गाँव की हर औरत की पसंद का एक ही लंड

(Big Lund Xxx Kahani)

सपना जैन 2024-05-11 Comments

बिग लंड Xxx कहानी में मेरी शादी हुई तो गाँव में पता लगा कि सभी भाभियाँ औरतें लड़कियां एक आदमी के लंड की दीवानी थी. मुझे बुरा लगा. लेकिन एक दिन मैं भी उस लंड से चुद गयी.

नमस्कार दोस्तो, मुझे कहानी लिखते काफी समय हो गया है और मेरी कहानियां आप सभी को बहुत पसंद आती हैं.
मेरी कहानियों को लोकप्रियता का अंदाजा मुझे आपके मेल्स से मिलता है.

लोग कहते हैं- सपना जी, आपका कहानी लिखने का अंदाज बहुत अच्छा है. आपकी कहानियां पढ़ कर मन उत्तेजित हो जाता है.
यह जानकर मुझे काफी खुशी मिलती है. मेरी इतनी प्रशंसा के लिए बहुत धन्यवाद.

मेरी पिछली कहानी थी: सपना का मनपसंद लंड का सपना पूरा हुआ

कुछ फैंस हैं, जो अपनी कहानियां मुझसे लिखवाना चाहते हैं.

वैसे तो मुझे अन्तर्वासना के लिए कहानी लिखने का बहुत कम समय मिल पाता है, पर आपके लिए आना पड़ता है.
आप में से ही एक फैन रेखा जी का मेल मुझे कुछ दिन पूर्व आया था.
उनसे संपर्क होने बाद उन्होंने कॉल पर मुझे अपनी कहानी बताई.

मुझे सेक्स कहानी काफी उत्तेजक लगी, तो मैं वह बिग लंड Xxx कहानी आज आपके साथ साझा कर रही हूँ.
आगे की कहानी रेखा जी की है.

यह कहानी सुनें.

दोस्तो, मैं रेखा … अन्तर्वासना को काफी समय से पढ़ रही हूँ.
मैं सोचती थी कि लोग ऐसे कैसे चुदाई कर लेते हैं और इतनी वासना कैसे आ जाती है.

पर जब मेरे साथ यह सब हुआ, तब मेरे लिए भी यकीन कर पाना मुश्किल था.

पर जो मजा और सुकून मुझे चुदाई के बाद मिला, वह शायद मैं लिख न पाऊं.
मैं कोशिश करके वह सब इस बिग लंड Xxx कहानी में बता रही हूँ, जो मेरे साथ हुआ.

तब मेरी नई नई शादी हुई थी.
सुहागरात को मेरी पहली चुदाई हुई थी जो मुझे बहुत दर्द दे गई.

हफ्ते भर में मुझे लंड लेने की आदत हो गई; मुझे सेक्स अब अच्छा लगने लगा.

मेरे पति की पहले से एक बीवी थी जो उन्हें छोड़ कर मायके चली गई थी.

लेकिन तब भी वे अक्सर अपनी पहली बीवी से छुप कर भी मिलते थे.
यह बात मुझे वहीं की सहेलियों से पता चली.

मुझे यह जानकर बहुत बुरा लगता था, पर क्या ही कर सकती थी.
मैंने लड़ाई की, पर उन्होंने मुझसे बात करना बंद कर दिया.

मैं गांव में नहीं रहना चाहती थी, पर मैं गांव की ही थी.
मजबूरी में मुझे गांव में ही रहना पड़ा.

शादी को एक महीना हो गया था.
हमारे बीच सेक्स भी बंद हो गया था.
शादी से अब तक मैं ज्यादा बार नहीं चुदी थी.

गांव में हमारे बड़े बड़े खेत थे और वहां सब मिल-जुल कर काम करते थे.

एक दिन मैंने अपनी कुछ गांव वाली सहेलियों से बात करके सुना कि उनमें से एक ने कल एक गांव के मर्द प्रेम जी से चुदाई की है.

मैंने उससे कहा- छी: क्या औरत हो तुम … किसी से भी चुदाई कर लेती हो?
तो इस बात पर वे सब एक साथ बोलीं- किसी से नहीं, प्रेम जी से … यहां रहने वाली हर औरत उनसे चुदने को मरती है. उनका लंड इतना ज्यादा मस्त है कि जो एक बार देख भर ले, वह लिए बिना भी रह पाती है. उन्होंने शादी भी यहां रहने वाली औरतों के लिए नहीं की.

मैंने पूछा- फिर यहां के लोगों को नहीं पता चलता?
जो चुदी थी, वह बोली- यार, ऐसे शक तो होता है, पर पता नहीं चलता. यहां के काफी सारे मर्द भी प्रेम जी के लंड का स्वाद ले चुके हैं. उनके लंड की बात ही निराली है.

इतना सब सुनकर मेरी चूत में बहुत खुजली होने लग गई थी.
अब मुझे भी एक बार प्रेम जी का लंड देखना था कि आखिर ऐसी क्या बात है प्रेम जी के लंड में कि औरतें उनके लौड़े के लिए पागल हैं.

शाम तक मैंने अपना सारा काम खत्म किया और घर आ गई.

मैंने कोशिश की कि कल प्रेम जी को बुलवा लूँ, पर बंदोबस्त नहीं हुआ.

रात को मुझे पता चला कि मेरे पति बाहर गए हैं.
पर मुझे यह नहीं पता था कि वे कहां गए हैं.

पूरी रात बस यही सब सोचने में निकल गई कि प्रेम जी का लंड लिया जाए या नहीं … और लिया जाए तो कैसे?

अगली सुबह खेत में काम करने बाद मेरी कमर में मोच आ गई तो मुझे बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था.

मुझे इतने दर्द में देख एक लड़की बोली कि वह अपने ताऊ को बुला कर लाती है. उन्हें मोच सही करना आता है.

मैंने मना किया क्योंकि गांव में यह सब करवाने में शर्म आना लाजिमी था.

मगर वह लड़की नहीं मानी और एक अच्छी कद काठी वाले चाचा को वहीं खेत में ले आई.
चाचा जी काफी लम्बे और हट्टे कट्टे थे.

उन्होंने मुझे वहां एक झोपड़ी में आने के लिए कहा.
मुझे लिटाया और मेरी कमर पर हल्का हल्का हाथ घुमाया.

मुझे बहुत दर्द था.
उन्होंने मुझे खड़ा किया और एक दबाव से मेरी नस खोल दी.
उससे मेरा दर्द बहुत कम हो गया.

फिर उन्होंने मुझे झुकाया और पीछे से हल्के हाथों से प्रेशर दिया.
उस स्थिति में मैं उन चाचा जी के सामने घोड़ी सी बन गई थी.

मुझे बहुत ज्यादा उत्तेजना हो रही थी.
मैंने अपनी पूरी गांड उनके लंड से सटा दी.

उन्होंने भी एक जोर का धक्का मेरी गांड में दे मारा और मेरी कमर से कट की आवाज आई.
उसके बाद मेरी कमर का सारा दर्द गायब हो गया.

उन्होंने मुझसे कहा- अब दर्द हो, तो तेल की मालिश कर लेना.
मैंने हां भर दी.

वे मेरी गांड से लंड लगा कर कुछ देर और मेरी मालिश जैसी करते रहे.
उनका लंड एकदम से कड़क हो गया था.

मेरी सिट्टी पिट्टी गुम हो गई थी क्योंकि उनका लंड सरिए सा सख्त हो गया था और मुझे सुखद लग रहा था.

कुछ देर बाद वे चाचा जी झोपड़ी से बाहर निकले.
उनके पीछे पीछे मैं भी बाहर आ गई.

यह नजारा वहां खड़ी मेरी एक सहेली ने देख लिया.

खाने के टाइम वह मुझसे मिली और बोली- वाह रेखा, कल तो तू बड़ा छी छी कर रही थी. आखिर प्रेम जी के लंड ने तुझे भी घोड़ी बना ही दिया ना!
मैंने कहा- नहीं नहीं, प्रेम जी को मैं नहीं जानती.

मैंने उसे सारी बात बताई.
वह बोली- थू है तेरे ऊपर. इतना अच्छा मौका गंवा दिया. एक बार प्रेम जी का लंड लेकर तो देखती, फिर तुझे समझ आती.

मैंने उससे कहा- चल हट, मैं वैसी नहीं हूँ.
वह हंसने लगी.

मुझे मालूम ही नहीं चल सका था कि वे चाचा जी ही प्रेम जी थे.

दोस्तो, मैं बाहर से कितना ही मना कर रही थी पर अन्दर से मैं अब प्रेम जी का लंड लेने के लिए मरी जा रही थी.

आस पड़ोस की कुछ बेटियां मायके आई हुई थी.
शाम को हम सब बातें कर रहे थे तो प्रेम जी वहां से जा रहे थे.
उन्होंने मुझे पास बुलाया और पूछा- अब ठीक हो?
मैंने उन्हें शुक्रिया बोला.

उन्होंने स्माइल दी और चले गए.
मैं वापस आकर बैठ गई.

वे सब बोलीं- क्या भाभी जी अभी से?
मैंने कहा- क्या अभी से?

उन्होंने कहा- आपको प्रेम ने कितनी बार घोड़ी बनाया?
मैं क्या जवाब देती.

उन्होंने कहा- शर्माओ मत भाभी जी, हम सब भी शादी के पहले खूब खेतों झोपड़ी और तबेलों में प्रेम जी के लंड की सवारी कर चुकी हैं.
उनमें से सबसे छोटी जो अभी 24 की होगी, वह बोली- मैंने तो जवानी लगते ही प्रेम जी का लंड पकड़ लिया था. आज तक जब भी घर आती हूँ, चूस चूस कर ले लेती हूँ.

यह सब सुनकर मेरी उत्तेजना अब आसमान छू रही थी कि यार कितनों की ली है इसने, जो सब इतना बता रही है.

मैंने उससे ज्यादा पूछा, तो उसने बताया कि अब तक हमें जितना पता गांव और आस-पास गांव से कई औरतें प्रेम जी से अपनी फुद्दी मरवाती हैं … और ये बूढ़ा भी कम नहीं है. कई औषधियां लेता है और दमदार चोदता है. सब औरतें इसलिए चुदाती हैं क्योंकि ये अपना लंड दिखा दिखा कर सबकी वासना जगाता है.

मैंने पूछा- ऐसे कितना बड़ा है इसका लंड?
बड़ी दीदी ने मेरा हाथ पकड़ा और बोला- तुम्हारी तो चीखें निकाल दे, इतना बड़ा है … और छेद को फाड़ कर रख दे इतना मोटा है.

मेरा पूरा शरीर पानी पानी हो गया.

मुझे इतना पता था कि लंड चाहे कैसा भी हो, औरत का भोसड़ा उसे खा ही लेता है.
मेरे अन्दर की भूखी औरत बाहर आ गई थी.

अगली सुबह मैं खेत में काम कर रही थी.
मैं मिट्टी में से फालतू पौधे निकाल रही थी.

मेरे साथ मेरी एक सहेली भी थी.
उसने मुझसे कहा- क्या हुआ, कुछ बोल तो!
मैंने कहा- यार मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा … अब मुझे प्रेम जी का लंड चाहिए है, पर दिमाग मना कर रहा है.
उसने फटाक से मेरे हाथ को पकड़ा और बोली- ऐसे समय को हालत पर छोड़ दे, अगर मिलना हुआ, तो मिल जाएगा.

मैं थोड़ा शांत हुई और काम में मन लगाने लगी.
दोपहर में बहुत अच्छी बारिश हो रही थी.
उस वजह से मुझे पानी रोकना था.

मैं मेड़ बनाने खेत के छोर तक चली गई.
वहां काम करते करते फिसल गई और मुझे बहुत ज्यादा लग गई.

मेरे घर में इस वक्त मेरे ससुर के अलावा कोई नहीं था.
उन्होंने कुछ औरतें बुला कर जैसे तैसे मुझे घर पर बुलाया.
मैंने कहा- मेरी पीठ अकड़ गई है, बहुत दर्द हो रहा है.

उन्होंने प्रेम जी को बुलवाने को कह दिया.
उस बात से मुझे थोड़ा सुकून मिला.

प्रेम जी ने मुझे देख कर पहले थोड़ी पट्टी कर दी और मेरे घाव ठीक किए.

फिर कहा कि पल्लू नीचे लो और थोड़ा खोलो.
मैंने अपनी पूरी नंगी पीठ उनके सामने कर दी.

उन्होंने मेरी पीठ पर हल्के हाथों से मालिश की, तो मेरी सांसें तेज हो गईं.

मैं आह्ह्ह आह्ह करने लगी.
कुछ दवा देकर वे चले गए.

दो दिन बाद मैं कुछ ठीक हुई.
मेरे पति अभी भी घर वापस नहीं आए थे.
वे काम से शहर में ही रहे.

उसी शाम को मेरे ससुर जी भी काम से बाहर चले गए.
घर में मैं अकेली रह गई.

मैंने तेज दर्द का नाटक कर प्रेम जी को बुला लिया और उनसे बोला कि मेरी कमर अभी भी दुख रही है.

उन्होंने कहा- देखूं जरा.
मैंने फटाक से ऊपर का पल्लू नीचे तक गिरा दिया व उनके सामने लेट गई.

उन्होंने हल्के हाथ से फिर मालिश की और पूछा कि ज्यादा दर्द हो रहा है?
मैंने कहा- ज्यादा नहीं, बहुत दर्द है.

उन्होंने मेरी तरफ देखा और बोले- कुछ दवा देता हूँ. अभी ले लो!
मैंने हां में सर हिलाया.

उन्होंने कहा- हाथ आगे लाओ.
मैंने खड़े होकर हाथ आगे किया.

उन्होंने फट से अपना लंड बाहर निकाल कर मेरे हाथ में धर दिया और बोले- इसे तुरंत ले लो. शुरू में थोड़ा दर्द होगा लेकिन बाद में आराम ही आराम हो जाएगा, नाच उठोगी.
मैंने हंस कर देखा.

उनका लंड मेरे हाथ में पूरा नहीं आ रहा था.
उनके लंड की नसें उभरी हुई थीं, जो बहुत अच्छी लग रही थीं.
काफी मोटा भी था, पर लम्बा उतना नहीं था.

उनके लंड को उम्र की दीमक ने निगला नहीं था … और वह सख्त तो इतना लग था कि लोहे का सरिया हो.

मैं उनके लौड़े को देख ही रही थी कि उन्होंने मेरा सर पकड़ कर पूरा लंड मेरे गले में उतार दिया और अन्दर बाहर करने लगे.
मैंने पहली बार कोई लंड मुँह में लिया था. मुझे बहुत तेज खांसी आई.

मैंने लंड बाहर निकाला और खांसने लगी.

उन्होंने कहा- क्या री छमिया … पहली बार लंड ली हो क्या?
मैंने बोला- हां मुँह में पहली बार लिया है.

उन्होंने फिर से मुझे लंड थमा दिया.
अब धीरे धीरे ऊपर से मैं लंड चूमने चाटने लगी.

उन्होंने मुझे लिटाया, मेरा घाघरा ऊपर किया और पैंटी निकाल फेंकी.
मेरी चूत देख कर बोले- तू तो लंड के लिए तैयार थी.

मेरी फुद्दी पूरी साफ थी.
मैंने हंस कर उनकी पीठ पर हाथ रखा. उन्होंने मेरी टांगें फैलाईं और अपना लंड मेरी जांघों के बीच सैट कर दिया.

मेरे मुँह पर अपना हाथ रख दिया और पेलने के लिए रेडी हो गए.
मैंने भी अपनी दोनों आंखें बंद कर लीं, दोनों हाथ से बिस्तर को कस कर पकड़ लिया.

उन्होंने धीरे धीरे मेरी फुद्दी में Xxx लंड घुसाया.
मैं दर्द के मारे चीखने वाली थी पर चाचा जी ने मेरा मुँह दबा रखा था.

पर मैं पूरा ऊपर को सरक गई.
उन्होंने मुझे चांटा मारा और पूरा दबा दिया.
मैं किसी मासूम मेमने की तरह सांड के नीचे आ गई थी.

उन्होंने बिल्कुल भी दया नहीं दिखाते हुए मेरा छेदा पूरा फाड़ कर भोसड़ा बना दिया.
दर्द के मारे मेरी जान निकल गई थी.

वह भी काफी मुश्किल में थे.
उन्होंने खुद को पूरा मेरे ऊपर सैट किया और धक्के पर धक्के लगाए.

मैं चूं भी नहीं कर पा रही थी, पर मेरी आंखें पानी से भर गई थीं.
उन्होंने मुझसे कहा- चलो कुछ नहीं हुआ … अब मजा लो.

मैंने खुद को इतना बेबस महसूस किया कि क्या ही बताऊं!
उनके धक्कों से मेरी चूत फट चुकी थी.

उन्होंने जबरदस्त धक्के लगाए और मेरी चूत पानी पानी कर दी.
उसके बाद मेरा दर्द काफी कम हो गया था.

मैंने उनको अपनी बांहों में भर लिया और लटक गई.

अब वह और तेज मेरी चूत बजाने लगे.
मैं मासूम सी, वे सांड से पागल मदांध मुझे रौंद रहे थे.

उन्होंने मुझे जो बजाया था, उससे चूत का बाजा बजा नहीं था बल्कि छेद फट गया था.

उनका लंड धीरे धीरे बहुत गर्म होकर अन्दर आ जा रहा था.
ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने सरिया गर्म करके मेरी चूत में डाला हो.
इतना सख्त कि जान ही निकल जाए.

मेरे भोसड़े का पानी निकल गया था.

करीब आधा घंटा तक चली दमदार चुदाई बाद मुझे मजा आना शुरू हुआ.

मैंने उनको खुद से अलग किया और उन्हें चित कर दिया, खुद उनके ऊपर चढ़ गई.

मैंने धीरे धीरे उनके लंड को सैट किया और चूत में उतार लिया.
उन्होंने मेरी पतली कमर पकड़ी और गांड को कुदा कुदा कर मेरे भोसड़े में अपना लंड पेलने लगे.

मैं पूरे जोश में थी.
उनके लंड की नसें मेरी चूत की दीवारों से रगड़ खा रही थीं और चूत से लगातार पानी निकाल रही थीं.

उन्होंने अपनी धोती पूरी अलग कर दी और मेरी ब्रा भी निकाल दी.

मुझे बोले- घाघरा भी निकाल दो.
पर मैं लंड से उठना नहीं चाहती थी.

मैंने उन्हें पूरा जकड़ लिया और जोर जोर से उनके लंड पर कूदने लगी.
मेरी मदहोशी भरी आह्ह उह्ह की आवाज़ तेज होती जा रही थी.

जितनी तेज मेरी आवाज निकल रही थी, उससे ज्यादा मेरा भोसड़ा बज रहा था.
चुत को उसके अधिकार का लंड मिल रहा था.

मैंने यह भुला दिया कि ये आदमी कई औरतों की प्यास बुझाता है. इस वक्त वह सिर्फ मेरा था.
तब मैंने रुकने की नहीं सोची.

उन्होंने मुझे थोड़ा जोर से दबाया और नीचे धकेल कर बड़ी जोर की पिचकारी मेरी चूत के अन्दर गिरा दी.

मेरी महावारी का दिन नजदीक ही था, तो मैंने भी सारा माल अपनी चूत में ही खाली करवा लिया.

वह झड़ कर बोले- आहा मजा आ गया … तेरी जैसी कच्ची कलियां चोदना मुझे बहुत पसंद है.
मैं उनके लंड पर ही लेटी रही.

हम दोनों थक कर सो गए.

अगली सुबह जल्दी मेरी आंख खुली, मुझे प्रेम जी को बाहर भेजना भी था.
पर उससे पहले मुझे मेरी एक और बार ठुकाई करवानी थी.

मैंने उनका लंड पकड़ कर मसलना शुरू कर दिया.
उनकी नींद भी खुल गई.

थोड़ी ही देर में लंड गर्म होकर खड़ा हो गया.
मैंने थोड़ा उसे साफ किया और थूक लगा कर अच्छे से मसला.

उन्होंने मुझे घोड़ी बनाया और गांड पर बहुत सारा थूक लगाया.

वैसे तो मेरे पति चूत के साथ साथ मेरी गांड भी ठोक चुके थे.
मेरी गांड अब वापस टाइट हो गई थी.

प्रेम जी ने थोड़ा तेल लगाया और धीरे धीरे सारा लंड मेरी गांड में उतार दिया.

मैं छटपटा गई और भागने की कोशिश की पर वह सांड से कैसे बच सकती थी.

प्रेम जी ने मेरे कंधे पकड़े और बोले- ले कुतिया … गांड भी फड़वा ले.
यह कह कर सटाक से सारा लंड मेरी गांड में उतार दिया.

मैं चिल्ला पाती, उससे पहले मेरे मुँह दबा दिया.
मुझे काफी दर्द हुआ, पर इस बार का दर्द 10 से 12 धक्कों बाद चला गया.

मुझे अब मजा आने लगा.
मैं हिल हिल कर गांड में उनके लंड को लेने लगी.

वे बोले- अब हुई न बात … चल मेरी घोड़ी … तेरी गांड फाड़ देता हूँ.
उन्होंने जबरदस्त रफ्तार और पूरी दम से मेरी गांड बजाई.

मैं बहुत थक गई थी और लेट गई थी.
वे मेरे ऊपर चढ़ गए.

मैंने भी उनको पूरा पकड़ा और रेडी हो गई.

उन्होंने एक ही बार में पूरा लंड मेरी चूत में उतार दिया.
मुझे भरपूर मजा ही आ गया था.

उनके मोटे Xxx लंड की नसों की रगड़, मेरी चूत को पागल बना रही थी.

मैं अब तक न जाने कितनी बार झड़ गई थी पर प्रेम नामक सांड न जाने क्या लेता था कि थकने का नाम ही नहीं ले रहा था.
फच फच से सारा कमरा गूंज रहा था.

उन्होंने मुझसे कहा- रानी, अब मेरा सारा रस पी ले.
मैंने कहा- नहीं, मेरे चेहरे पर गिरा दो.

वे जल्दी से चुत से लंड निकाल कर मेरे चेहरे पर लंड लाए और थोड़ा मसलते हुए एक तेज धार से झड़ने लगे.
उन्होंने मेरा पूरा चेहरा भर दिया.

रात के मुकाबले रस कम निकला था, फिर भी मेरा पूरा चेहरा ढक गया था.
उन्होंने कपड़े पहने और चले गए.

मैंने ऐसी रात की कल्पना शादी से पहले अन्तर्वासना पढ़ कर कई बार की थी.

मुझे उम्मीद नहीं थी, पर मुझे अब समझ आ गया था कि क्यों यहां की औरतें प्रेम जी के लंड के लिए पागल हैं.
मुझे भी उन्हीं औरतों की तरह उनका लंड बहुत पसंद आया और मैं खुल कर चुदी थी.

आपको मेरी बिग लंड Xxx कहानी कैसी लगी, प्लीज बताएं.
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