पेट्रोल पम्प पर झगड़े का हसीन फल- 1
(Aurat Ki Chudai Kahani)
औरत की चुदाई कहानी एक पेट्रोल पम्प मालकिन की चूत की आग बुझाने की है. उसके पेट्रोल पम्प पर हुए झगड़े में हमारी मुलाक़ात हुई थी जो दोस्ती में बदल गयी.
तारीख 25 दिसम्बर समय शाम के 7 बजे मैं अपने दोस्त विशाल के साथ एक पार्टी में जा रहा था.
रास्ते में एक पेट्रोल पंप पर मैंने अपनी बाइक रोकी और 200 रूपये का पेट्रोल डालने को कहा.
सेल्समैन ने क्या हेराफेरी की, यह तो मैं नहीं समझ पाया लेकिन इतना कन्फर्म था कि मेरी बाइक में 200 रूपये का पेट्रोल नहीं डाला गया.
मेरे आपत्ति दर्ज कराने पर पंप के कर्मचारी एकत्र होकर मुझे समझाने लगे.
मैंने पंप मैनेजर से कहा- मैं माप तौल विभाग और पुलिस को सूचना दूँगा और उनके आने पर मेरी बाइक का पेट्रोल नापा जायेगा. यदि 200 रूपये का पेट्रोल नहीं निकला तो आप जवाब दीजियेगा.
मेरे जेब से मोबाइल निकालते ही मैनेजर ने कहा- सर, दस मिनट का समय दे दीजिये, मैं अपने मालिक को बुला लेता हूँ.
“बुला लो, मुझे कोई जल्दी नहीं है.”
दस मिनट में ही एक लम्बी सी मर्सिडीज कार में पंप मालिक सुधीर आ गये और बोले- मैं अपनी वाइफ के साथ एक पार्टी में जा रहा था. मैनेजर का फोन आया तो मैंने गाड़ी इधर मोड़ दी, बताइये क्या दिक्कत है?
मेरे द्वारा मामला बताने पर उन्होंने अपने कर्मचारियों का बचाव करने का प्रयास किया तो मैंने कहा- ऐसा लगता है कि इस हेराफेरी में आप भी शामिल हैं.
इस पर बातचीत में गर्मागर्मी बढ़ गई.
तभी मालिक की पत्नी कार से निकल कर आई, पूरी बात सुनी और पंप मैनेजर से कहा- साहब की बाइक में तेल कम डाला गया है या ज्यादा, भूल जाओ. 200 रूपये का तेल और डालो, साहब का जो टाइम तुमने खराब किया, उसके लिए मैं सॉरी कहती हूँ.
उस महिला का व्यक्तित्व इतना प्रभावशाली था कि मैं कुछ बोल ही नहीं पाया, बस उसे देखता रह गया.
मुझे अपना नम्बर देते हुए मालिक की पत्नी बोलीं- भविष्य में किसी भी पेट्रोल पंप पर कोई दिक्कत हो तो आप मुझे कॉल करियेगा. मेरा नाम चित्रा है. इस पंप का लाइसेंस मेरे नाम से है और मैं जयपुर पंप एसोसिएशन की सेक्रेटरी हूँ.
मैडम ने मेरा नम्बर अपने फोन में सेव कर लिया.
बाइक आगे बढ़ाते ही विशाल बोला- मैडम बहुत तेज और समझदार हैं. वो जानती थीं कि अगर माप तौल विभाग व पुलिस के लोग आये तो लाख पचास हजार से कम चूना नहीं लगेगा.
इसके 6 दिन एक जनवरी को नया साल आ गया.
दोपहर का समय था, मिसेज चित्रा का फोन आया- विजय जी, गुड ऑफ्टरनून. मैं चित्रा बोल रही हूँ, आपको नववर्ष की बहुत बहुत बधाई.
“आपको भी नये साल की शुभकामनाएं. मैं आभारी हूँ कि आपने बधाई देने के लिए मुझे कॉल किया.”
“मैंने आपको कॉल तो इसलिये किया है कि आपका एड्रेस जान लूँ ताकि आपको नये साल की डायरी, कैलेण्डर आदि भेज सकूँ.”
मेरे एड्रेस बताने पर बोलीं- आप तो पड़ोसी निकले, हम भी अशोक नगर में ही रहते हैं, गाँधी स्कूल के पास.
कुछ देर की बातचीत के बाद कॉल समाप्त हो गई.
शाम को उनका एक कर्मचारी डायरी, कैलेण्डर व चाकलेट का डिब्बा दे गया.
मैंने धन्यवाद कहने के लिए फोन किया तो बोलीं- किस बात का धन्यवाद, विजय साहब. जीवन में सम्बन्ध ऐसे ही बनते हैं, उस दिन अगर आप पुलिस बुलाने की जिद पर अड़ जाते तो हमारे लिए मुसीबत हो जाती. लेकिन आपने गुड ब्वॉय की तरह मेरी बात मान ली, ऐसे में मेरा भी कुछ फर्ज बनता है. बाई द वे आप करते क्या हैं?
“मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव हूँ!”
“अरे वाह. तब तो आप बड़े काम के आदमी हैं. हमको पतला होने की कोई दवा दे दीजिये.”
“आप ठीक तो हैं, मोटी कहाँ हैं?
“हा हा हा. मैं मोटी नहीं हूँ. आप भी अच्छा मजाक करते हैं.”
“नहीं, मैडम. मैं मजाक नहीं कर रहा. आपकी बॉडी परफेक्ट है. फिर भी आप कुछ कम करना चाहें तो मैं दवा दे दूँगा.”
“दे दीजियेगा, मैं पाँच सात किलो कम करना चाहती हूँ.”
अब अक्सर बातचीत और व्हाट्सएप पर चैटिंग होने लगी.
तभी एक दिन चित्रा ने कहा- आपने मुझे दवा नहीं दी?
“सॉरी, मैं भूल गया था. आप किसी को कल मेरे घर भेज दीजिये, मैं दे दूँगा.”
“किसी को आपके घर भेज दूँ? आपका हमारे घर आना वर्जित है क्या? हा हा हा…”
“नहीं, ऐसी बात नहीं है. मुझे लगा कि मेरा आपके घर आना सुधीर साहब को अच्छा लगेगा या नहीं?”
“क्यों? सुधीर को इसमें क्या आपत्ति हो सकती है? वैसे सुबह 9 बजे सुधीर दोनों बेटियों बरखा और बहार को लेकर निकल जाते हैं, उनको स्कूल ड्राप करके दस बजे तक शोरूम पहुंच जाते हैं.”
“आपकी दो बेटियां हैं? और ये शोरूम क्या है?”
“बरखा, बहार हमारी जुड़वां बेटियां हैं. बरखा 5 मिनट बड़ी है. और मॉल रोड पर हमारा ज्वैलरी का काफी बड़ा शोरूम है.”
“ठीक है, मैं अमूमन दस बजे घर से निकलता हूँ, कल आपके घर की तरफ से होते हुए अपने ऑफिस निकल जाऊँगा.”
“हमारे साथ एक कप चाय पीनी पड़ेगी, इतना समय लेकर आइयेगा.”
दूसरे दिन मैं उनके घर पहुंचा तो आलीशान कोठी देखकर दंग रह गया.
मैंने चित्रा को दवा दी, डाइट प्लान बताया.
इतने में उनकी नौकरानी चाय ले आई.
चित्रा ने नौकरानी से कहा- तुझे जाना हो तो चली जा, शाम को जल्दी आ जाना.
चाय पीते पीते मैंने उसकी कोठी की तारीफ की तो बोली- आप चाय पी लीजिये, फिर आपको ऊपर तक दिखाती हूँ.
तो चाय पीने के बाद कोठी का एक एक कोना दिखाते हुए अंत में वो अपने बेडरूम में पहुंची.
शानदार कमरा, आलीशान फर्नीचर.
मैंने कहा- मैडम, आपका बेडरूम तो जन्नत से भी सुन्दर है.
“है, विजय. माना मेरा बेडरूम जन्नत से भी सुन्दर है लेकिन तुम्हारे जैसे फरिश्ते के बिना अधूरा है. मैं तुम्हें साफ साफ बताऊँ कि सुधीर के साथ मेरा जिस्मानी रिश्ता पिछले चार पाँच साल से न के बराबर है. और मेरी किटी पार्टी की सभी फ्रेंड्स की पर्सनल लाइफ लगभग ऐसी ही है. इस उम्र में आकर पति पैसे के पीछे भागते रहते हैं और औरतें घर में तड़पती हैं. सुधीर अक्सर देर से लौटते हैं, ड्रिंक करके, डिनर करके आते हैं और आते ही सो जाते हैं. मेरी फ्रेंड्स ने तो अपने घरेलू नौकरों को सेट कर रखा है. तमाम बार इच्छा होने के बावजूद मैं ऐसा नहीं कर सकी. उस दिन पेट्रोल पंप पर तुम्हें देखा तो मुझे लगा कि मेरे सपनों के राजकुमार तुम हो. मैंने ईश्वर से प्रार्थना की कि तुम्हारे दिल में मेरे लिए जगह बनाये.”
इतना कहकर चित्रा ने अलमारी खोली और लगभग 50 ग्राम वजन की सोने की चेन मेरे गले में डालते हुए बोली- विजय मेरे प्यार का यह उपहार स्वीकार करो.
ढाई, तीन लाख रुपये की चेन गले में और जीवन में पहली बार किसी औरत की चुदाई का मौका मैं कैसे छोड़ सकता था.
मैंने चित्रा का हाथ चूमकर कहा- चित्रा, मैं तुम्हारी हर जरूरत पूरी करने की कोशिश करूंगा.
चित्रा मेरे गले लग गई और मुझे बेतहाशा चूमने लगी. चित्रा ने एक बार फिर से अलमाँरी खोली और खाकी रंग का एक लिफाफा मुझे देते हुए कहा- यह मैं कल ही लेकर आई हूँ.
मैंने खोलकर देखा तो उसमें 20 कॉण्डोम का पैक था.
“यह कितने दिन में खत्म करना है?”
“मैं तो चाहती हूँ कि इसे खत्म करने से पहले तुम इस बेडरूम से बाहर न जाओ.”
और हम दोनों मुस्कुरा दिये.
हालांकि घर में हम दोनों के सिवाय कोई नहीं था फिर भी मैंने बेडरूम का दरवाजा बंद किया और चित्रा को गोद में उठा लिया.
लगभग 35-36 साल की उम्र, 5 फीट 4 इंच कद, गोरा रंग, तीखे नैन नक्श, 38 साइज की चूचियां और 42 इंची चूतड़.
कुल मिलाकर चोदने लायक सामान था और फिर इतना गजब का भुगतान कर रही थी.
उसे बेड पर लिटाया तो बोली- तुमने तो ऐसे उठा लिया जैसे रबर की गुड़िया हो, सुधीर तो तब भी नहीं उठा पाये थे, जब मैं इससे आधी थी.
अपनी पैन्ट, शर्ट व बनियान उतार कर चड्डी के ऊपर से ही मैंने अपना लण्ड सहलाया और बेड पर आ गया.
जीवन में पहली बार मैं किसी को चोदने वाला था लेकिन ब्लू फिल्म्स देखकर बहुत तजुर्बा हासिल कर चुका था.
चित्रा की चूचियां सहलाते हुए मैं उसके होंठ चूसने लगा.
कुछ देर बाद चित्रा ने खुद ही अपना ब्लाउज व ब्रा खोलकर अपनी चूचियां मेरे सामने कर दीं.
मैं समझ गया, वो बहुत जल्दी में थी, बरसों से चुदासी थी.
मैंने उसकी साड़ी, पेटीकोट और पैन्टी उतारी और उसकी चिकनी चूत देखकर बावला हो गया.
मैं 69 की पोजीशन में आकर चित्रा की चूत चाटने लगा तो उसने मेरी चड्डी उतार दी और मेरा लण्ड पकड़कर चूसने लगी.
चित्रा तो चुदासी थी ही, मेरा लण्ड भी अभी तक हस्तमैथुन से शांत होने का आदी था इसलिये पहली बार चूत में जाने के लिए उतावला हो रहा था.
मैंने अपने लण्ड पर कॉण्डोम चढ़ाया और चित्रा के चूतड़ उचकाकर एक तकिया रख दिया. अपने लण्ड का सुपारा चित्रा की चूत के मुखद्वार पर रखकर उसकी टाँगें फैला दीं. एक ठोकर मारकर लण्ड का सुपारा चित्रा की चूत में डाला और उसकी कमर पकड़कर पूरा लण्ड गुफा के अन्दर कर दिया.
“विजय, तुम्हारा लण्ड है या मूसल? मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि ऐसा भी लण्ड हो सकता है.”
“क्यों, बहुत तगड़ा है क्या?”
“हाँ विजय. तुमने ने मेरी जिन्दगी बदल दी. 18 साल हो गये चुदवाते हुए लेकिन ऐसा लग रहा है कि आज पहली बार चुदवा रही हूँ.”
“आपकी शादी को 18 साल हो गये?”
“नहीं, शादी को तो 16 साल हुए हैं.”
“मतलब शादी से पहले कोई आशिक था?”
“नहीं, आशिक नहीं था. हमारे कोच थे.”
चित्रा पूरी बात बताने लगी:
दरअसल जब मैं कक्षा 12 में पढ़ती थी तो अपने स्कूल की तरफ से खोखो खेलती थी. एक बार हमारी टीम मैच खेलने के लिए नैनीताल गई. वहाँ का मौसम इतना ठण्डा था कि चार पाँच लड़कियों को सर्दी लग गई. मैं भी उनमें से एक थी.
सुबह मैच होना था, रात को हमारे कोच अमन सर मेरे कमरे में आये, मेरा हाल चाल पूछा, मेरा मस्तक और कलाई पकड़कर मेरा तापमान देखा और बोले- तुम्हें बुखार तो नहीं है.
“थकावट और कमजोरी फील कर रही हूँ.”
“तुम्हारी थकावट और कमजोरी दूर हो जाये तो खेलने को तैयार हो?”
“हाँ, सर. इतनी दूर खेलने ही तो आये हैं.”
“ठीक है, तुम्हारे लिए बढ़िया मौका है, सुबह खेलो और ट्राफी जीतो. मैं अभी आता हूँ, तुम्हारी थकावट और कमजोरी की दवा लेकर.”
अमन सर कई साल से हमारे कोच थे. लगभग 45 साल की उम्र, साधारण कद काठी लेकिन चीते की तरह फुर्तीले.
थोड़ी देर बाद सर आये.
उनके हाथ में दो गिलास और गर्म पानी की केतली थी.
गिलास और केतली टेबल पर रखकर सर ने कमरे का दरवाजा बोल्ट कर दिया, मुझे थोड़ा सा अजीब तो लगा लेकिन कुछ खास नहीं.
सर ने दोनों गिलासों में आधा आधा गिलास गर्म पानी भरा और अपनी जेब से एक शीशी निकाली जिसपर थ्री एक्स रम लिखा था. सर ने आधी आधी शीशी दोनों गिलासों में खाली कर दी और एक गिलास मुझे देते हुए बोले- आँखें बंद करके पी जाओ.
मैंने एक घूँट पिया और बोली- बहुत कड़वा है.
“दवा मीठी भी होती है क्या? एक सांस में पी जाओ.”
मैंने एक सांस में गिलास खाली कर दिया.
सर धीरे धीरे सिप कर रहे थे.
गिलास खाली करने के बाद सर ने पूछा- अब ठण्ड लग रही है?
“नहीं, सर.”
मुझे तो गर्मी लगने लगी. इतना कहकर सर ने अपना कोट और ट्राउजर निकाल दिया.
अब वो टीशर्ट और चड्डी में थे.
मेरे कम्बल में घुसते हुए सर बोले- अब तुम्हारी थकावट का इलाज कर दें.
सर ने मेरी चूत पर हाथ रखा और मसलने लगे. मुझे सुरसरी हो रही थी.
तभी सर ने मेरी टीशर्ट और ब्रा निकालकर मेरी चूचियां खोल दीं और चूसने लगे.
मैं मदहोश होकर लेटी हुई थी.
सर ने अपनी चड्डी उतारी और मेरी टाँगें घुटनों से मोड़कर फैला दीं.
फिर सर ने अपने हाथ पर थूका और उसे अपने लण्ड पर चुपड़ दिया. मेरी चूत के लब खोलकर सर ने अपना लण्ड रखा, बहुत गर्म और चिकना लग रहा था.
थोड़ी देर की धक्का मुक्की के बाद सर का लण्ड मेरी चूत के अन्दर हो गया.
सर ने धक्के मारने शुरू किये तो मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया.
उस दिन से लेकर मेरी शादी वाले दिन तक सर मुझे लगातार चोदते रहे.
फिर सुधीर के घर आ गई और साल भर में ही बरखा, बहार पैदा हो गईं.
चित्रा की बातें सुनते सुनते मैंने उसकी चूत का भुर्ता बना दिया था. चूतड़ उचका उचकाकर उफ उफ करते हुए चित्रा ने मेरे लण्ड का पानी निकलवा दिया.
अब चुदाई का ये प्रोग्राम यदाकदा बनने लगा.
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औरत की चुदाई कहानी का अगला भाग: पेट्रोल पम्प पर झगड़े का हसीन फल- 2
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