आंटी का प्यार और चूत चुदाई
(Aunty Ka Pyar Aur Choot Chudai)
मैं अन्तर्वासना का एक नियमित पाठक हूँ। मैं कहानी पहली बार लिख रहा हूँ.. शायद आपको पसन्द आए या ना भी आए.. लेकिन मुझे मेल करना न भूलिए।
मेरी उम्र 25 साल है और मेरे लौड़े की लम्बाई और मोटाई औसत से बड़ी है। मुझे लड़कियों से ज्यादा खेली खाई औरतों की चूत चोदना ज्यादा अच्छी लगती है। क्योंकि औरत की चूत ज्यादातर बालों वाली होती है।
मैंने अकसर तस्वीरों में बालों वाली चूत देखी है, मुझे वो देख कर बालों वाली चूत चोदने का मन करता है।
एक बार मैं गांव में दोस्त की शादी में गया था, दोस्त की बारात में जाना था।
वो मेरा सबसे अच्छा दोस्त था।
उसके पास एक इंडिका गाड़ी थी और बारात में जाने के लिए 3 बसों की व्यवस्था थी।
उसने मुझे खुद के साथ बैठने को कहा।
मगर उसकी बहन और जीजा की वजह से मैंने उससे कहा- मैं बस से आ जाऊँगा।
दो बसें जा चुकी थीं.. इसलिए तीसरी बस में सिर्फ़ 15 या 17 लोग ही थे। उसमें तीन लेडीज थीं। उनमें 2 अपने पति के साथ बैठी थीं। सभी लोग आगे की सीटों पर बैठे हुए थे और मैं अकेला पीछे की सीट पर बैठ गया था।
क्योंकि मैं शादी में बहुत थक गया था और मुझे लेटना था।
बारात को पहुँचने में 6 घंटे लगने वाले थे। शाम के 6:30 बज चुके थे। गांव का रास्ता खराब होने की वजह से बस धीमी रफ्तार से चल रही थी।
देखते ही देखते अन्धेरा होने लगा था मुझे बस की आवाज की वजह से नींद नहीं आ रही थी।
अचानक मेरे नजदीक की सीट पर अकेली बैठी एक आंटी ने मुझे बुलाया।
मैं आंटी के पास गया, आंटी से पूछा- क्या बात है?
तो आंटी बोलीं- बेटा मुझे पेशाब करना है।
बस में आंटी से ज्यादा उम्र के लोग बैठे थे इसलिए आंटी ने मुझे बुलाया था। मैंने ड्राईवर के कान में कारण बताते हुए कहा- बस रोक दो..
ड्राईवर ने बस रोकी.. बस में सभी सोए हुए थे।
आंटी नीचे उतरीं और बस के पीछे अंधेरा होने की वजह से आंटी ने अपनी साड़ी ऊपर की और बस की लाल लाइट की रोशनी में ही बैठ गईं।
मैं बस में पीछे की ओर ही था।
आंटी ने बैठने के बाद साड़ी नीचे नहीं की और मुझे उनकी चूत बिल्कुल साफ दिखने लगी।
वाउ दोस्तो.. क्या चूत थी आंटी की..
उफ्फ.. मेरा लंड तो आंटी की चूत को सलामी देने लगा।
आंटी ने अपनी चूत के होंठ अपनी दो उंगलियों से खोले और पेशाब सुर्र की आवाज करते हुए निकलने लगी।
हाय क्या धार थी पेशाब की.. बिल्कुल सीधी ओर तेज..
जब उनका मूतना बन्द हुआ तो आंटी ने खड़ी हो कर अपनी पैन्टी निकाल दी और अपनी साड़ी में छुपा ली।
अब आंटी बस में चढ़ आईं और बस चालू हो गई।
आंटी बस में आकर मुझसे बोलीं- मैं यहाँ तुम्हारे साथ बैठ जाऊँ.. मैं बोर हो रही हूँ।
मैंने आंटी को ‘हाँ’ कहा और बोला- मैं भी बोर हो रहा था।
आंटी फ़ौरन अपनी सीट पर से अपना हैण्डबैग लाईं और मेरे साथ वाली सीट पर बैठ गईं। अब वो अपनी पैन्टी चुपके से अपने बैग में रखने लगीं।
मैं चोर नजरों से वो देख रहा था।
वो पैन्टी रखने के बाद इधर-उधर की बातें करने लगीं।
उन्होंने बताया कि उनके पति सरकारी अफ्सर हैं और ज्यादा बाहर ही रहते हैं।
मैंने कहा- आप मैनेज कर लेती हैं?
तो उन्होंने कहा- हाँ.. मैं तुम्हारे जैसे लोगों से बात करके वक्त निकाल लेती हूँ।
मैंने उनसे उनकी उम्र पूछी.. उन्होंने 34 कहा.. लेकिन दोस्तो वो अभी भी जवान लग रही थीं। उनकी फिगर 32-28-34 की लग रही थी।
फिर आंटी मुझसे बोलीं- तुमने शादी की?
मैंने हँसते हुए आंटी से बोला- नहीं की है.. लेकिन मैं अभी अपना कैरियर बनाना चाहता हूँ.. बाद मैं कर लूँगा।
आंटी बोलीं- गर्लफ्रेंड है?
मैंने बोला- पढ़ाई से ही टाइम नहीं मिलता।
आंटी बोलीं- ठीक है।
अब मुझे नींद आने लगी थी तो मैंने आंटी से बोला- मैं थोड़ी देर सो जाता हूँ।
उन्होंने ‘हाँ’कहा तो मैं सोने की कोशिश करने लगा।
लेकिन मेरी आँखों के सामने आंटी की बालों वाली चूत नजर आने लगी।
मैं आँखें बन्द करके सोने का नाटक करने लगा।
थोड़ी देर के बाद आंटी ने मेरी कोहनियों से अपने मम्मे टच कराने लगीं। मैं फिर भी सोता रहा। रास्ता खराब होने की वजह से आंटी को मजा आ रहा था।
मेरा लण्ड भी अब खड़ा होने लगा था।
अब मैंने अपने आपको सैट किया और अपने दोनों हाथ अपनी बगल में डाल दिए। कुछ मिनट के बाद मैं भी आंटी के मम्मों पर अपनी उंगली घुमाने लगा।
आंटी भी सोने का नाटक कर रही थीं और वो मेरी और खिसकती आ रही थीं।
अब मैंने हिम्मत करके उनके मम्मों पर अपने हाथ रख दिए और उन्हें सहलाने लगा।
कुछ मिनट के बाद आंटी ने मेरे कान में आकर बोला- नींद नहीं आ रही?
मैं चौंक गया और अपने आपको सीधा करने लगा।
इतने में आंटी बोलीं- कोई बात नहीं.. ऐसे ही बैठे रहो।
मेरी जान में जान आई.. मैंने आंटी से बोला- तुम्हें मजा आ रहा है?
आंटी ने अपनी सेक्सी अदा से बोला- अअ.. अऊऊ.. बहुत।
मैंने उनसे कहा- अपना ब्लाउज़ निकाल दो।
आंटी बोलीं- पहले लाइट बंद करवा दो।
मैंने तुरन्त ड्राइवर के पास जा कर लाइट बंद करने को कहा और उसने लाइट बंद कर दी।
मैं अब वापस अपनी सीट पर बैठ गया आंटी ने अपने मम्मे बाहर निकाले और मेरा हाथ अपने मम्मों पर रखवा लिया। वाऊ.. क्या मम्मे थे उनके.. एकदम टाइट और रसीले.. उम्मह..
मैंने उनके मम्मों को टच करते ही उनका साइज नाप लिया था। अब मैं उनके मम्मों को अपने हाथ से सहलाने लगा था।
आंटी को भी मजा आ रहा था और उनके मुँह से सिसकारियां निकल रही थीं, वो मुझे जोर से दबाने को बोल रही थीं।
आंटी की तड़प देख कर लग रहा था कि वो लण्ड के लिए तरसी थीं।
आंटी ने अपना हाथ मेरे लण्ड पर रखा और लण्ड को ऊपर से ही सहलाने लगीं।
एकाध मिनट के बाद ही वो मुझसे बोलीं- अपनी पैन्ट निकाल दो।
मैंने मौके को देख कर अपनी पैंट निकाल दी। आंटी ने मेरे लण्ड को अपने हाथ में लिया और उसे प्यार से सहलाने लगीं।
मैं भी अब गरम होने लगा था। मेरा लण्ड अब अपने पूरे उफान पर था।
आंटी मेरे लण्ड को सहलाते हुए बोलीं- बेटा ऐसा मोटा लौड़ा मैंने कभी भी नहीं लिया है।
मैंने आंटी से बोला- घबराओ मत.. मैं आपको आराम से चोदूँगा।
आंटी ने मुझसे बोला- मैंने ऐसा लण्ड कभी चूसा भी नहीं है।
मैंने बोला- अब चूस लो।
आंटी ने झट से झुक कर मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और दबा कर चूसने लगीं।
वाऊऊऊऊ.. क्या लण्ड चूसती थीं मानो जैसे लण्ड चूसने में वो माहिर हों। मैं तो जैसे स्वर्ग में विचरण कर रहा था।
आंटी मेरे लण्ड को मुँह से अन्दर-बाहर करने लगीं, इससे कभी-कभी ‘फुक.. फुक..’ की आवाज आने लगी।
कुछ ही मिनट के बाद मैं झड़ने वाला था, मैंने आंटी को बोला तो आंटी ने मुझसे बोला- ये तुम्हारा पहला फक है.. इसलिए अपना रस मेरे मुँह में ही निकाल दो।
मैंने अगले मिनट में ही मेरा सारा माल उनके मुँह में निकाल दिया और आंटी मेरा सारा माल पी गईं।
अब आंटी ने मुझसे बोला- बेटे अब तुम्हारी बारी..
मैं खुश हो गया।
मैं झट से आंटी के मम्मों को चूसने लगा और दो मिनट के बाद आंटी की साड़ी ऊपर करके आंटी के पैर खोल कर चूत को सूंघने लगा।
काम रस से भीगी हुई चूत की क्या मस्त महक थी।
मैं आंटी की चूत के बालों को अपनी जीभ से चाटने लगा और उनकी चूत को अपनी जीभ से खोलने लगा।
अभी भी आंटी की चूत से पेशाब की खुशबू आ रही थी और पेशाब के नमकीन स्वाद को मैं मजे से चाट रहा था।
थोड़ी देर बाद मैंने आंटी के दाने को अपनी जीभ से हल्के से टच किया.. तो आंटी सिहर उठीं- ऊफ्फ्फ..
मैं दाने को जीभ से जोर से चाटने लगा।
आंटी की चूत का नमकीन स्वाद मुझे और गर्म करने लगा।
कुछ मिनट चूत चाटने के बाद आंटी ने अपना ढेर सारा पानी निकाल दिया और मैं पूरा रस चाट गया।
चूत का क्या मस्त नमकीन पानी था।
अब आंटी ने मुझसे कहा- मैं तुम्हारा लण्ड तैयार करती हूँ।
वो मेरे पैरों की तरफ बैठ कर मेरे लण्ड को चूसने लगीं।
मेरा लण्ड आंटी के जीभ के स्पर्श पाकर जल्द ही टाइट हो गया।
फिर आंटी ने मुझसे बोला- तेरा लण्ड बहुत बड़ा है.. धीरे से डालना।
मैंने आंटी से बोला- आपसे जितना लिया जा सके.. उतना ही ले लो।
आंटी मुझे होंठों पर किस करने लगीं और बोलीं- तुम कितने अच्छे हो.. मुझे तुम रोज चोदना।
मैंने उनका एक दूध दबा दिया।
उन्होंने मुझसे कहा- मैं तुम्हारी गोदी में बैठ कर तुमसे चुदवाऊँगी.. तुम बहुत प्यारे हो।
मैं ठीक से बैठ गया और वो अपनी साड़ी ऊपर करके अपनी चूत को मेरे लण्ड पर सैट करके मेरा लण्ड अपनी चूत में लेने लगीं। आधा लौड़ा लेने के बाद उनको तकलीफ होने लग़ी और वो खड़ी हो गईं।
उन्होंने मेरे लण्ड पर ढेर सारा थूक लगाया और फिर से बैठ गईं।
इस बार उन्होंने करीब दो-तिहाई लण्ड लील लिया।
मैं भी उनको तकलीफ ना हो.. ऐसे करते हुए धीरे-धीरे लण्ड को अन्दर-बाहर करने लगा।
करीब दो मिनट के बाद आंटी ने मेरे लण्ड को और अन्दर चूत में घुसाया और अब मैं उनके मम्मों की टोंटियों को अपनी उंगली से मसलने लगा।
आंटी ने भी अब तक मेरा पूरा लण्ड अपनी चूत में ले लिया और धीमे-धीमे ऊपर-नीचे होने लगीं। आंटी पीछे मुँह करके मेरे होंठों को चूमतीं और मुझसे बोलतीं- बेटे तुमने तो मुझे बहुत खुश कर दिया है।
वो फिर से मुझे चूमतीं।
मैं उनके मम्मों को जोर से मसल रहा था, उनसे पूछा- दर्द तो नहीं होता है?
वो फिर से मुझे किस करते हुए बोलीं- नहीं बेटे.. तुम मुझे बहुत प्यारे लगते हो.. तुम्हें मुझे जैसा चोदना हो.. चोदो, में दर्द सहन कर लूँगी।
मुझे उनसे हमदर्दी होने लगी और मैंने बोला- आंटी आप बहुत अच्छी हो.. आपको जैसे अच्छा लगे.. उसी तरह से मेरा लण्ड लेती जाओ।
आंटी बहुत दिनों से लण्ड की भूखी लग रही थीं।
आंटी की चूत भी अब खुलने लगी थी, अब आंटी ने स्पीड बढ़ाई और जोर से मुझे चोदने लगीं।
कुछ मिनट के बाद आंटी ने पानी निकाल दिया और उन्होंने मुझे जोर से चूम लिया।
वो एकदम से रोते हुए बोलने लगीं- काश.. तुम मुझे रोज चोदते।
मैंने उनसे बोला- आप मुझे जब भी बुलाओगी.. मैं आपको आकर चोद दूँगा.. बस मुझे कॉल कर देना।
आंटी ने बोला- अब तुम मुझे जैसे चोदना चाहो.. चोद लो मैं तो झड़ गई हूँ।
मैंने फिर से कहा- आंटी मैं जानवर नहीं हूँ। मैं आपसे बहुत खुश हूँ.. मैंने पहली बार कोई चूत मारी है.. उल्टा मैं आपका शुक्रगुजार हूँ। अगर आप थक गई हो.. तो बैठ जाओ।
मगर आंटी ने मुझे चूमा और बोला- मैं भी इतनी खुदगर्ज नहीं हूँ.. जो तुम्हें ऐसे ही छोड़ दूँ.. तुम अपना पानी निकाल लो।
मैंने कहा- ठीक है।
अब मैं अपने काम पर लग गया और आंटी को झुका कर घोड़ी बना लिया।
अब आंटी अपनी साड़ी उठा कर खड़ी हो गईं। मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और तेजी से चोदने लगा। कुछ मिनट के बाद मैं झड़ने वाला था.. तो आंटी ने मुझे फिर से खड़े हो कर चुम्बन किया और बोलीं- अन्दर करोगे कि मुँह में लूँ?
मैंने कहा- जो आपको सही लगे।
आंटी सीधे होते हुए नीचे बैठीं और मेरे लण्ड को चूसने लगीं।
थोड़ी देर में मेरा पानी निकल गया और आंटी ने मेरा पानी अपने मुँह में ले लिया।
अब वो मुझसे बोलीं- ठीक हो तुम..
मैंने आंटी को अपनी बांहों में ले लिया और उनको किस करने लगा।
फिर आंटी ने मुझे नंगा ही अपनी गोदी में लिटा लिया और मेरे सर पर हाथ घुमाने लगीं।
वे मुझसे बोलीं- तुम कितने अच्छे हो.. अगर तुम्हारी जगह कोई और होता तो मुझे बहुत जोर से चोदता और मेरी मर्जी के खिलाफ मेरी चूत का और मेरी मजबूरी का गलत इस्तेमाल करता।
मैं चुप रहा।
उन्होंने मुझे फिर से चूमा और बोला- तुम ये बात किसी से बोलोगे तो नहीं?
मैंने आंटी को बोला- आंटी मुझे आपकी सब बात मालूम हो गई है.. मैं आपकी मजबूरी समझ चुका हूँ। मैं आपके साथ पूरी तरह से वफादार रहूँगा.. ये मेरा वादा है।
दोस्तो आज भी मैं आंटी से हफ्ते में दो बार मिलता हूँ और उनको मैं उनकी मर्जी से चोदता हूँ। वो भी मेरी मर्जी जान कर मेरे लण्ड को दर्द के साथ सहन कर लेती हैं।
मेरी कहानी आपको केसी लगी वो मुझे जरूर बताना। मेरा ईमेल आईडी नीचे लिखा है।
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