पड़ोस वाला जीजा साली सेक्स के लिए बेचैन-1
जीजा साली सेक्स की यह कहानी है मेरे पड़ोस में रहने वाली मेरी एक मुंह बोली दीदी के पति से मेरी चुदाई की यानि जीजा साली की चुदाई की…
अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार!
एक बार फिर मैं आपके सामने अपनी एक बहुत ही हसीन आपबीती लेकर उपस्थित हूँ, आशा करती हूँ कि आपको पसंद आएगी।
यह बात आज से करीब 4 महीने की है जब हमारी बिल्डिंग के बाजू वाली बिल्डिंग में एक किरायेदार रहने के लिए आये थे, उनका नाम पायल और नीलेश था! पायल नर्स थी और नीलेश इंजीनियर थे.
एक दिन जब मैं मार्किट जाने के लिए घर से निकली तो घर के सामने ही मुझे पायल मिली, उन्होंने मुझ से कहा- सुनिये, हम यहाँ नए आये हैं रहने के लिए आप की बाजू वाली बिल्डिंग में ही सेंकेंड फ्लोर पर… क्या आप मुझे बता सकती है कि यहाँ मार्किट कहाँ है, मुझे घर के लिए कुछ समान खरीदना है.
तब मैंने उनसे कहा- मैं भी मार्किट ही जा रही हूँ, आप मेरे साथ ही चलिये!
हम दोनों मार्किट के लिए निकल गई. रास्ते में हमारी एक दूसरे से काफी बात हुई मैंने उन्हें अपना नाम रोमा बताया, उन्होंने मुझे अपना नाम पायल बताया. और भी काफी बात हुई हमारे बीच में जैसे वो कहाँ से आये हैं, यहाँ क्या करते हैं वगैरा वगैरा!
मार्किट से खरीदी करने के बाद जब हम घर लौटे तो पायल के पास बहुत सारा सामान हो गया था तो मैंने उनसे कहा- चलिये पायल जी, मैं आपको आपके घर तक छोड़ देती हूं.
तो उन्होंने कहा- एक शर्त पर?
मैंने पूछा- क्या पायल जी?
तो उन्होंने कहा- आप मुझे ये पायल जी… पायल जी…. मत बोलो, आप मुझे दीदी बोल सकती हो!
तो मैंने भी उन्हें कहा- ठीक है, पर आप भी मुझे आप न कह कर मुझे रोमा ही बोलिये!
उन्होंने कहा- ठीक है रोमा!
तब मैंने उनका कुछ सामान लिया और उनके साथ उनके घर गई सामान रखने के बाद पायल दीदी ने कहा- बैठो रोमा, मैं चाय बनाती हूँ!
मैं बैठ गई, कुछ ही देर में पायल दीदी चाय बना कर ले आई, हम दोनों बैठ कर चाय पी रहे थे. शाम के करीब 6 बज चुके थे कि तभी पायल दीदी के पति (नीलेश) आ गये.
तब दीदी ने उनसे मेरा परिचय करवाया और उनका नाम नीलेश बताया. मैंने भी अपना नाम रोमा बताया.
नीलेश एक बहुत ही हेंडसम बंदा था, उसे देख कर तो मैं उसे देखती ही रही, उसकी बॉडी भी काफी कसी हुई थी.
कुछ देर उन दोनों से बातें करने के बाद मैंने पायल से कहा- मैं आपको तो दीदी बोलने लगी हूँ तो नीलेश जी को अब मैं क्या बुलाऊँ?
तो पायल ने कहा- मैं तुम्हारी दीदी हुई तो ये तुम्हारे जीजू हुए… तुम इन्हें जीजू कह कर बुलाओ!
तो उतने में ही नीलेश ने भी कहा- हाँ, तुम मुझे जीजू ही बोलो क्योंकि मेरी कोई साली नहीं है तो आज से पायल तुम्हारी दीदी और तुम मेरी साली हुई!
थोड़ी बहुत और बात करने के बाद में अपने घर गई.
अब उनको यहाँ आये हुए एक महीना हो चुका था, इस एक महीने में हमारे सम्बन्ध उनसे काफी अच्छे हो गए थे, अब तो रोज ही मेरे बात पायल दीदी से होती ही रहती थी और उनके पति निलेश जीजू से भी बात होती थी. वो तो मुझ से बात करने का कोई न कोई बहाना ही ढूंढते रहते थे. मुझे भी उनसे बात करना काफी अच्छा लगता था, मैं उन्हें काफी पसंद करने लगी थी.
एक दिन मैं अपनी छत पर बैठी एक किताब पढ़ रही थी कि तभी मैंने देखी की नीलेश जीजू भी अपनी छत पर आए. हमारे घर की छत और उनके बिल्डिंग की छत बिल्कुल अगल बगल में ही है. नीलेश जीजू ने सिर्फ एक टॉवल ही लपेटा हुआ था और उनके एक हाथ में बाल्टी थी. जब मैं उनको देख रही थी, तभी उन्होंने भी मुझे देखा तो मैंने उनसे पूछा- ये क्या जीजू, आप इस हालत में यहाँ ऊपर छत पर क्या कर रहे हो?
तो उन्होंने कहा- पता नहीं क्या हुआ है, बाथरूम में पानी ही नहीं आ रहा था और मुझे ऑफिस जाने में लेट हो रहा था तो मैं यहाँ ऊपर छत पर नहाने के लिए आ गया!
इतना कह कर उन्होंने अपना टॉवल निकाल दिया, उन्होंने एक छोटी सी चड्डी पहने हुई थी, यह देख कर मैंने उनसे कहाँ- जीजू, आप को शर्म नहीं आती इस तरह खुले में सिर्फ एक छोटी चड्डी पहन कर नहाते हुए?
तो नीलेश जीजू कहने लगे- इसमें शर्माने वाली क्या बात है, यहाँ छत पर है ही कौन मुझे देखने वाला जिससे मैं शरमाऊँ? मैं तो तुम्हारा जीजा हूँ और तुम मेरी साली… साली से किस बात की शर्म? साली तो आधी घरवाली होती है!
इतना कह कर जीजू मुस्कुराने लगे और मैं भी कुछ न कह सकी तो मैं भी हल्का सा मुस्कुरा दी.
अब जीजू अपने बदन पर साबुन लगाने लगे, वो कभी अपनी चड्डी के अंदर हाथ घुस कर लंड पर साबुन लगाते तो अभी पीछे हाथ घुस कर गांड पर साबुन लगाते!
आह… मेरी नजर तो जैसे उन पर चिपक ही गई, कसा हुआ बदन, उभरी हुई मसल्स, ताकत और ऊर्जा से भरा हुआ शरीर जिस पर उन का उभरा हुआ लंड चड्डी में से साफ दिखाई दे रहा था.
फिर जीजू अपने बदन पर पानी डालने लगे, उन्हें ऐसा देख मैं भगवान से प्रार्थना करने लगी कि काश एक बार जीजू के लंड के दर्शन हो जायें!
तब मुझे क्या पता था कि मेरी ये मन्नत पूरी हो जाएगी.
कुछ देर बाद वो अपने शरीर की टॉवल से पौंछने लगे, एक बार तो उन्होंने अपना लंड चड्डी से बाहर निकाला और फिर जल्दी से उसे टॉवल से पौंछा और फिर अंदर कर लिया.
मेरे तो दिल ने जैसे धड़कना ही बंद कर दिया हो, जीजू का सोलिड मोटा और लम्बा लंड तो मेरे दिल को भा गया मेरी चूत फड़क उठी, बूब्स कसने लगे.
फिर उन्होंने टॉवल लपेटा और चड्डी खोल कर दूसरी पहनने लगे. अब दोबारा भी मुझे उनका लंड दिख गया, जीजू का लंड देख कर तो मेरी चूत में जैसे आग लग गई.
उसके बाद अगले दिन भी जब मैं छत पर थी तो जीजू फिर से नहाने के लिए आये, मैं फिर से उनके लंड के दर्शन करना चाहती थी लेकिन मम्मी ने मुझे नीचे बुला लिया और मेरी जीजू के लंड के दर्शन करने की इच्छा अधूरी रह गई.
एक दिन मेरे घर में कोई नहीं था और पायल दीदी अपने घर की चाबी मुझे दे कर ‘रोमा, नीलेश जब घर आयें तो उन्हें ये चाबी दे देना, मुझे आज हॉस्पिटल से आने में देर हो जाएगी.’ यह कह कर वो हॉस्पिटल चली गई.
मेरे घर में कोई नहीं था और पायल दीदी भी बोल कर गई थी कि नीलेश जीजू आएंगे, तो मैंने अपनी ब्रा पेंटी उतार दी और एक बड़े गले का टॉप और छोटी सी निक्कर पहन ली, टॉप के ऊपर से ही मेरे बूब्स का शेप साफ दिखाई दे रहा था मैं अपनी जवानी जीजू को दिखाना चाहती थी इसलिए मैं ये सब कर रही थी.
मैंने अपनी ब्रा पेंटी सोफे पर ही रख दी थी कि जब जीजू आये तो उनकी नजर मेरी ब्रा पेंटी पर पड़े!
शाम के करीब 3:30 बजे मेरे घर की बेल बजी, मैं समझ गई कि जीजू ही होंगे… मैंने जैसे ही घर का दरवाजा खोली तो सामने जीजू ही थे.
मैं उन्हें देख कर खुश हो गई और उन्हें देखती रही. तभी जीजू ने कहा- रोमा, मेरे घर की चाबी दे दो!
मैंने उनसे कहा- अरे जीजू, आप बाहर क्यों खड़े हो, अन्दर आइये, काफी थके हुए लग रहे हो आप… अन्दर आइये, मैं आपको चाय पिलाती हूँ.
तो उन्होंने भी कहा- हाँ रोमा, तुम मुझे चाय पिला दो, चाय पी कर थोड़ा मैं रिलेक्स हो जाऊंगा.
जीजू अंदर आये मैंने उन्हें बैठने के लिए कहा और चाय बनाने के लिए किचन में चली गई.
चाय लेकर जब मैं बाहर आई तो मेरी ब्रा जीजू के हाथ में थी, मुझे देख कर जीजू ने कहा- रोमा, यह तुम्हारी ब्रा है, तुमने इसे यहाँ क्यों रख छोड़ा?
मैंने थोड़ा झुक कर जीजू को चाय दी तो मेरे बूब्स जीजू को साफ साफ दिखने लगे और जीजू की भी नजर जैसे मेरे बूब्स पर ही आकर रुक गई हो.
चाय देने के बाद मैं जीजू के सामने ही बैठ गई.
जीजू ने कहा- रोमा, लगता है तुमने आज ब्रा नहीं पहनी?
मैं थोड़ी सी मुस्कुराई और बोली- ब्रा क्या जीजू, मैंने आज पेंटी भी नहीं पहनी, घर में अकेली थी तो मैंने आज ब्रा पेंटी उतार दी!
और मैं हंसने लगी जीजू भी मेरी बात बार थोड़ा सा हंस दिए!
कुछ देर बाद मैंने नोटिस किया कि निलेश जीजू मुझे बहुत घूरते रहे थे। वो मुझसे बातें भी अब थोड़ी अलग करने लगे थे. मेरे बूब्स देख कर शायद उन्हें भी अब कुछ कुछ होने लगा था, वो अब सेक्सी बात भी करने लगे थे, मैं भी पूरे मजे ले रही थी, मैं तो चाहती ही थी उन्हें अपने जवानी दिखाना!
बातों ही बातों में जीजू ने मुझ से कहा- रोमा, क्या तुम्हें शादी नहीं करनी? सुहागरात नहीं मनानी?
मैंने उन्हें हँसते हुए कहा- मुझे शादी ही नहीं करनी जीजू!
तभी उन्होंने कहा- तो क्या सिर्फ़ सुहागरात मनाओगी?
तो मैं हँसने लगी.
तभी जीजू ने मेरा हाथ कस कर पकड़ लिया और कहा- मेरे साथ मनाओगी?
मैंने कहा- क्या जीजू? आप भी..
कहकर अपना उनसे पीछा छुड़वाना चाहा… पर वो स्ट्रॉंग थे।
तभी उन्होंने मुझे और भी कसकर पकड़ा और कहा- मैं तो सिर्फ़ तुम्हारे साथ ही मनाऊंगा।
मैं अपने आपको उनके हाथ से छुड़वा कर अपने रूम की तरफ जाकर उनकी तरफ देखा, उनकी आँखों में मेरे लिए आग थी, जीजू भी उठ कर मेरी तरफ आये और फिर से उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया और मेरे गले को चूमने लगे।
मैं जोर से धक्का दे रही थी। मैंने उनकी आँखों में देखा, वो आउट ऑफ कंट्रोल थे, उन पर जिस्म की भूख सवार थी और उन्होंने मुझे किस कर दिया, फिर मैं भी उन्हें रिटर्न में किस करने लगी।
अब वो मेरे बूब्स मसलने लगे और तभी उन्होंने मेरा टॉप ऊपर किया और निप्पल को चूसा और काटा। मैं हल्की हल्की आहें उम्म्ह… अहह… हय… याह… भरने लगी और फिर मैंने उनसे कहा- यह ग़लत है।
तभी उन्होंने ‘सिशह्ह…’ कह कर मुझे शांत किया, उन्होंने मेरा टॉप उतार दी।
मैंने अपनी आँखें बंद कर दी, अब वो मेरे बूब्स दबाने लगे और किस करने लगे।
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फिर उन्होंने मुझे गोद में उठा लिया और फिर से मेरे सेक्सी होठों पर चुम्मा लेने लगे।
वो मुझे बेडरूम में ले गये और बिस्तर पर लिटा दिया और कहने लगे- साली जी, आज मैं आपको रगड़ कर चोदने वाला हूँ। आपको जीजा के साथ सेक्स में बहुत मजा मिलेगा!
मैंने कहाँ- जीजू, जब से आप को छत पर नंगा नहाते हुए देखा, मैं आपकी दीवानी हो गई हूं, आज तो मैं आपसे चुदवाना चाहती थी। पर जीजू मुझे ऐसे चोदना कि दर्द ना हो!
जीजू ने कहा- साली जी, दर्द तो तुमको जरूर होगा पर बाद में मजा भी बहुत आएगा.
तभी घर की डोर बेल बजी, मैं घबरा गई और जीजू भी घबरा गए, वो जल्दी से मेरे रूम से बाहर जा कर सोफे पर बैठ गए और मैंने जल्दी से अपनी ब्रा और टॉप पहनी और पेंटी को रूम में फेंक दी और जाकर दरवाजा खोली तो सामने मम्मी थी.
वो अन्दर आई और उन्होंने नीलेश जीजू को देख तो कहा- अरे नीलेश, तुम यहाँ?
तो जीजू ने कहा- हाँ आंटी, मैं अपने घर की चाबी लेने आया था और रोमा ने मुझे चाय के लिए बोली तो मैं चाय पीने रुक गया!
फिर उन्होंने कहा- अच्छा तो अब मैं चलता हूं!
कह कर जीजू चले गए मैं भी अपने कमरे में आ गई और अपनी फूटी किस्मत पर अफसोस करने लगी कि इतना अच्छा चुदाई का मौका हाथ से निकल गया.
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कहानी जारी रहेगी.
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