ऑस्ट्रेलिया की बुलबुल रानी -1

(Australia Ki Bulbul Rani-1)

चूतेश 2015-10-16 Comments

This story is part of a series:

अन्तर्वासना डॉट कॉम पर सेक्सी हिन्दी कहानियाँ पढ़ने वालों को चूतेश का नमस्कार! और लड़कियों के लिए मेरे लण्ड के 31 तुनकों की सलामी!
मैंने अपनी पिछली कहानियों में बताया था कि मुझे काम से तीन महीने के लिए ऑस्ट्रेलिया जाना पड़ा था, वहाँ एक हसीन लड़की से नैन (और बाद में लण्ड चूत भी) लड़ाने का मौका मिला जिसका मैंने अपनी आदत के अनुसार पूरा पूरा लाभ उठाया और वो सुंदरी मेरी रानी बन गई।
वहाँ क्या क्या हुआ था, यग कथा उसका ही वर्णन है।

हुआ यों कि वहाँ हमारी जान पहचान के एक सज्जन श्री शंकर प्रसाद अग्रवाल के बेटे की शादी का रिसेप्शन था जिसमें वहाँ रह रहे उनसे परिचित काफी भारतीयों को बुलाया गया था। पार्टी में बहुत से ऑस्ट्रेलियाई भी थे परन्तु भारतीयों की संख्या अधिक थी। अग्रवाल जी एक बिज़नेस मैन हैं और अच्छे धनवान हैं।
पार्टी शहर के बाहर एक मशहूर रिसोर्ट में रखी गई थी। कॉकटेल्स, स्नैक्स और खाना सभी का हाई क्लास इंतज़ाम था, कुछ सांस्कृतिक कार्यक्रम भी रखा गया था जो दस बजे से शुरू होना था।
रिसोर्ट में एक बड़ा सा हॉल और उसके साथ लगा हुआ काफी बड़ा लॉन और स्विमिंग पूल में पार्टी थी, बहुत बढ़िया रोशनी की गई थी। सब कुछ अग्रवाल जी की हैसियत के अनुसार ही था।

शाम 8 बजे से लोग पहुँचने शुरू हो गए थे, करीब ढाई सौ मेहमानों का प्रबंध किया गया था। मैं और मेरी पत्नी जूसी रानी साढ़े आठ बजे पहुँच गए। जूसी रानी और महिलाओं के साथ गपशप में लग गई और मैं एक वाइन का गिलास हाथ में लेकर इधर उधर मंडराता हुआ अपने वाकिफ लोगों से हेलो हाय करने लगा।

कुछ देर बाद मैं हॉल से निकल कर बाहर गार्डन में चला गया क्योंकि काफी लोग वहाँ भी पार्टी का मज़ा ले रहे थे।
वहीं मेरी नज़र एक लड़की पर पड़ी जिसको देखते ही लण्ड में एक सुगबुगाहट सी हुई कि हाँ यह सुन्दरी चूत चुदक्कड़ हो सकती है इसलिए इस पर ध्यान देना चाहिए।

थोड़ा नज़दीक जाकर मैंने उसे गौर से निहारा, वो बेहतरीन खूबसूरती की मालकिन थी, पांच फुट छह इंच का क़द, छरहरा बदन और उम्र यही कोई 29 या 30 की… रंग इतना गोरा कि गोरी चमड़ी वाले ऑस्ट्रेलियाई भी फीके लगें।
गहरे काले रंग का पैंट सूट व हाई हील के कीमती जूते पहने वो गज़ब ढा रही थी, गले में एक पतली सी सोने की चेन से लटकता हुआ एक डिज़ाइनर पेंडल, हाथ में एक ड्रिंक का गिलास था, लगता था कि शायद रेड वाइन है, नाक नक्शा अति उत्तम ! बड़ी बड़ी आँखें, सुडौल सुन्दर बाहें और कन्धों तक लहराते हुए घने काले बाल ! मेकअप के नाम पर सिर्फ हल्के से कॉपर शेड की लिपस्टिक ! अकेली खड़ी ये क़यामत सब तरफ बिजलियाँ गिरा रही थी।

मैं तुरंत उसकी ओर लपका। यह तो निश्चित था कि बेपनाह हुस्न का मालिक यह पक्षी ज़्यादा समय तक आज़ाद न उड़ पायेगा। अगर मैंने देर की तो शिकारी बाज़ों से भरी इस में दुनिया कोई न कोई बाज़ इसको ले उड़ेगा।
उसके निकट पहुँच कर मैंने कहा- मैडम गुड ईवनिंग, मेरा नाम राज है!

हसीना ने शहद सी आवाज़ में मेरी ओर हाथ बढ़ाते हुए कानों में घंटियाँ सी बजाईं- गुड ईवनिंग राज जी। मेरा नाम निकिता है!
मैंने भी हाथ बढ़ा कर निकिता का नरम नरम मक्खन सा हाथ थाम लिया और कहा- निकिता जी… आपसे मिलकर बहुत अच्छा लगा… एक बात कहना चाहता हूँ..
निकिता- कहिये न… मुझे भी आपसे मिल कर अच्छा लगा!
मैंने अपनी ड्रिंक का एक सिप लेकर कहा- इस शहर के आदमी लोग बहुत बड़े इडियट हैं।
निकिता- ओह, रियली! आप ऐसा क्यों कह रहे हैं?

मैंने मुस्कुराते हुए कहा- इस महफ़िल में इतने सारे आदमियों के होते हुए आप सी सुंदरी अकेली है इससे क्या जो मैंने कहा वो सिद्ध नहीं होता?
निकिता खिलखिला कर हंसी- मैं अकेली कहाँ हूँ… आप हैं तो मेरे साथ… बट थैंक्स फॉर दी कॉम्प्लीमेंट… वैसे आप भी काफी स्मार्ट हैं।

बहनचोद इस लड़की की हंसी भी बेहद दिलकश थी। छोटे, एकसार और सुन्दर, साफ़, सफ़ेद दांत। यह हरामज़ादी तो मर्दों की जान खींचने के लिए ही परमात्मा द्वारा धरती पर उतारी गई थी।
यह तो जिधर निकल जाए, गश खाकर बेदम होकर गिरते हुए मर्दों की कतारें पीछे छोड़ती जाए।

मैं- यह तो मेरी खुशकिस्मती है कि आपने मुझे साथी तो माना… और हाँ, धन्यवाद।
निकिता- एक्चुअली मैं ऑस्ट्रेलिया में सिर्फ दो हफ्ते पहले ही आई हूँ। इसलिए अभी मेरा कोई सर्किल नहीं बना…बन जायगा समय के साथ साथ!

फिर यूँ ही इधर उधर की बातें चल पड़ीं। निकिता एक चार्टर्ड अकाउंटेंट है और जिस फर्म में वो काम करती है शंकर प्रसाद जी का बिज़नेस एकाउंट्स वही फर्म देखती है और निकिता को उनका अकाउंट मैनेजर बनाया गया है क्योंकि वो भी भारतीय है।
ऑस्ट्रेलिया में कंपनियाँ आम तौर पर एकाउंट्स का काम प्राइवेट एकाउंटेंसी फर्मों के हवाले कर देती हैं। ऐसा भारत में नहीं होता इसलिए पढ़ने वालों की सुविधा के लिए बता रहा हूँ।

बातों के बीच में निकिता ने एक ऐसा काम किया कि मेरे दिल की धड़कनें रुक सी गईं। वो गार्डन की चारदीवारी के साथ टेक लगाये खड़ी खड़ी बातें कर रही थी, अचानक उसने एक जूते में से पैर निकाल कर दीवार पर टिका दिया। पैर इतना ज़्यादा खूबसूरत था कि उसको देखकर मेरा दिल बैठ गया और काफी देर से आधा अकड़ा हुआ लण्ड तपाक से पूरा खड़ा हो गया।
यूँ लगता था कि पैर मलाई से बना हुआ है। सुन्दर ही नहीं अति अति सुन्दर !!! खूबसूरत मुलायम उंगलियाँ एवं अंगूठा, अच्छे साफ़ सुथरे ज़रा ज़रा से बढे हुए नाख़ून, जिन पर लिपस्टिक से मिलते जुलते कॉपर शेड की नेल पोलिश लगा रखी थी, जो हाथों के नाखूनों पर भी लगी थी।
पैर का अंगूठा सबसे लम्बा था और बाकी उंगलियाँ थोड़ी थोड़ी छोटी होती हुई। एकदम परफेक्ट शेप का पैर था जिसे पागलों की भांति चाटने का मन करता था। ऐसा लगता था कि इस लड़की को किसी उच्च कोटि के मूर्तिकार ने बहुत मस्त मूड में फुर्सत से गढ़ा है और उसने इसके हर एक अंग पर सुंदरता लाने के लिए पूरी मेहनत की है।

अब समय आ गया था कि बेमतलब की बातें बंद करके आगे बढ़ा जाये, मैंने कहा- निकिता जी, आपका कपड़े पहनने का सलीका बहुत उम्दा है…आप बहुत देख भाल के अपनी ड्रेसेस सेलेक्ट करती हैं… ये ब्लैक पैंट और टॉप बहुत सुन्दर है और आपके ऊपर खूब जमता है… आपके टेस्ट की दाद देनी पड़ेगी!
निकिता फिर से खिलखिला के हंसी और बोली- शुक्रिया राज जी… मैं सच में कपड़े बहुत ध्यान से काफी समय लगा कर सेलेक्ट करती हूँ।
मैं- लेकिन निकिता जी सिर्फ एक गड़बड़ है.. आप बुरा न मानें तो कहूँ?

निकिता एकदम से गंभीर होकर बोली- हाँ हाँ कहिये न… अगर मैंने कोई गड़बड़ की है तो ज़रूर बताइये ताकि मैं उसको सुधार सकूँ… आप तो राज जी, कपड़ों के पारखी लगते हैं… आपके अपने कपड़े भी बहुत हाई क्लास हैं और खूब जम रहे हैं आपके ऊपर।
मैं बोला- यह तो जनाब की ज़र्रानवाज़ी हैं… हाँ तो गड़बड़ ये है कि आपके पांव इतने खूबसूरत हैं फिर भी आप इनको बंद जूतों में क्यों छिपाए रखती हैं… आपको तो ऐसे सैंडल्स पहनने चाहिए जिनमें से आपके ये अप्सराओं जैसे पांव अच्छे से दिखें!

निकिता फिर से हंसकर बोली- ओहो.. ओहो… आप तो कुछ कुछ शरारती भी लगने लगे हैं राज जी… मैं जूते इसलिए पहनती हूँ कि पैर सारा दिन ऑफिस में या बाहर भी आराम से रहता है और धूल से भी बचा रहता है… यहाँ मैं जूते यह सोच कर पहन आई कि इस पैंट सूट के साथ सैंडल्स के मुकाबले बेहतर लगेगा… वैसे मुझे लग रहा है कि आप लड़कियों को बड़े ध्यान से देखते हैं… मैंने अभी अभी थोड़ा सुस्ताने के लिए पैर निकाला और आपने देख भी लिया!

मैं भी हँसते हुए बोला- निकिता जी, यदि मैं आप जैसी सुंदरी को ध्यान से न देखूं तो क्या यह आपके महान सौंदर्य का अपमान न होगा… भला ऐसी गुस्ताखी मैं कैसे कर सकता हूँ… रही बात आपके पैरों की तो मैं ईमानदारी से कह रहा हूँ कि वे इतने खूबसूरत है कि चूम लेने को दिल कर रहा है!

निकिता मुस्करा के बोली- राज जी, आप शरारती नहीं बहुत शरारती हैं… चलिए आज आपको आजमा के देखती हूँ। आपका मेरा पैर किस करने को दिल कर रहा है न… चलिए करके दिखाइए तो मान जाऊंगी आपको… यहीं पार्टी में ही किस कर के बताइये..
मैंने कहा- निकिता जी एक शर्त है… अगर मैंने आपके पैर को पार्टी में ही चूम लिया तो आपको अपने दोनों पैर सौ सौ बार किस करवाने पड़ेंगे… अगर मैं न कर सका तो फिर मैं आपको कभी नहीं मिलूंगा।

निकिता ने कहा- लगता है राज जी आप दुबारा कभी मुझसे मिलना ही नहीं चाहते… तभी तो ऐसी शर्त लगा रहे हैं जिसे आप अच्छी तरह जानते हैं कि आप जीत नहीं सकते… आप यहाँ तीन सौ लोगों के बीच में पैर कैसे चूमेंगे… फिर भी शर्त मान लेती हूँ…न एक बार चूम पाएंगे और न सौ बार… लेकिन अगर आप जीत गए तो सौ बार भी यहीं किस करना पड़ेगा.. किसी और जगह पर नहीं!

यारों ये तो मादरचोद मेरी बीसियों बार की आज़माये हुई कहानी फिर से दोहराई जाने वाली थी। इस नादान को क्या मालूम कि उसका पाला चूतेश से पड़ा है जो इस खेल का एक मंजा हुआ खिलाड़ी है। हा हा हा !!!
निकिता सोच रही थी कि पार्टी में इतने लोगों के होते हुऐ मैं उसके पैर चूम ही नहीं सकता जबकि मेरे लिए ये एक मामूली सी बात थी।

मैंने उसकी बात का उत्तर दिए बिना अपना मोबाइल फोन नीचे घास में उसके पैर के पास गिरा दिया। इससे पहले कि निकिता कुछ समझ पाती, मैं जल्दी से उसको उठाने के लिए झुका, घुटनों के बल टिका और फोन उठाते उठाते निकिता के दीवार पर टिके हुऐ पैर को होंठ गीले क़रके चूमा ही नहीं बल्कि थोड़ी सी जीभ भी पैर पर फ़िरा दी। फिर मैं उठ के खड़ा हो गया और मोबाइल फोन को चेक करने का ड्रामा करने लगा कि यदि किसी ने देखा हो तो उसको यही लगे कि फोन गिर गया था!

निकिता सन्न सी मेरी ओर देखे जा रही थी। उसकी बोलती बंद थी। उसे शायद यकीन ही नहीं हो रहा था कि मैंने सचमुच उसके पांव को चूम लिया था।
जब मैं फोन चेक करने का ड्रामा क़र चुका तो बोला- अब कहिये निकिता जी…चूम लिया न आपका पैर…सच कहूँ तो बहुत आनन्द आया… अब शर्त के हिसाब से सौ बार दोनों पैर चूमूंगा।
निकिता ने भारी आवाज़ में कहा- राज जी आप किस मिटटी के बने हैं… आपको डर नहीं लगा कि किसी ने देख लिया तो क्या सोचेगा… यहाँ इतने सारे लोग हैं… किसी न किसी की नज़र तो होगी न इस तरफ भी?

मैं हँसते हुए बोला- अरे निकिता जी जिसने देखा होगा उसको यही लगा होगा कि मेरा फोन गिर गया था… अब फोन गिर गया तो उसे उठाने को झुकना तो पड़ेगा न… खड़े खड़े कोई कैसे नीचे गिरी हुई चीज़ उठा सकता है… और यदि किसी ने बहुत ध्यान से हमारी तरफ ही निगाह लगा रखी हो तो जाये जहन्नुम में… जो सोचना हो सोचे किसे परवाह है..
निकिता- राज जी, यू आर इम्पॉसिबल !

मैंने कहा- निकिता जी, चलिए अब आपको शर्त पूरी करने का वक़त आ गया है!
निकिता- मुझे अब तो बहुत कौतूहल हो रहा है कि आप शर्त कैसे पूरी करवाएंगे… एक बार झट से चूम लेना एक बात है परन्तु सौ सौ बार दोनों पांव चूमना एक अलग बात।

मैंने कहा- निकिता जी अगर आप कहें कि आपको पैर का चुम्मा अच्छा नहीं लगा तो मैं शर्त को भूल जाऊंगा.. मेरे लिए आपकी ख़ुशी शर्त जीतने से कहीं ज़्यादा कीमती है… अगर आपको अच्छा लगा हो तभी शर्त की बात करेंगे।
निकिता ने कुछ सोच के जवाब दिया- ऊँ हूँ हूँ… पता नहीं… हाँ मगर बुरा तो नहीं लगा… मैं यह समझ नहीं पा रही हूँ कि आप सौ बार चुम्मे कैसे लेंगे.. सिर्फ यही देखने के लिए मैं शर्त पूरी ज़रूर करना चाहूंगी।

मैंने कहा- चलो आपको मैं अपनी पत्नी जूसी रानी से मिलवाता हूँ, उसके बाद शर्त का काम करूँगा।
निकिता ने पूछा- जूसी रानी बड़ा अजीब सा नाम नहीं है क्या?
मैंने कहा- उसका नाम किरण है लेकिन मैं उसको जूसी रानी कहता हूँ। यह नाम क्यों रखा, यह बाद में समय आने पर बताऊँगा।

हम वापिस हाल की तरफ चल दिए, हॉल में जूसी रानी दूसरी महिलाओं के संग गप्पों में बिजी थी। लेडीज के उस जमघट में सबसे ज़्यादा खूबसूरत भी वही थी।
45 साल की उम्र और दो बड़े बड़े बच्चों के बाद भी उसकी फिगर और खूबसूरती में कोई कमी नहीं आई थी।
रहा सवाल चूत का, तो वो मैं है चार या पांच साल में एक बार रिपेयर करवा लेता हूँ। एकदम सोलह साल की नवयुवती जैसी टाइट चूत हो जाती है।

एक लेडी डॉक्टर तो इतनी बदमाश थी कि हरामज़ादी ने सर्जरी करते समय जो चूत की त्वचा उसे टाइट करने के लिए काट के हटाई उसकी एक छोटी सी थैली बना के उसमें जूसीरानी का ही रक्त भर के चूत में एक हल्का सा टांका लगा के छोड़ दिया।
सर्जरी के 5 दिन के बाद चुदाई की इजाज़त थी तो इतने दिनों के बाद हुई उस धाकड़ चुदाई में वो थैली फट गई और ऐसे खून बहा जैसे किसी कुंवारी लड़की को चोदने पर बहता है।

बहनचोद उस दिन तो मज़ा आ गया, जूसीरानी को चोदा तो यूँ लगा किसी कमसिन की सील तोड़ी जा रही है।
बहुत टाइट चूत और ऊपर से खून भी खूब निकल आया। जूसी रानी को भी बेहद आनन्द आया क्योंकि उस दिन लौड़ा चूत में बिल्कुल ऐसे फंसा हुआ था जैसा उसकी सुहाग रात वाली चुदाई में था।
जूसीरानी ने प्रसन्न होकर मुझे सारा खून चाट के साफ करने दिया। खैर जूसी रानी के विषय में जानने के लिए अगली कहानी की प्रतीक्षा करिये!

मैंने निकिता से पूछा- आपके पापा का क्या नाम है और क्या करते हैं?
उसने बताया- रोशन गिडवानी और वे बड़ौदा गुजरात में इलेक्ट्रॉनिक गुड्स का बिज़नेस करते हैं।
फिर उसने पूछा कि पापा का नाम और काम क्यों जानना चाहा।
मैंने कहा- देखती जाइये अभी पता चल जायेगा।

जूसी रानी के पास पहुँच के मैंने निकिता का उससे परिचय करवाया, मैं बोला- डार्लिंग इनसे मिलो… यह निकिता है… कॉलेज में मेरे सीनियर रोशन गिडवानी जी की बेटी… चार्टर्ड अकाउंटेंट है… यहाँ ऑस्ट्रेलिया में जॉब करना शुरू किया है, दस पंद्रह दिन पहले… निकिता ये मेरी वाइफ हैं किरण…
दोनों ने बड़ी गर्म जोशी से हाथ मिलाया।

फिर जूसी रानी ने पूछा कि आपने निकिता को पहचाना कैसे?
मैंने बताया- डार्लिंग इसकी शकल रोशन जी से इतनी ज़्यादा मिलती है कि ये उनकी फोटोकॉपी लगती है… इसलिए मैंने इनसे पूछ लिया कि आप रोशन गिडवानी जी की कोई रिश्तेदार हैं क्या… तो इसने बताया कि ये तो उनकी बेटी है इसलिए तुमसे मिलवाने ले आया!

जूसी रानी ने कहा- हाँ ये तो तुमने अच्छा किया… इसे भी तो ऑस्ट्रेलिया में मिलने जुलने के लिए कंपनी चाहिए.. मैं सभी से इसको मिलवा दूंगी… मेरे ख्याल से पांच छह परिवारों में तो इसकी उम्र की लड़कियाँ हैं ही…
निकिता ने कहा- नहीं ऑन्टी… मैं तो आपकी कंपनी में भी बहुत खुश रहूंगी.. वैसे आप मिलवा दीजिये औरों से भी, लेकिन इसलिए नहीं कि मुझे अपने ही ऐज ग्रुप की कंपनी चाहिए!

मैंने जूसी रानी से कहा- ठीक है मैं निकिता का कुछ और लोगों से परिचय करवा के आता हूँ…तब तक तुम करो एन्जॉय अपनी लेडीज की गप्प बाज़ी!
जूसी रानी ने प्यार से एक मुक्का मेरी बांह पर लगाया- अच्छा जी… जैसे आदमी लोग तो गप्पें मारते ही नहीं… यूँ ही लेडीज को बदनाम कर रखा है… यहाँ आये एक घंटा हो गया तो इतनी देर गप्पें नहीं मारीं तो क्या पहाड़ तोड़ा… क्यों निकिता? आदमी लोग गप्पें नहीं लगाते?
निकिता- हाँ हाँ आंटी.. खूब गप्पें मारते हैं.. बल्कि हम लेडीज से ज़्यादा… हम लोग बातें करें तो गप्प और ये लोग बातें करें तो गंभीर चर्चा!

मैं निकिता को लेकर हॉल के दूसरे कोने की तरफ चल पड़ा। मैंने देखा उसकी ड्रिंक ख़त्म हो गई है, जैसे ही एक ड्रिंक्स वेटर पास से गुज़रा, मैंने निकिता के लिए रेड वाइन का गिलास ले लिया और अपने लिए भी।

फिर मैंने निकिता से पूछा- क्यों निकिता जी, समझ आया कुछ? अब चल गया न मालूम मैं क्यों आपके पापा का नाम और व्यवसाय पूछ रहा था।
निकिता- मेरी कुछ भी समझ नहीं आया राज जी… आपने झूठ क्यों कहा कि मैं आपके किसी सीनियर की बेटी हूँ?
मैं- ये एक राज़ जी बात है… दो चार दिन में बता दूंगा कि ये झूठ क्यों बोला और यह भी बता दूंगा कि किरण का नाम मैंने जूसी रानी क्यों रखा… थोड़ा सा इंतज़ार… अब चलिए मेरे साथ और शर्त पूरी करिये।

चलते चलते निकिता ने कहा- राज जी आपकी पत्नी बहुत खूबसूरत है… आप खुशकिस्मत हैं जो आपको ऑन्टी जैसी वाइफ मिली… और हाँ, उनके पैर भी बहुत सुन्दर हैं..। मैंने ध्यान से देखे… अपने ठीक कहा था उनके सैंडल्स इतने अच्छे हैं कि ऑन्टी के पैर खूब दिखाई पड़ते हैं।

मैं निकिता का बाज़ू थाम कर उसको छत पर जाने वाली सीढ़ियों पर ले गया। आधा जीना चढ़ कर जब जीना पलटा तो उस मुड़ाव पर ही मैंने निकिता को तीन सीढ़ी ऊपर बैठ जाने को कहा और मैं खुद घुटनों के बल बैठ गया। निकिता बैठ तो गई किन्तु घबराई हुई आवाज़ में बोली- यहाँ किसी ने हमें अकेले बैठे देख लिया तो क्या सोचेगा?
मैं- अरे सब खाने पीने और गप्प बाज़ी में व्यस्त हैं… किसके पास फुर्सत है जो यहाँ ज़ीने पर आएगा… आप बिल्कुल बेफिक्र रहिये।

इतना कहते कहते मैंने उसके पैर पकड़ के जूते उतार दिए और फिर दोनों खूबसूरत पैरों को निहार निहार के अपनी आँखें हरी कीं। फिर मैंने दोनों पांव एक साथ अपने हाथों में लेकर अच्छे से सूंघे।
उन महा सुन्दर पैरों की स्वाभाविक सुंगंध के साथ मिली हुई जूते के चमड़े की गंध ने मेरा खून उबाल दिया, लौड़ा ज़ोर ज़ोर से फुदक फुदक के मुझे अपनी मौजूदगी का एलान करने लगा।

मैंने बड़े आराम से बड़े प्यार से पैरों के चुम्बन लेने शुरू किये, अच्छे से होंठ गीले करके बहुत धीमे धीमे मधुर मधुर से चुम्बन।
मेरी आँखें ऊपर निकिता को एक टक देखे जा रही थीं।
निकिता को मज़ा आ रहा था जिसका पता इस बात से चल रहा था कि उसने अपनी आँखें आधी मूंद ली थीं और हल्के से कसमसा रही थी, या ये कह लो कि तेज़ कसमसाहट को रोकने की कोशिश कर रही थी।
उसके माथे पर पसीने की छोटी छोटी बूंदें आ गई थीं और उसका मुंह थोड़ा सा खुल गया था।

यार जैसा मैंने पहले भी लिखा है सचमुच लगता कि पैर हाड़ मांस के नहीं बल्कि मलाई या मक्खन के बने हैं। इतने नरम, इतने मुलायम, इतने चिकने !!! बिल्कुल मलाई जैसे गोरे !!! काश मेरा मुंह इतना बड़ा होता कि मैं पूरा पैर मुंह में लेकर चूस सकता, लेकिन इंसान की सभी तमन्नाएँ कभी पूरी नहीं हो सकती न। वैसे तो पैर ही क्यों निकिता तो पूरी की पूरी चूसने लायक थी।

बड़े मज़े से मैंने निकिता के दोनों पैर सौ से कहीं ज़्यादा बार चूम लिए। आखिर मैंने सोचा कि अब आज के लिए काफी हो गया है अब चलना चाहिए और भोजन पर ध्यान देना चाहिए।
मैंने निकिता के जूते वापिस पहना दिए और उठ के खड़ा हो गया। फिर मैंने निकिता को आहिस्ता से कंधे पकड़ के उठाया और कहा- निकिता जी… हो गई शर्त कम्पलीट… अब चल के डिनर करते हैं…

निकिता भर्राई हुई आवाज़ में बोली- राज जी, यू रियली इम्पॉसिबल… मैं तो सच में हैरान हूँ… आपको ज़रा सा भी डर नहीं लगा… कोई देख लेता तो?
मैंने हंसकर कहा- अच्छा निकिता जी, छोड़िये इन बातों को… आप तो दिल पर हाथ रखकर बताइये कि जब मैं आपके जन्नत की हूरों जैसे पांव चूम रहा था तो आपको भी अच्छा लग रहा था ना?

निकिता कुछ देर सोचती रही, फिर बोली- हाँ अच्छा तो लग रहा था… ना जाने मुझे क्या क्या सा कुछ हो रहा था..
मैंने तुरंत उसका संगमरमर जैसा हाथ थाम लिया और कहा- देख अब यह निकिता जी और राज जी का किस्सा ख़त्म करते हैं… मेरे सभी दोस्त मुझे राजे कह के पुकारते हैं…और मैं अपने दोस्तों को रानी..
निकिता भी हंसी- अच्छा जी… तो आप अपने आदमी दोस्तों को क्या राजा कह के बुलाते हैं?
मैंने कहा- नहीं मैं किसी आदमी से दोस्ती नहीं करता… और हाँ राजे की दुनिया में कोई किसी को आप नहीं कहता… तू और सिर्फ तू…. और जितनी भारी भरकम गालियाँ हो सकें वो भी… आ गई बात समझ में बहन की लौड़ी रानी?

निकिता- ओये होए, तुम तो फ़ौरन ही तू तड़ाक और गाली पर उतर आए… ज़रा भी इंतज़ार नहीं किया… उल्लू कहीं के!
मैं मन ही मन हंसा, यह आप से तुम पर तो आ गई और एक नन्ही सी शुद्ध शाकाहारी गाली भी दे दी। आ जायगी धीरे धीरे असली गालियों पर भी। लड़की है शुरुआत से ही सीधी तगड़ी गालियों तक थोड़े ही पहुँच जायगी।

मैंने उसके हाथों को चूमा और कहा- रानी रानी रानी… मैंने तेरा 46 साल तक इंतज़ार किया है ना… अब और इंतज़ार नहीं होता..
अब फिर से निकिता रानी कंफ्यूज हो गई कि मैं क्या कहना चाह रहा हूँ, बोली- राजे मैं कुछ नहीं समझी… तुम कई बातें ऐसी क्यों करते हो जिनको समझने के लिए दिमाग पर इतना ज़ोर डालना पड़े।
मैं हँसते हुए बोला- रानी, मेरी उम्र 46 साल की है और तू मुझे अब मिली है तो मैंने किया ना तेरा 46 साल तक इंतज़ार?

निकिता रानी ने फूल से दोनों हाथों से मुक्के मेरी छाती पर मारे- राजे, तुम शरारती ही नहीं बहुत बदमाश भी हो… बहुत बहुत बड़े बदमाश… बातें तो जितनी मर्ज़ी मिलवा लो तुमसे… जूसी ऑन्टी बहुत सीधी हैं जो तुम्हें लट्ठ की तरह सीधा नहीं किया…
मैं फिर हंसा- रानी तेरी माँ की चूत, मैं तो पहले से ही हूँ लट्ठ जैसा सीधा तो वो सीधे को क्या सीधा करती…
निकिता- तुम हो तो जलेबी जैसे लेकिन ड्रामा करने में उस्ताद हो कि तुमसे सीधा इंसान तो ढूंढे ना मिले… अच्छा माँ की गाली क्यों दी?
मैं- बहनचोद, तुझे अभी तो बताया था कि राजे की दुनिया में गालियाँ देना अनिवार्य है… अभी भी तू मुझे तुम कह रही है कमीनी… वैसे अगर तुझे नहीं पसंद तो नहीं दूंगा माँ की गाली..
निकिता- नहीं नहीं, तेरे मुंह से अच्छी लगती है ये गालियाँ… लेकिन किसी के सामने नहीं… जब हम तुम हों तभी!

मैंने सिर हिला कर सहमति जताई और निकिता रानी को साथ ले चला डिनर के लिए, जूसीरानी को भी ले लिया और हम तीनों फिर बुफे टेबल पर चले गए।
बहुत बढ़िया खाना था, भारतीय, चाइनीज़, कॉन्टिनेंटल सब तरह के व्यंजन थे और बहुत स्वादिष्ट भी।
खाना खाकर मैंने निकिता रानी से पूछा कि वो आई कैसे थी।
उसने बताया कि वो टैक्सी करके आई थी और टैक्सी में ही जाना पड़ेगा।
तो जूसी रानी ने कहा- टैक्सी क्यों करती हो हम तुमको ड्राप कर देंगे।

घर लौटते हुए हमने निकिता रानी को उसके घर पर ड्राप कर दिया। वो एक और लड़की के साथ शेयर्ड फ्लैट में रहती थी। हमारे घर से उसका घर कोई 15 मिनट की दूरी पर था।

घर पहुँचते ही मैंने जूसी रानी को जकड़ लिया और धड़ाधड़ खूब सारे चुम्मे उसके मुंह पर दागे।
एक तो वो वैसे ही बहुत सुन्दर है और पार्टी के लिए सज धज के बेहद सेक्सी भी लग रही थी। हरामज़ादी फ़ौरन चोद देने के लायक थी। उसको गोदी में उठाकर मैंने वहीं सोफे पर लिटा दिया और और उसके कपड़े खींच खांच के उतार के इधर उधर फेंक डाले, फिर खुद भी नंगा हो गया।

और फिर जो यारों उसकी चुदाई हुई है तो मस्ती का खुमार छा गया दोनों पर। चुदाई के बाद मैंने एक बोतल सफ़ेद वाइन की खोली और वहीं नंगे पड़े हुए दोनों ने वाइन का मज़ा लिया। वाइन ख़त्म हुई तो मैं उसको गोदी में उठाकर बैडरूम में ले गया और फिर से चोदा।

मेरे दिमाग में निकिता रानी की गर्मी भी चढ़ी हुई थी जिसका फायदा जूसी रानी को मिला, माँ की लौड़ी उस रात तीन बार चुदी, फिर हम नंगे ही लिपट कर सो गए।
कहानी जारी रहेगी।

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