पड़ोस वाला जीजा साली सेक्स के लिए बेचैन-2
(Pados wala Jija Sali Sex ke liye bechain- Part 2)
कहानी का पिछ्ला भाग: पड़ोस वाला जीजा साली सेक्स के लिए बेचैन-1
अगले ही दिन नीलेश जीजू का फ़ोन आया, उन्होंने मुझ से कहा- रोमा, आज मैंने ऑफिस से छुट्टी ले ली है और पायल भी हॉस्पिटल जा चुकी है, मैं घर में अकेला हूँ, आज तुम किसी तरह मेरे घर आ जाओ. कल जब से तुम्हारी जवान चुची के दर्शन हुए हैं, मेरा दिल बेताब है, रात भर मुझे नींद नहीं आई, मेरी आँखों के सामने बार बार तुम्हारी चुची आ जाती थी.
मैंने हँसते हुए कहा- सिर्फ चुची ही आती थी या चूत भी?
जीजू ने कहा- मेरी साली जी, अभी तुम्हारी अपनी चूत रानी ने दर्शन ही कहाँ दिए हैं, एक बार आ जाओ मेरे पास, तुम्हारी चूत को अपने लंड का पानी पिला दूँगा!
फिर उन्होंने कहा- प्लीज़ साली जी, आ जाओ अपने जीजू के पास, अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है!
उनकी बातें सुन कर मेरे दिल फिर से मचल उठा था और चूत में आग लग गई थी तो तैयार हुई दोपहर का टाइम था मम्मी अपने रूम में लेटी हुई थी शायद वो सोने जा रही थी.
तो मैंने मम्मी से कही- मैं अपनी सहेली के घर जा रही हूँ.
उन्होंने कहा- ठीक है!
मम्मी को क्या पता कि उनकी बेटी चुदने के लिए जा रही है.
मैं घर से निकली तो कॉलोनी में कोई नहीं था क्योंकि दोपहर का टाइम था, मैं जल्दी से बगल वाली बिल्डिंग में चली गई.
जब मैं ऊपर सेकंड फ्लोर पर गई तो जीजू के घर का दरवाजा खुला हुआ था, मुझे देखते ही जीजू खड़े हुए और फट से मेरे पास आ गए, सीधा मेरी चुची के ऊपर हाथ रख के जीजू बोले- क्या बात है, बड़ी जल्दी आ गई मेरी साली, लगता है तुम्हारे अंदर भी उतनी ही आग लगी है जितनी मेरे अंदर लगी है?
मैंने कहा- क्या करूँ जीजू, कल आप ने आग तो लगा दी थी पर वो आग अभी तक ठंडी नहीं हो पाई है.
जीजू ने मेरा टॉप उतार दिया और मेरी चुची को दबाने लगे, उनके गर्म और कड़क हाथ अब मेरी चुचियों के ऊपर थे.
मेरी साँस फूलने लगी थी.
मैंने उसके कंधे पे हाथ रख के कहा- दरवाजा तो बंद कर दीजिए, कोई आ गया तो?
जीजू ने हंस के कहा- रुक जाओ मेरी साली जी, तुम्हारी चुची देख के जाने का मन नहीं हो रहा है!
मैंने गुस्से वाला चेहरा बनाने की एक्टिंग की तो फिर वो दरवाजे की ओर बढ़े और उन्होंने बाहर झाँक कर दरवाजे को बंड कर दिया. उन्होंने आते आते अपना लोवर और टी शर्ट निकाल दी, अब वो सिर्फ एक छोटी सी अंडरवीयर में थे, मैं उसकी यह सेक्स उत्सुकता देख कर अपने आप को हंसने से नहीं रोक पाई.
मुझे हँसती देख के जीजू बोले- क्या बात हैं साली जी, आप तो बड़ी मुस्कुरा रही हो… लंड लेने की बेताबी है या हमारी मजाक उड़ा रही हो?
मैंने अपनी चुची को मसलते हुए कहा- दोनों ही हैं एक साथ!
जीजू मेरे करीब आये तो मैंने देखा कि उनका देसी लंड जैसे अंडरवीयर को फाड़ने वाला था. जीजू ने आते से ही पीछे से मेरी ब्रा के हुक को खोल दिया और मेरी दोनों चुची को आजाद कर दिया.
फिर मैं उनकी तरफ घूम कर मैं अपने घुटनों के उपर जा बैठी और उस अंडरवीयर को लौड़े के प्रेशर से आजाद करने लगी.
जीजू का लंड तना हुआ और चूत फाड़ने के लिए बिल्कुल सटीक पोजीशन में था.
अंडरवीयर को घुटनों तक खींचा मैंने और जीजू के लौड़े पे एक प्यार भरा चुम्मा दे दिया.
जीजू ने मेरे बालों को पीछे से पकड़ा और मुझे अपने लंड की तरफ खींचने लगा.
मैंने अपना मुंह खोल कर आगे किया तो उसका सुपारा मेरे होंठों से टकरा गया. ‘बड़ा मीठा हैं जीजू का लंड तो… ऐसा लगता है जैसे शहद में भिगो के अंडरवीयर में छिपा के रखता हो…’
मैंने मुँह को थोड़ा और खोला और लौड़ा मेरे मुँह में मस्त पेला जा चुका था. जीजू ने मेरे बालों को पकड़े हुए ही मुझे आगे पीछे करना चालू कर दिया. मैंने भी अपने दांतों का हल्का हल्का प्रेशर उस शाफ्ट के ऊपर डाला और जीजू की आँखें बंद हो गई.
मैंने लंड की साइड में अपनी जुबान लगाई और फिर एक झटके में उस लौड़े को मुँह से बाहर कर दिया. उसके बाद मैंने जो चेष्टा की, उससे तो जीजू के होश ही उड़ने लगे थे. मैंने अपनी जुबान बाहर निकाली और मैं उसके मूतने के छेद को जुबान से लपलपाने लगी. मुझे पता है कि ऐसा करने से मर्दों को बहुत गुदगुदी होती है.
और ऐसा ही कुछ जीजू के साथ भी हुआ, वो आह आह करके मीठी आहें भरने लगा. वो मेरे माथे को पीछे से पकड़ के अपने लौड़े से दूर करना चाह रहा था लेकिन मैंने अपना लपलपाना जारी रखा. वो बहुत ही उत्तेजित हो चुके थे और उन्होंने मुझे फट से दूर कर दिया.
मैंने जुबान को होंठों के ऊपर फेरते हुए उनसे पूछा- क्या बात है, इतनी जल्दी मुँह हटा दिया मेरा अपने लंड से?
जीजू बोले- अरे अगर नहीं हटाता तो अभी पानी निकाल देता मेरा तोता! ऐसे जुबान चलाती हो तो जैसे कुछ अजीब सी फिलिंग होती हैं मेरे दिल में जैसे कि बदन की सारी की सारी उत्तेजना लंड के सुपारे में आके समा जाती है.
मैं हंस पड़ी और खड़ी होके नंगी होने लगी. मैंने अपनी जीन्स उतार दी, जीजू मेरे पीछे आ गये और उन्होंने अपने लंड को मेरी गांड के ऊपर घिसना चालू कर दिया. वो पीछे से मेरी जांघों और गांड के कूल्हों पे अपना गर्म लंड घिस रहे थे. सच कहूँ, मेरे बदन में उसके ऐसा करने से जैसे करंट दौड़ रहा था.
मैंने जीजू को गले से पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और उसके होंठों के ऊपर अपने होंठ जमा दिए. जीजू ने मुझे एकदम डीप किस किया और फिर छोड़ा.
फिर उन्होंने मेरी चुची हाथ में पकड़ी और बोले- साली जी, आज तो मैं तुम्हारी चूत का स्वाद चखना चाहता हूँ. पिछली बार तो तुम्हारी मम्मी की वजह से मैं मुँह नहीं लगा पाया था लेकिन आज मैं उसे जरूर चखना चाहूँगा.
जीजू चूत चूसने के बड़े आशिक लग रहे थे.
मेरे कपड़े जमीन पर गिर चुके थे. जीजू ने मुझे उठा के बेड पे पटका और मेरी पेंटी को खींच कर उतार फेंका और मुझे टाँगें खोलने के लिए इशारा किया.
मैं जान गई थी कि वो अब चूत में गोता लगाने वाले हैं.
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जीजू ने सीधे मेरे चूत के ऊपर अपने मुँह को लगाया और वो उसे चूसने और चाटने लगे, कभी वो मेरी चूत के होंठों पे अपनी जुबान लगा रहे थे तो कभी उनकी वो सटीक जुबान मेरे चूत के दाने के ऊपर लपलपा रही थी.
जीजू सच में चूत को चूसने का बड़ा रसिया था और शायद उन्हें लंड पेलने से ज्यादा चूत को मुँह से ख़ुशी देने में ज्यादा मजा आता था.
मैंने उनके बालों को नोचना चालू कर दिया क्योंकि वो सुख मेरे लिए भी असीम असह्य सा था. उम्म्ह… अहह… हय… याह… जीजू ने अपनी उंगली से मेरे नीचे के होंठों को कुचलना चालू किया और जैसे सेक्स के रस का एक झरना मेरी चूत से बहने लगा.
जीजू अपनी उंगली से चूत को खरोंच रहे थे और मैं ऐसा बड़े आनन्द लेकर करवा रही थी.
जीजू ने कुछ 5 मिनट और मुझे ऐसा सुख दिया और फिर उन्होंने उस उंगली को दरार के ऊपर रख दिया. एक झटका और आधी उंगली जीजू ने अंदर डाल दी. ख़ुशी के मारे मैं उछल पड़ी. उनकी गर्म गर्म उंगली मेरी चूत को बड़ी उत्तेजना देने लगी, ख़ासकर जब जीजू उसे दिवारों में रगड़ते तो… जीजू ने मुझे अंदर से जैसे की भिगो डाला था और मैं जैसे पिघलने लगी थी. और उनकी यही बात मुझे बहुत उत्तेजित कर रही थी कि उन्हें पता हैं कि एक लड़की को चोदना कैसे हैं और चोदने के लिए तैयार कैसे करना है…!
मैंने अपने दोनों हाथ अब जीजू के कंधों पे रख दिए और वो मुझे अभी भी उँगलियों से बड़ी मस्ती से चोद रहे थे.
उन्होंने ऊपर देख के मुझे कहा- क्यों मेरी साली जी, कैसा लग रहा है? मजा तो आ रहा है ना?
मैंने टूटी हुई आवाज में कहा- आप के होते ही तो मैं जान पाई हूँ कि यौन सुख क्या होता हैं. आप सच में एक सही चुदक्कड़ हैं. कभी कभी मैं दीदी से बहुत जलती हूँ. वो कितनी भाग्यशाली हैं जिसे आपके जैसा पति मिला जो औरत के हरेक छेद को प्यार देता है.
इतना सुनते ही जीजू ने तो और भी बड़े प्यार से मेरी चूत के छेद को खुरेदना चालू रखा. मैं यह भी जानती थी कि वो अगली उंगली गांड में भी जरूर डालेंगे..
और जिसका मुझे अंदेशा था वही हुआ, जीजू ने अपनी उंगली को चूत से हटा के अब मेरी गुदा के पास रख दी. पहले उसे वो टाईट छेद को धीरे से सहलाया और फिर एक हल्के झटके से उंगली अंदर डाली.
मैं उंगली के दर्द से उछल पड़ी.
जीजू ने मेरी जांघ पकड़ी और मुझे उठने नहीं दिया. वो अपनी उंगली को कुछ देर चलाते रहे और फिर वो उठ खड़े हुए. अब जीजू मेरी बाहों में आये और उन्होंने अपने लंड को जानबूझ के मेरी चूत की पलकों के ऊपर रख दिया. उनके लंड की गर्मी उस वक्त मुझे क्या मजे दे रही थी यह लिखने की तो कोई जरूरत ही नहीं है.
वो अब धीरे धीरे अपने हथियार को मेरे बदन के ऊपर रगड़ने लगे, मेरे पूरे बदन में बहुत ही गुदगुदी होने लगी और मुझ से अब जरा भी रहा नहीं जा रहा था. मैंने उनके लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया और उनसे कहा- अरे जीजू, इतना क्यों तड़पा रहे हो? अब तो नीचे से आवाज आनी ही बाकी है कि अंदर आ जाओ!
मेरे ऐसा कहते ही जीजू भी अपनी हंसी रोक नहीं सके, उन्होंने अपने हथियार को हाथ में पकड़ा और उसे मेरी चूत के छेद के ऊपर सेट कर दिया. मैं समझ गई कि छेद सेट हो गया है, मैंने अपने हाथ से उसके लंड को पकड़ लिया. ऐसा करके मैं मेक स्योर करना चाहती थी कि चुदाई का असली झटका लगे तो लंड पूरा अंदर घुस जाए.
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जीजू ने हल्के से अपनी गांड को पीछे किया और एक झटका आगे मार दिया. मेरे मुँह से आह निकल गई और लंड मेरी चूत के अंदर फट से जा घुसा.
फिर तो कुछ कहने को बाकी ही नहीं रहना था.
जीजू ने अपने लंड से मेरी चूत के रोम रोम को सँवारना चालू कर दिया. वो पूरे लंड को सुपारे तक बाहर निकाल देते और फिर धीरे से एक ही झटके में उसे पूरी गहराई तक डाल देते थे. मैं अपनी आँखे बंद करके उनके झटकों को अपने अंदर समाती रही और वो और भी जोर जोर से मुझे नए झटके देते रहे.
जीजू ने अब मेरी टाँगें अपने हाथ से अपने कंधे पे रख दी और मुझे लगा कि उसका लंड मेरे पेट तक घुस आया है.
और फिर वो हल्के हल्के अपने झटकों को बढ़ाने लगे. जीजू बीच बीच में अपने होंठों को मेरे होंठों से लगा रहे थे जिस से मेरी उत्तेजना सीमा के बाहर बढ़ने लगी थी. मैं उसके कंधे को, होंठों को और गालों को बेतहाशा चूमने लगी और वो पागलों की तरह मेरी चूत में डंडा देने लगे.
दो मिनट की ही होती हैं वो बेतहाशा उत्तेजना और फिर एक या दूसरा बंदा ढेर होता ही है. ज्यादातर इसमें पुरुष हारते हैं और ऐसा ही जीजू के साथ भी हुआ. उसके लंड से धार छुट के मेरे छेद को भर बैठी. वो फिर भी मुझे शांत करने के लिए झटको पे झटके मारता ही रहे!
एक मिनट के भीतर मेरा बदन भी टूटने लगा और मैंने जीजू को जोर से अपनी बांहों में दबोच लिया. चूत और लंड का अटूट मिलन हुआ जैसे कभी वो जुदा होने वाले ही नहीं हैं.
जब जीजू ने अपने लंड को बाहर किया. मैंने खड़े होकर अपने कपड़े पहन लिए.
जीजू ने खड़े खड़े मुझे फिर से चूमा और वो दरवाजा खोल के बाहर देखने लगा. फिर उन्होंने मुझे इशारा किया कि बाहर कोई नहीं है.
और मैं उस कमरे से संतुष्ट मन और चूत को लेकर निकली.
तो यह थी मेरी आज की कहानी… उमीद करती हूँ कि आप लोगों को पसंद आएगी. कैसी लगी, बताइएगा जरूर!
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