रात का समय था.. अखिर कौन किस से बात करे।
मैंने अपने कान से इयर फ़ोन निकाले और उनको ‘हाय..’ कहा।
मुझे भी उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा- कैसे हो आप?

मैंने कहा- मैं अच्छा हूँ.. आप सुनाओ?
उन्होंने कहा- मैं क्या सुनाऊँ.. बस बोर हो रही थी.. सोचा बात कर लूँ।
मैंने भी हँस के कह दिया- हाँ हाँ.. क्यों नहीं.. मैं हूँ न आपसे बात करने के लिए।

फिर ऐसे ही उनसे धीरे-धीरे बातें होने लगीं।

बात करते-करते पता चला उनका नाम कोमल(परवर्तित नाम) है और वो भी किसी काम से सहारनपुर जा रही हैं। इतने में कंडक्टर टिकट काटने आया तो उन भाभी जी ने अपने साथ मेरा भी टिकट कटवा लिया।

कंडक्टर के जाने के बाद मैंने उनसे कहा- मैं अपना टिकट कटवा लेता.. आपने पैसे क्यों दिए?
उन्होंने कहा- मैं देखना चाहती थी कि आप क्या कहोगे।

उनकी बात सुन कर मैं सोचने लगा कि ये क्या था।
खैर.. सच में मुझे आज पता चला कि प्यार क्या होता है।

मैंने कहा- मैं आपकी बात समझा नहीं भाभी जी।
उन्होंने कहा- आप मुझे भाभी न कहो प्लीज़.. कोमल ही कहो.. मुझे अच्छा लगेगा।
मैं हँस दिया।

फिर उन्होंने आगे कहा- आज जिंदगी में पहली बार किसी और का टिकट कटा कर मुझे बहुत ख़ुशी हुई।
मुझे यह बात सुनकर बहुत ख़ुशी हुई।

ऐसे बातें करते-करते कब अँधेरा होने लगा पता ही नहीं चला। बस वाले ने भी अन्दर के सब लाइट्स बंद कर दी।
कुछ सो चुके थे पर हम अब भी बातें करते रहे।

फिर कुछ देर बातें करते हुए भाभी ने कहा- सूरज अब कुछ अलग बात करते हैं.. अच्छा तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?
मैंने कहा- मेरी तो कोई गर्लफ्रेंड नहीं है।
भाभी ने कहा- अच्छा ऐसी बात है.. पर मुझे नहीं लगता। खैर.. तुमको कैसी गर्लफ्रेंड चाहिए?
मैंने कहा- बिल्कुल आपके जैसी सुन्दर.. प्यारी सी चाहिए।

भाभी बहुत खुश हुई मुझसे कहा- क्या बात है.. बड़ी अच्छी चॉइस है तुम्हारी।
मैं मुस्कुराने लगा।

फिर भाभी ने कुछ सोच कर कहा- आई लव यू सूरज..
मैं तो यह सुनकर चौंक ही गया।
इतने में अभी मैं कुछ कहता.. कि भाभी ने मुझे गाल पर बहुत प्यारी चुम्मी दे दी।

मैंने पहले इधर-उधर देखा कि कहीं कोई हमें न देख रहा हो.. फिर मैंने भी भाभी के होंठों को चूमना शुरू कर दिया- आआअह.. उम्म्म्म्म.. प्लीज़ होंठ पर मत काटो न.. उम्म्म मउआअह ऐसे धीरे-धीरे करो न..
उनकी बहुत ही धीमे स्वर में आवाजें निकल रही थीं।

कुछ देर हमने बहुत एक-दूसरे को खूब चूमा।
फिर मैंने कहा- भाभी अब बहुत हो गया कोई देख लेगा तो क्या होगा?
भाभी बोलीं- मुझे आज का पल यादगार बनाना है।

उन्होंने फिर से मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और मुझे चूमना शुरू कर दिया। वे कभी मेरे गाल चूमतीं.. कभी होंठ..

फिर मैंने भाभी के कान में कहा- भाभी.. एक बात कहूँ.. अगर बुरा न मानो तो?
भाभी बोलीं- हाँ बोलो न.. जो बोलना है.. अब कुछ देर ही हम साथ रहने वाले हैं.. फिर तुम कहाँ.. मैं कहाँ।

मैंने भाभी के होंठ पर होंठ रख दिए.. और एक हाथ उनके प्यारे-प्यारे मुलायम-मुलायम मम्मों को प्यार से दबाते हुए कहा- भाभी आप मुझे भूल जाओगी?
वो बोलीं- नहीं बाबू.. कभी नहीं भूलूंगी।
यह कह कर उन्होंने बहुत प्यारी चुम्मी ली।

इस तरह काफी देर तक हम लोग ऊपर से ही खेल खेलते रहे।

इतने में उनका स्टॉप आ गया, उन्होंने मुझसे मेरा नंबर लिया.. और वो मुझे ‘बाय’ कह कर चली गईं।

उनके जाने के बाद बहुत रोना आया।
खैर.. मैंने उनसे मिलकर एक बात सीखी क़ि किसी के चेहरे पर खुशनुमा छाप छोड़ देना ही जिंदगी है.. दो पल की मुलाकात बहुत कुछ यादें छोड़ जाती है। आपको.. मेरी कहानी कैसी लगी जरूर बताना।

आपका प्यारा दोस्त सूरज
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