ऑस्ट्रेलिया की बुलबुल रानी -7

(Australia Ki Bulbul Rani-7)

चूतेश 2015-10-24 Comments

This story is part of a series:

मेरी गीली जीभ उसकी चूत के आस पास के बदन पर फिरने से उसे बहुत मज़ा आने लगा था।

जब सारा चूत प्रदेश भल भांति साफ़ हो गया तो मैं उठकर रानी की बगल में बैठ गया और उसके शरीर को हौले हौले सहलाते हुए दबाने लगा।
मैं अपने अनुभव से जानता हूँ कि चरम सीमा तक ले जाई गई चुदाई के बाद लड़कियों को कुछ कमज़ोरी सी महसूस होती है और प्रेमी द्वारा प्यार से बदन दबाने से वो दूर हो जाया करती है।

कुछ देर के बाद रानी ज़रा वापिस सुध बुध में लौटी तो पुचकारते हुए बोली- राजे… जानु… तूने बड़ा मज़ा दिया… आजा मेरे बच्चे, मैं तेरे को भी आज चाट के ही साफ करुँगी… आजा मेरे राजा…आजा अपनी मॉम के पास लौड़ा ले आ… आजा राजा बेटे !

मैं लौड़ा बुलबुल रानी के मुंह के करीब ले गया, रानी ने बड़े दुलार से उसको अच्छे से चाट के साफ किया।
फिर कहने लगी- राजे… ये मैंने आज तुझसे ही सीखा है कि चुदाई के बाद पार्टनर को साफ भी करना चाहिए… मेरे राजा को मैं नहीं साफ करुँगी तो और कौन करेगा? …सच कहूँ तो बहुत अच्छा लगा… लौड़ा साफ भी हो गया… मुझको राजा के मक्खन का स्वाद भी मिल गया… राजे बहुत प्यार आ रहा है तेरे पर…

मैं उसके चूचे सहलाता हुआ बोला- हाँ रानी, चुदाई के बाद चाटने से बहुत अधिक प्यार आता है… मुझे भी तेरे पर बेहद प्यार आ रहा है..

रानी ने मस्ता कर मेरा चेहरा हाथों में लेकर खूब चुम्मियाँ दागीं, फिर बोली- चल राजे रूम में चलते हैं… मुझको बाथरूम जाना है…
मैं- अरे रानी, रूम में जाने की क्या ज़रूरत है… चल वहाँ जंगल में चलते हैं… तू आज खुले में सू सू करने का मज़ा भी लूट… लड़कियों को यह वाला मज़ा कहाँ मिलता है… चल उठ मेरी जान..

बुलबुल रानी ने अलसाते हुए कहा- ऊऊं… यार अब दिल तो मेरा भी कर रहा है… मैंने तो आज तक कभी खुले में सु सु नहीं की… लेकिन जब देखती हूँ लड़के कहीं भी शुरू हो जाते हैं तो दिल मेरा भी करता है… चल चलते हैं आज जंगल में ही सही… बहनचोद तेरे साथ होते हुए तो कर ही लूँ सभी ऊटपटांग काम…

मैंने उसको गोदी में उठा लिया और बोला- अरे नहीं जान…ये खादिम किसलिए है… रानी जी के नाज़ुक कदम थक जायेंगे…
बुलबुल रानी के फूल जैसे बदन को उठाये मैं जंगल की तरफ जाने वाली राह पर चल पड़ा। मल्लिका ए आलिया ने बहन मेरी गर्दन में डाल दीं, उसको लगातार चूमता हुआ मैं उसे जंगल को ले चला।

कोई खतरा नहीं था, मुझे मालूम था कि यह प्राइवेट जंगल एक ऊंची चारदीवारी से सुरक्षित है। होटल वाले यहाँ सांप बिच्छू इत्यादि से सुरक्षा के लिए भी ट्रीटमेंट स्प्रे करवाते हैं इसलिए इस जंगल में कभी भी जाना असुरक्षित नहीं है।
जंगल में घूमने के लिए एक पांच फुट चौड़ा पत्थरों का रास्ता बनाया हुआ था जो पूरे जंगल में इधर उधर घूमता हुआ वापिस शुरुआती जगह पर ले आता था।
जगह जगह बेंचें लगाई हुई थीं और रास्ते पर छुपी हुई बहुत हल्की सी रौशनी का प्रबंध था जिससे रास्ता दिख जाता था और रास्ते के नज़दीक लगी हुई बेंच भी जिसकी पीठ रास्ते की तरफ थी। बेंच पर बैठ कर प्रेमी जोड़े चूमा चाटी या चुदाई भी करें तो रास्ते से कुछ दिखाई नहीं देता था।
बेंच पर बैठते ही उसकी पीठ पर लगी एक छोटी सी लाल बत्ती जल जाती थी जिस से चलने वालों को मालूम चल जाए कि ये बेंच खाली नहीं है।

तब तक मैं बुलबुल रानी की अनगिनत चुम्मियाँ ले चूका था कि रानी ने हाँफते हुए कहा- राजे थोड़ा जल्दी कोई जगह देख ले कमीने… रुका नहीं जा रहा… तूने साले इतनी सारी शैम्पेन भी तो पिला दी।

मैंने एक और लम्बी सी चुम्मी लेकर सबसे पहले जो खाली बेंच दिखी उसी में जाकर रानी को उतार के बिठा दिया और झट से उसक फ्रॉक में मुंह डाल के चूत से लगा दिया।

रानी बोली- राजे मुझे मूतना है… तुझे उसके बाद चुसवा दूंगी न राजे… बहुत ज़ोर से लगी हैं जानू!
मैंने कहा- रानी मैं वही तो पीने के लिए नीचे मुंह लगाया हूँ… चल जल्दी से निकाल अपना स्वर्ण अमृत… मैं बेताब हो रहा हूँ!
बुलबुल रानी हंसी- ओ हो… तो तू भी इसका शौक़ीन है कमीने… मैं तो समझती थी सुशांत ही इसके पीछे पागल रहता है… तू क्या कहता है इसे स्वर्ण अमृत… ओके ओके अच्छा नाम है… वो इसको गंगाजल कहता था…

मैंने कहा- रानी तुझे भी पिलाना पसंद हो तो ही पिला… कोई ज़बरदस्ती नहीं है… मैं इसे स्वर्ण रस या स्वर्ण अमृत इसलिए कहता हूँ कि इंग्लिश में इसे गोल्डन शावर कहते हैं और मुझे कोई और हिंदी शब्द इसके अनुवाद में नहीं मिला… चल तू पिला न रानी… नाम में क्या रखा है!
बुलबुल रानी ने कहा- हाँ हाँ मज़े से पी राजे… मुझे तो ये पिलाना बहुत अच्छा लगता है… रुक ज़रा मैं ठीक से सेट हो जाऊँ… ऐसे बैठे हुए तेरा मुंह चूत से लगाकर मुझसे अमृत नहीं निकाला जायेगा।

इतना कह के रानी मेरा मुंह चूत से हटा दिया और फ्रॉक ऊँची करके बेंच पर उकड़ूँ बैठ गई- अब लगा मुंह हरामी पिल्ले…अब पिलाती हूँ तुझे गंगाजल…माँ के लौड़े…ले भोसड़ी के.. ले… ले… और ले…
मैंने जल्दी से मुंह गप्पा सा खोल के चूत को पूरा मुंह में ले लिया।

जैसे ही मेरा मुंह लगा रानी ने धार मार दी, सुरर्र सुरर्र सुरर्र… करता हुआ बुलबुल रानी का स्वर्ण रस तेज़ी से मेरे मुंह में जाने लगा। चूँकि धारा तेज़ थी मैं रस को मुंह में घुमा नहीं पा रहा था, बल्कि गटागट निगले जा रहा था हुम्म्म्म्म… हुम्म्म… हुम्म्म्म !!!

बहनचोद मज़े से गांड फ़ट गई, बेहद ज़ायकेदार था बुलबुल रानी का अमृत। गरम गरम गाढ़ा और नशे में भर देने वाला। साथ साथ में रानी की गालियाँ मज़े को दोगुना चौगुना किया जा रही थीं। निश्चित रूप से उसको अपना अमृत पिलाने का बहुत शौक था…
आहा आहा आहा आहा !!!!! हरामज़ादे… बहनचोद… पी अच्छे से… तेरी माँ को चोदूँ करमजले… ले मादरचोद… तेरी यही औकात है कमीने… पिए जा पिए जा कुत्ते… आज साले तेरी किस्मत खुल गई बेटीचोद…

इतनी मस्ती पाकर लौड़े को तो खड़ा होना ही था सो फ़ट से हो गया, थोड़ी देर में रानी के अमृत का कलश खाली हो गया, रानी ने ज़ोर लगा के दो तीन बूंदें और निकालीं और फिर एक गहरी सांस लेते हुए एक लम्बी आआआह भरी।

अमृत के नशे में डूबा हुआ मैं बेंच पर उसके पास बैठ गया तो तुरंत बुलबुल रानी ने मुझे अपने सीने से चिपका लिया, प्यार से मेरे चेहरे पर हाथ फेरते हुए बोली- राजे… आज तूने मुझे इतना खुश किया कि मैं बता नहीं सकती… अब मैं तुझे खुश करूंगी… राजा… मैं लण्ड चूस के राजा का दिल खुश करूंगी… देख कमीना अकड़ा पड़ा है… साला सण्ड मुसण्ड… लेट जा मेरे राजा… अच्छे बच्चे बन के जो मम्मी कहे वो किये जा… हाय मेरा बच्चा… पुच्च पुच्च पुच्च पुच्च पुच्च पुच्च !

रानी की पुचकार से बढ़ती हुई उत्तेजना से भरा मैं बेंच पर लेट गया और रानी मेरे पैरों के बीच बैठ कर लौड़े को सहलाने लगी।
सबसे पहले रानी ने लोड़े का टोपा नंगा करके उसको सूंघा, फिर उसको अपने चेहरे पर फिराया, बार बार चुम्मियाँ लीं और अपने गालों पर नीचे से ऊपर लण्ड से रगड़ा, सुपारी के छेद पर बार बार एक बूँद आ जाती थी जिसको रानी अपने मुंह पर मल लेती थी।

थोड़ी देर बाद रानी ने दोनों हाथों में मेरे अंडे थाम लिए और होंठों में सुपारा दबा लिया।
अब रानी ने हौले हौले मेरे टट्टे एक झुनझुने की तरह हिलाने शुरू किये और सुपारी पर जीभ से टुक टुक करने लगी। उसके मुंह में लौड़े के जाने से हरामज़ादी के मुंह में पानी भर आया था इसलिए जीभ खूब गीली थी और उसकी टुक टुक से मेरे पूरे बदन में एक तेज़ झुरझुरी सी ऊपर नीचे, नीचे ऊपर दौड़ने लगी।

मस्ती में डूबकर मैं चिल्लाया- हाँ हाँ मादरचोद रंडी.. चूसे जा साली… ऐसे ही चूसती रह… बहुत मस्त चूसती है माँ की लौड़ी… कमीनी कुतिया… तेरी बहन को चोदूँ साली… तेरी माँ की चूत चीर दूँ… वेश्या कहीं की. हराम की ज़नी को बीच सड़क के नंगी नचवाऊं…

बुलबुल रानी ने लण्ड बाहर निकाल के कहा- चुप करके बैठा रह हरामी… अब ये मेरा है… मेरा जैसा दिल में आएगा वैसा चूसूंगी… बिल्कुल तू मत बोल बीच में।
यह कह के रानी ने गप्प से लण्ड को फिर से होंठों में दबा लिया और लगी पहले की तरह टुकटुकारने।
काफी देर तक बुलबुल रानी ऐसे ही चूसती रही।
रानी ने लंड को बाहर निकला, खाल पीछे करके टोपा पूरा नंगा कर दिया, सिर्फ टोपा मुंह के अंदर ले कर रानी ने खाल ऊपर नीचे करना शुरू किया।
उसका मुंह बहुत गरम था और तर भी… लंड के मज़े लग गये।

अचानक रानी ने जीभ की नोक सुपारी के छेद में घुसाने की कोशिश की। हालांकि जीभ ज्यादा अंदर घुस नहीं पाई, पर जितनी भी घुसी उससे मेरे पूरे बदन में एक सरसरी सी दौड़ गई, मज़े की पराकाष्ठा हो चली थी।

उसने तेज़ तेज़ लंड को हिलाना शुरू कर दिया, उसकी जीभ कमाल का आनन्द दे रही थी, कभी वह अपनी गर्म गर्म राल से तर जीभ टोपे पर घुमा घुमा के चाटती और कभी वह दुबारा जीभ को मोड़ के नोक लंड के छेद में डाल के एक तेज़ करंट मेरे बदन में फैला देती।
यकायक बुलबुल रानी ने लंड पूरा का पूरा मुंह में घुसा लिया, वह ब़ड़े प्यार से अंडों को सहला रही थी और तेज़ तेज़ सिर को आगे पीछे करती हुई लंड को मुंह में अंदर बाहर, अंदर बाहर, अंदर बाहर कर रही थी, उसके घने बाल इधर उधर लहरा रहे थे।

मेरी मज़े के मारे गांड फटी जा रही थी, मैं बड़ी तेज़ी से चरम सीमा की ओर बढ़ रहा था।
मेरी साँसें तेज़ हो चली थीं और माथे पर पसीने की बूंदें झलक आईं थीं।

बुलबुल रानी ने रफ़्तार और तेज़ कर दी, उसे अहसास हो गया था कि मैं जल्दी ही झड़ सकता हूँ।
रानी का मुंह उसके मुख रस से लबालब था, लौड़ा अंदर बाहर होता तो सड़प.. सड़प… सड़प की आवाज़ें निकलती थीं।

बुलबुल रानी ने मेरे लंड और गांड के बीच में जो मुलायम सा भाग होता है, उसे ज़ोर से दबा दिया, उसने अपने दोनों अंगूठे उस कोमल जगह पर गाड़ दिये।
एकदम से एक तेज़, गर्म बिजली के करंट जैसी लहर मेरी रीढ़ से गुज़री, मेरे मुंह से एक ज़ोर की सीत्कार निकली और मैं झड़ा, मैंने रानी के बाल जकड़ कर एक ज़ोरदार धक्का मारा, लंड बड़ी तेज़ी से उसका पूरा मुंह पार करता हुआ धड़ाम से उसके गले से जाकर टकराया।
ऊँची ऊँची सीत्कार की आवाज़ें निकलता हुआ मैं बहुत धड़ाके से झड़ा, लौड़े ने बीस पच्चीस तुनके मारे और हर तुनके के साथ गर्म वीर्य के मोटे मोटे थक्के चंदा रानी के मुंह में झाड़े, सारा मक्खन निकल गया, मैं बिल्कुल निढाल हो कर बेंच पर फैल गया और अपनी सांसों को काबू पाने की चेष्टा करने लगा।

मेरा लंड झड़ के मुरझा चुका था और रानी की लार व मेरे लेस की बूँदों से लिबड़ा एक तरफ को पड़ा हुआ था।
रानी ने सारा वीर्य पी लिया था और फिर उसने मेरे लौड़े को चाट चाट कर अच्छे से साफ किया नीचे से ऊपर तक। बुलबुल रानी ने लंड के निचले भाग में जो मोटी सी नस होती है, उसे दबा दबा के निचोड़ा। लेस की एक बड़ी बूंद टोपे के छेद से निकली जिसे उसने जीभ से उठाया और पी लिया।

अब वह मेरे बगल में आकर लेट गई और प्यार से मेरे बालों में उंगलियाँ फिराने लगी- सच बता न राजे… आया मज़ा मेरे चोदू राजा को?

मैं- हाँ बुलबुल रानी बहुत मज़ा आया… तू वाकयी में चुदाई और चुसाई दोनों की मंजी हुई खिलाड़िन है… बहुत मज़ा देती है… मेरी जान मैं तुझ पे कुर्बान!
कह के मैंने रानी को आलिंगनबद्ध कर लिया।
बुलबुल रानी- राजे, तेरे से दो ही दिन में इतना प्यार हो गया है कि मेरे अंदर से इच्छा होती है कि मैं तुझे इतना खुश करूँ कि तुझे हर समय जन्नत के नज़ारे मिलें!

मैंने रानी के मधुर लब चूम कर कहा- रानी… मैं भी चाहता हूँ कि तुझे बेतहाशा मस्ती दूँ… जो भी तेरी तमन्नाएँ हैं, वो सब पूरी करूँ… मैंने चुदाई के आनन्द को बढ़ाने के लिए क्या क्या सामान जुटाया था लेकिन यहाँ आकर कुछ ऐसा समां बंधा कि उसका मौका ही नहीं आया…
रानी ने इतराते हुए कहा- कोई नहीं चोदू राजा… अभी कौन सा हम अलग हो रहे हैं… कई मौके आएंगे… मैं तो पूछूंगी भी नहीं क्या सामान लाया था, नहीं तो सारा सस्पेंस ख़त्म हो जायेगा… तू बहुत बदमाश है… तूने जो भी किया होगा उसमें बहुत मज़ा आएगा, ये मुझे गारंटी है… अब चलें.. यार मैं थक गई हूँ थोड़ा सो लें… अगर तेरी इजाज़त हो तो!

मैं- ठीक है रानी… चल थोड़ा सो लेते हैं… फिर से बैटरी चार्ज हो जाएगी… चलेगी या मैं गोदी में उठाकर चूमते हुए ले चलूँ?

बुलबुल रानी खिलखिला कर बोली- बहनचोद, अगर तेरी गोदी में गई तो तो ज़रूर सो ली… कुछ पता है कितनी देर में पहुंचेंगे रूम तक अगर पहुंचे तो? …तेरा कोई ठिकाना है रास्ते में कोई जगह घुस के फिर से चालू हो जायेगा।

हम उठे और अपने कमरे के लिए चल दिए।
रास्ते में रानी ने पूछा- राजे, दो बातें तूने कहा था कि वक़्त आने पर बताएगा। शायद वक़्त आने से तेरा मतलब यह था कि मुझे चोदने के बाद बताएगा… अब बता दे न राजा… तब से यह बात मेरे दिमाग में घूमे जा रही है।

मैंने हँसते हुए कहा- तू साली बहुत अक्लमंद है… तूने ठीक पकड़ा… मैं चुदाई की ही इंतज़ार में था.. मल्लिका ए आलिया हुक्म फरमाइए कौन सी बात आपकी खिदमत में पहले पेश की जाये?

मल्लिका ए आलिया ने रुक कर दो मुक्के मेरी छाती पर मारे- मल्लिका का यह हुक्म है कि ये मादरचोद ग़ुलाम बक बक में वक्त ज़ाया न करे और जल्दी से जो हुक्म पहले दिया गया था उसकी तामील करे… वर्ना मल्लिका के बेपनाह गुस्से का कहर झेलना पड़ सकता है।

मैंने इज़्ज़त से सर कमर तक झुका कर कहा- जो हुक्म मल्लिका… आपका हुक्म खुदा का हुक्म.. पहली बात… मैंने तेरा परिचय जूसीरानी से यह बोल के इसलिए करवाया था कि तू मेरे सीनियर की बेटी है जिससे तेरा हमारे घर में आना जाना शुरू हो सके… तुझसे मिलने पर या तेरे फोन से कोई प्रॉब्लम नहीं हो… तू रात को भी हमारे घर पर रुक सकती है… जूसी रानी की एक खासियत है कि रात की चुदाई के बाद वो इतनी गहरी नींद सो जाती है कि कोई बम भी फ़टे तो उसकी नींद न टूटे… तो बुलबुल रानी जब जब तू घर में रात रुकेगी तो उसके सो जाने के बाद हम दो प्रेमी इक्का दुक्की का खेल खेल सकते हैं न…

बुलबुल रानी हैरानी से भरी आवाज़ में बोली- राजे माँ के लौड़े… सच में तेरी शैतानी दिमाग कि कोई सीमा है ही नहीं… तू किस मिट्टी का बना है मेरी तो समझ से बाहर है… इतना रिस्क? बहनचोद, बीवी के घर में होते हुए तू दूसरे कमरे में मुझे चोदेगा? ओह माय गॉड !!! अच्छा अब दूसरी बात भी बता ही दे… कुछ न कुछ बदमाशी पक्का होगी उसमें भी!

मैं हंसा और बोला- नहीं बुलबुल रानी, कोई गड़बड़ नहीं है… उसका नाम जूसी रानी मैंने इसलिए दिया कि जब वो चुदासी होती है तो चूत से इतना ज़्यादा रस बहाती है कि गिलास भर जाये… और जब वो झड़ती है तो इतना रस छोड़ती है जैसे चूत में कोई नलका लगा हो… जब वो मेरे साथ फिल्म देखने जाती है तो सैनिटरी पैड लगा के जाती है… मैं फिल्म में उसके साथ बहुत छेड़खानी करता हूँ तो वो गर्म हो जाती है और रस चूने लगता है… इसी लिए उसकी चूत चूसने का मज़ा किसी भी और चूत से ज़्यादा आता है… बहनचोद घूंट पर घूंट भर भर के चूत रस कौन लड़की पिला सकती है… इसलिए उसका नाम जूसी रानी रख दिया… जूस बहाने वाली रानी जूसी रानी… क्यों ठीक है न?

बुलबुल रानी ने मुंह पूरा गोल खोल के हाथ मुंह पर रख के कहा- हौऔऔऔ… जैसा कि लड़कियाँ अक्सर कहा करती हैं।
बोली- तू ऑन्टी को रोज़ चोदता है?
मैं- हाँ जान, बिना नागा!

बुलबुल रानी- और उनके मेंसेस में क्या करता है… वो लौड़ा चूस कर तुझे ठंडा करती हैं या तेरी मुट्ठ मार के?
मैं- हम मेंसेस में भी चुदाई करते हैं… तेरा भी तो दिल होता है मेंसेस में चुदने का… वैसे वो दिन में एक बार ज़रूर लण्ड चूस के लावा पीती है… तेरी तरह उसको भी बहुत चस्का है लौड़े के मक्खन लेने का!

बुलबुल रानी- तू उनका स्वर्ण रस भी पीता है?
मैं- हाँ हाँ रानी… सुबह उठते ही उसका रात भर का अमृत पी लेता हूँ… सबसे ज़्यादा टेस्टी तो यही होता है।
बुलबुल रानी बोली- राजे यू आर रियली इम्पॉसिबल.

तब तक हम रूम तक पहुँच चुके थे। इतनी देर की घुमाई, चुदाई, चुसाई और आधी आधी बोतल शैम्पेन से दोनों ही थक चुके थे। रूम में जाकर दोनों नंगे हो गए और लिपट कर सो गए। मैं रानी के चूचों के बीच में मुंह घुसाकर सोया मुझे ऐसे ही सोने में मज़ा आता है चाहे वो जूसीरानी हो या कोई और रानी।

यारों अगले दिन सुबह से लेकर दोपहर होटल से चेक आउट करने तक क्या क्या हुआ इसके लिए मेरी अगली कहानी की प्रतीक्षा करिये। अभी आज्ञा चाहता हूँ।
नमस्कार
चूतेश

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