मेरी सलहज की मदभरी जवानी के मजे-1
(Meri Salhaj Ki Madbhari Jawani Ke maje- Part 1)
नमस्कार दोस्तो, कृपया अपने अपने लंड हाथ में थाम कर बैठिए. आज मैं अपनी पहली सच्ची कामुक घटना बताने जा रहा हूँ.
यह बात उन दिनों की है, जब मेरी शादी हुई थी. उस वक़्त तो सब नार्मल चल रहा था. हम दोनों पति-पत्नी बहुत खुश थे. मजे की बात तो ये थी कि शादी के सिर्फ एक महीने बाद ही मैं बड़ोदा शिफ्ट हो गया और वहां पर सिर्फ हम दोनों अकेले रहेते थे. उस वक्त हम दोनों एक बार भी चुदाई का मौका नहीं छोड़ते थे. हम दोनों ने घर का एक भी कोना ऐसा नहीं छोड़ा था, जहां पर हमने चुदाई न की हो.
उस समय मेरी जानू हमेशा साड़ी पहनती थी. जब भी मौका मिलता था, मैं उसकी साड़ी उठा कर उसकी पैन्टी नीचे कर देता था और नीचे बैठ कर कभी चूत चूमता, तो कभी उंगली से चूत के दाने को मसल देता था, तो कभी मेरे लंड से चूत के ऊपर रगड़ता था या तो मेरी जानू की कोरी चूत के अन्दर लंड डाल देता था.
ऐसे ही समय गुजरने लगा. ये मस्ती पत्नी के साथ हो रही थी. उसके साथ के मजे तो मैं कभी भी लिख सकता हूँ, लेकिन आज मैं आपके सामने मेरी साले की पत्नी यानि की मेरी सहलज के साथ हुई रसीली घटना बताने जा रहा हूँ.
यह बात उसी समय की ही है. हमारी शादी के सिर्फ चार महीने बाद ही मेरे साले की शादी हो गई. उसकी पत्नी का नाम काजल था. मेरी सहलज देखने में ठीक ठाक थी, पर उसका फिगर बहुत ही मस्त था. वो एक तराशे हुई बदन की मालकिन थी. काजल की फिगर में उसके 34डी के तने हुए चूचे, बलखाती 32 की कमर और थिरकती हुई 34 साइज़ की गांड. कोई भी काजल को एक बार देख लेता, तो उसे बिना छुए छोड़ने का मन नहीं होता. शायद उसकी कमनीय काया को लेकर आपके लंड ने भी समझ लिया होगा कि वो सांवली सुन्दरी कितनी गर्म माल होगी.
यह कहानी लिखते वक़्त मेरा भी लंड खड़ा हो गया. मेरा मन कर रहा था कि काश वो इस वक्त भी मेरे लंड पर कूद रही होती.
मेरा ससुराल अहमदाबाद में था, तो महीने में एकाध बार तो आना जाना होता ही था. धीरे धीरे लाइफ मस्ती से कटने लगी. बीच बीच में मैं अहमदाबाद भी घूम कर आता था. मैं हमेशा मेरी वाइफ के लिए मेरी पसंद के सेक्सी ब्रा और पैन्टी लाकर देता था और वो भी ऑनलाइन मंगवाता था.
एक बार हुआ ऐसा कि मैंने जो साइज की ब्रा और पैंटी मंगाई थी, वो गलत साइज की वजह से मेरी वाइफ को फिट नहीं हुई. ये वापस की जा सकती थी, लेकिन न जाने क्यों, मैं नहीं चाहता था कि मैं इसे वापस दूँ.
मैंने मेरी वाइफ को आईडिया दिया कि एक काम करो, तुम ये सैट अपनी भाभी को दे दो, शायद इसकी फिटिंग तुम्हारी भाभी की साइज की हो.
पहले तो वो मुझे घूरने लगी, फिर थोड़ी देर बाद बोली- ठीक सोचा तुमने. मैं भी तो देखूँ, मेरे पति की चॉइस को कितने स्टार मिलते हैं.
तब तक मेरे मन में ऐसा कुछ नहीं था, पर अब मुझे अपनी सलहज काजल का पूरा जिस्म मेरे आंखों के सामने आ गया, जिसमें मेरे लाए ब्रा और पैन्टी पहन कर वो मेरे सामने खड़ी थी. मैं बंद आंखों से उसे देख रहा था और वो शर्मा कर अपनी आंखें बंद करके मेरे सामने खड़ी थी.
मेरी ध्यान तब टूटा, जब मेरी वाइफ ने मेरे लंड को हाथ में लेकर जोर से दबाया और मेरे मुँह में से चीख निकल गई. उस रात को मैंने मेरी वाइफ की अच्छी ठुकाई की. वो भी चुदाई से बहुत खुश थी और गांड उठा कर मेरे झटकों का जवाब दे रही थी.
आज वो कुछ ज्यादा ही गर्म थी इसलिए करीब पांच मिनट में ही वो झड़ गई. पर मेरा अभी हुआ नहीं था.
वो बोली- जानू मेरे मुँह में डाल दो.
मैंने मना किया और उसको उल्टा लेटा कर उसकी गांड में मेरा लंड पेल दिया. उसके मुँह से हल्की चीख निकल गई. करीब दस मिनट गांड मारने के बाद मैं भी झड़ गया और गहरी नींद में सो गया.
सुबह उठा, तो देखा मैं नंगा ही सो रहा था और वाइफ किचन में कुछ काम कर रही थी.
मैं जब किचन में गया, तो उसने मुझसे पूछा- कल रात क्या हो गया था? कल तो आपने मेरी तो जान ही निकाल दी थी. आज तक आपने मेरी इतनी बुरी हालत नहीं की. कल रात की चुदाई की बाद मैं ठीक से चल भी नहीं पा रही हूँ.
मैंने भी बोला- यार बहुत दिनों से तेरी गांड नहीं मारी थी, इसलिए ये हुआ.
बात खत्म करके मैं फ्रेश होने चला गया.
इसके कुछ देर बाद मैं नाश्ता करके ऑफिस निकल गया और अपने काम में लग गया. ऐसे ही आधा दिन निकल गया, मैं चाय पीते काजल के बारे में ही सोच रहा था. उसका ख्याल आते ही मेरे पैन्ट में फिर से तम्बू बन गया.
काम के चक्कर में बहुत दिन हो गए थे, अहमदाबाद नहीं जा पाया था. अचानक मेरे दिमाग में आया कि क्यों न अहमदाबाद जाने का प्लान किया जाए. पर अगर मैं मेरी जानू को बोलूँगा, तो उसको शक हो जाएगा.
इतने में मुझे याद आया कि अगले हफ्ते रक्षाबंधन है और मैं यह बहाना बताऊंगा तो मेरी जानू मना नहीं करेगी.
इतना सोच कर मैं वापस अपने काम पर लग गया. ऐसे ही दो दिन निकल गए, तीसरे दिन रात को ऑफिस से घर लौटा, तो देखा श्रीमती जी मुँह फुला कर बैठी हैं, वो कुछ बात भी नहीं कर रही थी.
खाना खाने के बाद मैंने पूछा- क्या हुआ क्यों इतना मुँह फुला कर बैठी हो?
वो बोली- जैसे कि आपको कुछ पता ही नहीं है. अगले हफ्ते रक्षाबंधन है और मुझे अहमदाबाद जाना है, पर तुमको तो कुछ पता ही नहीं है.
मैंने बोला- वो तो हर साल आता है, उसमें नयी बात क्या है?
मेरा इतना बोलते ही वो मुझे घूरने लगी और बोली- वो मुझे नहीं पता, पर मुझे अहमदाबाद जाना है. आपको नहीं आना, तो कोई बात नहीं.
मैं बोला- ठीक है, रक्षाबंधन सोमवार को है. हम शुक्रवार को शाम यहाँ से निकलेंगे तो दो घंटे में पहुंच जाएंगे.
वो खुश हो गई.
प्लानिंग के हिसाब से हम शुक्रवार शाम को अहमदाबाद पहुंच गए. हमें देख कर सब लोग बहुत खुश हुए.
मैंने एक प्लान बनाया, मेरी जानू के मोबाइल से मेरे मोबाइल पर नंबर डायल करके फोन चालू छोड़ कर उसका फ़ोन मैंने उसके पर्स में डाल कर उसकी भाभी के रूम में वापस रख दिया.
रात के ग्यारह बज गए थे और सब सो गए थे. उधर फोन चालू था. थोड़ी देर बाद मैं कान में इयरफोन डाल कर फोन सुनने लगा.
वो दोनों काफी दिनों बाद मिली थीं, तो उस रात को दोनों ननद-भाभी रूम में बैठ कर बात कर रही थीं और जोर से हंस रही थीं.
थोड़ी देर बाद मेरी वाइफ ने एक पैकेट उसकी भाभी को देते हुए बोला- भाभी, ये पैकेट तुम्हारे लिए है.
काजल बोली- क्या है पैकेट में?
तो मेरी वाइफ बोली- खुद ही खोल कर देख लो.
इतना बोलने के बाद पैकेट खुलने की आवाज़ आई और थोड़ी देर कुछ सुनाई नहीं दिया.
कुछ टाइम बाद काजल की आवाज़ सुनाई दी- अरे वाह ननद जी बहुत ही मस्त सैट लाई हो. ननद जी ये किस ख़ुशी में मुझे गिफ्ट दिया जा रहा है.
इस पर मेरी जानू ने जवाब दिया- इसमें ख़ुशी किस बात की, मुझे अच्छा लगा तो तुम्हारे लिए ले लिया.
थोड़ी देर बाद काजल बोली- एकदम सेक्सी हैं दोनों सैट.
एक सैट ब्लू कलर का था, साटिन की ब्रा और पैंटी और दूसरा रेड कलर का सैट नेट वाला था, जिसमें ब्रा के बीच में डायमंड का पेंडेंट लगा हुआ था और साथ में बिकनी पैंटी थी.
काजल- ननद जी मैं आपको जानती हूँ, आप मेरे लिए बहुत कुछ लाती हो, पर ऐसा गिफ्ट आपने पहली बार दिया है. कुछ तो है बताओ क्या बात है.
मेरी जानू बोली- अरे हुआ यूं कि उन्होंने ऑनलाइन आर्डर किया था, पर मेरे साइज के हिसाब से टाइट हो रहा था, तो मैंने सोचा इतना सेक्सी सैट मैं वापस नहीं करूंगी और सोचा क्यों न मैं तुम्हारे लिए रख लूँ.
काजल बोली- वाह … मेरे ननदोई जी की चॉइस तो एकदम धांसू है. फोटो देख कर भी इतनी बढ़िया पसंद किया है.
फिर दोनों की जोर से खिलखिलाने आवाज़ सुनाई दी. थोड़ी देर बाद काजल बोलती है- चलो एक बार ट्राई करके देखती हूँ, मुझे फिट आता है कि नहीं.
उसके बाद से थोड़ी देर तक कुछ सुनाई नहीं दिया.
फिर मेरी जानू की आवाज आई- भाभी, आपके पपीते तो बहुत बड़े हो गई हैं, लगता है मेरे भैया रोज़ इसकी खातिरदारी करते हैं.
काजल बोली- ननद जी वो तो है, पर आप भी मुझसे कम नहीं हो, अपनी साइज तो देखो.
ये बोल कर दोनों वापस हंसने लगीं.
काजल पूछने लगी- बताओ पहले कौन सी पहनूं.
तो मेरी जानू ने जवाब दिया- पहले ब्लू ट्राई करो.
थोड़ी देर बाद काजल आईने के सामने जा कर बोली- ओह … ये पहन कर अगर मैं आपके भाई के सामने गई, तो वो तो मुझ पर टूट पड़ेंगे और वहीं चोद डालेंगे.
उसके बाद मेरी जानू की आवाज आई- रुको भाभी, आपके मोबाइल से फोटो लेती हूँ. उसने काजल का मोबाइल उठाया और मस्त पिक्चर लेने लगी.
मुझे भी उसकी क्लिक की आवाज़ सुनाई दे रही थी. करीब पन्द्रह फोटो लेने के बाद काजल की आवाज आई- अब मैं दूसरा सैट ट्राई करती हूँ.
थोड़ी देर बाद वापस मेरी जानू बोली- भाभी.. इसमें तो आज आप क़यामत लग रही हो.
उसके बाद फिर से कुछ फोटो ली गईं.
उन दोनों की बातें सुन कर मेरा भी लंड खड़ा हो गया था, पर क्या करता. मेरे पास अपने हाथ के अलावा कोई और रास्ता नहीं था.
थोड़ी देर दोनों इधर उधर की बातें करके सो गई होंगी. क्योंकि मुझे उनके कमरे से कोई आवाज नहीं आ रही थी.
मैं भी फटाफट बाथरूम में गया और काजल की नाम की मुठ मारने लगा. पर अचानक वहां पर मुझे कपड़े का ढेर दिखा, उसमें मुझे काजल के भी कपड़े दिखे.
मेरे ढूँढने पर मुझे उसमें काजल की आज पहनी हुई पीले रंग की नेटवाली ब्रा और पैन्टी दोनों मिल गए. मेरी तो मानो लाटरी लग गई. मैं काजल की ब्रा के ऊपर हाथ फिराने लगा और उसकी चूचियों को अपने ख्यालों में ही महसूस करने लगा.
थोड़ी देर बाद मैं काजल की पैन्टी को हाथ में लेकर अपनी नाक के पास ले गया. उसमें से काजल की चूत की बहुत ही प्यारी खुशबू आ रही थी, जो मुझे पागल कर रही थी.
अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था.
काजल की पैन्टी मेरे लंड पर महसूस होते ही मेरा लंड भी झटके मारने लगा. मैंने काजल की पैन्टी को मेरे लंड पर लपेटा और ख्यालों में ही काजल की चूत को चोदने लगा. थोड़ी देर में मेरे लंड ने एक जोर से वीर्य की पिचकारी निकाली और सीधी बाथरूम की सामने की दीवार पर गई. मैंने थोड़ा वीर्य काजल की ब्रा और पैन्टी के ऊपर निकाला. फिर बाहर आकर सो गया.
मैं सुबह उठा और मेरी जानू को आवाज़ लगाई. वो आई, तो मैंने दरवाज़ा बंद कर दिया और उसको मेरी बांहों में भर लिया. वो ना नुकुर करने लगी, पर मैंने नहीं छोड़ा. मैं उसके होंठ पर होंठ रख कर लिप किस करने लगा. वो धीरे धीरे गर्म हो रही थी.
मेरा हाथ उसकी चूची पर चला गया और धीरे धीरे दबाने लगा. थोड़ी देर बाद मैंने उसके कुर्ते में हाथ डाल दिया, उसकी ब्रा के ऊपर से चूची को दबाने लगा. अब मेरी भी ठरक थोड़ी और बढ़ गई थी. मैंने उसकी लैगीज को थोड़ा नीचे कर दिया. नीचे का नज़ारा देख कर मेरा लंड तन कर एकदम नब्बे डिग्री के एंगल पर झटके देने लगा.
मेरी जानू ने मेरी नई लायी हुई ब्रा और पैन्टी में से पिंक कलर का साटिन का सैट पहना था.
मैं उसकी पैन्टी के ऊपर से ही उसकी चूत के ऊपर सहलाने लगा. मैं उसकी पैन्टी में हाथ डालने ही वाला था कि उसने मुझे धक्का दे दिया. अपनी लैगीज ऊपर की और फटाफट बाहर भाग गई.
वो मुझसे बोली- आपको जो भी चाहिये, वो आपके बैग में है, खुद ही निकाल लो.
मैं हाथ मलता रह गया और वो आंख मार कर बोली- थोड़ा सब्र करो यार.
मैं सोचता रहा कि ये क्या बोल रही है. मुझे कुछ समझ नहीं आया और नहा कर तैयार हो गया.
मेरी जानू बाहर कपड़े धो रही थी और काजल किचन में मेरे लिए नाश्ता बना रही थी. आज मैंने देखा काजल कुछ अलग ही नज़रों से मुझे देख रही थी. वो थोड़ी थोड़ी देर में तिरछी नज़रों से मुझे ही घूरे जा रही थी. मुझे भी कुछ अजीब लगा.
मैंने नाश्ता खत्म किया और वो पानी का गिलास ले कर मुझे देने ही जा रही थी कि उसका हाथ मेरे हाथ से टकरा गया. पानी टेबल पर गिर गया और पानी ने सीधा मेरे पैन्ट के ऊपर से मेरे लंड को नहला दिया.
वो तुरंत नैपकिन लेकर मेरे पैन्ट के ऊपर का पानी साफ़ करने लगी. काजल का हाथ पैन्ट पर महसूस होते ही मेरा लंड ताव में आ गया और विकराल रूप में आने लगा.
काजल ने मेरे लंड को महसूस होते ही उसने हाथ हटा दिया और शर्मा कर दूसरी तरफ भाग गई.
मैं बाहर आया, तो वो मेरी आंख से आंख नहीं मिला पा रही थी.
मेरे साले और ससुर जी टिफिन लेकर फैक्ट्री के लिए निकल गए थे और दोनों माँ बेटी और काजल बैठ कर गप्पें मार रही थीं. मैं अकेला बैठा बैठा बोर हो कर टीवी देखने लगा.
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कहानी का अगला भाग: मेरी सलहज की मदभरी जवानी के मजे-2
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