बिन मांगे चूत मिली, मांगे मिली ना जॉब
(Bin Mange Choot Mili, Mange Mili Na Job)
मैं जय…
आपने मेरी पहली हिंदी सेक्सी स्टोरी
मस्त मणिपुरी भाभी की चूत की चुदाई
पढ़ी।
आज अपने जीवन का एक और मस्त सेक्स अनुभव बताने जा रहा हूँ, आशा करता हूँ कि आप लोगों को यह सेक्सी स्टोरी भी पसंद आएगी।
मैं दिखने में स्लिम हूँ, मेरा लंड 6 इंच लंबा और चूत चोदने में इतना अधिक अनुभवी है कि ये किसी भी चूत के अन्दर उबाल ला कर रख दे।
यह बात तब की है.. जब मेरी पढ़ाई पूरी हो गई थी, मैकेनिकल की डिग्री पाने के बाद मैं जॉब ढूंढता हुआ दमन चला गया। लगभग 4 महीने बाद भी मुझे जॉब नहीं मिली। अब तो मुझे पैसों की भी बहुत ज़रूरत हो गई थी।
एक दिन इंटरव्यू के बाद मैं शाम को अपने ख्यालों में खोया अपने कमरे की तरफ लौट रहा था.. तभी मेरे पीछे एक कार ने ब्रेक लगा दिए.. मेरा एक्सिडेंट होते-होते रह गया, मैं मूर्ति की तरह वहीं खड़ा हो गया।
तभी अचानक कार का दरवाजा खुला.. उसमें से एक सुंदर औरत निकली, वो मेरे पास आई और जोर से बोली- मरने के लिए मेरी ही कार मिली थी क्या?
मैं काफ़ी परेशान था.. इसलिए मैंने सिर्फ़ सॉरी कहा और अपनी फाइल उठा कर जाने लगा।
उसे लगा कि शायद मैं परेशान हूँ.. इसलिए वो मेरे पास आई और बोली- आई एम सॉरी, मुझे लगता है आप बहुत परेशान हो?
मैंने मुड़कर उसे देखा, वो बहुत ही खूबसूरत थी, उसके दूध टी-शर्ट से बाहर आने को बेताब थे और चूतड़ तो जीन्स में फिट बैठ ही नहीं रहे थे। उसका फिगर 36-30-34 का रहा होगा।
मैं उससे बोला- आप क्यों ‘सॉरी’ बोल रही हो.. ग़लती मेरी ही है, मुझे ही देख के चलना चाहिए था, मैं सड़क के बीच में चल रहा था।
उसने बोला- आप काफ़ी परेशान नज़र आ रहे हैं.. चलिए मैं आपको आपके घर तक छोड़ दूँ!
वो इतने प्यार से बोली कि मैं मना ही नहीं कर पाया और उसकी कार में बैठ गया। उसने बड़े प्यार से मुझे देखा और कार स्टार्ट करके आगे बढ़ा दी।
थोड़ी देर के बाद वो बोली- कुछ बताओगे.. क्या बात है.. बहुत परेशान लग रहे हो?
मैं बोला- नहीं ऐसा कुछ नहीं है।
वो मेरी तरफ देख कर बोली- झूट मत बोलिए.. आपका चेहरा साफ बता रहा है।
मैं बोला- हाँ परेशान तो हूँ.. पिछले 4 महीने से जॉब की तलाश में हूँ। नौकरी नहीं मिल रही है और पैसे खत्म होने वाले हैं.. समझ में ही नहीं आ रहा है क्या करूँ?
उसने बोला- यहाँ कहाँ रहते हो?
मैंने उसे अपना पता बताया।
वो बोली- कमरा ले कर रहते हो?
मैंने ‘हाँ’ कहा।
उसने पूछा- क्या नाम है तुम्हारा?
‘जय वर्मा..’
उसने मुझे देखा और बोली- देखो मेरे पास तुम्हारे एक पार्ट-टाइम लायक काम है.. इसमें तुम्हें पैसे भी मिलेंगे और मजा भी आएगा।
मैं कुछ समझा नहीं, मैंने उसे इसके बारे में पूछा तो वो बोली- धीरे-धीरे सब समझ जाओगे.. बस तुम्हें वही करना होगा, जो मैं कहूँ। वैसे अगर अभी तुम्हारे पास वक्त हो तो मेरे साथ चलो.. मैं तुम्हें सब बताती हूँ।
मैंने उससे कहा- मैडम बेरोज़गार के पास हमेशा वक्त ही वक्त होता है।
उसने मुझे मुस्कुरा कर देखा और कार वापस मोड़ दी।
कुछ ही देर में कार एक घर पर जाकर रुकी.. शायद उसका घर था, ये बहुत बड़ा था।
उसने मुझे अन्दर लाकर सोफे पर बिठाया और पूछा- कुछ खाना वगैरह खाओगे?
मुझे भूख तो लगी थी.. लेकिन मैंने मना कर दिया।
उसने कहा- थोड़ा खा लो।
हम दोनों ने खाना खाया।
उसके बाद उसने मुझसे कहा- चलो अब जॉब की बात करते हैं।
मैंने कहा- ठीक है।
हम लोग सोफे पर बैठ गए.. अबकी बार वो मुझसे चिपक कर बैठ गई। उसके करीब आने से मेरा लंड खड़ा हो रहा था।
उसने बोला- जय, मेरे पति हमेशा काम के सिलसिले में बाहर रहते हैं.. मुझे एक ऐसे लड़के की तलाश है, जो मेरे साथ इस अकेले घर में रह सके और मेरी तन्हाइयों को बाँट सके।
अभी मैं कुछ समझता तभी उसने मेरे लंड पर हाथ रखा और बोली- तुम समझ रहे हो ना?
मैंने तुरंत अपना हाथ उसके चुची पर रखते हुए कहा- हाँ मैडम, क्यों नहीं!
वो खुश हुई तो मैं उसके चुची को जोर-जोर से दबाने लगा। उसकी टी-शर्ट से उसकी चुची बाहर आने को बेताब थी।
उसने मेरी तरफ देखा तो मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और हमने एक-दूसरे को कस के पकड़ लिया। हम दोनों जैसे एक-दूसरे के अन्दर समाने की कोशिश कर रहे थे।
मैंने अपना एक हाथ उसकी चूत के ऊपर रख दिया और जीन्स के ऊपर से ही उसे मसलने लगा।
वो अपना आपा खो बैठी और बोली- आह.. मेरे यार… मसल दे.. आज इस साली चूत को.. साली बहुत दिनों से परेशान कर रही है।
उसके ऐसा कहते ही मेरे अन्दर नया जोश आ गया.. मैंने उसे सोफे पर लिटा दिया और उसकी जीन्स उतारने लगा। उसने भी अपनी गांड उठा कर जीन्स उतारने में मेरी मदद की।
अब वो गुलाबी रंग की पेंटी में थी। अरे उसे पेंटी क्या कहूँ साली सिर्फ़ एक तिकोना कपड़ा थी.. जो सिर्फ़ चूत को ढक रही थी।
अमीर लोग ऐसे ही होते हैं, पैसे होते हैं पर पूरे कपड़े नहीं होते हैं।
मैंने अपने होंठ उसकी गर्दन पर रख दिए और उसे चूमने लगा.. साथ ही ऊपर से ही उसकी चूत पर दबाव बढ़ा दिया। मैं अब उसके ऊपर पूरा चढ़ गया था.. उसके मम्मों की नोक मेरे सीने पर चुभ रही थी। मैंने उसकी टी-शर्ट को पकड़ कर ऊपर को खींचा.. उसने भी हाथ ऊपर करते हुए टी-शर्ट उतारने में मेरी मदद की।
अगले ही पल वो मेरे सामने सिर्फ़ ब्रा और पेंटी में थी। मैंने ज़िंदगी में पहली बार किसी लुगाई को ऐसी हालत में देखा था.. मैं तो पागल सा हो गया था।
अचानक वो बोली- मेरे पप्पू.. आज तुमने अगर मुझे औरत होने का पूरा अहसास करा दिया तो मैं तुम्हारी ज़िंदगी बदल के रख दूँगी।
मैं बोला- मैडम आप जैसा कहेंगी.. मैं वैसा ही करूँगा।
वो बोली- मेरे राजा मेरी चूत को चाट-चाट के लाल कर दो।
मैंने अपना मुँह उसकी चूत में लगाया और पेंटी के ऊपर से ही उसे मुँह में भरने की कोशिश करने लगा।
वो तड़प उठी और नशीली आवाज़ में बोली- ओह मेरे राजा, चोद दे साली को जोर-जोर से अपने लौड़े से.. आह..
मैंने अपने मुँह से उसकी पेंटी को नीचे खिसकाया.. उसकी चूत क्या क़यामत लग रही थी। झांटों से भरी हुई चूत चॉकलेट की तरह लग रही थी। ऐसे लग रहा था कि बस खा जाओ उसे। मैंने अपना मुँह उसकी चूत में लगा दिया और जीभ से उसके चूत के दाने को सहलाने लगा। वो तड़प उठी.. और अपने हाथ को मेरे सर पर फिराने लगी।
मैंने उसके दाने को दाँत से थोड़ा काटा तो वो धक्का देकर मेरे सर को अलग करने लगी, पर मैंने जोर से उसके दाने को मसल दिया!
वो तड़प उठी और बोली- मेरे राजा.. अपना लंड भी दो.. आज मैं भी लंड चूसना चाहती हूँ।
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मैंने खड़े होकर अपनी पैंट को उतार दिया.. उसने अपने हाथ से मेरी अंडरवियर को उतारा और लॉलीपॉप की तरह मेरे लंड को चूसने लगी।
हाय… वो अहसास मैं कभी भूल नहीं सकता और शब्दों में तो बयान ही नहीं कर सकता।
थोड़ी देर बाद हम लोग 69 पोज़िशन में आ गए.. हम दोनों एक-दूसरे के गुप्तांगों को मुँह में ले कर चूस और चाट रहे थे।
अब वो बोली- मेरे राजा.. अब देर ना करो.. चोद दो मेरी इस निगोड़ी चूत को!
मैंने अपनी स्थिति बदली और उसे सोफे की मदद से घोड़ी बना दिया। उसके पीछे से मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रख कर एक धक्का लगा दिया।
लंड क्या घुसा.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… वो दर्द से कराह उठी, मैं थोड़ा रुका और फिर से जोर लगा दिया। मेरा लंड पूरा उसकी चूत के अन्दर था। अब मैं धीरे-धीरे अपने लंड को चूत के अन्दर-बाहर करने लगा था। वो अपनी गांड हिला-हिला कर मेरी मदद कर रही थी।
कुछ 5 मिनट की चुदाई के बाद मैंने फिर उसे सोफे पर लिटाया और उसके ऊपर चढ़ गया। इस बार उसकी चूत ने एक ही बार में मेरा पूरा का पूरा लंड अन्दर ले लिया।
मैंने भी हचक कर धक्के लगाने चालू कर दिए। दस मिनट तक मैं उसे धकापेल चोदता रहा। फिर हम दोनों एक साथ चरमसीमा पर पहुँच गए।
मैं बोला- मेरा होने वाला है मैडम, कहाँ गिराऊँ?
उसने लंबी सांस लेते हुए कहा- अह.. भर दे साली चूत को, बहुत दिनों से खूब प्यासी थी ना.. सब पी लेगी।
मैंने उसकी चूत में अपना सारा माल छोड़ दिया..
माल छोड़ने के बाद भी कुछ पल मैं उसके ऊपर ही लेटा रहा।
फिर उसने कहा- चलो नहा लेते हैं।
हम दोनों साथ में नहाने के चले गए। बाथरूम में हम दोनों साथ में मूत रहे थे तो वो बोली- पप्पू मेरी झाँटें साफ कर दो ना प्लीज़..
मैंने कहा- ठीक है।
मैंने उसे एक स्टूल पर बिठाया और शेविंग किट उठाई, ब्रश से उसकी चूत पर झाग बनाया, फिर रेज़र से उसकी चूत को साफ करने लगा।
उसने मेरा लंड पकड़ लिया और उसके साथ खेलने लगी।
उसकी चूत को साफ करके मैंने उसे धो दिया.. वो बड़ी खुश हो गई थी।
उस रात मैंने उसे 3 बार चोदा।
सुबह जब मैं निकल रहा था तो उसने मुझे चार हज़ार रुपये दिए।
इसके बाद तो वो मुझे अक्सर अपनी चूत मरवाने के लिए बुलाने लगी। कभी-कभी वो अपनी सहेलियों को भी मुझसे चुदवाती है। उसकी सहेलियों को मैंने कैसे चोदा वो मैं आपको अपनी अगली स्टोरी में बताऊँगा।
मेरी हिंदी सेक्सी स्टोरी आपको कैसी लगी.. मेल करना ना भूलें।
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