बस में मचलती भाभी की चूत की चुदाई का सफ़र-1

(Bus Me Machalti Bhaabhi Ki Choot Ka Safar- Part 1)

अंश पाण्डे 2016-12-04 Comments

This story is part of a series:

मेरा नाम अंश है, लखनऊ में रहता हूँ और अभी पढ़ रहा हूँ।

मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ, इसे मैं पिछले 3-4 वर्षों से पढ़ रहा हूँ। आज आप सबसे अपनी पहली कहानी को शेयर कर रहा हूँ। आशा करता हूँ कि इसे आप सब पसंद करेंगे और मेरी गलतियों को ध्यान नहीं देंगे। यदि आपको पसंद आई तो मैं आगे भी नई कहानियों के साथ आपका मनोरंजन करता रहूँगा।
यह घटना अभी पिछले महीने ही घटी, मुझे लगा कि मुझे भी आप सबके साथ इसे अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज में शेयर करना चाहिए।

यह कहानी मेरी और ख़ुशी की है जो मुझे बस में सफ़र करते हुए मिली थी।
मुझे दिल्ली जाना था, अचानक प्लान बनने की वजह से बस में ही सफ़र करना पड़ा।
मुझे दिन में सफ़र करना अच्छा नहीं लगता.. इसलिए कहीं भी जाना होता है.. तो मैं रात में ही निकलता हूँ।

मैं रात के 10 बजे घर से निकला, एक घन्टे बाद करीब 11 बजे बस अड्डे पर बस खड़ी मिल गई। मैं उसके अन्दर गया तो काफी कम लोग थे। मैं आगे की 3 सीट छोड़ कर बैठ गया।
मुझे सीट शेयर करना पसंद नहीं है इसलिए मैंने सीट पर बैठ कर अपना बैग बगल वाली सीट पर रख दिया।

बस को चलने में अभी टाइम था तो मैंने सोशल नेटवर्किंग साईट ओपन की और चैट करने लगा। वैसे भी मैं रोज रात में कुछ देर साईट पर जरूर बिताता हूँ, मैंने चैट चालू कर दी।

कुछ देर में बस भर गई और चलने लगी।
तभी एक आदमी और औरत बस में चढ़े सीटें खाली न होने की वजह से उस व्यक्ति ने मुझसे कहा- आप अपना बैग हटा लें.. तो हम लोग यहाँ बैठ जाएंगे।
मैंने कहा- सीट तो 2 ही लोग की है।
तो उसने कहा- एडजस्ट होकर बैठ जाएंगे।

मैंने कहा- सफ़र लम्बा है.. बहुत परेशानी होगी।
उसने कहा- ठीक है.. मैं ऐसा करता हूँ.. मैं इनको (औरत) यहाँ बैठा देता हूँ.. और खुद पीछे बैठ जाता हूँ। कोई न कोई सीट तो मिल ही जाएगी।

मैंने कहा- जैसा आपको सही लगे।
वो आदमी अपनी ‘उन्हें’ बैठा कर पीछे चला गया।
अब वो औरत बैठ चुकी थी और बस भी दिल्ली के लिए चल पड़ी थी।

मैंने चैट जारी रखी। मैं खिड़की की साइड था.. तो मुझे कुछ देर बाद अहसास हुआ कि जब बस झटके खाती है.. तो मेरे हाथ उस औरत से लग रहे थे। कभी उसके हाथ पर.. तो कभी उसके पेट पर टच हो रहे थे, मैं अब तक बेखबर चैट करता रहा..

कुछ देर बाद वो औरत बोली- क्या आप थोड़ा और खिसक सकते हैं.. आपका कोहनी मुझे लग रही है।

तब मैंने उसकी तरफ देखा तो वो करीब 28-30 साल की औरत थी। जैसे ही मैंने उसे देखा.. तो मैं देखता ही रह गया। बस की हल्की लाइट में वो बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। उसका रंग बहुत गोरा था.. बड़ी-बड़ी आँखें.. सुन्दर नयन-नक्श.. उन्नत वक्षस्थल.. मुझे उनका साइज़ तो नहीं पता.. पर बहुत ही बड़े साइज़ के थे और वो उसके ब्लाउज से बाहर दिख रहे थे। उस पर उसकी पतली कमर.. कुल मिला कर वो एक अप्सरा जैसी लग रही थी। उसने लाल साड़ी पहनी हुई थी.. जो उसकी रंगत को और निखार रही थी।

दो पल तक तो मैं उसे देखता रहा.. फिर मैंने उससे माफ़ी मांगी, मैंने कहा- सॉरी मुझे पता नहीं था.. दरअसल मैं बातों में इतना व्यस्त था और मुझे पता ही नहीं चला कि आपको मेरी कोहनी लग रही है। आगे से ध्यान रखूँगा कि ऐसा न हो।

उसने हल्की सी स्माइल दी और फिर मैं चैट करने लगा, वो अपना सर पीछे सीट पर टिका कर बैठ गई।

पर अब मुझे अजीब सा अहसास हो रहा था, मेरा चैट में मन नहीं लग रहा था, मैंने कुछ देर बाद फ़ोन बंद करके रख दिया।

अब मेरे अन्दर हलचल हो रही थी.. मैं उसे देखना चाह रहा था, मैं भी अपनी सीट पर सर टिकाते हुए बैठ गया और उसे तिरछी नजरों से देखने लगा।

वो आँखें बंद की हुए बैठी थी।

कुछ देर मैंने उसका चेहरा देखा.. और जब मेरी नजरें उसकी चूचियों पर पड़ी.. तो वो सांस लेने की वजह से ऊपर-नीचे हो रही थीं।
यह दुनिया का सबसे मनमोहक सीन था।

कुछ पलों तक यूं ही देखते रहने के बाद जब अचानक उसने आँख खोलीं.. तो मेरी चोरी पकड़ी जा चुकी थी।
मैं तुरंत दूसरी तरफ मुँह करके बैठ गया।

अब मेरे अन्दर तूफ़ान उमड़ रहा था, मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ।
अचानक दिमाग में प्लान आया.. मैंने अपना फ़ोन फिर से निकाला और चैट फिर से शुरू कर दी।

मेरा प्लान ये था कि जो काम अब तक अनजाने में हो रहा था.. अब वो काम मुझे जानबूझ कर करना है। तो मैं अब फिर से उसी तरह चैट करते-करते अपनी कोहनी उससे छुआने लगा, पर अबकी उसको चोट न मार कर मैं अपनी कोहनी से उसे सहला रहा था।

जब उसका कोई विरोध नहीं हुआ.. तो कुछ देर बाद मेरी हिम्मत बढ़ने लगी, अब मैं अपनी कोहनी से उसके पेट को सहला रहा था।

दस मिनट बाद उसने आँखें खोलीं और कहा- अपका हाथ अब भी मुझे लग रहा है।
अबकी बार मेरा चेहरा सफ़ेद पड़ गया, इस बात का अहसास उसे भी हो गया था, मैंने कहा- मुझे जरूरी बात करनी थी इसलिए मैंने ध्यान नहीं दिया।

मैंने फिर से माफ़ी मांगी.. तो उसने इस बार बड़ी सी स्माइल दी और कहा- कोई बात नहीं आप अपनी बात कर लो.. पर ऐसा करो.. तुम इस तरफ मेरी वाली सीट पर आ जाओ। इससे तुम्हारा एक तरफ के हाथ को जगह मिल जाएगी और तब नहीं लड़ेगा।

मैं ऐसा करना नहीं चाहता था.. तब भी मुझे करना पड़ा।
पर कहते हैं न.. जो होता है अच्छे के लिए होता है। अब हम जगह बदल रहे थे।

मैंने उससे कहा- जगह कम है आप ऐसा करो.. पहले इधर आ जाओ, तब मैं उस साइड चला जाऊँगा।

वो खड़ी होकर जगह बदलने लगी, जब वो दोनों सीटों के बीच में आई.. तो कहने लगी- अब आप उस साइड चले जाओ।

जब वो खड़ी हुई.. तो मुझे उसकी गांड के दर्शन हुए, वो भी उसकी तरह बहुत अच्छी थी और मोटी थी। उसको कई मिनट तक कोहनी से सहलाने की वजह से मेरा लंड पहले से ह़ी खड़ा हो गया था, अब उसकी गांड देखने के बाद और टाइट हो गया। मैंने आखरी चांस मारने की सोची।
अब मैं भी खड़ा हुआ और उसकी गांड को अपने लंड से दबाते हुए उस तरफ जाने लगा।

तभी अचानक बस ने झटका मारा, उस समय मेरा लंड उसकी गांड से स्पर्श कर ही रहा था.. कि झटका लगने की वजह से मैं आगे की ओर गिरा, वो मेरे आगे थी और मैं जींस में खड़ा अपना लंड उसकी गांड पर दबाते हुए उसको खड़े लंड का अहसास करते हुए उसके ऊपर गिर पड़ा।

जिसका परिणाम ये हुआ कि मेरे लंड का अहसास उसकी गांड को हो चुका था। वो उसी हालत में पीछे पलटी और कहने लगी- क्या करते हो, आराम से नहीं जा पा रहे थे.. मुझे चोट लग गई।
मैंने कहा- बस झटका खा गई तो मैं क्या करता?

तो कहने लगी- ठीक है.. अब तो उस तरफ हो जाओ।
अब मैं दूसरी तरफ जाने लगा.. लेकिन उसका विरोध न देख कर मैं कहने लगा- मैं दूसरी तरफ जा नहीं पा रहा हूँ।
यह कह कर मैं अपना लंड उसकी गांड पर चिपका कर इधर-उधर होने लगा। यह मैं जानबूझ कर रहा था।

अब तक उसको भी शायद अच्छा लगने लगा था, उसको भी जगह बदलने की कोई जल्दी नहीं थी.. वो भी अपनी गांड हिला कर लंड का अहसास ले रही थी।

अब देर हो चुकी थी और उसने लंड का अहसास अच्छी तरह से कर लिया था, उसने कहा- थोड़ा पीछे हो.. मैं उस तरफ जाने की कोशिश करती हूँ।

वो दूसरी तरफ जाने लगी, अबकी बार उसने जाते-जाते अपनी पूरी गांड को मेरे लंड पर दबाया और निकल गई।
अब हम दोनों जगह बदल चुके थे, इतनी देर में मैंने उसकी गांड का और उसने मेरे लंड का मजा ले लिया था।
उसने कहा- कितनी कम जगह है.. सीट बदल भी नहीं सकते हैं।

मैंने कहा- हाँ वो तो है.. लेकिन अब तो जगह बदल ली ना।
तो उसने कहा- हाँ कर तो ली लेकिन तुम्हारी वजह से मुझे चोट लग गई।
तभी अचानक मेरे मुँह से निकल गया- आप बहुत सुन्दर हैं।

यह सुनकर उसने सेक्सी स्माइल दी और कुछ मुस्कुरा भी दी।

‘अगर आप बुरा ना माने.. तो कहूँ?’
तो उसने कहा- वो तो बात पर निर्भर करता है कि बुरा मानूंगी कि नहीं।
मैंने कहा- आप जितनी खूबसूरत हैं.. उससे कहीं ज्यादा सेक्सी भी हैं।
तब वो हँसते हुए ‘थैंक्स’ बोली और कहने लगी- बहुत समझते हो लड़कियों को।

मैंने कहा- नहीं, बस दिल ने कहा तो आपसे कह रहा हूँ।
उसने कहा- ओके..

अब वो आँखें बंद करके सीट पर टेक लगा कर लेट सी गई और मैं भी चुपचाप बैठ गया।

कोई दस मिनट बाद उसने फिर से आँख खोली और कहने लगी- अब अपने फ्रेंड से चैट नहीं कर रहे हो?
मैंने कहा- मन नहीं हो रहा है।
तो कहने लगी- जिस काम के लिए जगह बदली.. वो ही नहीं करना अब।
तो मैंने कहा- जगह आप चाह रही थीं.. इसलिए बदली गई।
उसने कहा- ठीक है जो मन हो वो करो।
मैंने भी ‘ओके’ बोला।

फिर मैंने भी सोचा खाली बोर होने से क्या फायदा चलो बात ही करते हैं.. इसी बहाने इनसे थोड़ी मस्ती भी कर लेंगे।

बस मैं फिर चालू हो गया.. लेकिन इस बार मैंने ध्यान दिया कि जब मैं इसे टच कर रहा हूँ तो ये हटने की बजाए चुपचाप मजे ले रही है।
अब मुझे भी आशा की किरण दिखाई दी, अब मैं उसे पहले से ज्यादा टच कर रहा था और मेरे स्पर्श का आनन्द वो भी उठा रही थी।
कुछ ही मिनट बीते होंगे कि उसने अपनी साड़ी का पल्लू कुछ इस ढंग से कर लिया कि अब उसके यौवन का उभार (मम्मे) पूरी तरह से मुझे दिखने लगे थे।

यह मेरे लिए ग्रीन सिगनल था, मैंने उसकी चूचियों को भी कोहनी से दबाना चालू कर दिया और वो भी उसे एन्जॉय करने लगी।
अब मेरी हिम्मत बढ़ चुकी थी और मैं आराम से उसकी चूचियों को कोहनी से दबा रहा था।

आगे की कहानी का इन्तजार कीजिए.. आपको पूरा किस्सा बा-तरतीब सुनाना चाहता हूँ।
मुझे अपने विचार मेल करना न भूलें।
[email protected]
कहानी जारी है।

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top