सुहागरात में चूत चुदाई-3
(Suhagraat Me Chut Chudai-3)
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वो जैसे ही मस्ती में झड़ने लगी.. मैंने लंड निकाल कर फ़ौरन गाण्ड के छेद पर रखा और एक जोरदार धक्का मार दिया।
वो अचानक हुए इस हमले से बिलबिला उठी… उसने मुझसे छूटने की कोशिश की.. पर उसके हाथ बँधे हुए थे और मेरी पकड़ काफ़ी मजबूत थी।
उसका मुँह खुला का खुला रह गया।
मैंने जानबूझ कर एक और करारा धक्का मारा तो मेरा लंड उसकी गाण्ड में जड़ तक समा गया।
उसके मुँह से ज़ोरदार चीख निकल गई- ओह माँ मर जाऊँगी..इइई.. ये क्या कर दिया.. निकाल इसे…
मैं उसके ऊपर लेट गया और उसके होंठों को कस कर चूमते हुए ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा।
मेरी सास की गाण्ड इतनी तंग लग रही थी जैसे कि 18 साल की लड़की को चोद रहा होऊँ।
हमारी चुदाई के फटके पूरे कमरे में गूँज रहे थे।
वो बिलबिला रही थी.. पर कुछ कर नहीं पा रही थी।
मैं ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारते हुए गाण्ड मारता रहा और साथ-साथ उसके दूध के गगरों को मसलने लगा और कभी उसकी चूत को ज़ोर-ज़ोर से रगड़ने लगा।
उसकी चूत का पानी बह कर उसकी गाण्ड की ओर आ गया.. जिससे मुझे चिकनाई मिल गई और मेरा लंड सास की गाण्ड में अब मक्खन की तरह चलने लगा।
मेरे लंड में अब सनसनी सी होने लगी।
हमारी चुदाई को करीब 20-25 मिनट हो चुके थे।
इतनी कसी और गरम-गरम गाण्ड के सामने अब मेरे लंड ने जवाब दे दिया..
मैंने अपना लंड गाण्ड से निकाला और उसकी चूत में डाल दिया।
करीब 5-6 धक्के में ही मेरा ज्वालामुखी फट गया और वो जौंक की तरह मुझसे चिपक गई।
उसने भी मेरे साथ पानी छोड़ दिया।
मैं अपने लौड़े का पानी रुक-रुक कर झटके ले ले कर उसकी चूत में छूटता रहा और मेरे होंठों ने उसके होंठों को जोर से दबा लिया।
जब मैं पूरा वीर्य छोड़ चुका तब मैंने उसके होंठ छोड़े और उसे एक आँख मार कर पूछा- कैसा लगा जान?
वो रोते हुए बोली- भला ऐसे भी कोई करता है?
मैंने उसके हाथ खोल दिए… मैं उसे प्यार से चूमने लगा.. कुछ देर में वो सामान्य हो गई।
वो बोली- अच्छा हुआ कि तुमने मेरी बेटी को चोदा नहीं.. वर्ना वो तो मर ही जाती… अब जब तक वो लंड लेने के लिए तैयार नहीं हो जाती.. तुम मेरे साथ ही सुहागरात मना सकते हो, इधर आकर मेरे साथ ही सुहागरात मना लिया करो।
मैं तो खुश हो गया था कि बेटी के साथ में माँ की चूत फ्री में मिल गई।
उसे शायद अब भी काफ़ी दर्द हो रहा था। वो उठ कर बाथरूम जाने लगी.. पर वो ठीक से चल नहीं पा रही थी।
बाथरूम से लौट कर वो विस्की की बोतल ले आई और दो पैग बना कर हम दोनों ने पिए।
वो बोली- राज मज़ा तो बहुत आया.. पर दर्द भी बहुत हुआ… शायद.. मेरी गाण्ड तो तूने फाड़ ही दी है..
मैंने कहा- कहाँ फटी है… सही-सलामत तो है… हाँ अबकी बार दर्द नहीं होगा।
उस रात मैंने उसे एक बार और खूब चोदा और एक बार फिर उसकी गाण्ड मारी।
उसको चोदते- चोदते कब सुबह होने को आई.. पता ही नहीं चला।
हम एक-दूसरे से लिपटे हुए कब सो गए.. कुछ भी पता नहीं चला।
सुबह जब उठे.. तब 8 बज चुके थे।
मेरी बड़ी साली आ चुकी थी और वो हम दोनों को नंगा एक-दूसरे की बाँहों में नंगा देख चुकी थी।
मेरी सास की चूत और गाण्ड सूज कर पकौड़ा बन गई थी।
फिर मैंने किसी की परवाह किए बिना उसे एक बार और चोदा।
वो उठ कर कपड़े पहन कर जाने लगी तो ठीक से चल भी नहीं पा रही थी।
वो कमरे से बाहर निकली तो उसकी नज़र मेरी साली रिंकी पर पड़ी।
वो एकदम से सहम गई.. मैं भी बाहर आया… मैंने सोचा, चलो अच्छा है.. इसे पता चल गया… अब मेरा काम आसान हो जाएगा.. और हो सकता है साली की चूत भी चोदने के लिए मिल जाए।
वो बोली- रिंकी क्या बात है.. नीलम कहाँ है?
वो हड़बड़ा कर बोली- ओह.. व..वो आ रही है…
रूपा कुछ समझ तो रही थी पर वो चुप रही।
फिर रिंकी बोली- माँ.. तुम जीजू के कमरे में क्या कर रही थी और ये लड़खड़ा कर क्यों चल रही हो?
वो हँसते हुए बोली- कुछ नहीं.. गाण्ड के पास फुन्सी उठ आई है.. इसलिए ऐसे चल रही हूँ।
रिंकी हँस पड़ी और कुछ नहीं बोली।
रूपा तुरन्त बाथरूम चली गई.. रिंकी मेरे पास आई और बोली- जब इनकी ये हालत है तो तुम नीलम की क्या हालत करोगे?
फिर मेरे लंड को दबाते हुए अपने कमरे में भाग गई।
मैं बाथरूम गया और फ्रेश हो कर आ गया।
तब तक नीलम भी आ गई… वो रूपा से बातचीत कर रही थी और मुझे देख कर थोड़ा डर भी रही थी।
मेरी सास ने मुझसे कहा- मैंने उसे समझा दिया है.. धीरे-धीरे वो समझ जाएगी कि शादी के बाद क्या होता है।
मैंने उन्हें खींच कर अपनी बाँहों में भर लिया और कहा- समझ जाए तो ठीक.. वरना तुम तो ही..
वो मुस्कुरा कर अलग हो गई और बोली- दामाद जी जरा समझा कीजिए.. उन दोनों ने देख लिया तो गजब हो जाएगा।
मैंने कहा- रिंकी तो देख ही चुकी है अब डर काहे का…
पर वो मुझसे अलग हो कर मुस्कुराते हुए बोली- सब्र कर लो मेरे राजा.. आज तुम्हारी सुहागरात ज़रूर मनवाऊँगी नीलम से.. पर मुझे तुम भूलना मत… अब मैं तुम्हारे बिना नहीं रह पाऊँगी… तुमने मेरी भावनाओं को फिर से जगा दिया है।
मैंने कहा- कभी नहीं मेरी जान.. कहो तो अभी ही…
वो हँसते हुए मुझसे अलग होकर मुझे चूम कर चली गई।
मैं नाश्ता करने के बाद चला गया, अपने दोस्तों से मिला और हम बार में व्हिस्की पी कर फिल्म देखने चले गए।
फिल्म बहुत ज़्यादा सेक्सी थी उसमें नग्न नाच और संभोग के दृश्यों की भरमार थी।
फिल्म देखते हुए मैं कई बार उत्तेजित हो गया था.. चुदाई का बुखार मेरे सर पर चढ़ कर बोलने लगा था।
घर लौटते समय मैं फिल्म के चुदाई वाले दृश्यों को बार-बार सोच रहा था और जब भी उन्हें सोचता.. नीलम और रिंकी का चेहरा मेरे सामने आ जाता।
मैं बेकाबू होने लगा था… मैंने आज फ़ैसला कर लिया था कि आज अगर नीलम अपनी मर्ज़ी से राज़ी नहीं होगी तो मैं उसका देह शोषण कर दूँगा।
मैंने वियाग्रा ले ली और फिर अपनी ससुराल जाने लगा।
मैं बेकाबू होने लगा था।
आज मैंने मन बना लिया कि आज चाहे जो भी हो.. अपनी पत्नी को या साली को चोदूँगा ज़रूर…
और अगर वो भी राज़ी नहीं हुई तो अपनी सास की चूत का भोसड़ा बना दूँगा।
घर पहुँचने पर रिंकी ने दरवाजा खोला… मेरी नज़र सबसे पहले उसके भोले-भाले मासूम चेहरे पर गई.. फिर टी-शर्ट के नीचे ढकी हुई उसकी नन्हीं सी चूचियों पर गया।
फिर मैंने उसकी टाँगों के बीच चड्डी में छुपी हुए छोटी सी मक्खन जैसी मुलायम बुर पर चला गया।
मुझे अपनी ओर अजीब नज़रों से देखते हुए रिंकी ने पूछा- क्या बात है जीजू.. ऐसे क्यों देख रहे हैं?
मैंने कहा- कुछ नहीं.. मैं थोड़ा लड़खड़ाते कदमों से अन्दर आया।
अन्दर मैंने देखा रिंकी शायद बियर पी रही थी।
घर पर और कोई दिख नहीं रहा था.. टिन बियर के टिन खाली दिखाई दे रहे थे।
मैंने रिंकी को देखा तो वो मस्त लग रही थी… नशे के खुमार में थी।
मैंने पूछा- नीलम और मम्मी कहाँ हैं?
वो बोली- वे दोनों मामा जी के घर पर गए हुए हैं.. जरा देर से लौटेंगे… क्या बात है?
मैंने कहा- बस ऐसे ही… तबियत कुछ खराब हो गई है… हाथ-पैर में थोड़ा दर्द है… सोचा था कि नीलम से कुछ..
रिंकी बोली- आपने कोई दवा ली या नहीं?
‘अभी नहीं..’ मैंने जबाब दिया और फिर अपने कमरे में जाकर लुंगी पहन कर बिस्तर पर लेट गया।
थोड़ी देर बाद रिंकी आई और बोली- कुछ चाहिए जीजू?
मेरे मन में तो आया कि कह दूँ.. ‘साली मुझे चोदने के लिए तुम्हारी चूत चाहिए..’ पर मैं ऐसा कह नहीं सकता था।
मैंने कहा- रिंकी मेरे पैरों में बहुत दर्द हो रहा है… थोड़ा तेल लाकर मालिश कर दोगी प्लीज़…
‘ठीक है जीजू..’ कह कर रिंकी चली गई और फिर थोड़ी देर में एक कटोरी में तेल लेकर वापस आ गई।
वो बिस्तर पर बैठ गई और मेरे दाहिने टाँग से लुंगी को घुटने तक उठा कर मालिश करने लगी।
अपनी साली के नाज़ुक हाथों का स्पर्श पाकर मेरा लण्ड तुरन्त ही कठोर होकर खड़ा हो गया।
थोड़ी देर बाद हाथ फिरवाने के बाद मैंने कहा- रिंकी ज़्यादा दर्द तो जाँघों में है… थोड़ा घुटने के ऊपर भी तेल मालिश कर दे।
‘जी जीजू..’ कह कर रिंकी ने लुंगी को जाँघों पर से हटाना चाहा।
तभी जानबूझ कर मैंने अपना बांया पैर ऊपर उठाया जिससे मेरा फनफनाया हुआ खड़ा लण्ड लुंगी के बाहर हो गया।
मेरे लण्ड पर नज़र पड़ते ही रिंकी सकपका गई।
कुछ देर तक वो मेरे लण्ड को कनखियों से मस्ती से देखती रही.. मेरा तन्नाया हुआ लौड़ा देख कर उसकी चूत में भी चींटियाँ तो निश्चित रेंगने लगी होंगी।
फिर वो उसे लुंगी से ढकने की कोशिश करने लगी।
लेकिन लुंगी मेरी टाँगों से दबी हुई थी इसलिए वो उसे ढक नहीं पाई।
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सुहागरात की चुदाई कथा जारी है।
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