मेरी साली मीना
प्रेषक : समीर शेर
मेरी और मेरी बीवी की उम्र में काफी अंतर है। शादी के समय बीबी की उम्र अठारह और मैं पच्चीस साल का था।
मेरी बीवी का नाम शालिनी है। वह बहुत जोशीली है, मैं भी चोदने का बहुत शौकीन हूँ। सोने के पहले हर दिन मेरी बीवी मेरी तेल मालिश करती थी। उसे मेरा लंड सहलाने में काफी मजा आता है।
एक बार मेरी साली मीना कुछ दिनों के लिए मेरे घर आई हुई थी। वह बहुत चंचल और मजकिया स्वभाव की है। मेरी शादी हुए कुछ महीने ही बीते थे। उस समय हम लोग किराये के मकान में रह रहे थे, सिर्फ एक कमरा और रसोई थी।
एक रात में जब वह मुझे तेल लगा रही थी तो मेरी साली भी वहीं थी। कमरे में लालटेन की धीमी रोशनी थी। मेरी साली मीना अब तेल मालिश करने में अपनी बहन का साथ देने लगी। गरमी के दिन थे। मैंने केवल लुंगी और गंजी पहन रखा था। रात को मैं कुछ नहीं पहनता हूँ। उस रात भी नहीं पहना था। उसने पैर के निचले हिस्से में मालिश करनी शुरु कर दी। शालिनी मेरे शरीर की मालिश कर रही थी। शालिनी मीना को बोली- आओ तुम इनकी छाती और गर्दन की मालिश कर दो, मैं पैरों में तेल लगा देती हूँ।
मीना वैसे ही करने लगी। उसने मेरी छाती पर मालिश करते वक्त धीरे से मेरा स्तन दबा दिया और मुस्कुरा दी। मैं भी उसकी मालिश का आनन्द ले रहा था।
मैंने कहा- अरे सालीजी, जरा और जोर से मालिश करो। तुम्हें तो मालिश करना तो अच्छी तरह से आता है ! वैसे तो तुम्हारी बहन भी कम नहीं है, वह भी मालिश करने में होशियार है।
शालिनी मालिश करते करते अब जांघ तक पहुँच गई थी। मेरा लंड खड़ा होने लगा था। लुंगी के भीतर से ही शालिनी ने मेरे लंड को पकड़ लिया। शालिनी हर रोज मेरे लंड में तेल लगाती थी। उसने लंड की मालिश करनी शुरु कर दी थी। उस समय मेरा लंड पूरा खड़ा हो चुका था। जानबूझ कर मैंने लुंगी हटा दी। लंड की छाया कमरे की दीवार पर दिखाई देने लगी। देखने में बहुत बड़ा दिख रहा था। उस समय तक मीना की निगाह उस पर नहीं पड़ी थी। मैं अपनी लंड मीना को दिखाना चाह रहा था।
मैंने मीना से कहा- अरे साली जी, उधर दीवार पर तो देखो, क्या दिखाई दे रहा है?
मीना की निगाह उस प़र पड़ते ही- अरे बाप रे, जीजा जी तुम बहुत शैतान हो ! अरे दीदी, मुझे डर लग रहा है, मैं जा रही हूँ।
यह सुनते ही शालिनी ने मेरे लंड के ऊपर लुंगी डाल दी और कहने लगी- अरे मीना, ये ऐसे ही करते हैं। इनको शर्म भी नहीं आती !
मैंने कहा- शर्म किस बात की? साली तो आधी घर वाली होती है। कुछ दिन के बाद इसकी भी तो शादी होगी तो कुछ तो जानकारी चाहिए !
शालिनी कहने लगी- अब मालिश हो गई, अब सो जाइये।
और मीना को भी सो जाने के लिए कह दिया। एक कमरा होने के चलते एक ही जगह सोना पड़ा। मीना शालिनी की बगल में सो गई।
मुझे नींद नहीं आ रही थी। मैं शालिनी के सो जाने का इन्तजार कर रहा था। जब मुझे लगा कि शालिनी सो गई है, मैंने मीना का स्तन दबाना शुरु कर दिया। शायद उसे भी अच्छा लग रहा था। वह चुपचाप लेटी रही। लेकिन मुझे डर लग रहा था कि कहीं शालिनी जग न जाये। मीना के प्रतिकार नहीं करने के कारण मेरा मन बढ़ रहा था। अब मेरा लंड खड़ा हो चुका था। मैं मीना का स्तन और जोर से दबाने लगा।
मैंने सोचा कि आज दोनों बहनों को चोदूँगा इसलिए मैं शालिनी के ऊपर चढ़ गया और मीना को चूमने लगा। मेरा लंड को तने हुए जान कर शालिनी की नींद टूट गई। वह मेरे हाथ को पकड़ कर कहने लगी- अरे क्या कर रहे हो? यह बिल्कुल ठीक नहीं है। अगर मैं नहीं जगती तो तुम मीना को नहीं छोड़ते। तुम कितने हरामी हो। बेचारी मीना को भी बर्बाद करोगे ! मजा करना है तो मेरे साथ करो, मेरी बहन को मत छूना।
मैं उस पर से नीचे उतर गया और उसकी चूची सहलाने लगा। उसके बाद मीना उठ कर चली गई।
मैं शालिनी से कहने लगा- आज मुझे तुम दोनों बहनों को चोदने का मन कर रहा है। प्लीज उसे बुलाओ !
तब शालिनी कहने लगी- बेचारी की शादी होने वाली है, अगर उसकी झिल्ली फट गई तो उसका मर्द उस पर शक करेगा। तुम्हारा बहुत बड़ा लंड है, बेचारी बर्बाद हो जाएगी। उसे छोड़ दो। तुम मुझे जैसा चाहो करो, मगर उसे छोड़ दो। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर पढ़ रहे हैं !
मैंने भी इसी में भलाई समझी और केवल शालिनी से ही अपनी प्यास बुझाई।
दूसरे दिन शालिनी किसी काम से बाहर गई हुई थी। मैं उस दिन आफिस से जल्दी घर आ गया था।
मैंने मीना से पूछा- शालिनी कहाँ है ?
तो उसने कहा कि वह बाजार गई है और दो घंटे के बाद आ जायेगी।
मैंने मौका अच्छा समझा और मन ही मन उसे चोदने का मन बनाने लगा।
मैंने मीना से पूछा- कल रात में क्यों उठ कर चली गई थी ?
मैंने उसको अपनी बाँहों में भर लिया और चूमन लेने लगा।
मैंने कहा- मीना अभी अच्छा मौका है। तुम्हें चोदे बिना मुझसे रहा नहीं जा रहा है।
मीना कहने लगी- नहीं जीजा जी, मुझे छोड़ दो, मैं मर जाउंगी। तुम्हारे जितना बड़ा आज तक मैंने नहीं किसी का नहीं देखा है। तुम्हारा वह बहुत बड़ा है। शालिनी बहन कैसे सहती है आपको? मुझे नहीं चाहिए !
मगर मेरा लंड तन चुका था। मैंने उसका हाथ अपनी लंड पर रख दिया। अपनी पैंट की चैन खोल कर लंड निकाल दिया। वह मेरे लंड को देखने लगी और पकड़ कर बोली- अरे बाप रे ! कितना बड़ा है? पूरा एक बित्ते का है। मुट्ठी में भी नहीं आ रहा।
मैंने मीना को सहलाने को कहा। वह मान गई और सहलाने लगी।
तब मैंने कहा- अरे साली जी, इसका स्वाद भी तो लो।
और मैंने अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया। वह मेरे लंड को चाटने लगी।
मीना कह रही थी- क्या खतरा लंड है ? मैं आप का अपने मुँह में ही गिरा लूँगी !
भूल से दरवाजा खुला रह गया था। ज्योहीं मेरा गिरने वाला था, शालिनी कमरे में आ गई। वह आग बबूला हो गई और मुझे और मीना को गाली देनी लगी। वह मीना को कह रही थी- अरे तुम्हारे जीजा तो बदमाश है ही है, तुम भी नहीं रह सकती।
मीना बोल रही थी- जीजा जी नहीं माने, मैं क्या करती ? मैं कल घर चली जाऊँगी। मेरा यहाँ रहना तुम्हें अच्छा नहीं लग रहा है। क्या मैं किसी दूसरे के साथ कुछ कर रही थी। ये अपने जीजाजी तो हैं। अगर तुम्हें इर्ष्या होती है तो मैं कल जा रही हूँ !
मैंने शालिनी को समझाया- यह घर की ही तो बात है। अगर तुम नहीं चाहती तो कुछ नहीं करूँगा।
शालिनी चुप हो गई।
एक ही कमरा होने के चलते हम तीनों फिर एक ही जगह सो गए। मीना के घर चले जाने की बात से शालिनी कुछ डरी हुई थी। वह मीना को कहने लगी- मीना आज तुम्हीं इनकी मालिश कर दो, मुझे थकान हो गई है !
शालिनी की बात सुन कर मुझे बहुत खुशी हुई। मीना भी मान गई और मेरे पैर दबाने लगी।
शालिनी कह रही थी- अच्छी तरह मालिश कर देना, मुझे नींद आ रही है। मुझे नींद आ जाये तो मत जगाना।
मीना धीरे धीरे मालिश करने लगी। कुछ देर के बाद ऐसा लगा कि शालिनी सो गई है। अब हम में हिम्मत आ गई। मैंने अपनी लुंगी खोल दी और मीना को लंड में तेल लगाने को इशारा किया। वह समझ गई और मेरे लंड की मालिश करने लगी।
लंड कठोर हो चुका था, अब मुझसे नहीं रहा जा रहा था। मैंने भी मीना की दोनों टाँगों के बीच में अपनी हाथ लगाया। पहले उसने रोकना चाहा, मगर फ़िर विरोध नहीं किया। मीना ने सलवार पहन रखी थी। मैंने उसकी सलवार की डोरी खोल दी और उसकी बुर को सहलाने लगा। उसने मेरे लंड को हाथ फ़ैला कर नापा और बोली- बाप रे ! यह तो एक बित्ते से भी बड़ा है, मैं नहीं सह पाऊँगी और दीदी भी जग जाएगी।
मैंने कहा- तुम्हारी दीदी भी पहली बार ऐसे ही कह रही थी, मगर एक बार के दर्द के बाद अब मज़ा लेती है। कुछ नहीं होगा। मैं बहुत धीरे से चोदूँगा। तुम्हारी दीदी को भी पता नहीं चलेगा।
इसके बाद मैंने उसे चित्त लेटा दिया और अपने लंड और उसकी बुर में थूक लगाया। अब मैं उसकी दोनों जांघों के बीच में आ गया और लंड को उसकी बुर पर रख दिया।
उसने डर के मारे मेरे लंड को पकड़ ली और बोली- इतना बड़ा नहीं सहा जाएगा, मैं अभी छोटी हूँ।
मैंने कहा- अच्छा बाबा, मैं तुम्हें जरा भी नहीं दुखने दूंगा !
ज्योंही मैंने अपनी लंड अन्दर करना चाहा, मुझे लगा कि शालिनी जग गई है लेकिन उस समय मैं इतना जोश में था कि इस बात की मैंने परवाह ही नहीं की। मैंने मीना की बुर में अपना लंड डाल ही था, सिर्फ धक्का देना था। लेकिन मुझे डर लग रहा था कि शालिनी कहीं काम बिगाड़ ना दे इसलिए मैंने बहुत धीरे से लंड को ठेला, मगर मीना की बुर इतनी कसी थी कि लंड अन्दर जाने का नाम ही नहीं ले रहा था। मीना की आँखों से आँसू निकलने लगे मगर चुप थी क्योंकि उसे भी शालिनी का डर था।
मैंने मीना के मुँह में रुमाल डाल दिया ताकि वह चिल्ला न सके। उसे थोड़ा सा और सहने को कहा।
अब मैंने जोर से धक्का लगाया और लंड झट से अन्दर चला गया। मगर मीना से रहा न गया और जोर से चिल्ला उठी, मीना जोर से चिल्लाई- बाप रे बाप, मैं मर गई आज ! दीदी मुझे बचाओ ! जीजाजी मुझे छोड़ दो !
और वो उठ कर बैठना चाह रही थी। मीना की आवाज सुनते ही शालिनी उठ गई और कहने लगी- अरे तुम कितने निर्दयी हो, इतनी छोटी बच्ची को ऐसे मारते हैं? अब तो तुम्हारी इच्छा पूरी हो गई न, बस अब रहने दो ! बेचारी की सील टूट गई होगी।
शालिनी ने कमरे की बत्ती तेज कर दी। बेडशीट पर खून के धब्बे पड़े थे, मीना की बुर से खून निकल रहा था। मेरा लंड भी पूरी तरह से छिल चुका था। शायद मीना की सील टूट चुकी थी। लेकिन मैंने इस बार शालिनी की एक भी नहीं सुनी और फिर से मीना के ऊपर चढ़ गया।
इस बार मीना नहीं चिल्लाई, तब जाकर मुझे सुकून मिला।
मैंने शालनी से कहा- क्या तुम अपनी पहली चुदाई भूल गई? चुप करके सो जाओ और आज हमें सालीजी को सुख पहुँचाने दो। अब बोलो मीना, क्या अभी भी उतना ही दर्द हो रहा है या कुछ कम हुआ? मीना चुप हो गई और आँसू पौंछने लगी और बोली- दीदी, आज जीजाजी नहीं माने और मुझे बर्बाद कर दिया। ये बहुत बदमाश हैं। बहुत जोर से दर्द हो रहा है !
तब शालिनी बोली- अरे तुमने आखिर इसकी सील तोड़ ही दी ना?
मैंने कहा- हाँ शालिनी, तुम्हारी बहन में बहुत मेहनत करनी पड़ी। अब सुहागरात में इसे कोई दर्द नहीं होगा और खूब मजे लेगी !
शालिनी तब बोली- अरे तुम हमें ऐसे ही छोड़ दोगे? अब मेरे ऊपर भी चढ़ो !
और मैंने शालिनी को भी चोदा।
मीना तब बोली- अरे दीदी ! तुम्हें तो बिल्कुल नहीं दुखता है?
शालिनी मीना को देख कर मुस्कुरा दी और धीरे बोली- तुम्हारे जीजा बहुत मजे देते हैं !
सुबह मीना देर तक सोती रही। तब तक मैं बाजार से सब्जी और पके केले लेकर आया। तब मैंने मीना को जगाया और उसे केला देकर उसे खाने को कहा।
मीना कहने लगी- ना बाबा ना ! अब नहीं खाऊँगी, बहुत बड़ा है। अब डर लग रहा है !
और शालिनी को दे कर कहा- दीदी, तुम्हीं खाओ।
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