मेरी बीवी की सहेली मेरी मुंह बोली साली
(Sea Beach Sex Kahani)
सी बीच सेक्स कहानी में पढ़ें कि मेरी बीवी की एक पक्की सहेली है. वो मेरी साली जैसी ही है. एक बार हम तीनों समुद्र किनारे मस्ती करने गए. तो वहाँ क्या हुआ?
लेखक की पिछली कहानी: मेरी पाठिका की वासना भरी अठखेलियां
ये कहानी है मेरी और मेरी एक मुंहबोली साली की। कहानी में सभी के नाम बदले हुए हैं क्योंकि ये बीच सेक्स कहानी बिल्कुल हकीकत है।
मेरी शादी को दो साल हुए थे और मेरा एक खूबसूरत सा बेटा हो चुका था।
एक बार मेरी बीवी ने कहा कि बीच पर पिकनिक के लिये चलते हैं।
मैंने हामी भर ली क्योंकि काफी दिन से बाहर का कोई प्रोग्राम नहीं बना था और मेरी एक हफ्ते की छुट्टी भी आ रही थी।
बीवी ने कहा हम लोग चाहत को भी साथ लेकर चलेंगे।
चाहत ही मेरी वो मुंहबोली साली है।
मेरी बीवी की सहेली है लेकिन वो उसे बहन से भी बढ़कर मानती है.
उसकी उम्र चौबीस साल है और इतनी खूबसूरत और सेक्सी है वो कि अच्छे-अच्छों का ईमान डोल जाये उसे देखते ही!
खैर, प्रोग्राम तय हो गया और चाहत को भी बुला लिया।
वो पहली रात को ही घर आ गई।
सुबह जल्दी-जल्दी हम नाश्ता करके हम निकल गये और लगभग दो घंटे बाद हम लोग पहुंचे और समुद्रतट पर ही एक रिसोर्ट में ठहर गए।
मेरी बीवी चाहत से बहुत प्यार करती है और उसकी हर बात मानती है तो मुझे भी मजबूरन उन साली साहिबा की हर बात माननी पड़ती है।
खैर, हम लोग वहां पहुंचे और पहुंचते ही चाहत ने जिद कर ली कि समंदर में नहाना है। उसने जींस और टी-शर्ट पहन रखी थी।
मेरी बीवी ने हामी भरी तो मैं क्या कर सकता था.
और हम समंदर में उतर गए।
उस वक्त समंदर काफी शांत था और मौसम बड़ा ही रोमांटिक।
मेरा बेटा कुछ देर पहले ही सोया था तो हमें उसके जल्दी उठने की फ़िक्र नहीं थी इसलिये हम लोगों ने काफी देर तक मजा किया।
खैर, दोपहर के खाने का वक्त था और मैं बहुत थका हुआ था.
लेकिन चाहत अभी भी समंदर में मज़े कर रही थी।
भीगी सफेद टी-शर्ट में उसके जिस्म पर बंधी लाल ब्रा और पूरा गोरा बदन नुमाया हो रहा था जो मेरे दिमाग को उसे बिस्तर पर लाने को मज़बूर कर रहा था।
तभी मेरी बीवी ने उसे बाहर बुलाया और खाने के लिए कहा.
तो वो आई और हम सबने खाना खाया।
खाने के तुरंत बाद मेरी बीवी और चाहत ने फिर से समंदर में जाने की ख्वाहिश ज़ाहिर की तो मैंने कहा- तुम लोग जाओ, मैं अब आराम करूंगा।
वो दोनों चलीं गईं और मैं लेट गया।
तभी मेरा बेटा उठ गया तो मैंने फोन करके अपनी बीवी को बुलाया।
वो आकर बेटे को दूध पिलाने लगी।
थोड़ी देर बाद चाहत भी वापस आई तो हम बातें करने लगे।
चाहत शायद बहुत थक गई थी तो वो लेट गई और सो गई।
मैं और मेरी बीवी बातें करते रहे।
इसी सब में रात हो गई।
करीब सात बजे चाहत जगी और गुस्से में मेरी बीवी से बोली- जगाया क्यों नहीं आपने मुझे? मैंने सनसेट देखना था दीदी!
इस पर मेरी पत्नी ने कहा- तुम इतनी थकी हुईं थीं कि जाग ही नहीं रहीं थीं।
खैर थोड़ी देर बाद चाहत का गुस्सा ढल गया।
फिर हम रात का खाना खाकर वापस आये तो मुझे नींद आ रही थी।
मैं लेट गया तो कुछ देर बाद मेरी बीवी भी बेटे को दूध पिलाकर सो गई।
मैंने चाहत से कहा कि वो भी सो जाए तो उसने कहा- जीजू अब कहां नींद आएगी? इतनी देर तो सो चुकी हूं।
तो मैंने कहा- तुम अकेली क्या करोगी? मुझे भी नींद आ रही है और तुम्हारी सहेली भी सो गई है।
वो बोली- जीजू प्लीज मेरे साथ टहलने चलिये ना!
तो मैं बोला- पागल हो गई हो? यार मैं बहुत थक गया हूं।
ये सुनकर उसने मुंह बना लिया तो मुझे लगा बीवी जी का डर!
खैर मैंने उसका कहना माना और अपनी बीवी को जगाकर उससे कहा कि हम दोनों बाहर टहलने जा रहे हैं। तुम चलोगी हमारे साथ?
उसने कहा- नहीं, मुझे बहुत नींद आ रही है। आप दोनों जाओ।
ये कहकर वो फिर सो गई।
अब चाहत और मैं कमरे से बाहर निकले और समुद्र तट पर जाकर बैठ गए।
वहां चाहत ने मुझसे कहा- जीजू, समंदर में जाने का दिल कर रहा है.
मैंने कहा- मौसम ठीक नहीं है समंदर में जाने के लिए!
मगर फिर वो बच्चों की तरह जिद करने लगी तो मैंने हार मानते हुए कहा- ठीक है … तो जाओ लेकिन पहले कपड़े बदलकर आओ।
वो ‘ठीक है’ कहती हुई कपड़े बदलने चली गई लेकिन मैं समंदर के किनारे ही बैठा रहा।
चांद निकला हुआ था और उसकी चांदनी दूर तक समंदर को रोशन किए हुए थी।
रात में भी काफी हद तक साफ़ देखा जा सकता था।
कुछ ही देर में चाहत कपड़े बदलकर आई।
मैंने उसे देखा तो देखता ही रह गया।
उसने एक पतली सी टीशर्ट और नीचे चुस्त पाजामी पहनी हुई थी जो कि उसकी पिंडलियों के उपर तक ही थी।
जबकि टीशर्ट उसकी कमर से ऊपर तक ही थी।
उसके बड़े-बड़े कूल्हे साफ़ चमक रहे थे।
मैं तो उन्हें देखकर पागल सा हो गया और मैंने कहा- रुको, मैं भी कपड़े बदलकर आता हूं।
कहकर मैं गया और एक बनियान और सैंडो पहनकर वापस चाहत के पास पहुंचकर बोला- चलो अब चलते हैं।
उसने मुझे एक गहरी नजर से ऊपर से नीचे तक देखा।
सैंडो मेरे घुटनों से ऊपर तक था और मैंने नीचे कोई अंडरवियर भी नहीं पहना था जिससे मेरे लंड की हरकतें साफ़ दिख रहीं थीं।
खैर हम दोनों समंदर में चले गए।
पानी हमारी कमर तक आ रहा था।
हम थोड़ी देर पानी के साथ खेले फिर मैंने चाहत से कहा- चलो, आगे चलते हैं।
वो बोली- नहीं जीजू, आगे पानी गहरा है मुझे डर लगेगा।
मैंने कहा- मैं भी तो चल रहा हूं तुम्हारे साथ। कुछ नहीं होगा।
मैं ये कहते हुए आगे बढ़ा तो चाहत भी मेरे साथ चल पड़ी।
हम धीरे-धीरे और गहरे पानी में पहुंच गए।
समंदर बहुत शांत था इसलिए डरने की कोई बात नहीं थी।
जब हम वहां पहुंचे तो चाहत को पानी के दबाव के कारण सांस लेने में दिक्कत हो रही थी।
उसने कहा- जीजू मेरा हाथ पकड़ लीजिए, मुझे डर लग रहा है।
मैं तो मौके की तलाश में ही था इसलिए तुरंत उसका हाथ पकड़कर उसके बहुत करीब आ गया।
वो अब शांत लग रही थी।
अचानक उसका पैर फिसला और वो गिरने लगी तो मैंने उसे अपनी ओर खींचकर सीने से लगा लिया।
उसे थोड़ी देर के लिए कुछ समझ में नहीं आया और फिर मुझसे अलग होते हुए बोली- चलिए वापस चलते हैं। मैंने कहा था ना मुझे डर लगता है।
मैंने कहा- चलो, चलते हैं।
कहते हुए मैंने अपना एक हाथ उसकी कमर पर रखा और दूसरे से उसका हाथ पकड़ लिया।
जब हम वापस जा रहे थे तो अचानक मैंने फिसलने का नाटक किया और उसका हाथ खींचकर अपने लंड पर रखा और अपने हाथ से मेरे लंड पर लगभग दबा दिया।
चाहत के नजदीक होने के कारण मेरा लंड कुछ कड़ा तो हो ही रहा था जब उसने उसे छुआ, तो उसे भी करंट लगा और चाहत को भी।
लेकिन उसने खुद को संभाल लिया और बोली- जीजू क्या हुआ? थोड़ा संभल कर चलिए।
मैंने कहा- हां, ऐसा हो जाता है जब बगल में एक बहुत ही खूबसूरत लड़की हो।
ये कहते हुए मैंने उसकी आंखों में देखा और मुस्कुरा दिया तो वो शरमा कर नीचे देखने लगी।
मेरा इसके साथ मज़ाक चलता रहता था तो मैंने सोचा वो इसे भी मजाक में ही लेगी।
लेकिन आज उसकी आंखें कुछ और ही कह रहीं थीं।
खैर, हम समुद्र तट पर वापस आ गए तो मैंने चाहत से कहा- कपड़े गीले हैं, चलो थोड़ी देर घूमते हैं। जब कपड़े सूख जाएंगे तब चलेंगे।
ये कहते हुए हम दोनों वहां टहलने लगे।
इसी बीच मैंने चाहत का हाथ पकड़ लिया।
उसने मुझे एकदम देखा और फिर मुस्कुरा कर आगे बढ़ गई।
थोड़ी देर बाद मैंने उसके हाथ को हल्के से दबाया तो वो नीचे देखते हुए मुस्कुराने लगी।
मैंने सोचा कि अगर मैं आगे बढ़ा तो वो रोकेगी नहीं लेकिन मैं कोई जोखिम नहीं लेना चाहता था।
हम दोनों चुपचाप साथ-साथ चल रहे थे।
मैंने पीछे मुड़कर देखा तो हम काफी दूर निकल आए थे; दूर-दूर तक सिर्फ समुद्र तट था; कोई आदमी ना आदमी की जात!
यहां हमें कोई नहीं देख सकता था।
वहां कुछ-कुछ दूरी पर बैठने के लिए सीमेंट की बेंच थीं।
मैंने चाहत से कहा- चलो यहां बैठते हैं।
वो थोड़ी देर तक कुछ ना बोली तो मैंने उसके जवाब का इंतजार किए बिना ही उसे बेंच पर खींच लिया और हम दोनों बेंच पर बैठ गए।
मैं उसके बहुत करीब बैठा था और उसका हाथ अभी भी मेरे हाथ में था।
मैंने चाहत से पूछा- क्या मैं कुछ कह सकता हूं?
उसने मुझे सवालिया निगाहों से देखते हुए हामी में गर्दन हिलाई.
तो मैंने कहा- पहले वादा करो कि तुम बुरा नहीं मानोगी?
वो तुरंत बोली- मैं आपकी किसी भी बात का कभी बुरा नहीं मानती और ये आप अच्छी तरह से जानते हैं।
मैंने एक गहरी सांस लेकर चाहत से कहा- तुम बहुत खूबसूरत हो। और मैं तुमसे प्यार करना चाहता हूं।
ये सुनते ही उसका चेहरा लाल हो गया तो मैंने अपना हाथ उसकी ठुड्डी के नीचे लगाकर उसका चेहरा अपनी तरफ घुमाया।
उसकी आंखें लाल हो गयीं थीं।
शायद वो आने वाले पलों का अनुमान लगा रही थी इस वजह से इस हालत में थी।
मैंने भी बिना वक्त बर्बाद किए अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए।
पहले तो वो थोड़ा कसमसाई लेकिन फिर खुद को मेरे हवाले कर दिया।
हमने एक लंबा किस किया।
उसका हाथ अभी तक मेरे हाथ में था तो मैंने उसे अपने लंड पर रखकर हल्के से दबा दिया।
चाहत को अचानक करंट सा लगा लेकिन शायद उसे ये अच्छा भी लगा क्योंकि उसने अपना हाथ हटाया नहीं।
अचानक मैंने महसूस किया कि चाहत मेरे लंड को मुट्ठी में लेने की कोशिश कर रही है।
अब तो मेरी ख़ुशी का कोई ठिकाना ना रहा।
मैंने उसकी एक चूची को पकड़कर जोर से दबाया तो उसका पूरा शरीर कांप गया।
वो प्यासी नजरों से मुझे देखने लगी तो मैंने इंतजार नहीं किया और अपना हाथ उसकी टी-शर्ट में डालकर ब्रा के ऊपर से ही उसकी चूचियां दबाने लगा।
अब चाहत की सांसें तेज चलने लगीं और वो एकदम से बोली- आप ये क्या कर रहे हैं? कोई आ जाएगा। मैं बदनाम हो जाऊंगी।
ये सुनकर मैं बोला- इस वक्त यहां कोई नहीं आएगा और तुम्हारी सहेली मजे से सो रही है। अब बस हम दो ही हैं यहां एन्जॉय करने के लिए।
मेरी बात सुनकर उसने चारों देखा तो पाया कि हम दोनों के अलावा पूरे किनारे पर कोई नहीं था।
ये देख उसके चेहरे पर राहत की एक झलक आई.
तो मैं वक्त बर्बाद ना करते हुए दोनों हाथों से उसकी टी-शर्ट उतारने लगा तो वो कसमसाई।
जब वो कसमसाई तो मैंने उसकी आंखों में देखा।
उसकी आंखों में एक अजीब तरह की मस्ती थी।
मैंने फिर से कोशिश की और उसकी टी-शर्ट उतार दी, इस बार उसने मुझे नहीं रोका।
काली ब्रा में कैद उसकी गोरी-गोरी बड़ी चूचियां मुझे पागल कर रहीं थीं।
मैंने उसे अपने सीने से लगा लिया और उसकी पीठ पर हाथ ले जाकर उसकी ब्रा को खोलकर उतार दिया।
वो शरमा गई और अपने दोनों हाथों से अपनी चूचियों को छुपा लिया।
मैं मुस्कुराकर खड़ा हो गया और एक झटके में अपनी सैंडो और टी-शर्ट उतार दीं।
वो मुझे नंगा देख कर चौंक गई और मेरा लंड उसकी गोरी, तनी हुई चूचियां देखकर फनफना गया था।
लंड को फड़कता देख चाहत की आंखें फैल गईं।
अब मैं उसके बगल में बैठा और उसे खड़े होने के लिए कहा।
कुछ सोचकर वो खड़ी हुई तो मैंने उसकी पाजामी को पकड़कर उसके घुटनों तक खींच दिया।
और अब उसकी कुंवारी चूत मेरी आंखों के सामने थी।
फूली हुई गोरी चूत जिस पर छोटे-छोटे सुनहरे रोंये थे! बीच में एक पतली सी गुलाबी लकीर!
मैंने तुरंत उसकी चूत को चूमा और अपने होंठों में भरकर चूसने लगा तो चाहत बेकाबू होने लगी।
मैं इस मौके को मिस नहीं करना चाहता था तो उसे बेंच पर लिटाकर उसके निप्पल को चूसने लगा।
वो पागल हो उठी और तेज़-तेज़ आहें निकलने लगीं उसके मुंह से!
जल उठी थी वो सेक्स की ख्वाहिश में!
मेरी अपनी हालत भी कोई अलग नहीं थी।
फर्क सिर्फ ये था कि उसका ये पहली बार था और मैंने ये सब कई बार किया था।
लेकिन ये चूत तो मेरे लिए भी नई थी।
कुछ देर बाद मैंने उसकी गीली चूत पर अपना लंड रखकर दबाया और जैसे ही थोड़ा सा लंड उसकी चूत में गया कि वो दर्द से चिल्लायी और रोते हुए बोली- जीजू, मुझे बहुत दर्द हो रहा है।
ये सुनते ही मैंने अपना लंड वापस बाहर खींच लिया … लेकिन पूरी तरह से नहीं, सुपारा उसकी चूत में था।
मैं बोला- अभी दर्द खत्म हो जाएगा।
कहते हुए उसकी चूचियां दबाता हुआ किस करने लगा मैं!
कुछ ही देर में चाहत आहें भरने लगी।
अब मैंने एक जोरदार झटका देकर लगभग आधा लंड उसकी चूत में उतार दिया।
वो फिर चिल्ला उठी लेकिन अगले ही पल अपनी चीख को दबा लिया क्योंकि वो अब भी डर रही थी कि कोई उसकी आवाज़ न सुन ले।
फिर मैंने लंड को थोड़ा सा बाहर निकाला और पहले से ज्यादा ज़ोर लगाकर अंदर धकेल दिया।
अब मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस चुका था।
ओह!
उसकी चूत कितनी टाइट और गर्म थी मैं लफ्जों में बयां नहीं कर सकता।
मैं तो जन्नत में पहुंच चुका था।
… चाहता था कि जिंदगी इसी तरह खत्म हो जाए।
… चाहत की चूत में मेरा लंड ऐसे ही हमेशा के लिए घुसा रहे।
कुछ देर बाद मैंने थोड़ा सा लंड बाहर निकाला और फिर अंदर डाल दिया।
मैं बार-बार ऐसा करता रहा तो उसका दर्द काफी हद तक कम हो गया था और वो अपनी तेज़ हो चुकी सांसों को काबू करने की नाकाम कोशिश कर रही थी।
मैंने पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया और उसके ऊपर लेट गया।
उसने मुझे अपनी बाहों में जकड़ा तो मैं समझ गया कि अब वो चुदने के लिए बिलकुल तैयार है।
अब मैं तेज-तेज उसकी चूत में लंड को अन्दर-बाहर करने लगा और वो भी मेरा साथ देने लगी।
एक तो समंदर, दूसरे चांदनी रात और फिर चाहत जैसी खूबसूरत लड़की। मेरा मन जन्नत की सैर कर रहा था।
मैंने भी ज्यादा से ज्यादा देर तक उसे चोदते रहने की कोशिश की और लगभग दस मिनट तक उसकी जबरदस्त चुदाई की।
इस दौरान वो दो बार झड़ चुकी थी और हर बार जोर-जोर से आहें भरने के बाद कहती थी- जीजू बस कीजिए, मैं थक गई हूं।
लेकिन मेरा लंड तो जैसे उसकी चूत का दीवाना हो चुका था। वो कहां रुकने वाला था जब तक उसका लावा बाहर नहीं आता?
खैर, अब मैंने भी झड़ने का फैसला किया और लंड को तेज़ी से अन्दर-बाहर करने लगा।
और आखिर में कुछ जबरदस्त झटकों के साथ मेरा लंड उसकी चूत को अपने लावे से भरने लगा।
इस बार उसका पूरा जिस्म कांप रहा था।
मैं थोड़ी देर उसके ऊपर ही लेटा हुआ उसके जिस्म को चूमता रहा।
फिर हम दोनों उठे और कपड़े पहनकर अपने-आप को साफ करने के लिए वापस समंदर में चले गए।
वहां भी मैंने खूब उसके जिस्म को सहलाया और उसकी चूत में अपनी उंगलीबाजी की तो उसने भी मेरे लंड को मुठियाया।
फिर हम वापस जाकर सो गए।
उसके बाद जब भी मौका मिलता की हमारी चुदाई शुरू हो जाती।
और वो मेरे लंड की दीवानी हो गई थी।
आपको ये बीच सेक्स कहानी कैसी लगी मुझे जरूर बताएं!
मेरी मेल आई-डी है [email protected]
धन्यवाद सहित
आपका सिद्धांत
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