जीजू के साथ मस्त साली-1
(Jiju Ke Sath Mast Sali-1)
मेरा नाम मुक्ता है, आज मैं आपको अपने जीजू के साथ की पहली चुदाई की बात बता रही हूँ. मेरी दीदी की जब शादी हुई तब मैं 18 साल की थी पर 18 साल की उम्र में मेरे वक्ष पके आम की तरह हो गए थे, चूतड़ उभर गए थे और उनकी दरार क़यामत ढाने लगी थी.
मेरे जीजाजी विपुल काफी खूबसूरत और लम्बे तगड़े थे, हमारे यहाँ यह समझा जाता है कि अगर जीजा थोड़ा बहुत अपनी साली के साथ मस्ती कर ले तो उसका बुरा नहीं मानना चाहिए. यही कारण ही है कि कोई भी जीजू सबसे पहले अपनी साली को चोदने की कोशिशों में लगा रहता है. मैं भी यही सोचती थी कि अगर विपुल ने कभी मेरे साथ जबरदस्ती की तो चूचियाँ तो मैं दबवा लूंगी, साथ में चुम्बन वगैरा का भी बुरा नहीं मानूंगी.
विपुल जीजू ने कुछ ऐसा ही मेरे साथ किया, वो जब भी अकेले में मेरे से मिलते तो कभी मेरी बोबे कस कर दबा देते, कभी गांड को सहलाने लगते, हौले-हौले सहलाते, फिर एकदम गांड की दरार में उंगली कर देते. चुम्बन की तो कोई सीमा ही नहीं थी, मेरे होंटों को चूम-चूम कर वो सुजा देते. हालांकि इससे मेरी चूत गीली हो जाती थी और मेरे चूचे तन जाते थे लेकिन मैं इसे जीजा का साली के प्रति प्यार समझ कर टाल देती थी.
लेकिन मुझे पता नहीं था कि मेरे द्वारा दी जाने वाली आज़ादी का जीजू गलत मतलब निकल रहे हैं और वो अब मुझे चोदने की योजना भी बना चुके हैं. जीजू जब भी ससुराल आते तो उनकी जीजी के साथ अलग कमरे में सोने की हसरत पूरी की जाती लेकिन इस बार जब वो आये तो वो हौले से मेरे से बोले- आज रात को कमरे में आ जाना, बात करेंगे.
रात को जीजी, जीजू और मैं कमरे में काफी देर तक बातें करते रहे. बारह बजे के लगभग जीजी बोली- मुझे नींद आ रही है, मैं सो रही हूँ.
जीजू और मैं ताश खेलते रहे, थोड़ी देर में जीजी गहरी नींद में सो गई. तब अचानक जीजू उठे और उन्होंने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और अपने होंठ मेरे होंठों से मिला दिए और उन्हें बेरहमी से चूसने लगे. यही नहीं, जीजू ने अपना एक हाथ मेरी छातियों पर रख दिया और दूसरे हाथ से मेरे चूतड़ों को मसलना शुरू कर दिया. मैं हतप्रभ रह गई कि यह क्या हो रहा है.
जीजू कहने लगे- मेरी जान! कब से इस मौके का इंतजार कर रहा हूँ, आज मैंने तुम्हारी दीदी को नींद की गोलियाँ दे दी हैं और वो सुबह तक नहीं उठेगी.
उनकी बात सुनकर मेरे होश उड़ गए, मैं समझ गई कि आज जीजू अपनी मनमानी करके ही मानेंगे.
इधर जीजू ने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और उन्हें चूसने लगे, उनका एक हाथ मेरे बोबों को मसल ही रहा था और दूसरा हाथ मेरी गांड को सहला रहा था.
मेरी छातियाँ एकदम तन गई थी और मेरी चूत से पानी सा निकल रहा था. असल में मैं चुदाई के बारे में बिल्कुल नहीं जानती थी, मैंने केवल पुरुषों को आपस में गालियाँ देते हुआ सुना था जिसमें वो कहा करते थे- तेरी माँ को चोदूँ! तेरी बहन को चोदूँ! तेरी बीवी की चूत में मेरा लौड़ा!
अब इतनी नासमझ तो मैं भी नहीं थी, यह तो समझ गई थी कि चूत मेरे पास है और लौड़ा जीजू के पास! और अब जो भी कहानी बनेगी वो इनसे ही बनेगी.
जीजू ने मुझसे कहा- अपनी कमीज उतार दे!
मैंने वैसा ही किया. अब मैं जीजू के सामने 32 नम्बर की काली ब्रा में थी. जीजू ने ब्रा का हुक खींचा और मेरे दोनों बोबों को आजाद कर दिया. अब मैं जीजू के सामने अर्धनग्न अवस्था में थी. जीजू तो मेरे दोनों बोबों देख कर मस्त हो गए. उन्होंने दोनों बोबों को अपने मुँह में भर लिया और उन्हें चूसने लगे. मेरे दोनों चुचूक जीजू के मुँह में थे और वो उन्हें धीरे धीरे काट रहे थे. मेरी तो हालत ख़राब हो गई.
इधर जीजू ने मेरी सलवार का नाड़ा खींचा और उसे खोल दिया. मेरी सलवार जमीन पर गिर गई और मैं काली पेंटी में रह गई. जीजू तो जैसे पागल हो गए, उन्होंने काली पेंटी को भी उतार फेंका. अब मैं बिल्कुल नंगी जीजू के सामने खड़ी थी.
जीजू ने मेरी रोंयेदार चूत को देखा तो वो मदहोश हो गए, कहने लगे- मुक्ता रानी! आज तुझे मैं जन्नत की सैर कराऊँगा! आज तेरी चूत का भुरता नहीं बनाया तो मेरा नाम भी विपुल नहीं! आज तुझको पता चलेगा कि तेरी इस चूत से क्या गुल खिलेंगे.
फ़िर जीजू ने मुझसे कहा- रानी, अगर मजा लेने हैं तो थोड़ा बेशर्म तुझे भी बनना होगा, अब तू मेरे कपड़े उतार और मेरा लंड अपने मुँह में ले!
मैंने वैसा ही किया. जीजू का लंड देखा तो मेरे होश उड़ गए, नौ इंच का फनफनाता लंड! मैं तो देखकर ही काँप गई कि यह मेरी इतनी सी चूत में जायेगा कैसे?
मैंने जीजू से कहा- आप इस लंड का जो करने को कहोगे, वो मैं करूँगी लेकिन इसे मेरी चूत में मत घुसाना, नहीं तो वो फट जायेगी.
जीजू के चेहरे पर कुटिल मुस्कान आ गई, वो बोले- ठीक है! मैं भी यह थोड़े ही चाहता हूँ कि मेरी साली को तकलीफ हो! तुझे अगर लौड़ा नहीं घुसवाना है तो मत घुसवा! तू इसे अपने मुँह में ले ले और इसे गन्ने की तरह चूस!
मरती मैं क्या नहीं करती! मैंने जीजू का लौड़ा मुँह में भर लिया और उसे चूसने लगी.
लंड से मेरा पूरा मुँह भर गया था. इधर जीजू का काम चालू था, वो सिसकारियाँ भरते हुए कह रहे थे- चूस! मेरी जान चूस! और एक हाथ से मेरे गालों को मसल रहे थे, दूसरे हाथ से बोबों को!
बोबे तन चुके थे, चुचूक सख्त हो गए थे, गाल लाल हो चुके थे.
अचानक जीजू बोले- अब तू लेट जा!
मैं लेट गई. जीजू ने अपनी जीभ निकाली और मेरी चूत को हौले हौले चाटने लगे. मेरी तो उत्तेजना के मारे ही जान निकल गई, पूरी चूत गीली हो गई. शरीर में तरंगें सी छुटने लगी.
मैं जीजू से बोली- जीजू, मजा आ गया!
जीजू बोले- मजा तो तब आएगा जब तू रंडी की तरह गालियाँ देने लगे!
मैंने कहा- मुझे तो गालियाँ आती नहीं हैं.
तो वो बोले- जो तेरे मन में आये, वो गाली बक!
इधर जीजू चूत के दाने को तलाशने में कामयाब हो गए और वो जीभ से उसे चूसने लगे.
अब तो मैं बेसुध हो गई, मेरे मुँह से अपने आप स्वर निकलने लगे- हाय जीजू! इसे मत चूसो! अरे मादरचोद, मेरी जान निकल रही है! ओ गांडू, ओ भोसड़ी के!
लेकिन जीजू ने एक नहीं सुनी, उन्होंने तो पूरी चूत की एसी चुसाई की कि कई बार ऐसा लगा कि मेरी चूत से पानी ही पानी निकल रहा है.
अब जीजू ने मुझे उल्टा किया और वो मेरी गांड को थपथपाने लगे, फिर उन्होंने अपनी एक अंगुली मेरी गांड के छेद में घुसा दी. मैं दर्द से तड़प उठी लेकिन जीजू नहीं माने. उन्होंने अंगुली को गांड में घुसाना जारी रखा, वो कहने लगे- तेरी गांड तो तेरी बहन से भी ज्यादा मस्त है!
वे बोले- अब तू कुतिया की तरह हो जा! मैं अपना लंड तेरी गांड में डालूँगा!
मैंने कहा- जीजू! यह फट जायेगी!
तो वे बोले- तू ही फ़ैसला कर ले कि चूत में घुसवाएगी या गांड में!
मैंने सोचा- चूत तो बड़ी नाजुक है, गांड मरवा ली जाये, वो ही बेहतर है, मैंने जीजू से कहा- आप तो गांड ही मार लो!
बस फिर क्या था उन्होंने ढेर सारी क्रीम मेरी गांड में लगाई और लंड एक झटके से घुसेड़ दिया. मैं दर्द के मारे जोर से चिल्लाई- मर गई बहनचोद! जल्दी वापस निकाल! ओ भाडू! ओ जीजा! तेरी बहन की गांड में सौ लौड़े घुसें!
लेकिन जीजा ने एक नहीं सुनी, उसने पूरा लौड़ा गांड में पेल दिया और जोर जोर से धक्के लगाने लगा. वो अब पूरी मस्ती में आ गए थे उनका लौड़ा तो गांड में था साथ ही उनके हाथ मेरी गांड को ऊपर से नोचा-खसौटी में लगे थे, वो कहने लगे- रंडी की बहन, आज तेरी ऐसी हालत करूँगा कि जिंदगी में हमेशा अपने जीजा को याद रखेगी!
जीजू 15 मिनट तक मेरी गांड मारते रहे लेकिन उनके धक्के नहीं रुके. मैंने सोचा इससे पहले कि गांड का बाजा बज जाये, मुझे जीजू का लौड़ा चूत में डलवा लेना चाहिए, फटेगी तो फट जायेगी! कम से कम गांड तो सही-सलामत रह जायेगी.
यह सोच कर मैं जीजू से बोली- जीजू, मेरे ऊपर रहम करो! आप मेरी गांड को तो बख्श दो और मेरी फ़ुद्दी ही चोद लो!
कहानी का अगला भाग यहाँ है: जीजू के साथ मस्त साली-2
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