जीजा ने मुझे रंडी बना दिया-7
(Jija Ne Mujhe Randi Bana Diya- Part 7)
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कहानी पिछले भाग में मैंने बताया था कि मेरे जीजा अपने सेठ दोस्तों को लेकर मेरे घर में आ गये थे. मां उनको खाना खिलाने के लिए चली गई थी. जीजा ने रूम की कुंडी लगा ली और मेरे ऊपर चढ़ कर मेरे दूधों को दबाने लगे. वो मुझे हवस भरी नजरों से देख रहे थे.
मैं बोली- जीजा, पागल हो गये हो क्या! अभी मत करो. थोडी़ ही देर में मां आ जायेगी. हम दोनों पकड़े जायेंगे. मां को सोने दो फिर उसके बाद कुछ भी कर लेना.
जीजा ने मेरी बात नहीं सुनी. उसने मेरी मैक्सी हो हटा कर ऊपर कर दिया. मेरी मस्त सेक्सी जांघें नंगी हो गई. मेरी पैंटी भी दिखने लगी थी.
जीजा मेरी पैंटी पर हाथ से छूने लगे. मेरी चूत में मजा आने लगा लेकिन मैंने उनका हाथ पकड़ लिया.
वो बोले- मान जा बंध्या, आज तू बहुत नखरे कर रही है. मुझे तेरी चूत में उंगली करने दे. आज मैं तेरी चूत को फाड़ दूंगा.
इतना बोल कर जीजा ने मेरी पैंटी में अपने हाथ को डाल दिया. वो मेरी चूत में अपने अंगूठे से रगड़ने लगे. साथ ही वो मेरे ऊपर आकर मेरे होंठों को भी चूस रहे थे.
मैं जीजा से मिन्नत करने लगी और बोली- जीजा मान जाओ, अभी मां को सोने दो. उसके बाद कर लेना.
मगर जीजा नहीं रुक रहे थे. वो मेरी चूत में अंगूठे से रगड़ रहे थे. मैं भी गर्म होने लगी थी. मेरे बहुत कहने पर भी जीजा नहीं रुक रहे थे. मुझे भी मजा आने लगा था.
वो बोले- साली बंध्या, कुतिया, तू मेरी सेक्सी साली है. तेरी चूत को चोद कर मजा लेने दे मुझे.
मैं बोली- जीजा बहुत रिस्क है. अगर मां को शक हो गया तो मुसीबत हो जायेगी. सब गड़बड़ हो जायेगी.
वो बोले- साली, तुझे नहीं छोड़ सकता मैं. जब तू पूरे एरिया में बदनाम है तो इतने नखरे क्यों कर रही है. सारे मौहल्ले में तेरे चर्चा होता रहता है. तेरे घर में मर्दों का तांता लगा रहता है. मैं तो तेरा जीजा हूं. तुझ पर तो मेरा हक है. तेरी चूत को फाड़ कर ही दम लूंगा मैं साली कुतिया.
ऐसा बोल कर जीजा ने मेरी पैंटी को नीचे कर दिया. मेरी चूत नंगी हो गई. जीजा मेरी चूत को सूंघने लगे.
वो बोले- आह्ह .. बंध्या साली, तेरी चूत की खुशबू तो गजब है. तेरी चूत का टेस्ट मैं कभी नहीं भूल पाता हूं. इसके जैसा टेस्ट और सुगंध किसी और चीज में नहीं है.
अब जीजा ने अपनी पैंट को भी खोलना शुरू कर दिया. वो साथ ही मेरी चूत को भी चाट और सूंघ रहे थे. जीजा ने अपनी पैंट उतार दी थी. जीजा का लंड उनके कच्छे में तना हुआ था. मैंने उनके लंड को देख लिया था. उनके बड़े से लंड को देख कर मेरी चूत में पानी आने लगा था. जीजा मेरी चूत में जीभ चला रहे थे. मैं भी मजा लेने लगी थी.
उसके बाद जीजा ने अपना अंडरवियर भी उतार दिया. अपने लंड को उसने बाहर निकाल लिया.
अपने लंड को हाथ में लेकर हिलाते हुए जीजा बोले- देख बंध्या, तेरी चूत के लिए मेरा लंड कैसे खड़ा रहता है. मैं तेरी चूत को चोदने के लिए बहुत दिनों से तड़प रहा था. तेरी चूत को जम कर चोदूंगा साली रंडी.
जीजा ने मेरी टांगों को फैला कर मेरी पैंटी को खींचते हुए एक तरफ फेंक दिया. फिर वो मेरे दूधों को ऊपर से कस कर दबाने लगे. इतने जोर से दबाने लगे कि मेरे चूचों से दूध निकलने को हो गया.
मैं चिल्ला उठी- कमीने, इतनी जोर से क्यों दबा रहे हो. मुझे अपने बाप का माल समझा हुआ है क्या? इतनी बेरहमी से दबा रहे हो.
वो बोले- क्या करूं बंध्या, तेरी बहन आजकल काफी ठंडी हो गई है. वो भी यहां-वहां मुंह मारने लगी है. अब मुझसे ज्यादा दूसरों पर ध्यान देती है. दूसरों में ही इंटरेस्ट लेती है. मगर मुझे बुरा नहीं लगता. यह सबके साथ होता है. जब से मैंने चित्रकूट में तेरी चूत की चुदाई की है तब से मुझे भी कुछ अच्छा नहीं लग रहा है. मैं तो बहुत खुशनसीब हूं कि मुझे मेरी रंडी बीवी की ऐसी चुदक्कड़ बहन मिली है. तू बहुत ही सेक्सी है बंध्या, तू रंडी से भी ज्यादा गर्म है.
ऐसा कहते हुए जीजा ने जोर मेरी टांगें ऊपर करके मेरी गांड को ऊपर कर दिया और मेरी चूत को नीचे से चाटने लगे. वो बहुत जोर से मेरी चूत में जीभ को चला रहे थे और फिर थोड़ा और नीचे खिसका के एक साथ दो उंगली मेरी चूत में डालने लगे.
जीजा मेरी चूत में तेजी से उंगली करने लगे. जैसे उन्होंने मेरी चूत में उंगली करना शुरू किया तो मैं भी मस्त हो गई.
मैं बोली- जीजा, अब जल्दी से अपनी साली की चूत में अपना लंड घुसा दो. आपने मुझे बहुत गर्म कर दिया है.
जीजा बोले- पता है अगर कहीं भी गांव में या इधर-उधर जाओ और लड़कियों या माल की बात करो तो सब तेरी चर्चा आजकल जरूर करते हैं कि बंध्या बड़ी मस्त माल है. मेरे कुछ दोस्त भी तेरे गांव के हैं. उनके साथ जब बैठता हूं तो बोलते हैं तू बहुत लकी है यार, तेरी तो इतनी सेक्सी साली है. तेरी तो पांचों उंगलियां घी में हैं.
मैं सब जानता हूं, अब मुझे तुझ पर गर्व है और खुद पर भी, आज तुझे रगड़ कर मजे दूंगा. मेरी किस्मत बहुत अच्छी है बंध्या जो तू मुझे मिली है. मैं तेरी चूत को चोद कर पूरा मजा लेना चाहता हूं.
अब जीजा मेरी चूत में उंगलियों को अंदर बाहर करने लगे. वो जोर से मेरी चूत में उंगलियों को डाल कर सट सट करके अंदर करने लगे. मेरी चूत से पानी गिरने लगा और पच-पच की आवाज होने लगी थी.
जीजा बोले- साली बंध्या, तू तो लंड लेने के लिए मरी जा रही है.
मैं बोली- हां जीजा, मेरी चूत लंड के लिए तड़प रही है.
उसके बाद जीजा ने तेजी से मेरी चूत में उंगली चलाना शुरू कर दिया. फिर जीजा ने अपना लंड मेरे मुंह की तरफ कर दिया और खुद अपना मुंह मेरी चूत की तरफ ले गये. मैंने बिना समय गंवाए जीजा के लंड को चूसना शुरू कर दिया. मैंने तेजी के साथ जीजा का लंड चूसना शुरू कर दिया.
जीजा ने तीन उंगली मेरी चूत में घुसा दी तो मैं चीखने लगी.
जीजा बोले- अभी तो सिर्फ उंगली गई है साली रंडी. तेरी चूत में लंड को पेलूंगा अभी मैं.
मैं भी तेजी से जीजा के लंड को चूस रही थी.
मैं बोली- बस जीजा, अब नहीं रहा जा रहा. मैं चुदने के लिए मरी जा रही हूं. अब मेरी चूत में लंड को डाल कर इसको फाड़ दो.
मेरे कहने पर जीजा ने मेरी चूत से उंगली निकाल ली. वो मेरी चूत पर लंड को लगा कर रगड़ने लगे तो मैं तड़प उठी. मैं जीजा को अपनी तरफ खींचने लगी. लेकिन जीजा ने मेरी चूत में लंड नहीं डाला.
वो बोले- मैं एक शर्त पर तेरी चूत में लंड को डालूंगा.
मैं बोली- अब कैसी शर्त है.
जीजा बोले- अगर तूने मेरी बात नहीं मानी तो मैं अभी गांव वापस चला जाऊंगा.
मैं बोली- मुझे सब शर्त मंजूर है. लेकिन अभी मेरी चूत में लंड पेल दो. मैं अब और नहीं रुक सकती.
मगर जीजा उठ कर अपने कपड़े पहनने लगे.
मैं बोली- ये क्या कर रहे हो.
वो बोले- देख, मैं अपने सेठ दोस्तों को तेरे पास भेज रहा हूं. अभी तेरी मां के पास जा रहा हूं. मैं एक घंटे तक तेरी मां को तेरे पास नहीं आने दूंगा. तब तक तू मेरे सेठ दोस्तों के साथ मजे करना. जब तेरी मां सो जायेगी तो मैं भी तुझे चोदने के लिए आ जाऊंगा.
इतना कह कर जीजा जाने लगे.
मैं बोली- नहीं जीजा, मुझे ऐसे गर्म करके मत जाओ.
वो बोले- मैं तेरी मां के पास जा रहा हूं. मेरे सेठ दोस्त आने वाले हैं. तू भी अपनी नाइटी पहन ले.
इतना बोल कर जीजा चले गये.
मैं फिर से तड़पती रह गई. जीजा रूम से बाहर चले गये. मैंने अपनी नाइटी पहन ली और सेक्स की मदहोशी में पेट के बल लेट गई. उसके बाद करीब पांच मिनट के बाद दरवाजा खुला तो दोनों सेठ अंदर आ गये. मैंने तब भी सिर को ऊपर नहीं किया. मैं ऐसे ही पड़ी रही.
तभी जीजा बोले- साली नाराज हो गई क्या, एक बार उठ कर देख तो कौन आया है तेरे पास! ये यहां के सबसे बड़े ठेकेदार हैं. बहुत करोड़पति आदमी हैं.
मैंने जीजा की बात का कोई जवाब नहीं दिया. जीजा मुझे पकड़ कर उठाने लगे.
मैंने शरमाते हुए जीजा के बगल से देखा तो दो हट्टे-कट्टे मर्द जीजा के पास में खड़े हुए थे.
उनमें से एक पापा की उम्र के लगभग का था. देखने में 50 साल के करीब लग रहा था. उसने सफेद कुर्ता पजामा पहना हुआ था. वो देखने में बहुत बड़े आदमी लग रहे थे.
दूसरे ने शर्ट और जीन्स पहनी थी और ऊपर से ब्लेजर डाला हुआ था. वो करीब 35 की उम्र का रहा होगा. दोनों के दोनों ही 6 फीट की हाइट के थे. दोनों का ही थोड़ा सा पेट निकला हुआ था. देखने में बिल्कुल सेठ की तरह ही लग रहे थे.
जीजा ने उनका परिचय देना शुरू किया. जिसने कुर्ता पजामा पहना हुआ था उसका नाम अभय था. वो बहुत बड़ा ठेकेदार था. जबकि दूसरे का नाम विवेक था. जीजा कहने लगे कि अगर तूने आज इनको खुश कर दिया तो मैं वादा करता हूं कि तेरी शादी आशीष के साथ करवा दूंगा.
जीजा की बात सुन कर मैं खुश हो गई. साथ ही दोनों सेठ भी कहने लगे कि तेरी शादी में जितना खर्च होगा सब हम उठाने के लिए तैयार हैं. बस तू आज रात को हम दोनों को खुश कर दे.
मैं बोली- जीजा, अगर आपने अपना वादा पूरा करते हुए मेरी शादी आशीष के साथ करवा दी तो जो आप कहोगे मैं वो सारी उम्र करने के लिए तैयार हूं.
मेरे अंदर आशीष को पाने के लिए ऐसा जुनून था कि मैं उसके लिए कुछ भी करने के लिए तैयार थी. उनकी बातों से मैं एकदम से खुश हो गई थी.
फिर जीजा बोले- अब मैं रूम से बाहर जा रहा हूं. मैं तुम्हारी मां के साथ खाना खाऊंगा. तुम इन दोनों को खुश कर देना. मुझे इस बात की शिकायत न मिले कि तुमने इनके साथ कुछ नाटक किया है. कमरे से आवाज बाहर नहीं आनी चाहिए. अंदर से गेट को बंद कर लो. तुम्हारी मां को व्यस्त रखने की गारंटी दे रहा हूं. तुम बेफिक्र होकर इंजॉय करो.
उसके बाद जीजा रूम से बाहर चले गये. अभय ने अंदर से गेट को बंद कर दिया. वो मेरे पास में आये.
वो बोले- बंध्या तो कमाल की खूबसूरत हो.
इतना कहते हुए वो दोनों ही मेरे बगल में बैठ गये.
विवेक बोले- तुम तो बहुत ही सुंदर हो बंध्या. तुम्हारा नाम बंध्या ही है ना?
मैंने हां में गर्दन हिला दी.
फिर विवेक बोले- हमें अब कंफर्टेबल हो जाना चाहिए. हम दोनों कपड़े उतार लेते हैं. तुम भी सहज हो जाओ बंध्या.
मैंने हल्के से गर्दन हिला दी. मुझे उन दोनों के सामने शर्म आ रही थी. साथ में थोडा़ डर भी लग रहा था. वो दोनों बहुत बड़े आदमी थे. देखने में भी सांड के जैसे थे. मुझे उनके सामने खुलने में परेशानी हो रही थी.
कहानी अगले भाग में जारी रहेगी.
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