सलहज ने मुरझाये लंड में नई जान फूंकी-3

(Salhaj Ne Murjhaye Lund Me Nai Jaan Funki- Part 3)

This story is part of a series:

दूसरी सुबह मैं फिर अपने टाईम पर उठा और रसोई की तरफ चाय की उम्मीद से चल पड़ा। लेकिन यह क्या… आज रसोई में कोई नहीं था, नीलू का कमरा भी बन्द था और अन्दर की लाईट भी बन्द थी।
मेरी सोच के अनुसार दोनों ने देर रात तक एक दूसरे के साथ सेक्स का मजा लिया है, इसी वजह से सो रहे होंगे।

मैं सोच ही रहा था कि तभी नीलू दरवाजा खोलकर बाहर आई और मेरी सोच की मुद्रा को तोड़ते हुए बोली- जीजाजी, कहाँ खो गये?
‘कहीं नहीं!’ मैंने जल्दी से उत्तर दिया- बस चाय बनाने के लिये जा रहा था।

नीलू नहा धोकर एकदम तैयार थी, रसोई में जाकर वो चाय बनाने लगी और मैं उसके पास खड़ा होकर उसको चाय बनाते हुए देख रहा था। चाय बनाते हुए क्या, उसके जिस्म से उठने वाली खुशबू को अपने नथुनों में भरने की कोशिश कर रहा था, उसके मादक जिस्म से निकलने वाली खुशबू मुझे मादकता के चादर में लपेटे जा रही थी।

चाय बनाने के बाद वहीं खड़े होकर हम दोनों चाय पीने लगे।
फिर वो बाकी का काम निपटाने में लग गई।

सात बजे के करीब सभी लोग मेरे कमरे में चाय पीने के लिये एकत्र हुए, चाय पीते हुए मुकेश ने जाने की बात उठाई। मैं जानता तो सब था, लेकिन मैं अपनी बीवी का रिऐक्शन देखना चाह रहा था।

साला गया पर उसकी बीवी रुक गई

मुकेश ने हमें आज रात की ट्रेन से अपने जाने की सूचना दी। उसकी बात सुनते ही मेरी बीवी मेरी तरफ देखने लगी, फिर मुकेश से बोली- अभी दो दिन ही हुए आये हुए… जरा एक-दो दिन और रूक जाते तो मुझे और अच्छा लगता।
मुकेश बोला- काफी दिनों से मैं घर से निकल कर कहीं जाना जा रहा था तो मैं यहाँ आ गया, अब काम पर वापस जाना है।

मेरी बीवी एक बार फिर बोली- एक दो दिन और रूक जाते तो अच्छा होता, नीलू और तुम्हारे आने से मुझे थोड़ी सांत्वना मिल रही है। कम से कम दोपहर में मेरे साथ बात कर लेते हो। नहीं तो पूरी दोपहर बिस्तर पर लेटे ही गुजार देती हूँ।
मुकेश बोला- दीदी मेरी तो मजबूरी है, अगर नीलू रूकना चाहे तो रूक सकती है।

चूंकि नीलू को यहाँ रूकना था, उसने झट से हामी भर दी।
तभी मैंने मुकेश से कहा- तुम्हारी मर्जी से नीलू जब तक रूकना चाहे रूक सकती है और जब वो कहेगी तो मैं उसे वापस छोड़ दूंगा।
सभी मेरी बात से सहमत हो गये।

फिर मैं तैयार होकर ऑफिस चला गया और ऑफिस पहुँच कर अपने ड्राईवर को अपने घर भेजा ताकि वो दोनों को शहर घुमा दे और ड्राईवर को पैसे भी साथ में दे दिये ताकि दोनों को अपने से कोई खर्च नहीं उठाना पड़े।

शाम को ऑफिस छूटते समय ड्राईवर ऑफिस पहुँच गया, नीलू और मुकेश दोनों साथ में थे और फिर वहाँ से हम लोग घर आ गये।
घर पहुंच कर एक बार फिर नीलू ने रसोई संभाल ली और मुकेश अपने जाने की तैयारी करने लगा।

रात के करीब ग्यारह बजे की गाड़ी थी, खाना खा पीकर मैं मुकेश को छोड़ने स्टेशन चला गया और मेरे आने तक नीलू मेरी बीवी के कमरे में बैठकर उससे बातें कर रही थी।
आने के बाद पांच मिनट तक हम सभी साथ बैठे और उसके बाद नीलू को अपनी बीवी के साथ ही सोने के लिये कह कर मैं दूसरे कमरे में आ गया।

मेरी सलहज रात को मेरे कमरे में

चूंकि मुझे रात में नंगा होकर सोने की आदत थी तो मैं कमरे आकर अपनी चड्डी, बनियान उतार कर एक किनारे फेंकी और लुंगी लपेट कर बिस्तर पर गिर गया।

लूंगी लपेटना मेरे लिये किसी अपरिहार्य कारण न उत्पन्न हो उससे बचने के लिये थी।
करीब आधी रात को मुझे लगा कि किसी का हाथ मेरे पुट्ठे को सहला रहा है, मैं अचकचा कर उठ बैठा, देखा तो नीलू मेरे सामने बैठी हुई थी।

मैंने उससे इस तरह आने का कारण जानना चाहा तो वो मेरी बातों का जवाब दिये बिना बोली- आप नंगे होकर सोते हो। कम से कम मैं हूँ घर पर यही सोचकर दरवाजा ही अन्दर से बन्द कर लिया होता।

‘सॉरी, अब तुम जाओ, मैं दरवाजा बन्द करके सो जाता हूँ।’
‘अब क्या फायदा?’ वो बोली।
‘मतलब?’
‘बड़े नदान हो आप मेरे जीजू, अब तो मैंने आपका सब कुछ देख लिया है तो अब क्या फायदा?’

मुझे भला क्या आपत्ति थी जब सामने से खुद ही खाने की थाली चल कर आ रही थी लेकिन थोड़ा नाटक करते हुए मैं बोला- देखो यह अच्छा नहीं लगता, तुम मेरी मेहमान हो और मैं नहीं चाहता कि हमारे ऊपर कोई उंगली उठाये।

चूत चुदवाने आई सलहज

‘जीजा जी!’ वो मेरी चड्डी सूंघते हुए बोली- मैं आपके लिये यहाँ आई हूँ, आपके जिस्म से निकलती हुई उस मादक महक को सूंघना चाहती हूँ, जो आपके साथ डांस करते समय मैंने महसूस की थी।

‘फिर भी!’ मैं इतना ही बोल पाया था कि नीलू ने मेरी लुंगी को खींचा और मेरे ऊपर चढ़ गई और मेरे जिस्म को सूंघना शुरू कर दिया। खास तौर से वो मेरे कांख के आसपास सूंघ रही थी।

मैंने नीलू को रोकते हुए कहा- क्या कर रही हैं आप? मेरी एक छोटी गलती के लिये॰॰॰
उसने मेरे मुंह में उंगली रखी और बोली- जीजाजी, यह बताओ कि दो महीने से आपको दीदी की नहीं मिली है तो क्या आपका सामान सो गया है?

औरतों की तो यही खासियत होती है कि अहम पर चोट करो।
मैंने फिर भी उसे रोकते हुए कहा- देखो, मेरे साथ चुदाई के खेल में तुम्हें मजा नहीं आयेगा।
‘क्यों?’
‘क्योंकि मैं चुदाई के मामले में बहुत ही कमीना और गंदा हूँ। और लड़की हो या औरत, उसके किसी छेद को छोड़ता नहीं हूँ!’ कहते हुए मैंने नीलू की गांड में उंगली चुभो दी।

थोड़ा उचकती हुई बोली- इन्होंने भी मुझे कई बार मेरी गांड में अपना लंड डालने के लिये बोला था, पर मैं नहीं मानी, लेकिन मैं खुद आपसे चुदना चाहती हूँ तो मैं वो सब कुछ करूंगी।
‘तब ठीक है, फिर तुम पहले जो कुछ करना चाहती हो, वो करो, फिर मैं करूंगा।’

मेरी बात को सुनकर उसने अपने गाउन को उतार दिया और एकदम नंगी हो गई, उसकी बालों से ढकी हुई चूत मेरे सामने थी।
मैंने पूछा- अपनी झांट क्यों नहीं बनाती हो?
‘कल मेरी चूत आपको चिकनी मिलेगी! मैंने बाथरूम में सभी सामान देख लिया है। कल मैं अपनी चूत सफाचट कर दूंगी, आज बस आप मेरे चूत का मजा मेरी झांटों के साथ लीजिये।’

इतना कहने के साथ ही वो मेरे जिस्म को एक बार फिर चाटने लगी। मेरे दोनों निप्पल को वो दांतों से काट रही थी और चूस रही थी। उसको मैंने पूरी खुली छूट दे रखी थी।

मैं सीधा लेट गया, वो मेरे जिस्म को चाटते हुए मेरे नाभि पर अपनी जीभ चलाने लगी और फिर थोड़ा और नीचे उतर कर वो मेरी जांघों को चाटते हुए मेरे लंड को अपने मुंह में भर लिया ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’

उसने अपने दोनों हाथ पलंग पर टिकाया और बिना लंड को पकड़े वो मेरे लंड को अपने मुंह में भरे हुए थी, मेरे लंड में जरूरी तनाव होना चालू हो गया था और जब लंड तन कर तैयार हो गया तो वो अपनी जीभ को मेरे सुपारे पर गोल गोल घुमाने लगी और बीच बीच में वो टोपे पर अपनी जीभ चलाती या फिर अपने दांत गड़ाती।

उसकी इस हरकत से मेरे बदन में तनाव बढ़ता जा रहा था।

फिर उसने मुझे पलटा दिया और मेरे पीठ पर लेट गई, उसकी चूचियाँ मुझे मेरी पीठ पर धंसती हुई सी प्रतीत होने लगी।
फिर वो अपना हाथ मेरे पेट के नीचे ले गई और वहीं से लंड को पकड़ कर दबाने लगी और मुझे बार बार ऐसा लग रहा था कि वो अपनी कमर को उठा रही थी।
मतलब वो अपनी चूत से मेरी गांड मारने की कोशिश कर रही थी।

फिर सरकते हुए वो मेरे गुदा स्थल (गांड) पर पहुंच गई और उसमें उंगली करने लगी।
मैं बोल उठा- नीलू जी, मेरी गांड उंगली करने के लिये नहीं, चाटने के लिये है।
‘अरे जीजू, रूको तो, देखो आपकी ये सलहज आपके साथ क्या क्या करती है।’
कह कर वो मेरे कूल्हे को दांतों से काटने लगी और फिर मेरे कूल्हे को फैलाते हुए छेद में थूकने के बाद अपनी जीभ चलाने लगी।
मुझे गुदगुदी हो रही थी… बड़ा मजा आ रहा था तो मैंने भी अपने हाथ से कूल्हे को और चौड़ा कर दिया, जिससे वो अपनी जीभ और असानी से चला सके।

मैंने उससे और बात करने की गरज से पूछा- मुकेश तुम्हें मजे से नहीं चोदता है क्या?
‘नहीं ऐसी बात नहीं है, उसके लंड की तो मैं दीवानी हूँ, लेकिन जब से मैं आपसे मिली हूँ, मैं पता नहीं कैसे आपकी दीवानी हो गई और इसी इंतजार में कि कैसे मुझे मौका मिले और मैं आपके पास चुदने के लिये आ जाउँ। और अब जाकर सही मौका लगा है।’

वो मेरी बातों का जवाब देने के साथ-साथ मेरी गांड को चाटने में मशगूल थी।

एक बार फिर उसने मुझे सीधा किया और मेरे मुंह पर आकर अपनी चूत लगा दी, बालों से भरी हुई चूत को मैं चाटने लगा लेकिन शायद इस तरह से उसका मन नहीं हो रहा था।
वो उल्टी हुई और 69 की अवस्था में आ गई, वो अपनी चूट चटवाने के साथ साथ मेरे लंड को भी चाट रही थी।

चूत चटवाने से वो मदहोश हुये जा रही थी और मदहोशी में बोली- जीजा जी, मेरी चूत को मटन समझ कर चबा जाओ।
उसकी झांटों से भरी हुई चूत को मैं भी चाटे जा रहा था, उसकी झांटों के बाल टूट टूट कर मेरे मुंह के अन्दर आ रहे थे।
मैं उन बालों को निकाल कर फिर से उसकी चूत चाटने में व्यस्त हो जाता।

काफी देर तक चूत चटाई और लंड चुसाई का कार्यक्रम होता रहा, मुझे लगा कि अगर यह प्रोग्राम ज्यादा देर और चला तो मैं खलास भी हो सकता हूँ, इसलिये मैंने नीलू को अपने ऊपर से हटाया और उसकी चूत में अपना लंड पेल दिया।

मुकेश से लगातार चुदने के बाद भी उसकी चूत की गर्मी मेरा लंड महसूस कर रहा था। धीरे-धीरे मेरी स्पीड बढ़ती जा रही थी और मेरे हाथ उसके चूचे को साथ में कस कर दबाये जा रहे थे और नीलू आह-ओह किये जा रही थी।

कुछ देर उसकी चूत की पम्पिंग करने के बाद मैं एक बार फिर सीधा लेट गया और नीलू को मेरे लंड पर बैठने के लिये कहा।
उसने तुरन्त ही लंड पर बैठ कर अपना काम शुरू कर दिया।

मैं कभी उसकी चूची मसलता तो कभी कस कर उसकी कमर पकड़ लेता।
अब मैं झड़ने के काफी करीब आ गया, मैंने तुरन्त ही नीलू को अपने ऊपर से हटाया और उसको घुटने के बल बैठने को कहा।

वो मेरी बात मानते हुए घुटने के बल बैठ गई, मैंने अपना लंड उसके मुंह में पेल दिया, एक मिनट तक उसका मुंह चोदने के बाद मैंने अपना लंड उसके गले तक फंसा दिया और उसके सिर को कस कर पकड़ लिया ताकि वो मेरे लंड को अपने मुंह से निकाल न ले।

फिर मेरा पानी उसके मुंह के अन्दर गिरने लगा, नीलू गों-गों करने रही थी और मैं अपना काम कर रहा था।
जब मुझे लगा वो मेरे माल को पूरा गटक चुकी है तो मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया।

वो मुझसे छूटते ही बाथरूम की तरफ भागी और वोमेटिंग करने का प्रयास करने लगी, मैं उसके पीछे खड़ा होकर उसकी पीठ सहलाने लगा।
हालाँकि उसको वोमेटिंग नहीं हुई, पर वो मेरी तरफ गुस्से से देखते हुये बोली- जीजू, मुझे आपसे यह उम्मीद नहीं थी।

मैंने पूछा- क्या हुआ?
‘आपने अपने माल को मेरे मुंह में क्यों छोड़ा?’
‘चुदने तो तुम्हीं आई थी मेरे पास!’
‘तो इसका मतलब ये नहीं है कि आप मेरे साथ ये करोगे।’ उसने मेरी बात को काटते हुए कहा।

‘हाँ, ये कोई जरूरी नहीं है लेकिन मैंने तुमको समझाया था कि मैं चुदाई के मामले में बहुत गंदा हूँ। और एक बात और बताओ जब तुम मुझसे अपनी चूत चटवा रही थी तो तुमने भी तो अपना पानी छोड़ दिया था और मैं उस पानी को चाट रहा था तब तुम नहीं बोली कि जीजू इसको मत चाटो। तब तो तुम बड़े मजे से अपनी चूत चटवा रही थी।’

मेरी बात सुनकर वो चुप हो गई लेकिन मेरे लंड में अभी पानी लगा हुआ था, मैंने उसकी तरफ देखते हुए कहा- चुदाई कार्यक्रम खत्म या आगे इच्छा है?

मेरी हिंदी सेक्स स्टोरी पर अपने विचार भेजेते रहिए।
कहानी जारी रहेगी।
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