बस में मिली रंगीन भाभी की चुदाई
(Bus Me Mili Rangin Bhabhi Ki Chudai)
मेरा नाम लकी (बदला हुआ नाम) है, मैं राजस्थान का रहने वाला हूँ लेकिन पापा की नौकरी की वजह से गुजरात में रहता हूँ. मैं अभी 19 साल का हूँ, दिखने में जितना अच्छा और शरीफ़ लड़का हूँ. दिमाग से उतना ही कमीना और हवसी हूँ. दरअसल मैं हर वक़्त चूत के लिए बेकरार लंड हिलाता रहता हूँ.
बात यूँ शुरू हुई कि इस साल मेरा 12वीं का रिजल्ट आया और उसमें मेरी बैक आई थी, जिसका एग्जाम जामनगर में 17 जुलाई को होना था. इस वजह से मुझे 16 जुलाई को बस से निकलना था.
पहले तो मुझे बहुत बुरा लग रहा था क्योंकि मुझे अकेला जाना था. मैं आधा घंटा पहले बस स्टॉप आकर और बोर हो गया. फ़िर जैसे तैसे टाइम निकला और 12 बजे बज चल दी.
मेरा रिजर्वेशन उस स्लीपर बस में था, तो उसमें एक साइड सिंगल लोगों के सोने लिए होता है और दूसरी तरफ डबल के लिए रहता है. मैं सिंगल की तरफ़ था और अकेला यह सोच के बोर हो रहा था कि न जाने ये बस से मैं कब जामनगर पहचूँगा. अभी यही सब सोच रहा था कि तभी मेरी हवसी नज़र एक औरत पर पड़ी, जो आने में थोड़ा लेट हो गयी थी. वो बस चलने से 2 मिनट पहले ही दौड़ते भागते पहुँची थी, जिस वजह से वो काफ़ी हांफ गयी थी. उसके साथ उसकी बेटी भी थी, जो कि 7-8 साल की होगी.
मैं उस औरत के बारे में बता दूँ कि वो 26-28 साल की शादी-शुदा औरत थी, जो दिखने में हद से ज़्यादा सेक्सी थी. उसका फिगर 36-28-36 का रहा होगा. उसकी कातिल जवानी की ये स्थिति थी कि वो जैसे ही बस में चढ़ी, सारे मर्द उसे हवस भरी नज़रों से देखने लगे.. और देखते भी क्यों नहीं, वो लग ही इतनी कालिलाना रही थी कि ना जाने उसने कितनों के लंड खड़े करवा दिए. मेरा लंड भी अपनी औकात में आ गया था.
फिर उसने बस के कंडक्टर से अपना टिकेट चैक कराया तो पता चला वो तो मेरे ही बगल वाली डबल सीटर पर थी. जब वो आयी तो उसने मुझे उसे घूरते हुए देख लिया. मुझे देख कर उसने एक हल्की-सी स्माइल देकर हैलो कहा और अपनी सीट पर अपनी बेटी को चढ़ा कर खुद भी चढ़ गई.
जैसे ही वो चढ़ी उसकी गांड मेरी तरफ़ एकदम चौड़ी हो गयी और मेरे लंड की हालत खराब हो गयी.
मैंने जैसे तैसे कंट्रोल किया. फ़िर जब उसकी बेटी सो गयी तो वो आराम से बैठ गयी और उसके चेहरे से साफ़ दिख रहा था कि वो भी बोर हो रही है.
इस वक्त ना ही उसे नींद आ रही थी और न ही मुझे नींद आ रही थी. तभी उसने मुझे देखा और इशारे से आँखें मटका कर होंठ हिला कर हाय बोल कर मुझे बात शुरू कर दी. हम दोनों का परिचय हुआ.
उसकी बातों से जानकारी हुई, उसने अपना नाम शिल्पा बताया, वो अपने मायके जा रही थी. उसके पति को काम था इसीलिए बस से जाना पड़ा.
ऐसे ही बातें करते हुए हमारी जान पहचान हो गयी.
थोड़ी देर बातें करते हुए समय पास हुआ ही था कि बस एक जगह रुक गई. जहां सब चाय नाश्ता करने उतरने लगे. हम दोनों भी उतरने लगे. उसने ऊपर से नीचे उतरने के लिए मेरी मदद माँगी.
तब मैंने उसका हाथ पकड़ कर नीचे की ओर आने में सहारा दिया. वो झुक कर नीचे उतरने लगी. तब उसकी कुर्ती में से उसके बड़े बड़े चुचे दिखने लगे और मेरा लंड जो बडी मुश्किल से शान्त हुआ था फ़िर हलचल करने लगा.
मेरी प्यासी नजरें और सारी हरकतें उसने भी गौर कर लीं. उसकी नजर मेरे फूलते लंड पर चली गई. लेकिन वो यूं ही अंजान होकर नीचे उतर आई और चल पड़ी. लेकिन उसकी आँखों में जो हल्की सी चमक आई थी वो मेरी नजरों से न छुप सकी. ढाबे पर हम दोनों ने चाय पी और कुछ नमकीन भी खाया और बातें करने लगे.
कुछ देर बाद बस फ़िर चलने को तैयार हो गयी लेकिन वो चाय पी रही थी, जिस वजह से कंडक्टर ने हमें जल्दी आने के लिए आवाज दी और हमने भागते भागते बस पकड़ी. हमारे पीछे भी कुछ लोग भागते हुए बस की आने लगे.
तब मैंने उसे मज़ाक ही मज़ाक में ताना मारा कि तुम जिसके भी साथ होती हो वो ऐसे ही बस पकड़ता है.
वो मेरी बात सुनकर हंस दी और हम दोनों हंसते हंसते बस में चढ़ने लगे. मैं उसके पीछे था, तो बस में चढ़ते समय मेरा पूरा लंड उसकी गांड की दरार में सैट हो गया और भीड़ में धक्कों की वजह से बहुत मज़ा भी आ रहा था. वो भी गरम हो गयी थी लेकिन दिखा नहीं रही थी.
ऐसे ही हम दोनों रगड़ सुख लेते हुए अपनी सीट तक पहुँच गए. इस बार वो जैसे ही चढ़ने लगी, तभी अचानक स्पीड ब्रेकर आ गया और वो मेरे ऊपर गिर गयी. उसे सम्भालने के चक्कर में मेरा हाथ उसके चूचों पर चला गया और मैंने भी मौके का फ़ायदा उठा कर उनको मसल दिया.
वो गर्म हो गयी और अपनी सीट पर जाकर छुप छुप के चूत मसलने लगी. मेरा ध्यान जाते ही उसने अपनी चूत से हाथ हटा लिया. मैं समझ गया कि लोहा गर्म है, हथौड़ा मार देना चाहिए.
मैंने तुरंत एक पेपर पे ‘आई लव यू..’ लिख कर उसकी ओर फेंक दिया. उसने पढ़ा तो उसने भी स्माइल किया और उस पेपर को अपनी ब्रा में डाल के मसल दिया. मैं यह देख कर और गर्म हो गया.
तभी उसने वो पेपर मेरी तरफ़ फेंक दिया तो मैंने भी झट से उसी के अंदाज उस कागज के टुकड़े को अपनी अंडरवियर में डाल के हिलाने लगा और उसी में अपना सारा मुठ निकाल कर रस से गीला करके उसकी और फ़िर से फेंक दिया. वो उस पेपर को सूँघ कर पूरी मदहोश हो गयी.
अब मैं समझ गया कि आग दोनों तरफ़ बराबर लग चुकी है, अब और देर नहीं करनी चाहिये.
फ़िर मैं उतर कर उसकी सीट की ओर बढ़ा तो उसने मुझे रोक दिया.
उसने पहले उसकी बेटी को मेरी सीट पे सुलाने को कहा और फ़िर मैंने वैसा ही किया. मैंने उसकी बेटी को उठा कर मेरी सिंगल सीट पे सुला दिया और फ़िर हम दोनों एक ही सीट पे आ गए और परदा डाल लिया.
अब मैंने आव देखा ना ताव और उस पर टूट पड़ा. सबसे पहले उसकी कुर्ती उतारी तो देख उसने अन्दर लाल रंग की ब्रा पहन रखी थी, जिसमें से उसके बड़े-बड़े चूचे बाहर आने को बेताब हो रहे थे. मैंने भी उसके चूचों को अगले ही पल आज़ाद कर दिया और उन्हें ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा. वो भी मदहोश होने लगी. हम दोनों एक दूसरे को बेताब होकर चूमने लगे.
उसको चूमते हुए मैं उसके नीचे के इलाके में आ गया और उसकी सलवार खोलने लगा. नाड़ा ढीला किया और सलवार के साथ में उसकी चड्डी भी खींच दी.
चूत दिखी तो बस कमाल ही हो गया, मैं तो बस देखता ही रह गया.
एकदम साफ़ और गोरी चूत, जैसे किसी इंग्लिश पोर्नस्टार की चूत हो. उसकी गोरी चूत पर एक भी बाल नहीं था. चूत भी ऐसी लग रही थी मानो किसी 18-19 साल की लड़की की चुत हो, जो आज तक कभी ना चुदी हो.
मुझे यूं घूरते देख कर वो बोल पड़ी- इतना घूर कर क्या देख रहे हो? कभी चूत नहीं देखी क्या?
मैंने बोला- चूत तो बहुत देखी हैं, मगर सिर्फ पोर्न फिल्मों में ही देखी हैं.
तब उसने बोला- मतलब तुम अभी तक कुंवारे हो??
मैंने भी हाँ में सर हिला दिया तो उसने कहा- मैंने भी काफ़ी टाइम से सेक्स नहीं किया है.
वो तो मुझे भी उसकी कसी हुई चूत देख कर ही समझ आ गया था.
फिर उसने बताया कि उसके पति का ट्रान्सपोर्ट का बिज़नेस है और वो ज़्यादातर टाइम बाहर ही रहते हैं. उनको इतने अच्छे जिस्म की कोई कद्र ही नहीं है.
मैंने उसको चूमते हुए बोला- चिंता मत करो.. मैं हूँ ना कद्र करने के लिए.
मैंने उसे 69 की पोजिशन में ले लिया और उसकी चूत कुत्ते की तरह चाटने लगा. वो भी मेरा लंड लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी. कुछ ही देर में हम दोनों झड़ गए और दो मिनट के लिए यूं ही चिपके पड़े रहे.
फ़िर मैं उसके ऊपर आकर उसके अँगों के साथ खेलने लगा.
थोड़ी देर में हम दोनों फ़िर तैयार हो गए और इस बार चोदने के लिए लंड बेताब था.
मैं उठा और चूमते हुए उसकी चूत पर लंड सैट करने लगा लेकिन मेरा पहली बार था और बस में काफ़ी अँधेरा भी था, तो मुझसे नहीं हो पाया. फ़िर उसने मेरी मदद की और लंड को पकड़ कर अपनी चुत के मुहाने पर सैट किया. जैसे ही मैं लंड डालने लगा, वो चीख पड़ी. क्योंकि उसने भी महीनों से सेक्स नहीं किया था. मैंने उसके मुँह पे उसका दुपट्टा बाँध दिया और दोनों हाथ पकड़ कर मेरी गांड की तरफ़ पीछे ले लिए और लंड डालने लगा. जैसे तैसे 4-5 धक्कों में आधा अन्दर गया.
वो ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… नहीं… छोड़ो… जाने दो..’ ये सब कह कर रोने लगी.
फ़िर लेकिन मैं भी अपनी धुन में लगा रहा और मैंने थोड़ा अन्दर बाहर किया तो उसे भी मज़ा आने लगा. अब वो अपनी चूत में बस की रफ्तार के साथ मेरी भी रफ्तार महसूस कर रही थी और मस्ती से गांड उछाल उछाल कर मेरे साथ दे रही थी. इस धकापेल चुदाई में वो 5 मिनट में ही झड़ गयी, लेकिन मैं सेक्स करने से पहले ही दो बार अपना माल निकाल चुका था तो मैं आधा घंटे तक धकापेल उसे चोदता रहा. इसी बीच वो 2 बार और झड़ गयी.
फिर मैं भी झड़ गया और उसके ऊपर ही लेट गया. उसने मुझे चूमा और पूछा- कितने बज गए?
मैंने देखा तो 4:30 बज गए थे.
फ़िर हम दोनों ने कपड़े पहने और मैंने उसकी बेटी को फ़िर से उसकी सीट पे सुला दिया.
एक घंटे बाद 5 बजे जामनगर आ गया और हम उतरने लगे. उसने मुझे अपना फोन नंबर और पता बता दिया और चली गयी.
अब तो बस मैं उसके वापस मायके से लौटने का इन्तज़ार कर रहा हूँ.
दोस्तो कैसी लगी मेरी सेक्स स्टोरी.. मुझे ई-मेल करके ज़रूर बताना, मेरा ई-मेल आईडी है.
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