ऑस्ट्रेलिया की बुलबुल रानी -2
(Australia Ki Bulbul Rani-2)
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अगले दिन सुबह 9 बजे मैंने निकिता रानी को फोन किया- हाय निकिता रानी गुड मॉर्निंग… क्या हाल है मेरी निकिता रानी का… रात नींद अच्छी आई?
निकिता- मॉर्निंग राजे… खूब सोई… तुम बताओ तुम कैसे हो?
मैं- बिल्कुल मस्त हूँ… अच्छा आज संडे है… आज लंच के लिए गार्डन सिटी मॉल में मिलें? तेरे से बहुत सी बातें करनी हैं।
निकिता- हाँ मिल लेंगे… वैसे मैं तो अभी जा रही हूँ मॉल… मुझे कुछ काम था वहाँ… बारह बजे तक फ्री हो जाउंगी… फिर लंच कर लेंगे…. ऑन्टी भी आएंगी?
मैं- ऑन्टी आएंगी तो लेकिन लंच पर नहीं आएंगी… मैं अकेला हो आऊंगा… ऑन्टी को आज ब्यूटी पार्लर जाना है उसी माल में… हम लंच करेंगे और वो अपने सौंदर्य को निखारेंगी… वैसे भी वो लंच नहीं करती… अभी 10-11 बजे नाश्ता कर लेगी और फिर डिनर… और तुझे क्या काम है मॉल में? तू भी ब्यूटी पार्लर जा रही है क्या?
निकिता- नहीं मैं कहीं और जा रही हूँ…जब तुम मिलोगे तो बता दूंगी क्या काम है…
मैं- ओके तो फिर मिलते हैं बारह बजे ग्लोरिया जीन्स कॉफ़ी शॉप के सामने…वहीं सोच लेंगे लंच कहाँ करना है।
निकिता- ओके… लेकिन कल जैसे खुले में कोई चूमा चामी वाला काम तो नहीं करोगे न?
मैं- नहीं नहीं रानी…कल तो तूने शर्त लगा के मुझे उकसाया था… बोल उकसाया था कि नहीं? मैंने तो सिर्फ ये कहा था कि आपके पैर बहुत सुन्दर हैं… मेरा इनको किस करने कि इच्छा होती है.. तूने कहा कि करके दिखाओ तो मानें!
निकिता- अच्छा अच्छा ठीक है… तुमसे बातों में कौन जीत सकता है… सब मेरा ही क़सूर था… तुम तो दूध पीते छोटे से बच्चे हो.. बस आज कोई गड़बड़ मत करना तुम… समझ गए न?
मैं- ठीक है बहनचोद समझ गया… मिलते हैं बारह बजे… बाय रानी!
ग्यारह बजे मैं और जूसी रानी गार्डन सिटी मॉल चले गए। जूसी रानी का ब्यूटिशियन से साढ़े ग्यारह का समय तय किया हुआ था। हमने फ़ूड कोर्ट में बैठ कर एक एक स्मूदी पी और फिर जूसी रानी अपने ब्यूटी वाले काम के लिए चली गई, मैं जाकर ग्लोरिया जीन्स कॉफ़ी शॉप में जाकर निकिता रानी की प्रतीक्षा करने बैठ गया।
करीब सवा बारह बजे निकिता रानी अपने हुस्न का लश्कारा मारती हुई आई। मादरचोद, उसको देख के ही लौड़ा उठना शुरू हो गया। एक लम्बा घुटनों के ज़रा नीचे तक वाला निकर और ऊपर एक बिना बाँहों वाला टी शर्ट पहने निकिता रानी एक तितली की तरह कॉफ़ी शॉप में घुसी। गोरी गुदाज़ बाहें और वैसी ही लौड़ाखड़ाऊ मस्त मक्खनी टाँगें!
हम्म्म्म्म्म!!
उसने एक बाहँ ऊपर को उठा रखी थी।
मैंने उसका हाथ अपने हाथ में लेकर चुम्बन लिया और पूछा- निकिता रानी बहनचोद तेरी बाज़ू को क्या हुआ ? चोट लग गई क्या? इसको उठाया हुआ क्यों है?
निकिता रानी- नहीं राजे… मैं आज इस बांह पर टैटू बनवाने जल्दी आई थी… टैटू के बाद नए नए टैटू पर कोई तेल जैसा कुछ लगा दिया है… थोड़ा दर्द भी है… ये देखो टैटू… अच्छा है न?
रानी ने अपनी बांह पर खुदवाया हुआ टैटू दिखाया।
टैटू उसकी दाईं बाज़ू पर हाथ और कोहनी के बीच बाज़ू के बाहरी भाग में बनाया गया था। टैटू में चार पक्षी उड़ते हुए दिखाए गए थे। अच्छे सुन्दर पक्षी थे और अच्छा साफ टैटू बना था!
मैंने तारीफ की- रानी टैटू वाकई में बहुत अच्छा है… ये पक्षी कौनसे हैं? तूने पक्षियों वाला टैटू ही क्यों बनवाया? तुझे चिड़ियाएँ बहुत पसंद हैं क्या?
निकिता रानी- अच्छा लगा न? मुझे पक्षी बहुत पसंद हैं… मेरा भी उनको देख कर दिल कहता है कि काश मैं भी पंछियों की भांति उड़ सकती… अच्छा अब मेरा हाथ तो छोडो… कब तक पकड़े रहोगे?
उसका हाथ अभी भी मेरे हाथ में था और उसको छोड़ने को मेरा ज़रा भी दिल नहीं था। मैंने फिर से हाथ को चार पांच बार चूम लिया। निकिता रानी ने हाथ छुड़ा लिया और बोली- तुम राजे बाज़ नहीं आने वाले… तुम कुछ न कुछ घपला करते ही रहोगे… चलो लंच भी करोगे या मेरा हाथ ही पकड़े रहोगे… तुम्हारा पता नहीं लेकिन मुझे बहुत भूख लग रही है… मैंने सुबह से सिर्फ एक कप चाय पी है।
मैंने फिर से उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया और कहा- निकिता रानी… बहन की लौड़ी… क्या खाना पसंद करेगी तू… इंडियन चाइनीज़ थाई या कॉन्टिनेंटल… या फिर मेक्सिकन?
अबकी बार उसने हाथ छुड़ाने का कोई प्रयास नहीं किया, बोली- चलो मेक्सिकन लंच करते हैं… मेरा आज नाचोस खाने का मूड है।
मैं उसका हाथ में हाथ लिए नज़दीक के एक मैक्सिकन रेस्टोरेंट में चले गए, खाने का आर्डर कर दिया, ड्रिंक्स में उसने सिर्फ लेमन सोडा लिया जबकि मैंने एक बियर मंगवा ली।
चियर्स करके हमने ड्रिंक्स सिप करनी शुरू कर दी।
मैंने कहा- निकिता रानी कल का प्रोग्राम सुन ले, कल मैंने एक मोटेल रूम बुक करवाया है। यहाँ से करीब तीस किलोमीटर दूर एक झील है जहाँ ये मोटेल है। बड़ी मस्त सीनरी वाली जगह है, वहाँ आराम से बैठकर बातें करेंगे। मुझे तुझसे बहुत सी बातें करनी हैं कुछ तेरे विषय में जानना है कुछ आने बारे में बताना है। मैं तुझे साढ़े चार बजे तेरे ऑफिस से ले लूंगा। एक दिन के लिए सामान का बैग ऑफिस में साथ ही ले चलना। बहनचोद परसों सुबह मैं तुझे तेरे ऑफिस में ही छोड़ दूंगा!
निकिता रानी ने कहा- बातें कर लेंगे लेकिन इसके लिए वहाँ कमरा लेकर रात भर रुकने कि क्या ज़रूरत है… तुम मुझे ऑफिस से ले लो… फिर चले चलेंगे मोटेल में… घूम फिर के डिनर लेकर तुम मुझे मेरे घर पर ड्राप कर देना!
मैंने कहा- नहीं रानी… रूम में आराम से बैठ कर जो बातें हो सकती हैं वो बाहर नहीं… एक एक ड्रिंक लेंगे रूम में.. फिर डिनर करेंगे झील के किनारे… फिर रूम में आकर आराम करेंगे… मैं तुझे गीता के 18 के 18 अध्याय सुनाऊंगा… बहुत एन्जॉय करेंगे गारंटी है मेरी!
निकिता रानी बोली- मुझे तंग तो नहीं करोगे न? दो अलग अलग बेड वाला रूम लेना। गीता पढ़वा के दूसरे बिस्तर पर चुपचाप एक भले आदमी की तरह जाके सो जाना… नो हाथ की चुम्मी एंड नो पैर की चुम्मी।
यह सुनकर मेरे मन में लड्डू फूटने लगे और लौड़े ने शटाक से उछल कर अपनी उत्तेजना दर्शाई ‘हा हा हा अब तो ये पंछी आ गया जाल में!’ बहनचोद, कुतिया कोई दूधमुँही बच्ची तो है नहीं। इसे पता नहीं कि होटल रूम में वो और मैं अकेले गीता का पाठ करेंगे या कोकशास्त्र का, प्रार्थना करेंगे या काम क्रीड़ा। सिर्फ अपने आप को तसल्ली देने के लिए कह रही है कि चुप चाप दूसरे बिस्तर पर सो जाना, ताकि चुदाई हो तो उसका दोष उसका नहीं मेरा हो।
मैं बोला- रानी तू तो बहुत ज़्यादा शक करती है। गीता पढ़ने के बाद देखेंगे चुपचाप सो जाना है या कुछ और ज़्यादा बातें करनी हैं… जैसा तू चाहेगी वैसा ही होगा।
फिर ड्रिंक्स और लंच के दौरान इधर उधर की बातें चलती रहीं। उसने बताया कि उसकी चार साल पहले शादी हुई थी, पति एक बड़ा बिज़नेसमैन था, घर में पैसा बहुत था और शुरू में सब कुछ सही सही चला भी लेकिन उस बहन के लण्ड ने शादी के एक या डेढ़ साल के बाद निकिता रानी पर ध्यान देना बिल्कुल ही बंद कर दिया था। इसने कई बार पूछना चाहा कि क्या प्रॉब्लम है खुल के बातचीत से क्लियर कर लेते हैं। परन्तु उसने ऐसा पूछने पर इसको दुत्कार किया, कहा कि तू सारा दिन सवाल कर कर के परेशान करती रहती है।
समय के साथ साथ उसका बर्ताव और भी अधिक बिगड़ता गया। रोज़ रात को देर से लौटना, कई बार तो तीन तीन दिन तक घर न लौटना। कोई खबर नहीं। पूछो तो तू मेरी जासूसी करती है। ज़्यादा पूछा तो एक दिन उसने इसकी बेल्ट से पिटाई तक कर दी। इसने वो भी सहन कर लिया कि शायद ज़्यादा टेंशन में होगा तो हाथ उठा दिया। लेकिन जब ऐसा दो बार फिर से हुआ तो इसने अलग होने का निश्चय कर लिया और अपने पापा के पास आ गई।
फिर भी निकिता रानी को आशा थी कि उसका पति अपनी गलती का अहसास करके उसे मना कर वापिस ले जायगा। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। एक साल के बाद निकिता रानी ने तलाक का केस अदालत में दाखिल कर दिया। छह महीने पहले तलाक मिल गया तो इसने बुरी यादें भूलकर नया जीवन शुरू करने के इरादे से विदेश में बसने का फैसला कर लिया। इससे उसको रिश्तेदारों के ताने सुनने से भी पीछा छूट गया। ये भी पता चला कि उसका पति एक और लड़की के साथ शादी के पहले से ही रह रहा था। उसने उस लड़की को एक फ्लैट दिला रखा था।
ऑस्ट्रेलिया इमीग्रेशन की प्रक्रिया में चार पांच महीने लग गए। शंकर प्रसाद जी इसके पापा रोशन जी के मित्र थे तो उन्होंने इसकी जॉब उसी एकाउंटेंसी फर्म में लगवा दी जो उनका एकाउंट्स का काम देखा करती थी। तो इस प्रकार उसका ऑस्ट्रेलिया में आकर बसना हुआ।
कैसे कैसे हरामज़ादे लोग हैं यार दुनिया में। मैं भी अपनी पत्नी के सिवा 31 रानियों (यह कहानी लिखने के समय का आंकड़ा है। जब निकिता को मिला, उस समय तक कुल रानियाँ 28 थीं) से चुदाई के सम्बन्ध बनाये हूँ लेकिन जूसी रानी के साथ मैंने कभी दुर्व्यवहार नहीं किया और न ही कभी उसके साथ बेपरवाही दिखाई। ईमानदारी से और सच्चे प्यार के साथ रोज़ बुरी तरह से कामासक्त होकर उसको कम से कम दो बार और अक्सर तीन बार चोदता हूँ। रोज़ दिन में तीन चार बार उसका स्वर्ण अमृत पीता हूँ। रोज़ उसके बदन का जीभ से मसाज करता हूँ। बहनचोद 24 घंटे मस्त रहती है। अगर निकिता रानी को चोदने का सौभाग्य मिला तो ये रानी नंबर 29 हो जायगी।
लंच पूरा होने पर मैंने कहा- रानी चल मैं तुझे एक तोहफा देना चाहता हूँ।
निकिता रानी ने पूछा- क्यों राजे जी आज किस बात का तोहफा? न तो मेरा जन्मदिन है और न वैलेंटाइन डे है और न ही और कोई ऐसा दिन जिसमें तोहफा दिया या लिया जाए?
मैं- निकिता रानी, बस मेरा दिल कर रहा है कि मैं तुझे एक तोहफा दूँ। तेरे मधुर पांव चूम के जो मुझे ख़ुशी मिली है उसके लिए मैं तुझे एक तुच्छ सी भेंट देना चाहता हूँ!
निकिता- ओये होए… राजे महाराज… तुम सच में इम्पॉसिबल हो… किसी दिन मेरे पैर खा मत जाना… अपाहिज हो गई तो तुम मेरी तरफ मुंह भी न करोगे।
मैं- अरे… अरे… मादरचोद अपाहिज हों तेरे दुश्मन!
निकिता- वैसे तुम जूसी ऑन्टी के पैर भी खूब चूमते होगे, उनके पैर बहुत बहुत ब्यूटीफुल हैं। कल देखे थे न मैंने!
मैं- हाँ चूमता तो हूँ… चल अब चलेगी भी या यहीं खड़ी खड़ी बातें मिलाये जाएगी?
मैंने उसकी बांह थामी और उसको लेकर एक जूतों के शो रूम में ले गया। वहाँ मैंने उसको एक ऐसी सैंडल दिलाई जिसकी हील बहुत हाई थी और जिसमें सिर्फ बारीक बारीक दो तनियाँ लगी थीं पैर को टिकाये रखने के लिए। उसने जब इसको ट्राई किया तो बहनचोद मज़ा आ गया।
ये सैंडल उसके पैरों के हुस्न में चार चाँद लगा रहे थे।
जूसी रानी को भी मैं इसी प्रकार की सैंडल्स और चप्पलें दिलवाता हूँ।
आठ दस इस किस्म के सैंडल में से दो रानी को पसंद आ गए। उसने एक तो वहीं पहन भी लिए और अपना जूता पैक करवा लिया। दोनों सैंडल बहुत हाई क्लास और कीमती थे। फिर वो मुझे थैंक्स करके चली गई क्योंकि उसने अपनी रूम पार्टनर के साथ फिल्म देखने का प्रोग्राम बना रखा था।
निकिता रानी के जाने के बाद मैं सीधा सेक्स शॉप में गया और वहाँ से मैंने निकिता रानी के साथ कल की मुलाकात का सामान ख़रीदा। दो बिल्कुल पारदर्शक नाइटी जो इतनी मिनी थीं की मुश्किल से पहनने वाली लड़की की चूत से तीन इंच नीचे आती। ऊपर से गला इतना नीचे था कि कम से कम आधी चूचियाँ भी दिखाई पड़तीं, निप्पल की झलक तक। नाइटी इतनी पारदर्शी थीं कि उसमें से झांटें भी साफ दिख जाएँगी। ये नाइटी मर्दों की ठरक आसमान पर ले जाने के विचार से ही डिज़ाइन की गई थीं।
इसके अलावा मैंने एक विशेष वाइब्रेटर लिया जिसमें जड़ से करीब दो या ढाई इंच पर एक छोटा सा गोल सा दानेदार उभार बना हुआ था ताकि जब लड़की इसे चूत में घुसा के चलाये तो वो उभार लड़की की भगनासा यानि क्लाइटोरिस पर दबाब डालते हुए रगड़े। ऐसी स्थिति में लड़की का इस नक़ली लोड़े से सैकड़ों बार स्खलित होना पक्का था।
मेरा प्रोग्राम ये था कि मैं चुदाई करते हुए इस नक़ली लौड़े से निकिता रानी की गांड मारूंगा। और जब अपने लौड़े से गांड मारूं तो ये लण्ड उसकी चूत में दे दूंगा। आखिर में मैंने लण्ड के आकार की चार मोमबत्तियाँ लीं।
कल रात को निकिता रानी की चुदाई मेरा कैंडल लाइट में करने का प्लान था। यारों, कैंडल लाइट में लड़की की खूबसूरती मादरचोद हज़ार गुना बढ़ जाती है। जो लड़की पहले से ही निकिता रानी जैसी हसीन हो उसकी सुंदरता क्या गांड फाड़ क़यामत ढाएगी ये आप लोग स्वयं ही सोच सकते हैं।
अंत में मैंने बुलबुलरानी की चूत दिखाई की भेंट देने के लिए एक बहुत सुन्दर सी घड़ी खरीदी। इस हुस्न की मल्लिका की चूत लेने के बाद एक बेहतरीन भेंट तो बनती है न यारों!
तब तक जूसी रानी के ब्यूटी ट्रीटमेंट ख़त्म होने का समय हो गया था, इसलिए मैं उसको लेने के लिए पार्लर चला गया और बाहर उसका इंतज़ार करने लगा।
जूसी रानी चमकती दमकती बाहर निकली। हम लोग थोड़ी देर मॉल में यूँ ही घूम फिर के घर चले गए। निकिता रानी की हवस में बुरी तरह उत्तेजित मैं घर जाते ही जूसीरानी से लिपट गया और फिर हुआ हमारी मस्त चुदाई का इक्का दुक्की का खेल। रात को फिर चोदा जूसीरानी को और उसके बाद उसकी गांड भी मारी।
कहानी जारी रहेगी।
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