जीजा साली और बहन भाई की मस्त चुदाई-2
(Jija Sali Bhai Bahan Mast Chudai-2)
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शशि रसोई से गिलास लेने चली गई.. जब वो चल रही थी.. तो विमल बिना किसी शरम के शशि के मादक और ठुमकते हुए चूतड़ों को निहार रहा था और ये अवी भी देख रहा था।
‘विमल यार तू तो बहुत बेशरम हो गया है, बहनचोद.. अपनी बहन की ही गाण्ड घूर रहे हो? साले.. शशि मेरी पत्नी है। तेरी बिन्दू यहाँ है.. उसको देख अच्छी तरह।’
विमल भी हंस कर बोला- अवी.. मेरे यार.. यारों में तेरा क्या और मेरा क्या.. जो मेरा है.. वो तेरा है और जो तेरा है.. वो मेरा है.. अब तेरी पत्नी पर मेरा भी तो कुछ हक है कि नहीं? जब तू बिन्दू को आलिंगन में ले रहा था तो मैंने कुछ बोला? यारों में सब कुछ बाँट लिया जाता है.. अगर किसी को एतराज़ ना हो.. चल एक और पैग बना.. आज का दिन यादगार बना देते हैं।’
तभी शशि आ गई और उसने दो पैग बना लिए- मैं बहुत कम पीती हूँ और मुझे जल्दी ही नशा हो जाता है।
शराब कड़वी थी तो मैंने कहा- शशि साथ में कुछ नमकीन नहीं है? ये बहुत कड़वी है।
मैंने घूँट भरते हुए कहा।
शशि बोली- चल हम रसोई में जा कर एग्स फ्राई कर लेते हैं.. ये भी खा लेंगे.. क्यों अवी एग्स खाओगे?
अवी नशे में हंस कर बोला- जानेमन आज तो तुम लोगों को खा जाने का मन कर रहा है.. अगर खिला ही है तो अपने आम चुसवा लो हम दोनों से.. क्यों विमल? और आपको कुछ खाना है.. तो हमारे केले हाज़िर हैं।’
मेरा तो शरम से बुरा हाल हो गया.. उसकी बेशरमी की बात सुन कर।
‘हाँ हाँ.. खा लेंगे.. आपके ‘केले’ भी अवी.. लेकिन अगर केले में दम ना हुआ तो? वैसे मैं और बिन्दू भी बहुत भूखी हैं.. हम केले के साथ आपके लुकाट भी चूस लेंगी।’
सभी हंस पड़े और मैं और शशि रसोई में एग्स फ्राई करने लगीं।
शशि ने मेरे ब्लाउज में हाथ डाल कर मेरी चूचियाँ मसल डालीं और बोली- बिन्दू.. मेरी जान.. क्यों ना आज ही पति बदल कर टेस्ट क्या जाए.. अवी और विमल अब नशे में हैं.. हमको कुछ करने की ज़रूरत नहीं है.. विमल भैया तो कब से मुझे सेक्सी नज़रों से घूर रहे हैं और अवी तो कल्पना में तेरे कपड़े उतार रहा है। क्यों ना देखा जाए कि विमल को मैं कैसी लगती हूँ.. और तुझे अवी का लंड कैसा लगता है.. एक बार खुल गए तो हम लोग बिना किसी डर के फ्री सेक्स की दुनिया में प्रवेश कर सकते हैं। मेरी रानी.. आजकल ग्रुप सेक्स का बहुत चलन है.. खूब मज़े करेंगे ओके?
मेरे अन्दर तो एक आग भड़क उठी थी..
मुझे अवी एक कामुक मर्द नज़र आ रहा था और मेरी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था। उत्तेजना में आ कर मैंने शशि को आलिंगन में ले लिया और उसके होंठों को चूमने लगी।
‘साली.. तूने मुझे आज बहुत गरम कर दिया है और ऊपर से शराब का नशा.. आज जो होना है.. हो जाने दो.. मुझे तू अपने पति के साथ चुदाई कर लेने दे.. और तू मेरे पति से चुदवा ले.. सखी।’ ये कहते हुए मैंने शशि की चूचियाँ मसल डालीं।
मेरी साँस बहुत तेज़ी से चल रही थी.. मेरा अपने आप पर काबू ना रहा।
‘चल बिन्दू.. पहले हम कपड़े बदल लें.. इससे काम और आसान हो जाएगा।’
शशि मुझे अपने कमरे में ले गई और उसने सारे कपड़े उतार कर एक खुला हुआ घुटनों तक पहुँचने वाला पाजामा और बिना बाज़ू की शर्ट पहन ली और मुझे भी ऐसी ही एक और ड्रेस दे दी।
पाजामा और शर्ट के नीचे हम बिल्कुल नंगी थीं.. मैंने देखा कि शशि ने भी मेरी तरह अपनी चूत ताज़ी शेव की हुई थी।
जब मैंने अपनी साड़ी और ब्लाउज उतारा तो वो मस्ती से भर गई.. और मेरी चूत को मुठ्ठी में भर कर कस दिया।
‘अरे मादरचोदी.. तू भी बहुत गरमा गई है.. मेरे पति को चोदने के विचार से.. अवी ठीक चोदेगा तुझे.. मेरी बन्नो.. साली तेरी चूत से तो नदियाँ बह रही हैं.. मेरे लिए भी पति बदलने का पहला मौका है। चल अन्दर चल कर देखते हैं.. इन कपड़ों में क्या बिजली गिराती है तू.. मेरे पति देव पर?’
इस शर्ट का गला इतना लो-कट था कि कल्पना की कोई ज़रूरत ना बची थी.. जब मैं अन्दर जाने के लिया मुड़ी.. तो शशि ने मेरे नितम्ब पर ज़ोर से चाँटा मारा.. तो मेरी चीख निकल गई- ओह्ह.. शशि साली कुतिया.. मार क्यों रही है साली?
शशि शर्त से मुस्कुराती हुई बोली- क्योंकि मेरे पति.. तेरी डबल रोटी जैसी गाण्ड पर चांटे ज़रूर मारेंगे और शायद तेरे पिछवाड़े का भी आज ही महूरत कर दें.. भारी गाण्ड का बहुत रसिया है अवी।
जब हम कमरे में गईं तो मर्दों की आँखें खुली की खुली रह गईं.. विमल के मुँह से निकल गया- ओह्ह.. भेंचोद.. कितनी सेक्सी हैं ये दोनों औरतें।
अवी तो बस मुझे देखता ही रह गया।
‘यार गर्मी बहुत थी.. तो हमने चेंज कर लिया.. पसीने से भीग रही थीं हम दोनों.. तुम तो यहाँ एसी में बैठे हो.. हम औरतों को रसोई में काम करना पड़ता है.. मेरे तो मम्मों से पसीना नीचे तक जा रहा था.. ओह्ह.. बिन्दू यहाँ आराम है.. बैठ जाओ और शराब के मज़े लो।’
तभी विमल के ताश की गड्डी उठा ली और बोला- चलो कार्ड्स खेलते हैं.. सभी का मनोरंजन हो जाएगा.. क्यों बिन्दू खेलोगी?
मैं भी अब इस सेक्स के गेम में शामिल होने को तैयार थी।
‘विमल यार आज जो गेम भी खेलोगे.. मैं साथ हूँ.. मुझे लगता है कि आज का दिन हम भुला नहीं पाएँगे.. लेकिन गेम की शर्त क्या होगी? हारने वाला कितने पैसे देगा जीतने वाले को? भाई मेरे पास तो बस 500 रुपये हैं..’ मैंने कहा।
तो अवी बोल उठा- मेरी प्यारी साली साहिबा.. अँग्रेज़ लोग एक गेम खेलते हैं.. स्ट्रीप पोकर.. वो ही क्यों ना खेला जाए? जो हारता है.. अपने जिस्म से एक कपड़ा उतारेगा.. शशि को ये गेम पसंद है.. क्यों शशि?
शशि हंस पड़ी- यार नंगी तो होना ही है.. फिर ताश की गेम में क्यों ना हुआ जाए?
मुझे लगा कि अवी और विमल भी वो ही प्लान बना चुके थे.. जो मैं और शशि बना कर आए थे।
हम चारों बैठ गए और विमल ने कार्ड्स बाँट दिए।
‘बिन्दू.. अभी से सोच लो.. अगर हार गईं तो सभी के सामने कपड़े उतारने पड़ेंगे..’
मैं भी अब शराब के नशे में टुन्न हो चली थी, ‘पति देव को अगर अपनी पत्नी को नंगा दिखाने में कोई शरम नहीं है.. तो पत्नी को क्या एतराज़ होगा.. पति देव?’
सभी हंस पड़े.. पहली बाजी विमल हारा.. शशि ने आगे बढ़ कर कहा- विमल भैया की पैन्ट उतारी जाए.. ठीक है?’
हम सभी ने मंज़ूरी दे दी और शशि ने विमल की पैन्ट की बेल्ट खोली और नीचे सरका दी।
मेरा पति अब कच्छा पहने हुए बैठा था.. उसको कोई शरम नहीं थी। क्योंकि उसका लंड तो तना हुआ था.. शशि ने विमल की जाँघों पर हाथ फेरा.. तो अवी बोल उठा- शशि मेरी रानी.. विमल का तो पहले ही खड़ा है.. अगर तुमने हाथ फेरा तो कहीं छूट ही ना जाए।
सभी हंस पड़े।
दूसरी बाजी में हार हुई शशि की.. अवी ने कहा- विमल यार अब बारी तेरी है.. ले लो बदला.. मेरी बीवी से.. मेरी मानो तो इसका पजामा उतार दो.. कम से कम अपनी बहन की चूत के दर्शन तो कर लो।
विमल मुस्कुराते हुए उठा- ठीक है यार.. अगर तू अपनी बीवी की चूत दिखवाना ही चाहता है.. तो देख ही लेते हैं.. क्यों शशि.. मेरी बहना.. कहीं नीचे पैन्टी तो नहीं पहन रखी?
शशि भी बेशरामी से बोली- भैया.. अपनी बहन की चूत देखने का शौक है.. तो पजामा उतार कर ही देखनी होगी.. मुझे भी लगता है कि तुम बहुत बरसों से मेरी चूत के दीदार करने के इच्छुक हो.. क्यों बिन्दू से दिल नहीं भरा?
विमल ने शशि को होंठों पर किस किया और फिर पजामे का एलास्टिक नीचे को खींच दिया।
जब वो एलास्टिक नीचे सरका रहा था तो उसने जानबूझ कर उंगलियाँ उसकी फूली हुई चूत पर रगड़ डालीं।
अवी मुस्कराते हुए बोला- विमल.. साले तू हरामी का हरामी रहा.. साले शशि की चूत को स्पर्श करने की इजाज़त तुझे किसने दी? साले अपनी बहन की चूत पर हाथ फेरते हुए कैसा लगा?
शशि बोली- अवी.. मैं अपनी चूत पर जिसका हाथ फिरना चाहती हूँ.. फिरा सकती हूँ.. मेरे विमल भैया से शिकायत मत करना.. जब तेरी बारी आएगी.. तो बिन्दू पर हाथ साफ़ कर लेना।
तीसरी बाज़ी अवी हारा.. विमल ने मुझे उसकी पैन्ट उतारने को बोला.. जब मैंने उसकी पैन्ट उतारी तो वो बोला- शशि.. तेरी सहेली के हाथ से नंगे होना मज़े की बात है।
तभी मेरे हाथ अवी के नंगे लंड से जा टकराए।
‘उइईए माँ… ये क्या? आपने कच्छा नहीं पहना?’
अवी हंस पड़ा- क्यों साली साहिबा.. हमारा हथियार पसंद नहीं आया.. जो चीख मार दी आपने? आपकी सखी इसकी पर्फॉर्मेन्स से तो काफ़ी खुश है।
उसका लंड किसी गुस्साए नाग की तरह फुंफकार रहा था।
अवी ने जानबूझ कर पैन्ट के नीचे कुछ नहीं पहना था.. उसका लंड विमल के लंड से थोड़ा बड़ा था।
ताश के खेल के साथ शराब के पैग भी सबके गलों को निरन्तर तर करते जा रहे थे जिससे माहौल और भी नशीला होता जा रहा था।
अगली बाजी शशि फिर हार गई और बिना कुछ बोले विमल ने उसकी शर्ट उतार डाली।
अब शशि के मोटे-मोटे मम्मे सबके सामने खुल गए थे और मेरी सखी मादरजात नंगी हो गई थी।
विमल ने आगे झुक कर उसके एक निप्पल को चूम लिया।
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‘बहनचोद.. विमल.. ये फाउल है.. मादरचोद तेरी बीवी एक भी गेम नहीं हारी और मेरी को तू नंगा कर चुके हो.. और ये ही नहीं साले.. तुम अपनी ही बहन का दूध भी पी रहे हो..’ विमल बोला।
‘अवी यार.. हिम्मत है तो मेरी बीवी को हरा दो और कर दो उसको नंगा.. मुझे कोई एतराज़ नहीं.. मेरी बीवी भी हम सभी के बराबर ही है।’
अब की बारी मैं हारी.. तो सभी बहुत खुश हुए।
यह मदमस्त कहानी आपके जिस्मों की उत्तेजना को और बढ़ाएगी.. बस अपने हाथ चलाते रहो.. और झड़ जाओ तो जल्दी से कमेन्ट लिख देना.. प्लीज़।
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