सुहागरात में चूत चुदाई-7
(Suhagraat Me Chut Chudai-7)
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सम्पादक : जूजा जी
मैं नीलम को अपनी बाँहों में भर कर उसकी चूचियों को दबाते हुए चूमने लगा।
वो शर्मा रही थी.. पर बड़े प्यार से चुम्मा दे रही थी। वो काफ़ी गरमा चुकी थी और मेरे लंड को मुठिया रही थी।
रूपा हमारे पास बैठ कर प्रेमालाप देखने लगी। मैंने अब देर नहीं की और उठ कर उसकी गाण्ड के नीचे तकिया रख दिया।
अब वो थोड़ा घबरा गई और बोली- यह क्या कर रहे हो?
रूपा ने जब उससे कहा कि अब उसकी चुदाई होगी.. तो वो फिर से नखरा चोदने लगी।
रूपा बोली- चल अब नखरे मत कर…
फिर उन्होंने प्यार से समझाया तो उसने टाँगें फैला दीं।
मैं उसकी टाँगों के बीच अपना लंड संभाल कर बैठ गया।
मैंने फिर रूपा को आँख मारी और उन्होंने उसके दोनों हाथ उसके सिर से ऊपर करके कस लिए और उसके ऊपर बैठ गई।
नीलम घबरा कर रोने लगी और बोली- ये क्या कर रही हो मम्मी.. छोड़ो मुझे…
मैंने सुपारा उसकी नाज़ुक चूत पर टिकाया और दबाना शुरू कर दिया। रूपा बोली- थोड़ा दुखेगा बेटी.. तू ज़्यादा छटपटाए नहीं.. इसलिए तेरे हाथों को पकड़ा है… तू डरना मत… पहली बार दर्द होगा, पर मज़ा भी आएगा।
मैंने सुपारा फँसाते ही कस कर ठाप मार दी.. ‘फक्क’ से सुपारा उसकी नाज़ुक चूत में घुस गया और नीलम दर्द से बिलबिला उठी।
वो चीखने वाली ही थी कि रूपा ने अपने हाथ से उसके मुँह को दबोच लिया।
उसने मुझे आँख मारी और मैंने तड़पती हुई नीलम की परवाह ना करते हुए फिर से एक धक्का मारा।
नीलम छटपटाते हुए बन्द मुँह से गोंगियाने लगी।
उस कुँवारी मखमली चूत ने मेरे लंड को ऐसे जकड़ रखा था जैसे किसी ने कस कर मुठ्ठी में पकड़ा हो।
नीलम की आँखों से आँसू निकलने लगे।
मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था।
मैं उससे करीब एक महीने के बाद सुहागरात मना रहा था और उसकी तड़प देख कर और भी उत्तेजित हो गया था।
मैंने उसे और तड़पाने के लिए जानबूझ कर कहा- रूपा रानी मज़ा आ गया.. नीलम की चूत तो आज फट ही जाएगी.. मेरे मोटे लंड से… पर मैं छोड़ने वाला नहीं.. आज चोद-चोद कर फुकला कर दूँगा इस नाज़ुक म्यान को…
वो और भी छटपटाते हुए रोने लगी, रूपा बोली- अब राजा.. जैसे भी करो तुम्हें ही सारी उम्र चोदनी है इसे..
मैंने भी सोचा ज़्यादा डराना ठीक नहीं होगा… अभी गाण्ड भी मारनी थी.. इसलिए तड़पा-तड़पा कर चोदना ठीक नहीं होगा। इसलिए मैंने झुक कर उसका निप्पल मुँह में भर लिया और चूसने लगा।
रूपा भी प्यार से उसकी दूसरी चूची को मसलने लगी।
धीरे-धीरे नीलम सामान्य होने लगी।
मेरा लंड उसकी नाजुक चूत में अभी 4″ ही घुसा था।
कुछ देर में उसका दर्द खत्म सा हुआ और वो बिल्कुल शांत हो गई।
मैं अब भी रुका हुआ उसकी चूची को बारी-बारी से चूस रहा था।
रूपा ने अब हाथ उसके मुँह से हटा लिया तो वो रोते स्वर में बोली- मम्मी बहुत दर्द हो रहा है.. इनसे कहो ना.. बस करें.. बाकी बाद में..
रूपा बोली- तुम चोदो राजा.. यह ज़रा ज़्यादा ही नाज़ुक है… देखना अभी किलकारियाँ भरेगी…
मैंने भी चूत ठोकना चालू रखा।
नीलम के सिर पर हाथ फेरते हुए बोली- नीलू बेटी.. अभी थोड़ा दर्द ओर होगा फिर बहुत मज़ा आएगा… देखा नहीं था.. उस दिन रिंकी कैसे मजे में चुदा रही थी..
अब वो शांत हो चली थी।
उसकी चूत भी थोड़ी गीली होने लगी थी, मैंने बचा हुआ लंड धीरे-धीरे करके पेलना शुरू कर दिया।
करीब-करीब 5″ लंड चूत में घुस गया, मैं आधे लंड से ही धीरे-धीरे धक्के मारने लगा।
उसे मज़ा आने लगा और वो सिसकारियाँ भरने लगी।
रूपा बोली- शाबाश मेरी बिटिया.. अब मज़ा आ रहा है न..
वो शर्मा कर आँसू भरी नज़रों से मेरी ओर देखने लगी।
रूपा मुझे आँख मारते हुए बोली- राजा तुम अपना काम पूरा करो.. मैं अपनी चूत की सेवा इससे करवाती हूँ।
वो उठ कर मेरी ओर पीठ करके नीलम के मुँह पर अपनी चूत जमा कर बैठ गई और उसके मुँह पर चूत रगड़ने लगी।
मैंने धीरे-धीरे पेलना शुरू कर ही दिया था, मेरा लंड बड़ी मुश्किल से अन्दर-बाहर हो रहा था।
मैंने उसकी क्लिट को मसलते हुए रगड़ना शुरू किया।
उसकी चूत कुछ देर में पसीज गई, फिर मैंने रूपा की दोनों चूचियों को कस लिया.. और ज़ोर से दबाया।
वो समझ गई अब मैं पूरा लंड घुसा दूँगा, उसने अपने चूतड़ों को उसके मुँह पर कस लिया और मैंने करारा धक्का मार दिया।
एक ‘फत्त’ की आवाज़ के साथ मेरा पूरा लौड़ा उसकी कमसिन चूत को फाड़ता हुआ जड़ तक पहुँच गया।
वो हाथ पैर फटकारते हुए तड़पने लगी..
पर उसके मुँह पर तो रूपा की चूत का ताला पड़ा था।
वो तड़पती रही और मैं ज़ोर-ज़ोर से चोदता रहा। उसकी चूत अब झड़ने लगी तो मैंने कहा- सासू जी अब मुझसे रहा नहीं जाता.. तुम हट जाओ.. मैं ज़ोर-ज़ोर से चोदना चाहता हूँ।
रूपा हट गई और नीलम चीखने लगी- ओह्ह मर जाऊँगीइइई.. हटाओ इसेए…
मैं उससे लिपट गया और चूमते हुए ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा।
उसकी साँसें ज़ोर-ज़ोर से चलने लगीं।
मैंने नीलम की जीभ अपने मुँह में ले ली और कस-कस कर चोदने लगा।
आख़िर उसे कस कर मैंने करारा धक्का मारा और अपना सारा वीर्य चूत में उड़ेल दिया।
उसी के साथ वो भी झड़ने लगी।
उसकी चूत इतनी तंग थी कि मेरा लंड झड़ने के बाद भी कसा हुआ था।
उसकी चूत लपलपाने लगी थी… मुझे झड़ने में भी बड़ा मज़ा आया।
झड़ने के बाद मैंने उसे प्यार से चूमा और उठ कर लंड बाहर खींच लिया…
उसके साथ ही जैसे चूत से वीर्य और खून की पिचकारी निकली.. सारा बिस्तर खून से लाल हो गया।
रूपा ने मेरे लंड को पहले साफ़ किया फिर उठ कर ब्रांडी की बोतल ले आई और उसे चूत पर फेरते हुए साफ़ करने लगी।
फिर उसकी चूत सहलाते हुए बोली- क्यों मज़ा आया या नहीं…
नीलम का दर्द कम हो चुका था… वो बोली- पहले तो लगा कि मेरी फट ही जाएगी.. पर आख़िर में मज़ा आया।
रूपा बोली- अब तुझे दर्द नहीं होगा सिर्फ़ मज़ा ही आएगा।
कुछ 15 मिनट तक हमने आराम किया।
नीलम काफ़ी शान्त हो चुकी थी।
रूपा ने उसे ब्रांडी का पैग दिया और कहा- इसे दवा समझ कर पी लो.. दर्द पूरी तरह मिट जाएगा।
तीन पैग के बाद वो मस्त होने लगी।
वो उठ कर रूपा को चूमने लगी और फिर उसकी चूत चाटने लगी।
रूपा ने भी नीलम की चूत को खूब चाटा और चूसा।
इस बीच नीलम फिर एक बार झड़ गई.. उसकी मस्ती बढ़ने लगी।
रूपा ने कहा- नीलू अब तो अपने पति के लंड से डर नहीं लग रहा ना..
वो शरमाते हुए बोली- नहीं.. अब नहीं लग रहा है.. हाँ.. थोड़ा-थोड़ा दर्द ज़रूर है।
रूपा बोली- दर्द भी जाता रहेगा.. फिर तो तू खुद चुदवाने के लिए बेचैन रहेगी।
नीलम फिर से गरम हो चुकी थी।
वो मुझसे बोली- राजा जी.. आओ न.. फिर से मुझे चोदो.. अब मैं नहीं रोऊँगी।
रूपा ने मुझे आँख मारी… मेरा लंड तो वैसे ही लोहा हो कर झटके ले रहा था।
नीलम को नशा भी होने लगा था..
फिर भी रूपा ने एक और पैग दे दिया।
मैंने उसे लिटा दिया और उसकी चूत चाटने लगा।
वो बोली- बहुत गुदगुदी हो रही है चोदो ना..
मैंने उठ कर उसको चूमा और फिर उठा कर पट लेटा दिया।
उसे लगा शायद मैं पीछे से चोदने वाला हूँ जैसे रिंकी को चोदा था।
इसलिए वो कुहनियों और घुटनों पर होने लगी।
नीलम के गोरे चिकने और कसे हुए चूतड़ों को खा जाने को मन कर रहा था।
मैंने एक तकिया लिया और उसकी चूत पर लगा दिया.. जिससे उसकी गुदा ऊपर को उठ आए।
फिर उसके चूतड़ों को चूमते हुए चाटने लगा और फिर उसकी गुदा के छेद को जीभ से चाटने लगा।
उसे तुरन्त आभास हो गया कि ख़तरा है, वो बोली- ओह्ह.. राजा.. क्या कर रहे हो.. मेरी गाण्ड मत चूसो.. प्लीज़… नहीं ऐसा मत करो.. मैंने तुम्हें चूत चोदने को कहा था.. अगर गाण्ड मारनी हो तो मम्मी की मार लो.. मैं मर जाऊँगी.. मम्मी समझाओ ना.. इन्हें..
रूपा बोली- बेटा मार लेने दे आख़िर एक दिन तो मारेगा ही… आज ही अपने सारे छेद खुलवा ले.. आख़िर इतने दिनों से प्यासा है.. तेरे बदले वो इतने दिन हमारे साथ मज़ा कर रहा था और हर तरह से मन बहलाता रहा है।
फिर रूपा मुझसे मुखातिब हुई- प्यारे जमाई जी.. मारो आप.. इसके रोने पर मत जाओ..
सहायता की गुहार करती नीलम उल्टी डांट पड़ने पर सकते में आ गई।
रूपा उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए उसे समझाने लगी।
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सुहागरात की चुदाई कथा जारी है।
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