ससुराल में सलहज की जोरदार चुदाई- 2

(Pussy Lick Fuck Story)

सलहज को उसकी पुसी लिक करके मैंने ओरल सेक्स का मजा दिया. मेरे साले ने उसके साथ ऐसा कभी नहीं किया था. तो उसे बहुत मजा आ रहा था.

दोस्तो, मैं राहुल!
मेरी सलहज एकता की चुदाई की कहानी के पिछले भाग
साले की बीवी को लंड चुसवाया
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैं अब एकता की चुदाई रानियों के जैसी करने के मूड में था … मतलब मैंने उसके साथ रफ सेक्स करने का विचार त्याग दिया था.

अब आगे पुसी लिक फक:

मैंने एकता के चूचों को सहलाना शुरू कर दिया और साथ ही अपने होंठ एकता के होंठों पर रख कर उनको चूसने लगा.

एक हाथ एकता के सिर के पीछे से होता हुआ उसकी पीठ को सहला रहा था तो दूसरा एकता के चूचों को मसल रहा था.

थोड़ी ही देर में मैंने एकता को पलंग पर लिटा दिया और खुद उसके ऊपर से उसको चूमता, चूसता और सहलाता रहा.
एकता के होंठों से होता हुआ मैं उसकी गर्दन पर पंहुचा और एक हाथ को उसकी चूत पर रख दिया.

एकता जैसे बदन की अगन में तड़प रही थी और उसके मुँह से मादक सिसकारियां आ रही थीं.
फिर मैं और नीचे चला और एकता के चूचों को चूसने और हल्के-हल्के काटने लगा. पर मेरा हाथ अब भी एकता की चूत से खेल रहा था.

एकता मेरे सिर को सहलाती हुई मुझे बराबर स्नेह दे रही थी और उसका बदन तो ऐसे मचल रहा था जैसे मैंने उसके साथ कोई बेदर्दी की ही ना हो.

मैंने एकता के चूचों पर थोड़ी लव बाईट भी दीं.
पर जब उसको इस बात का अहसास हुआ तो वो मना करने लगी- कोई निशान मत छोड़ो क्यूंकि अंगद अगले हफ्ते वापस आ रहे हैं और वैसे भी मेरे शरीर से निशान आसानी से नहीं जाते हैं.

मैंने एकता की चूत रगड़ते हुए कहा- तुम्हें कैसे पता कि निशान आसानी से नहीं जाते?

एकता- अंगद को मेरे दूध पर काटने का बहुत शौक है. उनके काटे के निशान जाने में कभी कभी एक महीना लग जाता है.
मैं- काटने का शौक है मतलब?

एकता- मतलब वही, जो आप थोड़ी देर पहले कर रहे थे … पर वो सिर्फ यहां वहां काटने का काम करते हैं.
मैं- ऐसे कहां कहां काटता है अंगद?

एकता- जहां मौका लग जाए … मन है उनका!
मैं- फिर भी, ठीक से बताओ ना कहां कहां?

एकता ने झुंझलाते हुए कहा- ओह..हो … जैसे दूध पर, पेट पर, पीठ पर, जांघों पर, यहां तक कि नीचे भी!
मैंने एकता की चूत पर चुटकी लेते हुए कहा- नीचे मतलब … टांगों पर?

एकता- टांगों पर नहीं कुंवर साहब … नीचे मतलब नीचे … पैरों के बीच में!
मैं- फिर कहां … वही तो पूछा?

एकता- ओह..हो … पता नहीं आपको … इन बातों में क्या मज़ा आ रहा है … और यूँ तो आप भी समझ गए हो कि उन्होंने पैरों के बीच में कहां काटा होगा? ज्यादा होशियारी मत दिखाओ. मुझे नहीं पता क्या कहते हैं उसको?
इतना कहकर एकता शर्माने लगी.

मैं- एक बार बोलो ना ‘चूत पर …’
एकता- छी: … कैसी बातें करते हो आप? बोलते भी कैसे हो ये सब?

मैं- प्लीज जान … एक बार बोलो ना ‘चूत पर …’ प्लीज़.
एकता- करना है तो करो, वरना कोई बात नहीं क्यूंकि मैं ये सब नहीं बोलने वाली.

मैं- प्लीज जान मेरे लिए इतना भी नहीं बोल सकती क्या? सिर्फ एक बार बोलो ना ‘चूत पर …’
एकता- हां हां … वहीं पर … अब चुप बस … प्लीज.

इतना कह कर एकता ने मेरे सिर को अपनी चूत पर कुछ ऐसे ही धकेला, जैसे थोड़ी देर पहले मैंने उसको अपने लंड पर धकेल कर उससे जबरदस्ती अपना लंड चुसवाया था.
वो एकाएक बोल पड़ी- अब बिना किसी देरी के इसको चूस कर मुझे शांत कर दो वरना … मैं जाती हूँ.

मेरे लिए ये एक अलग अनुभव था और एकता ने पहली बार खुद तो स्पष्ट किया था.
मैं एकता का साथ चाहता था और उसके लिए उसके मन की बात जानना और फिर उसकी बात को रखना भी बहुत जरूरी था, तो मैंने ज्यादा बातें ना करते हुए एकता की चूत पर मुँह रख उसको चाटना शुरू कर दिया.

इस बार मैं अपनी जीभ को एकता की चूत में अन्दर तक पुश कर रहा था और उंगली से एकता की गांड के छेद को सहला रहा था.
ऐसा करने से लड़कियों को दोहरी ख़ुशी मिलती है. दोस्तो, आप लोगों को इसको जरूर ट्राई करना चाहिए.

मैं कभी एकता की चूत की खाल को चूसता, तो कभी उसके दाने पर जीभ फेर देता.
बीच बीच में उसकी चूत से थोड़ा हटकर उसकी जांघों को भी चूम और काट लेता जिससे एकता सिहर सी जाती.

मैं सिर्फ यहीं नहीं रुका दोस्तो … जब एकता खूब मगन होती तो मैं उसकी टांगें हवा में उठा कर अपनी एक उंगली को गीला करके, उसकी गांड में अन्दर भी पेल देता.
जिससे उसके चेहरे के भाव आनन्द से बदल कर डर वाले हो जाते.

मुझे ये सब करने में मज़ा बहुत आ रहा था.
आखिर मैंने एकता की चूत का इंतज़ार भी तो कई साल किया था.

एकता उस रात एक नयी दुल्हन की तरह थी.
पुसी लिक से वो रह रह कर कांपी जा रही थी और उसके मुँह से निकलने वाली आवाज़ें उत्तेजना के बढ़ने के साथ तेज़ होती जा रही थीं.

मुझे एकता को बीच बीच में उसकी आवाज़ पर ध्यान देने को कहना पड़ता.
पर एकता जैसे बेफिक्र सी, पूरी दुनिया से अनजान … बस इस पल का आनन्द ले रही थी.
वो तो जैसे सुख के सागर में डूबी जा रही थी.

इस बार मैं थोड़ा सतर्क था और मैं एकता के स्खलित होने से पहले अपने लंड को एकता की चूत में पेलना चाहता था.

वैसे भी एकता की चूत के रस से अब मैं अनजान नहीं था और उसको पहले भी पी चुका था, तो इस बार तो कुछ अलग होना बनता भी था.

मैंने एकता की चूत को पीना छोड़ा और उसकी चूत में उंगली करनी शुरू कर दी.
साथ ही मैंने अपने आसान को भी बदला जिससे मैं सही मौका मिलने पर एकता की चूत पर प्रहार कर सकूँ.

मैंने थोड़ी देर ही एकता की चूत में उंगली की होगी कि एकता अपनी गांड उठा उठा कर मज़े लेने लगी.
मैं उसकी बेकरारी को समझ सकता था और अब तो उसका चेहरा, उसके भाव और उसकी हरकतें, सब कुछ चीख चीख कर बोल रही थीं.

इस समय एकता को सिर्फ और सिर्फ एक ताबड़तोड़ चुदाई ही शांत कर सकती थी.
मैं भी यही चाहता था कि मैं एकता को उस स्तर पर ले जाऊं, जहां वो अपने मन की बात मुझसे बिना किसी झिझक के कह सके.

मैंने खुद को एकता के ऊपर पोजीशन में किया और थोड़ी ही देर में मैंने एकता की चूत के दाने पर अपने लंड का टोपा रख दिया.

इसी के साथ ही एकता ने जैसे कोई चैन की सांस ली- ओह्ह राहुल … तुम बहुत नालायक हो बे … तुमने अपनी ही सलहज पर अपनी गन्दी नज़र रखी और आज सिर्फ मुझे चोदने के प्लान से यहां आए … तुमने मुझे बेईमान कर दिया … पिछले कई सालों में जब से अंगद बाहर गए हैं, मुझे अकेला देख कर कई लोगों ने कोशिश की मेरे साथ हमबिस्तर होने की, पर मैंने किसी को मौका नहीं दिया. मगर तुमने आज मुझे ऐसे रगड़ा कि मैं चाह कर भी बच नहीं सकी और तुम्हारे लंड का शिकार हो बैठी … ओह्हह राहुल … अब कुछ मत सोचो और बस अपनी रेल चालू करो … अब और इंतज़ार नहीं होता रे!

मैंने आश्चर्य से उसकी ऐसी भाषा पर जबाव देते हुए कहा- साली, आज तेरी ओखली में ऐसा मूसल चलाऊंगा कि तू ज़िन्दगी भर याद करेगी मेरी जान … ले मजा चख!
इतना कहकर मैं अपना लंड एक झटके में एकता की चूत में उतार दिया.

एकता दर्द से आंखें मीचती और कराहती हुई- आह मर गई … आह अब इस मूसल को मत रोकना मेरे राजा … और इतना कूटो मेरी ओखली को कि इसकी सारी नलियां खुल जाएं … और जो काम इतने सालों से अटका है, वो भी पूरा हो जाए … आह!

मैं जोश से एकता को चोदते हुए बड़बड़ाने लगा- आह … अब तो मैं सब काम पूरे करके ही दम लूंगा मेरी जान … जब और जैसे चाहूंगा … वैसे चोदा करूँगा तेरे को और तू मना भी नहीं कर सकेगी कभी.

एकता हांफती हुई- आंह आज का काम तो कर ले … मैं भी बड़ी तीखी मिर्च हूँ … जाने कब तू लाल पड़ जाए … आह पेल साले.
मैं- ये तो पक्का है कि तू तीखी मिर्ची है पर मैं लाल नहीं पड़ने वाला रानी … जरा ये काम पूरा हो जाने दो, फिर तो तू ज़िन्दगी भर मेरे चक्कर काटेगी.

इतना कहकर मैंने अपनी रेल की रफ़्तार बढ़ा दी और एकता को ताबड़तोड़ चोदने लगा.

एकता थोड़ी ही देर में हांफने लगी क्यूंकि वो बहुत दिनों से चुदाई के अभ्यास में नहीं थी.
अंगद को भी बाहर गए करीब 8 महीने हो चुके थे और इसी कारण एकता की चूत किसी सील बंद जितनी ही टाइट थी.

एकता अभी कुछ ही घंटों पहले अपना पानी बहा चुकी थी पर फिर भी एकता को दोबारा झड़ने में ज्यादा समय नहीं लगा और उसने अपने नाखूनों को मेरी पीठ में धाँस दिया.

एक बार फिर एकता ने अपना कामरस छोड़ा, पर इस बार वो इसको एक सुखद अहसास के चलते छोड़ रही थी.
पर मेरा लंड अभी पूरे जोश में था और ये पारी लम्बी चलने वाली थी.

एकता के नाखूनों और चूत, दोनों से ही मुझे दर्द तो बहुत हो रहा था.

पर मैं उस दर्द को मीठे दर्द का नाम दूंगा क्यूंकि उसके नाख़ून मेरी पीठ में गड़े थे और चूत मेरी लंड को छील चुकी थी.

अब मैंने एकता के पैरों को हवा में उठा कर उसके कन्धों की तरफ मोड़ा और एक बार फिर पूरा लंड झटके से एकता की चूत में पेल दिया.

एकता को दर्द हुआ, पर वो कुछ नहीं बोली; बस हल्की घुटी आवाज़ें उसके मुँह से आती रहीं और मैं उसको चोदने में लगा रहा.

तभी मैंने पूरा लंड एकता की चूत से बाहर निकाला और झटके से एक बार फिर से एकता की चूत में ठोक दिया.
इस बार एकता खुद को नहीं रोक पायी और बोली- आंह धीरे … आराम से तो कोई काम हो ही नहीं सकता ना तुम्हारा … जंगली बनना तो बहुत जरूरी है ना!

मैं- इसका भी अपना ही मज़ा है एकता रानी … अभी तो तुम आगे आगे देखो, होता है क्या?
एकता- थोड़ा आराम से चलो … मैं कहीं भागी नहीं जा रही … और मेरे को पैर तो सीधे करने दो, दर्द हो रहा है!

मैं- ये वो मुद्रा है, जिसमें सेक्स करने से निश्चित ही बच्चा ठहरता है … तू थोड़ा दर्द झेल ले क्यूंकि अभी मेरा लंड भी शांत होने से कोसों दूर है.
एकता- क्या? और कितनी देर चलेगी तुम्हारी गाड़ी? अंगद तो एक बार के बाद बस बातें करते हैं. दो बार तो बस कभी कभी ही होता है.

मैं- एक दो तीन बार की छोड़ो मेरी जान, मौका लगेगा तो बताएंगे … हम तो लम्बी रेस के घोड़े हैं. ये गाड़ी तो 5-6 बार प्लेटफार्म पर आती है और वो भी एक ही रात में!
एकता- मुझे तो आपकी बातों से बड़ा डर लग रहा है.

मैं आंख मारते हुए बोला- ये बता, मज़ा आ रहा है या नहीं?
एकता शर्माती हुई- वो तो इतने दिनों बाद कर रही हूँ ना, उसके लिए!

मैं होंठों पर जीभ फेरते हुए बोला- कोई बात नहीं. अभी तो तू कुछ भी कह ले, पर बाद में तुमसे सही जवाब जरूर लूंगा.
फिर मैंने दोबारा एकता की चुदाई फुल स्पीड पर शुरू कर दी.
बीच बीच में मैं कभी एकता के होंठ चूसने लगता तो कभी उसके चूचों को मसलने लगता.

वैसे मेरा मन ऐसा भी कर रहा था कि मैं एकता के पुट्ठे पर काट कर निशान छोड़ दूँ.
पर एकता ने मुझे निशान छोड़ने को मना किया था क्यूंकि अंगद कुछ ही दिनों में वापस आने वाला था.

आशा है आप सब जानते हैं कि पुट्ठा किसको कहते हैं … और अगर नहीं तो आप मुझे ईमेल करके पूछ सकते हैं.

मैंने एकता के घुटनों को तो कन्धों तक मोड़ ही रखा था जिससे एकता के मोटे चूचे उसकी बांहों के बीच में उभर रहे थे और मुझे कुछ घूर से रहे थे.

एकता की सुन्दर सुडौल जांघें घूम कर मेरी नज़रों के सामने थीं तो मुझे ललक हो रही थी और इस समय एकता ऐसी लग रही थी जैसे सेक्स की देवी हो.

इस सबके आगे मैं खुद को रोक नहीं पाया और मैंने धक्के लगाते लगाते एकता की जांघ पर एक ज़ोरदार चपत जड़ दी.

इसके साथ ही एकता के मुँह से आउच निकला और उसने अपना मुँह घुमा कर मेरी बांह पर अपने दांत गाड़ दिए.

मैं चाह कर भी चिल्ला नहीं सकता था पर मैंने इसके बाद एकता की जांघ पर तब तक चपत जड़े, जब तक उसकी जांघ लाल नहीं पड़ गयी और एकता किसी मासूम बच्ची के जैसे सिर्फ अपनी चूत चुदवाती रही और जांघ पिटवाती रही.

ये सब इतना जंगली होता जा रहा था कि मेरा लावा बनने लगा था और किसी भी समय फूट सकता था.
बस थोड़ी मोहब्बत की जरूरत थी, जो एकता की तरफ से आनी थी.

मैंने एकता को बताया कि मेरा होने वाला है.
इतना सुनते ही एकता भी नशे में झूमने लगी.

मैंने एकता को बोला कि वो मेरी पीठ पर थोड़ा हाथ फेरे, थोड़ा मेरी जिस्म को चूमे- चाटे और काटे … और मुझे थोड़ी फीलिंग दे, जिससे मैं थोड़ा जल्दी ही स्खलित हो जाऊं.
एकता को कहते ही वो तो मुझे चूमने चाटने और काटने लगी.

एकता ने एक बार फिर अपने नाखूनों का जलवा दिखाया और इस बार उसने मेरे कन्धों पर अपने नाख़ून गाड़ दिए.
ये सब मेरी लिए इतना उत्तेजक था कि मैं बहुत देर तक खुद को नहीं रोक पाया और मैंने ज़ोरदार पिचकारी के साथ अपना बीज एकता के अन्दर डाल दिया.

मैं अभी धक्के लगा कर अपना माल झाड़ ही रहा था कि एकता ने भी अपने दांत भींचने शुरू कर दिए और वो एक बार फिर झड़ने लगी.

एकता की गर्मी कुछ इतनी थी कि मैं तकरीबन पूरा झड़ने के बाद भी दोबारा से झड़ना शुरू हो गया और मैंने इतना पानी गिराया कि अगर कोई और होती तो उसको एक नहीं बल्कि जुड़वां बालक ठहर जाते.

मैंने अपने होंठों को एकता के होंठों पर रख दिया और उनको चूसने लगा.
एकता भी बराबर मेरा साथ दे रही थी और किसी भी चीज़ में पीछे नहीं थी.

हम दोनों नीचे धक्के पर धक्का लगा रहे थे और ऊपर एक दूसरे को चूम और चाट रहे थे.
एकता भी बराबर मेरे धक्कों का जवाब अपनी गांड उठा कर दे रही थी, पर मैंने अभी तक उसके पैरों को छोड़ा नहीं था.

एक अजीब सी मुद्रा में सब कुछ होता जा रहा था और आनन्द की तो कोई सीमा ही नहीं थी.
हमारे मिश्रित रस हम दोनों को पूरी तरह से गीला कर चुके थे और अब चादर को गीला कर रहे थे.

हमारे मुँह से आवाज़ ऐसे निकल रही थी, जैसे दबी हुई कोई दहाड़ हो. खुल कर तो हम दोनों ही कुछ नहीं कर सकते थे क्यूंकि घर में और लोग भी उपस्थित थे.
कुछ देर बाद हम शांत हुए और मैंने एकता के पैरों को आज़ाद कर दिया.

पर हम अभी भी एक दूसरे के होंठों को चूसने में व्यस्त थे.
मैंने अपने हाथों को एकता के चूचों पर रख कर उसके निप्पलों से खेलना शुरू कर दिया था और बीच बीच में उसकी घुंडियों को भी निचोड़ लेता था.

ऐसे में एकता मुझे एक चपत लगा कर अपना विरोध प्रदर्शन कर देती और मैं भी थोड़ा नर्म हो जाता.
इतना सब होने के बाद भी मेरा लंड था कि बैठने का नाम नहीं ले रहा था और अब भी एकता की सोहनी चूत को सलामी दे रहा था.

हम अलग हुए तो एकता की नज़र मेरे लंड पर पड़ी जो थोड़ी लालिमा लिए था और मेरी चादर की तरफ जो थोड़ी लाल दिख रही थी.
शायद बहुत दिनों के बाद ऐसा सेक्स करने के कारण एकता की चूत से खून आ गया था.
इसके पहले भी मैंने जब उसे चोदा था, तब वो सब जल्दी में हुआ था.

अपनी चूत से खून निकला देख कर एकता भी थोड़ी हैरान थी.
पर उसको मेरे लंड को देख कर ज्यादा हैरानी थी.

वो बोली- आपने जो 5-6 बार गाड़ी और प्लेटफार्म वाली बात कही, मैं उसको मज़ाक समझ रही थी. पर आपका लंड तो जैसे …
और इतना कहकर वो रुक गयी. उसके मुँह से लंड जो निकल गया था.

मैं- बात तो पूरी कर दो रानी … मुँह में आयी बात और लंड, दोनों को ही मुँह में नहीं रखना चाहिए!
एकता- मैं कह रही थी कि आपका लंड तो जैसे … जैसे किसी गधे के लंड की तरह है!

मैं- तुमने तो जैसे बहुत गधों के लंड देखे हैं ना … जरा नाम तो बताओ 2-4 के, अंगद के अलावा …
एकता- छी: … कैसी बात करते हो आप?

मैं- तुमने मेरे लंड को गधे का लंड कहा तो कुछ नहीं … अब तो इसको तभी शांति मिलेगी, जब तुम इसको मुँह में लेकर चूसोगी और साफ़ करोगी.
एकता- वो छोड़ो और ये बताओ कि तुमने मेरे साथ ये क्या किया है? ये खून सिर्फ तब आया था, जब मैंने और अंगद ने पहली बार किया था … या आज आया है.

मैं- लंड से तो तुम आज ही चुदी हो रानी … अभी तक तो तुम लुल्ली ले रही थी … मैंने कुछ नहीं किया, सिर्फ तुम्हारी चूत को ठीक से खोल दिया है. अब तुम्हें मेरे लंड की जरूरत महसूस होती रहा करेगी.
एकता ने घड़ी की तरफ इशारा करते हुए कहा- चलो जल्दी से उठो और मुझे सब साफ़ करने दो. सुबह के 5 बज चुके हैं और इससे पहले कि माताजी उठें, मुझे वापस जाकर उनके साथ सोना भी है.

मैं- थोड़ी देर और रुक जाओ जान … अभी मन नहीं भरा!
एकता- मेरी चूत तक फाड़ दी है तुमने … और कहते हो मन नहीं भरा … तुम्हारा तो कभी भरने भी नहीं वाला लाला.

एकता ने पूरा बिस्तर साफ़ किया, चादर बदली; कमरे में फ्रेशनर छिड़का और अपने कपड़े पहन लिए.
उसने मुझे एक पुच्ची दी और अपने कमरे में चल दी.

अगले दिन मैंने फिर एकता को चोदा और इस बार मैंने उसकी गांड में भी मस्ती की पर उसको चोद नहीं पाया क्यूंकि एकता बहुत डर रही थी.
पर बकरे की अम्मा कब तक खैर मनाएगी.

दोस्तो, वो आपको अगले भाग में बताऊंगा. आज के लिए इतना ही काफी है.
आशा है आप सभी लंड धारकों ने कहानी पढ़ते हुए अपना पानी गिरा दिया होगा और गर्मा गर्म भाभियों ने अपनी चूत को मसोड़ कर अपनी गर्मी शांत कर ली होगी.

इस पुसी लिक फक कहानी पर आप अपने कमेंट्स लिख सकते हैं … और ईमेल करने के लिए मेरी ईमेल आईडी पर मेल कर सकते हैं.
आपके कमेंट और प्यार के इंतजार में.
भाभियों का प्यारा चोदू देवर
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