सलहज और बीवी के साथ ससुराल में सेक्स- 2
(Bhabhi Sex Porn Kahani)
भाभी सेक्स पोर्न कहानी में मैंने अपने साले की जवान बीवी को चोदा अपनी पत्नी के कहने पर. मेरी सलहज को बच्चा चाहिए था जो मेरा साला उसे नहीं दे पा रहा था.
मित्रो, आप इस सेक्स कहानी के पिछले भाग
मेरी बीवी ने अपनी भाभी को मुझसे चुदवाया
में मेरी बीवी और सलहज के साथ सेक्स का मजा ले रहे थे.
अब तक आपने पढ़ा था कि मैं अपनी सलहज की चूत में अपना मोटा लंड पेल कर उनकी चुदाई कर रहा था और वो मोटा लंड न झेल पाने के कारण तड़फ रही थीं.
अब आगे भाभी सेक्स पोर्न कहानी:
थोड़ा रुककर मैंने धीरे से धक्का मारना शुरू कर दिया, अब वो भी चुप थीं.
मैंने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी. वो भी अपनी गांड उठाकर मेरे लंड को पूरा अपनी चूत में घुसाने लगी थीं.
मैं अपनी ताकत से उनको चोदे जा रहा था.
उनके मुँह से सिसकारी निकल रही थी.
थोड़ी देर में ही भाभी का बदन अकड़ने लग गया, तो मैं समझ गया कि वो अब झड़ने वाली हैं.
मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी और वो झड़ गईं. उनकी चूत के पानी के सैलाब में मेरा लंड पूरी तरह से सराबोर हो गया था.
इसके बाद 10-15 धक्कों में मैं भी भाभी की चूत में झड़ गया.
आश्चर्य की बात तो यह थी कि रागिनी को चोदते समय निकलने वाला मेरा वीर्य, इस समय कुछ ज्यादा ही मात्रा में निकला था जिससे भाभी की पूरी चूत लबालब भर गई थी.
मैं उसी पोजीशन में उनके ऊपर पड़ा रहा.
पांच मिनट के बाद हम लोग उठकर बाथरूम में आ गए और बढ़िया शॉवर लेने लगे.
शॉवर लेते हुए मेरा लंड फिर दस्तक देने लगा.
मैंने भाभी को वहीं घोड़ी बनाया और पीछे से अपना लंड उनकी चूत में डाल दिया.
इस समय भाभी की चूत गीली होने से उनको कोई तकलीफ नहीं हुई.
भाभी को इस चुदाई से एक अलग प्रकार की प्रसन्नता हो रही थी.
खड़े रहकर चोदने का ये मेरा पहला ही मौका था लेकिन मजा भी आ रहा था.
मैं उनकी भरी हुई गांड को भी जोर-जोर से दबा रहा था, बीच-बीच में मैं शॉवर भी शुरू कर देता था.
वह भी सिसकारी भर रही थीं और मेरे लंड को ज्यादा से ज्यादा अन्दर लेने का प्रयास कर रही थीं.
इसी प्रकार से चोदते हुए थोड़ी देर बाद हम दोनों लगभग एक साथ ही झड़ गए.
बाथरूम से सफाई करके हम दोनों नंगे ही बाहर आए तो रागिनी हमको देख रही थी.
वसुंधरा भाभी नंगी ही रागिनी की ओर लपकीं और बड़े प्यार से गले मिलकर रोने लगीं- रागिनी, तेरे कारण मेरी गोद भर सकती है. तू मेरी ननद नहीं, मेरी बहन है. मैं तेरा ये अहसान जिंदगी भर नहीं भूलूंगी.
तब रागिनी ने भाभी को प्यार से बिस्तर पर बिठाया और उनके आंसू पौंछते हुए कहा- भाभी, आप मुझसे बड़ी हैं. अगर कमी मेरे भैया में थी, तब भी आपने परिवार की इज्जत की खातिर किसी से कुछ नहीं कहा. आज मेरे सैंया यदि आपकी मदद कर रहे हैं, तो ये उनका हमारे परिवार पर बहुत बड़ा अहसान है. अब आप कपड़े पहन लो, मां आती ही होंगी. हम रात को फिर से यही काम करेंगे.
वसुंधरा भाभी ने कपड़े पहने, मुझे एक जोरदार किस किया और प्यार भरी नजरों से मुझे देखती हुई अपने कमरे में चली गईं.
भाभी के जाने के बाद मैं रागिनी से बोला- तुमने रात में भी उनको क्यों बुलाया? मैं तो रात में अपनी रागी को ही चोदना चाहता हूँ.
तब रागिनी ने मेरे चेहरे को अपनी हथेलियों में भरकर कहा- मेरे राजा, मैं तो आजन्म तुम्हारी ही हूँ. लेकिन जिस प्रकार तुम मेरी भाभी की कोख भरने वाले हो, यह तो तुम्हारा मुझ पर और मेरे परिवार पर अहसान है, मैं इसका कर्ज कैसे चुकाऊंगी.
तब मैंने मजाक में ही कह दिया- मेरी साली को आधी नहीं पूरी घरवाली बनाकर!
इस पर वो हंसने लगी.
फिर हम लोग लिविंग रूम में आ गए.
कुछ ही देर में सासुजी और रजनी सगाई कार्यक्रम से वापस आ गए थे.
न जाने क्यों रजनी गौर से मुझे और रागिनी को देख रही थी.
उतने में वसुंधरा भाभी आ गईं और हम सबके लिए चाय बनाने लगीं.
मैंने चोर नजर से भाभी को देखा तो पाया कि बिल्ली मलाई चाटकर बहुत खुश दिखाई दे रही थी.
चाय पीकर हम लोग ताश खेलकर टाईम पास करने लगे.
रात का खाने के बाद हम अपने कमरों में चले गए. कमरे में घुसते ही मैंने रागिनी को पकड़ लिया और चूमने लगा.
वो भी बड़ी दयावान बनकर अपने आप को मुझसे चुमवाती रही.
इतने में दरवाजे पर हल्की सी खट-खट हुई.
तो रागिनी ने तुरंत दरवाजा खोलकर वसुंधरा भाभी को अन्दर खींच लिया.
आज भाभी झीनी काली नाईटी में थी और अन्दर की ब्रा और पैंटी साफ दिखाई दे रही थी. उनको देखकर ही मेरा लंड खड़ा होने लगा.
रागिनी ने तुरंत हम तीनों को नंगा कर दिया.
अब हम तीनों एक दूसरे को चूम चाट रहे थे, दबा रहे थे.
मैंने भाभी के बूब्स को दबाना और चूसना शुरू कर दिया.
उधर रागिनी मेरे लंड को आगे पीछे कर रही थी.
मैंने भाभी को बिस्तर पर लिटा दिया और उनके बूब्स, नाभि को चूसते हुए उनकी चूत को चाटने लगा.
वो सिहर गईं और उनके मुँह से सिसकारियां निकलने लगीं.
यह देखकर रागिनी ने अपनी चूत भाभी के मुँह से लगा दी तो भाभी ने उसे चाटना शुरू कर दिया.
मैंने एक तकिया भाभी की गांड के नीचे रख दिया, जिससे उनकी चूत ऊपर आ जाए.
फिर मैंने अपना लंड निकालकर उनकी चूत के छेद में रखा … और इस बार कोई मुरव्वत न करते हुए एक ही झटके में अपना पूरा लंड भाभी की चूत में डाल दिया.
भाभी को दर्द तो हुआ लेकिन उन्होंने सह लिया.
आज मैं वहशियाना तरीके से जोरदार झटके मारकर भाभी की चुदाई कर रहा था.
भाभी को भी मजा आ रहा था क्योंकि वो नीचे से उछल-उछलकर लंड को अपनी चूत में ले रही थीं.
इसी बीच रागिनी की चूत भाभी के मुँह में लगी थी ही, जिसे वह जोरदार तरीके से चाट रही थीं.
एक तरफ मेरे लंड के जोरदार झटकों से वो बुरी तरह हिल रही थीं.
उसी हिलने में वो रागिनी की चूत को चाट भी रही थीं.
इस जोरदार चुदाई के कारण थोड़ी देर में ही भाभी का शरीर अकड़ने लगा.
मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी. कुछ ही देर में भाभी बुरी तरह से झड़ गईं.
लेकिन मेरी चुदाई चल ही रही थी और जल्दी-जल्दी झटके मारकर मैं भी उनकी चूत में झड़ गया.
उधर रागिनी भी भाभी से चूत चटवाकर झड़ चुकी थी और भाभीजी ने उसकी चूत को चाट-चाटकर साफ भी कर दिया था.
हम तीनों कुछ देर वैसे ही पड़े रहे.
फिर हमने बाथरूम में जाकर सफाई की और रागिनी ने भाभी को उनकी इच्छा के विरुद्ध उनके कमरे में भेज दिया.
दोपहर और अभी की चुदाई ने मुझे भी थका दिया था इसलिए मैं और रागिनी एक दूसरे से चिपककर नंगे ही सो गए.
रात में नींद खुलने पर देखा तो रागिनी बेसुध होकर सो रही थी.
मैं बाथरूम से आकर उसे प्यार से देखता रहा और उसके गालों को सहलाता रहा.
वो नींद में ही कुनमुनाती हुई बोली- सोने दो ना!
मैंने उसको सहलाते हुए चाटना शुरू कर दिया.
मेरा लंड टाईट हो गया था.
मैंने झुककर रागिनी की नाभि, जांघ और चूत को चाटना शुरू कर दिया.
तभी उसने अपनी जांघों से मेरे चेहरे को पकड़ लिया और मुस्कुराने लगी.
मैंने भी अपनी एक उंगली उसकी गांड में घुसेड़ दी.
वो चिहुंक गई और उठकर बैठ गई.
अब हम दोनों बैठकर एक दूसरे को चूम रहे थे.
मैंने उसे लिटा दिया और चूमते चूमते उसे 69 की पोजीशन में ला दिया.
अब मेरा लंड उसके मुँह में था और मैं चटखारे लेकर उसकी चूत को चाट रहा था.
जैसे ही मैंने अपनी जीभ उसकी चूत में डाली, वो सिहर उठी और जोर से अपनी चूत को मेरे मुँह में घुसेड़ने का प्रयास करने लगी.
ऐसे ही एक दूसरे को चूसते-चाटते हम दोनों झड़ गए.
उसने मेरा वीर्य पी लिया और चाटकर ही मेरा लंड साफ कर दिया.
इधर मैंने भी उसकी चूत के पानी को पी लिया और चाट-चाटकर उसकी चूत की सफाई कर दी.
फिर हम दोनों थककर नंगे ही सो गए.
शायद रागिनी भी बहुत थक गई थी.
इसलिए हमारी नींद न खुलने पर सुबह सासुजी ने दरवाजा खटखटाकर हमें उठाया.
उन सभी को मोहल्ले में की शादी में जाना था, सभी लोग जाने वाले थे इसलिए मैं अकेला घर में कैसे रहूँगा, यह प्रॉब्लम थी.
वसुंधरा भाभी ने मुझे चाय देते हुए, शरारतपूर्ण मुस्कान के साथ घर में रुकने का विकल्प दिया जिसे रागिनी के जोर देने के कारण सभी ने मान लिया.
मैंने देखा कि रजनी बड़ी गौर से मेरी ओर देख रही थी.
पर मैंने यह जतलाया कि मेरा उस तरफ ध्यान ही नहीं है.
रागिनी, रजनी और सासुजी तैयार होकर शादी में चले गए.
मैं टीवी देख रहा था, उतने में वसुंधरा भाभी केवल ब्रा और पैंटी में आकर मेरे बगल में बैठ गईं.
उनका चेहरा चमक रहा था.
पिछले दो दिनों की मस्त चुदाई से ही उनके चेहरे की रौनक बढ़ गई थी.
वो मेरी ओर देखकर मुस्कुरा रही थीं.
मैंने बड़े प्यार से उनके चेहरे को हथेलियों से पकड़कर होंठों को चूमना शुरू कर दिया.
उन्होंने बड़ी आतुरता से मुझे अपने आगोश में ले लिया.
भाभी के गुलाबी होंठों का रसपान करते हुए मैं एक हाथ से उनका बूब दबा रहा था तो दूसरे हाथ से उनकी गांड को दबा रहा था.
मैंने भाभी की ब्रा खोल दी, उनके बड़े और कड़क कबूतर फड़फड़ा कर बाहर आ गए.
मैंने झुककर उनके मम्मों को चूसना और मसलना शुरू कर दिया.
भाभी गर्म होने लगीं.
मैं उन्हें कमरे में ले गया और उनको खड़ा करके उनकी पैंटी उतार कर पूरी नंगी कर दिया.
मैं नीचे बैठ गया और उनकी नाभि, चूत के इर्द-गिर्द के भागों को चूमने लगा.
भाभी के मुँह से सिसकारियां निकलने लगीं. उन्होंने अपने हाथों से मेरा सिर पकड़कर अपनी चूत में घुसा दिया.
अब उनका बदन थरथराने लग गया था.
वैसे तो मेरा मन उनकी गांड मारने का था, लेकिन उनकी बच्चे की मांग पूरी करने के कारण मैंने उन्हें बिस्तर पर लिटा दिया और उनकी गांड के नीचे एक तकिया रख दिया, जिससे उनकी चूत ऊपर उठ गई.
मैंने देर न करते हुए अपना लंड उनकी चूत में घुसा दिया.
वो भी आनंदित हो उठीं और उछल-उछलकर चुदाने लगीं.
ज्यादा उत्तेजित होने के कारण वह इस बार जल्दी झड़ गईं.
भाभी ने आनन्द से मुझे अपने ऊपर खींच लिया और बेदर्दी से चूमने लगीं.
भाभी- राजू बाबू, तुमने मुझे तृप्त कर दिया. मैं आज से तुम्हारी गुलाम हूँ, तुम जो कहोगे, मैं वो करूंगी.
मैंने भी उसके प्रतिसाद में उनके मम्मों को दबाना और चूसना शुरू रखा.
मेरा टाईट लंड अभी भी भाभी की चूत में ही था.
मैंने धीरे से धक्का लगाना शुरू कर दिया.
वो भी मुझे चूम रही थीं.
मेरी जीभ को तो उन्होंने चूस-चूसकर मुझे पागल सा कर दिया था.
मैंने जोरदार झटके मारना शुरू कर दिया और वो भी मजा ले रही थीं.
सात-आठ मिनट में ही हम दोनों भलभला कर झड़ गए.
ऐसा लगा कि मेरा वीर्य उनकी बच्चेदानी में घुस गया है.
भाभी भी अपनी आंखें बंद कर इस क्षण के आनन्द को अनुभव कर रही थीं.
मैं वैसा ही उनके ऊपर लेट गया, उन्होंने बड़े जोर से मुझे अपने हाथों से और पांवों से जकड़ लिया.
हम दोनों कुछ मिनट तक ऐसे ही लेटे रहे. मेरा लंड अब मुरझा गया था. मेरा और उनका रस बहकर बाहर आ रहा था.
फिर मैं और भाभी एक साथ बाथरूम में गए और सफाई कर वापस आकर नंगे ही लेट गए.
वसुंधरा भाभी मेरी छाती के बालों से खेल रही थीं, बार-बार मुझे चूम रही थीं, मेरे चेहरे को प्यार से सहला रही थीं.
न जाने क्यों मुझे भी यह सब बड़ा प्यारा लग रहा था.
तभी मैंने उनसे पूछा- यदि आप प्रेग्नेंट हो गईं तो सबसे क्या कहेंगी?
उन्होंने तुरंत जवाब दिया- केवल मुझे, तुमको और रागिनी को यह पता होगा कि इस बच्चे का बाप कौन है. इस बच्चे की पैदायश का पूरा श्रेय मैं तुम्हारे बड़े साले को ही दूँगी, जिससे परिवार की इज्ज़त बनी रहे.
मैंने बहुत प्यार से उनको चूमा और कहा- भाभी आप बहुत अच्छी हो.
भाभी लेटे-लेटे ही मेरे लंड से खेलने लगीं, जिससे लंड फिर से खड़ा होने लगा.
मैं भी भाभी के बूब्स और निप्पल्स से खेल रहा था, उनके निप्पल्स भी कड़क होने लगे थे.
तब मैंने भाभी से कहा- अब आप मुझको चोदो.
वो मेरा मुँह देखने लगीं.
तब मैं बिस्तर पर लेट गया और उन्हें ऊपर बैठकर अपनी चूत में मेरा लंड घुसाने को कहा.
वो समझ गईं और अपनी टांगें फैलाकर मेरे ऊपर बैठ गईं.
भाभी धीरे से अपनी चूत में मेरे लंड को घुसाने लगीं.
चूत गीली होने के कारण मेरा लंड धीरे-धीरे पूरा अन्दर घुस गया.
अब भाभी उचक-उचककर मेरे लंड को अपनी चूत से निकालने और डालने लगीं.
मुझे और भाभी दोनों को इसमें आनन्द आ रहा था.
वो उछल-उछलकर मुझे चोद रही थीं और मैं नीचे से धक्का मारकर पूरा लंड उनकी चूत में डाल रहा था.
उछलने के कारण उनके बूब्स भी ऊपर नीचे हो रहे थे, मैंने अपने दोनों हाथों से उन्हें पकड़ लिया और दबाने लगा.
थोड़ी देर बाद हम दोनों ही झड़ गए और थकान के कारण भाभी मुझ पर ही लेट गईं.
मैंने भी अपने हाथों से उनकी पीठ को और पांवों से उनकी कमर को जकड़ लिया. इसी स्थिति में हम दोनों दस मिनट तक पड़े रहे.
बाद में उठकर सफाई की और मैंने भाभी को उनके कमरे में भेज दिया.
आपको मेरी भाभी सेक्स पोर्न कहानी का प्रस्तुतिकरण कैसा लगा, कृपया मेरे ईमेल पर जरूर बताएं.
आगे अभी चुदाई का मजा लिखना बाकी है.
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भाभी सेक्स पोर्न कहानी का अगला भाग: सलहज और बीवी के साथ ससुराल में सेक्स- 3
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