अफ्रीकन सफ़ारी लौड़े से चुदाई -14

(African Safari Laude Se Chudai- Part 14)

This story is part of a series:

मेरे प्यारे दोस्तो.. मैं आप लोगों की तहेदिल से शुक्रगुज़ार हूँ.. जो आपने मुझे इतना प्यार दिया.. आम लोग तो प्यार से दूसरों को पलकों पर बिठाते हैं.. पर आप लोगों ने मुझे उससे भी ऊँचा दर्जा दिया और मुझे अपने लंड पर बिठा लिया। इसके लिए मैं आपको और आपके लंड दोनों को शुक्रिया कहना चाहूँगी..
जिन्होंने अपने लंड के तस्वीरें मुझे भेजी और देसी सफारी काले लंड का एक नज़ारा दिखाया क्योंकि मैंने शायद ही इतने बड़े भारतीय लंड को देखा होगा।

आशा है आप यूँ ही अपना प्यार मुझ पर न्यौछावर करते रहेंगे।
खैर छोड़िये इन बातों को.. हम अपनी अफ्रीकन चुदाई के सफरनामे को आगे बढ़ाते हैं।

अब तक आपने पढ़ा..

कमरे में आकर जेरोम ने मुझसे कहा- क्यों न तुम हमारे साथ हमारे घर चलो?
मैंने दो मिनट सोचा और फिर कहा- किसलिए.. अगर मैं तुम्हारे साथ गई तो तुम लोग फिर मुझे इसी तरह चोदते रहोगे.. जैसे पिछले बारह घंटे से मेरी मार रहे हो।
जरोम बोला- नहीं… अगर तुम चाहो तो हमारे साथ एक-एक दिन बिताओ और फिर तुम जिसे चाहो.. उसे चुन लेना, फिर तुम जो चाहो कर सकती हो।

मुझे आईडिया तो पसंद आया और इसी बहाने के काले लंडों को जानने का मौका भी मिलेगा.. मैंने यही सोच कर ‘हाँ’ कर दी। हम तैयार हुए, मैंने कुछ कपड़े बैग में रखे और नीचे आ गए।
नीचे आए.. तो देखा मेरी सहेली दो लन्डों के बीच में सैंडविच बनी पड़ी है।
हमने उन्हें उठाया और उन्हें भी साथ चलने को कहा।
मेरी सहेली ने कहा कि वो बाद में आएगी, अभी तुम जाओ। हमने कैब बुक की और सारे निकल पड़े चुदाई के अगले सफर पर..।

अब आगे..

हम कार में बैठे और निकल पड़े उनके घर बल्लभगढ़.. रास्ते में इन्होंने मुझे नहीं छोड़ा.. मेरे पर्स के नीचे से मेरी चूत को मसल रहे थे।

एक मेरी चूत सहला रहा था.. तो कोई मेरी जाँघों को सहला रहा था।

पूरे रास्ते इन्होंने मेरी सांस भारी कर रखी थी। जैसे ही घर पहुँचे.. घर देख कर मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं। इन्होंने घर के तीन माले भाड़े पर ले रखे थे जिनमें न सिर्फ बहुत सारे अफ्रीकन लंड होंगे.. पर कुछ अफ्रीकन चूत भी होंगी। ये लोग मुझे पहले माले पर ले गए.. जिसमें ये दोनों और साथ में एक इनका दोस्त रहता था.. जो कि एम्बेसी में काम करता था।

इन्होंने पहले मेरा उससे फॉर्मल इंट्रोडक्शन करवाया और फिर कहा- शी विल बी विद अस फॉर अ वीक! (ये हमरे साथ एक हफ़्ते तक रहेगी)

फिर तो वो भी अपनी औकात पर आ गया। इस बार अब मैं समझ गई थी कि ये साले मुझे बिस्तर से उठने नहीं देंगे।

पीटर मुझे लेकर कमरे दिखने लगा और फिर फिर कहा- तुम जाकर फ्रेश हो जाओ और कपड़े बदल लो।

मैंने अपनी बैग से एक टी-शर्ट और शार्ट उठाया और नहाने चली गई।
बाथरूम गई तो बाथरूम में इनके बदन की बड़ी अजीब सी खुश्बू आ रही थी। साबुन उठाया तो देखा गुलाब की शेप में साबुन था.. लाल कलर का। मैंने साबुन लगाया नहाया और कपड़े चेंज करके कमरे में आ गई।

तब तक इन लोगों ने भी चेंज कर लिया और शॉर्ट्स एंड बनियान में आ गए।

सब लोग लंच करने आ गए.. लंच में चावल और पनीर वाली फ्राइड राइस थी.. पर मैंने पूछा- ये क्या है?
तो उन्होंने बताया- वाली का कुकांगा।

नाम सुन कर मेरी हँसी छूट गई।

बातों-बातों में तीनों से हमारी पूरी कहानी अपने दोस्त को बता डाली और जेरोम ने खुलेआम मेरी शार्ट में हाथ घुसा कर चूत के साथ अठखेलियाँ करने लगा। मैं खा रही थी.. इसलिए उससे रोक भी नहीं पाई। वो चूत खुजाता रहा और मेरी चूत पानी निकालती रही.. जब उसका लंड थोड़ा शांत हुआ तो उसने हाथ निकाला और अपनी उंगलियों को मेरी जाँघों में पोंछ दिया।

हमारा खाना खत्म हुआ और हम लोग कमरे में बैठ कर हँसी-मज़ाक करने लगे। थोड़ी देर बाद पीटर के दोस्त ने मुझे अपने कमरे में बुलाया ताकि उससे जो एम्बेसी में गिफ्ट मिलते हैं उसका कलेक्शन दिखा सके।

मैं उसके पीछे-पीछे चल दी।

उसने मुझे ढेर सारे चीजें दिखाईं जो उसे गिफ्ट में मिली थीं। फिर हम बातें करने लगे और बातों-बातों में उसने मुझसे पूछ लिया- क्या मैं तुम्हें किस कर सकता हूँ।
तो मैंने ही आगे बढ़कर उसके होंठों से अपने होंठों का मिलन आरम्भ किया और फिर उसने चूसने का क्रीड़ा प्रारभ की।
मेरे होंठों की चूमते-चूमते वो मेरे मम्मों को भी ऊपर से दबा रहा था और उसे ज्यादा देर नहीं लगी.. मुझे निर्वस्त्र करने में।

अब मैं पूरी तरह से उसके आगोश में थी और उसने मेरे बदन को चूमना शुरू कर दिया।
धीरे-धीरे वो नीचे सरकता गया और मेरी सांसें बढ़ने लगीं और अब उसका पूरा ध्यान मेरी चूत पर था.. जो पहले से ही गरम हो चुकी थी।
उसने अपने होंठों से मेरी चूत के पानी का रसपान किया और फिर नए रस की खोज में मेरी चूत के गलियारों में मेरी चूत को अपनी जीभ की आँखों से ढूढ़ने लगा। मैं भी उसके बालों को पकड़ कर खुद को सँभालने की कोशिश में जुट गई।

काफी देर तक मेरी चूत चाटने के बाद वो अपनी उंगलियाँ तेजी से मेरी चूत से अन्दर-बाहर करने लगा और धीरे-धीरे गति बढ़ाने लगा।

कुछ ही समय में मेरी हालत ऐसी होने लगी थी कि किसी भी समय मेरी चूत का मूत बाहर आने वाला हो.. पर उसके हाथों की स्पीड और तेज हो गई और वो अपनी गति बढ़ाता ही जा रहा था। तभी अचानक मेरी चूत ने मूत्र का तेज धार वाला पानी उगल दिया और मुझे राहत की सांस मिली।

उसके पूरे चेहरे पर पानी भर गया और मैं उठ कर उसको चूमने लगी।
ये समय मेरी ज़िन्दगी में काफी टाइम बाद आया था और मुझे बहुत पसंद आया।

अब बारी मेरी थी.. उसके लंड का टेस्ट लेने का, मैंने उसको लेटाया और उसके पैंट नीचे कर दी। उसका तना हुआ लंड फटाक ने मुझे डंसने के लिए बाहर आ गया और हुंकार मारने लगा।
मैंने उसके लंड पर थोड़ा का थूक निकाल कर लगाया और अपने होंठों से किस्सी करने लगी, फिर अपने हाथों में उसका मूसल पकड़ कर उसको घुमा-घुमा कर हर तरफ से उसके नमकीन स्वाद का आनन्द उठाने लगी।

मैंने बीच-बीच में उसके गोटों को भी चूसने में कोई कोताही नहीं बरती। उसका लंड और तना हुआ हो गया और अब ऐसा लग रहा था.. जैसे ये मेरी चूत की चुनौती के लिए तैयार है..

पर मेरी चूत अभी भी गीली थी और मैं कुछ भी लेने को तैयार नहीं थी। इसलिए मैंने लंड को चूसना शुरू किया और स्पीड बढ़ाने लगी ताकि उसका वीर्य जल्दी से मेरे चेहरे को अपना प्यार न्योछावर करे।

थोड़ी ही देर में उसका पूरा वीर्य मेरे चेहरे पर और उसके लंड के आस-पास फ़ैल गया.. पर मैंने हार नहीं मानी और एक-एक बूँद को चूस लिया। फिर जब मेरा पेट भर गया.. तब जाकर मुझे सुकून मिला.. अब मैं चुदने के लिए तैयार थी।

मैं कुछ देर तक उसके लंड को चूसती रही और फिर जैसे-जैसे उसका लंड तनता गया.. मेरी चूत की प्यास और बढ़ती गई। कुछ ही देर में उसने मुझे उठा कर बिस्तर में पटक दिया।

अब मेरी चूत के सामने दुबारा परीक्षा की घड़ी आ चुकी थी.. पर मैंने भी ठान रखी थी कि इस परीक्षा का सामना लंड की तरह डट कर करूंगी।

उसने मेरी कमर के नीचे तकिया रख दिया और मेरे चूतड़ों को पकड़ कर थोड़ा ऊपर उठा लिया और अपना लंड मेरी चूत से सटाया और फिर आहिस्ता-आहिस्ता अपना लंड मेरी चूत में प्रवेश करने लगा। जैसे ही उसका लंड एक बार पूरी तरह से अन्दर घुस गया.. तो उसने फट से लंड बाहर निकाला और फिर अपना खेल शुरू कर दिया।

अब चुदाई का खेल अपनी चरम सीमा पर था.. वो भी बिना कोई मौका गंवाए अपने लंड से मेरी चूत को क्रिकेट की तरह भड़ाभड़ चोदने लगा और चूत के छक्के छुड़ाने लगा।

थोड़ी देर बार तब वो थक गया.. तो उसने मेरी गर्दन से मुझे पकड़ा और बगल में इस तरह घुमा दिया कि वो मेरे नीचे आ गया और मैं उसके ऊपर।

उसने अब फिर से मेरी गांड को अपने दोनों हाथों से पकड़ा.. मैंने अपने दोनों हाथ से उसके सर को पकड़ लिया और वो अपनी गांड उठा कर मुझे चोदने लगा और मुझे चूमने लगा, जोरों से अपनी गांड उठा कर अपना लंड मेरी चूत में धकेलने लगा।
जैसे ही वो थक गया उसने अपना लंड मेरी चूत से निकाला और चूत के नीचे रख दिया और मैं समझ गई और कुछ समय बाद उसने कहा- अब तुम्हारी बारी है।

मैं ऊपर उठी और उसका लंड पकड़ा और अपनी चूत में घुसा दिया। मैंने अपने दोनों हाथ उसके छाती पर रखे और जोरों से उसके लंड पर अपनी चूतड़ों को उठा कर पटकने लगी। करीब दस मिनट तक हम यूँ ही एक-दूसरे को चोदते रहे और साथ ही साथ वो मेरे मम्मों को चूसने का सुख भी भोगने में व्यस्त रहा।

जैसे ही मैं थक गई.. मैंने लंड को नीचे सरका दिया और उसके ऊपर लेट गई और धीरे-धीरे उसके लंड का वीर्य मेरी चूत से निकल कर उसके लंड पर गिरने लगा।

आगे की कहानी अगले भाग में।

आपको कहानी कैसी लगी मुझे जरूर बताइएगा और हाँ.. मेरी कहानी को रेट करना और कमेंट करना मत भूलना।
तब तक के लिए आपके लंड की रानी जूही को आज्ञा दें.. फिर मिलेंगे और जी भर के चुदेंगे।
आपके ईमेल और कमेंट्स का इंतज़ार रहेगा।
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