सलहज के साथ ससुराल में किया डिंग डाँग- 1

(Indian Family Sex Kahani)

इंडियन फॅमिली सेक्स कहानी में पढ़ें कि मैं अपनी ससुराल गया तो वहां अपनी निस्संतान सलहज को देखकर मेरा मन हुआ कि मैं इसे चोद कर औलाद का सुख दे सकता हूँ.

मेरे प्यारे चोदू दोस्तो और गर्मागर्म चुदक्कड़ भाभियो, आप सभी को मेरा हवस भरा और चुदाई भरा नमस्कार!

आशा है बीते दिनों आप सभी अपने मदमस्त लण्ड को और अपनी प्यासी चूत को किसी ना किसी तरह से संतुष्ट करने में सफल रहे होंगे और आपको मनचाही चूत और लंड का सेवन करने का मौका मिलता रहा होगा.

आगे बढ़ने से पहले मेरा सभी दोस्तों से अनुरोध है कि अपने लण्ड को हाथ में धारण कर लें और भाभियों से प्यार भरी गुजारिश है कि वो अपनी-अपनी मुनिया को ज़रा मुट्ठी से मसलकर तैयार होने का इशारा जरूर कर दें क्योंकि आपका प्यारा देवर राहुल यानि मैं कभी भी आपकी चूत के होश उड़ाने आ सकता हूँ।

मेरी पिछली कहानी
बुआ की चूत गांड चोदकर मज़ा लिया
को आप सबने पढ़ा, सराहा और मुझे ढेर सारे कमेंट भी दिए।
कुछ भाभियों ने तो मुझसे मिलने की भी इच्छा ज़ाहिर की। कुछ ऐसे भाई भी हैं जिन्होंने मुझे अपनी कहानी लिखने के लिए कहा।

मैं आप सबको बता दूँ कि मैं समय समय पर किसी न किसी प्यारी भाभी से मिलता रहता हूँ जिससे मेरी ज़िन्दगी में नयापन बना रहता है और मेरी और उनकी हवस की आग भी शांत होती रहती है।
तो आप लोग मुझे ईमेल करना जारी रखें और जब मेरी किस्मत में आपकी चूत को भोगना या आपकी कहानी पर काम करना लिखा होगा, तब मैं आपकी सेवा में जरूर हाजिर हो जाऊंगा.

तो आगे बढ़ते हैं मेरी आज की इंडियन फॅमिली सेक्स कहानी पर जो मेरी और मेरी सलहज एकता के बीच हुई सेक्स की घटना पर है.

पर उससे पहले मैं आपको बता दूँ कि पिछले कुछ समय से अपने ससुराल वालों से किसी बात को लेकर मेरी अनबन चल रही थी।

दरअसल मेरी ससुराल में चलती तो मेरी दादी सास की है परन्तु मेरी सास स्वभाव की बहुत तेज है और ससुरजी के गुजर जाने के बाद मेरी सास के स्वभाव में चटखपन बढ़ गया है।
इसलिए मैं उनसे थोड़ा फासला रखता हूँ।

मेरे साले अंगद की शादी को 8 साल हो चुके हैं पर अभी तक उन्हें कोई संतान नहीं हुई है।
मेरी दादी सास अंगद की दूसरी शादी करना चाहती हैं क्योंकि उनका मानना है कि कमी एकता में ही है।

अंगद ने प्रेम विवाह किया था और एकता का परिवार मेरे ससुराल के जितना सक्षम नहीं है इसलिए एकता हमेशा मेरी ससुराल वालों की आँखों में खटकती रही है।
यहाँ यह भी बता दूँ कि अंगद किसी MNC में कार्यरत हैं और साल में 10-11 महीने विदेश में रहता है।

मैं किसी काम से बीकानेर जा रहा था तो मैंने 1 दिन अपनी ससुराल में रुकने का प्लान बनाया क्योंकि मौका अच्छा था और मैं बहुत समय से एकता की चूत का पानी पीना चाहता था तो मैंने अपनी अनबन को साइड कर ससुराल में रुकने का ही प्लान बनाया।

और फिर आप सभी तो जानते ही हो कि जैसे किसी अंधे को दो आंखें चाहिए, वैसे ही आपके दोस्त राहुल को क्या चाहिए … नई नई चूतें!

अब ससुराल वालो को तो पता था कि मैं कुछ समय से नाराज हूँ तो इस बार मेरी बहुत अच्छी आवभगत हुई।

मैंने यह भी नोटिस किया कि मेरी सास थोड़ी पीछे रही और हर काम के लिए उन्होंने एकता को आगे किया।

पर कहते हैं ना कि होनी को कौन टाल सकता है.
तो हुआ भी वही जिसका मुझे डर था।

यूँ तो मेरे ससुराल वाले थोड़े पुराने विचारों के हैं तो वहाँ दामाद को सिर के ऊपर बिठा के रखते हैं. परन्तु मेरी सास ने किसी वजह से एकता को कुछ कहा तो मेरी सास की और मेरी कहासुनी हो गई।

यहाँ मेरी दादी सास के हस्तक्षेप से बात खत्म हुई और उन्होंने मेरी सास को डांटते हुए वहाँ से दूसरे कमरे में भेज दिया।
इस सब से मेरा मूड बहुत ज्यादा खराब हो गया।

मैं वहाँ से उसी वक्त अपनी ससुराल से जाना चाहता था पर क्योंकि मेरा उद्देश्य एकता की चुदाई करना था तो मैंने वही रुकने का फैसला किया।

जब रात का भोजन हो गया और मैं सोने को चला तो मेरी दादी सास बोली- दामाद जी थक गए होंगे … कहें तो आपके पैर दबा दूँ।
मैंने हाथ जोड़ के उनसे क्षमा मांगी और कहा- अगर अंगद यहाँ होता तो ये काम मैं उस से करा लेता. पर आपका दर्जा तो माता पिता से भी ऊपर है। आप मेरे पैर दबाओ, यह मुझे शोभा नहीं देगा। इतना कहकर मैं अपने कमरे की तरफ बढ़ गया।

मेरे कमरे में घुसते ही दादी ने मेरी सास और एकता को बहुत जोरों से धमकाया.
मैं उनकी आवाज़ साफ सुन सकता था।

आप समझ सकते हैं कि राजस्थान की कड़क दादी सास ऐसे धमकाती है कि अच्छे अच्छों का रोना निकल जाए।

दादी ने एकता को मेरे पैरों की मालिश करने का आदेश दिया और मैं साफ सुन सकता था कि उन्होंने एकता को ऐसे बोला कि ध्यान रहे, राहुल जी किसी बात से दोबारा नाराज न हों, वरना कल ही उसका बोरिया बिस्तरा बंधवा देंगी।

मुझे इन लोगों का एकता के प्रति ऐसा व्यव्हार बिलकुल पसंद नहीं था पर मैं कर भी क्या सकता था।
और आज शायद मेरे नागराज की प्यास भी इन लोगों के इसी व्यवहार की वजह से शांत होने वाली थी।

मैं जानता था कि एकता सोने से पहले मेरे कमरे में दूध के ग्लास देने जरूर आएगी।
खास तौर पर अब, जब मैं दादी सास की सारी बात सुन चुका था तो मुझे पता था कि एकता मालिश करने भी जरूर आएगी।

तो मैंने जल्दी ही अपने कपड़े बदल लिए और नीचे सिर्फ लुंगी बांधी और उसके अंदर कुछ नहीं।

थोड़ी ही देर में मेरे कमरे का दरवाजा किसी ने खटखटाया.
मैंने देखा कि एकता हाथ में तेल का बर्तन लिए दरवाजे पर खड़ी थी।

मेरे मन में तो लड्डू फूटने लगे थे पर औपचारिकता के लिए मैंने एकता को ना कहा।

पर जैसा मैंने बताया कि मेरे ससुराल वाले थोड़े पुराने विचारों के हैं और उसके ऊपर दादी हिटलर का आदेश, तो एकता कमरे में आ गई और उसने मुझे बैठने का इशारा किया।
मेरा उतरा चेहरा देखकर वो समझ गई कि मेरा मूड बहुत खराब है.

बिना किसी देरी के वो जमीन पर बैठकर मेरे पैरों को दबाने लगी।
एकता ने मेरे से थोड़ी बहुत बातें करनी शुरू की पर मैंने अपनी नाराज़गी बनाए रखी क्योंकि मुझे इस परिस्थिति से बहुत कुछ मिलने वाला था।

धीरे धीरे एकता मेरी पिंडलियों की मालिश करती रही और मैं गर्म होता रहा।

थोड़ी देर में मैंने अपना सिर पीछे को झुला दिया और एकता को जांघों पर मालिश करने को बोला।
एक बार को तो एकता थोड़ी अटकी … पर दादी की डाट बड़ी जोरदार थी।
तो एकता ना चाहते हुए भी मेरी जांघों पर मालिश करने लगी।

अब तक उसकी नजर मेरे लण्ड पर नहीं पड़ी थी और ना उसे ऐसा अंदाजा था कि आज उसका सामना मेरे नागराज से होने वाला है।
एकता के हाथों की छुअन मेरे लण्ड को खंबा बनाने के लिए बहुत थी और अब नागराज फुंकार मारने लगे थे।

थोड़ी ही देर में एकता की नजर मेरे लण्ड पर पड़ी और एकता जैसे सन्न सी रह गई।
एकता मालिश वालिश सब भूल गई और एकटक मेरे लण्ड को देखती रही।

मैंने भी मौके को समझते हुए एकता को ठीक से मालिश करने को बोला तो एकता उठ के जाने लगी।
तो मैंने एकता से कहा कि अभी मालिश पूरी नहीं हुई. और उसके बाहर जाते ही दादी उससे पूछेगी जरूर कि राहुल जी को गुस्सा तो नहीं दिलाया।

मरती क्या नहीं करती, एकता वापस मालिश करने लगी।
अब एकता के हाथ मेरी जांघों के ऊपरी हिस्से तक जा रहे थे और बीच बीच में मैं उसके हाथों को अपने लण्ड को सहलाता महसूस कर सकता था।

जब एकता थोड़ी सामान्य हो गयी तो मैंने एकता को बोला- थोड़ा तेल वहां बीच में भी लगा दो डियर!
तो एकता मुझे कातर नज़रों से देखने लगी।

मैंने खुद पहल करते हुए लुंगी को साइड किया और एकता का हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रख दिया।
एकता का चेहरा एकदम लाल पड़ चुका था और उसकी आँखें नम हो चली थी परन्तु ना चाहते हुए भी उसको मेरे नागराज की मालिश करने लगी।
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और मैं इसका और आनंद लेने के लिए एकता से बातें करने लगा।

मैंने एकता से पूछा- तुम्हारे डॉक्टर ने क्या बताया?
एकता काँपती हुई आवाज़ में- अभी कुछ नहीं, इलाज चल रहा है.

मैं- एक बार ये तो पता चले कि कमी किस में है.
एकता- आपको तो दादी का पता है। उनको तो सब कमी मेरे में ही दिखती है.

मैं- तो तुमने क्या सोचा है? मैंने सुना कि वो अंगद को दूसरी शादी के लिए बोल रही है?
एकता रोती हुई- मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरी शादी ऐसे घर में होगी.

और फिर एकता अपनी आवाज को गले में घोटते हुए हल्के हल्के रोने लगी.

मैं समझ गया था कि एकता का इशारा कहीं न कहीं आज हो रही मेरी मालिश की तरफ था।
मैं थोड़ा आगे झुका और मैंने एकता का चेहरा ऊपर उठाया, उसके चेहरे से बाल साइड किए, उसको गौर से देखा और कहा- मुझे नहीं लगता कि तुम में कोई कमी है!
इतना कहकर मैंने एकता के माथे पर चूम लिया।

एकता इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं थी और उसको जैसे करंट सा लगा।
इस सबसे एकता थोड़ी सहज हो चुकी थी पर क्यूँकि एकता अंगद से बहुत प्यार करती थी तो मैं जानता था कि सब कुछ मुझे ही करना होगा।
मैंने कोई समय न गंवाते हुए अगले ही पल पहले एकता के गाल को और फिर उसके होठों को चूम लिया।

एकता ने मुझे ऐसे देखा जैसे कि वो मुझसे कुछ कहना चाहती हो … पर वो सिर्फ इतना बोली- ये सब गलत है जीजू!
पर उसने मुझे रोकने का भी कोई प्रयास नहीं किया जैसे वो खुद भी ये चाहती हो कि जो हो रहा है वो होता रहे.

मैं- तो तुम कहाँ कुछ कर रही हो? जो भी किया है, मैंने किया है। तुम तो सिर्फ मेरे पैर दबाने और मालिश करने आयी हो।
एकता- जो भी है! आप मुझे बातों में मत फंसाओ। मेरी मजबूरी है जो मैं यहाँ हूँ और आपकी इस तरह से मालिश कर रही हूँ। अगर अंगद यहाँ होते तो क्या आप मेरे साथ ऐसा करते?
मैं- मौके की ही तो सारी बात है वरना क्या दादी तुम्हें किसी भी आदमी के पैर दबाने और मालिश करने को भेजती क्या?

इतना कहते कहते मैंने एकता की एक चूची पर चूँटी काट ली जिससे एकता कि चिहुँक गई, वो फिर से उठकर जाने को हुई।

मैं इसके लिए बिल्कुल तैयार था।
मैंने एकता का हाथ पकड़ा और उसको अभी रुकने को बोला- मेरा काम अभी पूरा नहीं हुआ है.
और उसको याद दिलाया कि दादी ने उसको क्या कहकर कमरे में भेजा है।

मेरा इतना कहते ही एकता ने अपना हाथ ढीला छोड़ दिया.
मैं समझ चुका था कि आज नागराज की दावत पक्की है।

यहाँ एकता के जिस्म के बारे में बताना सही रहेगा।
एकता एक सांवले रंग के बदन की मालकिन है जिसके नैन नक्श बहुत तीखे हैं और जिसका जिस्म बड़े और रसीले आभूषणों से सजा है।
बड़े और रसीले चूचे, उभरी हुई गांड और इकसार पेट।
यह लड़की किसी को भी गुलाम बनाने के सारे औज़ार अपने जिस्म में छुपाये है।

एकता- मैं आपसे हाथ जोड़कर विनती कर रही हूँ कि आप मुझे जाने दो, वरना सब गड़बड़ हो जाएगा.
मैं- थोड़ी देर रुक जा, फिर चली जाना। वैसे भी, क्या पता आज ही के दिन हम दोनों की किस्मत बदल जाए.
एकता- मैं जानती हूँ आपके मन में क्या चल रहा है पर …
और एकता ने मुँह नीचे कर लिया.

मैंने कोई समय न खराब करते हुए एकता की गांड पर हाथ रख उसको सहलाना शुरू किया।
एकता कुछ कुछ काँप रही थी और मेरा हाथ था कि रुकने का नाम नहीं ले रहा था।
मैंने धीरे धीरे एकता के पूरे बदन पर हाथ फेरे और फिर एक हाथ एकता के पेट पर रखकर दूसरे हाथ से एकता की कमर को यों नीचे झुकाया जिससे वो घोड़ी की तरह हो गयी।

एकता किसी भी तरह मुझे रोकना चाहती थी और वो बीच बीच में ऐसा प्रयास भी कर रही थी.
पर मैंने उसको अपने दोनों हाथ पलंग पर रखकर घोड़ी के मुद्रा में खड़े होने को कहा।

एकता मेरी कही हर बात मान रही थी।

मैंने पीछे से एकता का घागरा ऊपर उठाया तो उसकी काली पैंटी दिखाई दी जो उसके भरे मोटे चूतड़ों को ढकने के लिए नाकाफी थी।
अब मेरे हाथ एकता के नंगे चूतड़ों पर थे और एकता का पूरा बदल कांप रहा था।

शायद एक तरफ उसका मन मेरे साथ सम्बन्ध बनाने को उत्सुक था और दूसरी तरफ उधेड़बुन जारी थी जिसके कारण उसको नहीं पता था कि वो क्या कर रही है और क्यों कर रही है.

मैंने एकता की पैंटी को उसकी गांड की दरार से अलग करते हुए उसकी गांड को एक नजर देखा और फिर अपनी एक उंगली को उसकी चूत से लेकर गांड तक कुछ देर यूँ फिराया जैसे मैं उसका मुआयना कर रहा हूँ।

एकता की टांगें, उसका पूरा बदन काँप रहा था और वो धीरे धीरे सिहरे जा रही थी।
मैं नीचे बैठा और मैंने एकता की गांड में नाक रखते हुए अपनी जीभ आगे बढ़ाकर एकता की चूत चाटने की कोशिश की।

एकता उसी मुद्रा में कुछ खोयी तो कुछ पायी सी काँपती मुझे रोकने और ना रोकने के संकोच में फंसी थी.
पर मेरे अंदर का शैतान था कि उसको किसी चीज़ से कोई मतलब नहीं था, मुझे चाहिए थी तो सिर्फ और सिर्फ एकता की प्यारी कोमल चूत।

मैं जानता था कि यहाँ कभी भी कुछ भी हो सकता है … इसलिए मेरे पास बहुत ज्यादा समय नहीं था।

प्रिय पाठको, आपको मेरी इंडियन फॅमिली सेक्स कहानी में मजा आ रहा होगा.
आप कमेंट्स और मेल में मुझे बताएं.
आपका प्यारा
राहुल
[email protected]

इंडियन फॅमिली सेक्स कहानी का अगला भाग: सलहज के साथ ससुराल में किया डिंग डाँग- 2

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