एक चोदोगे तो दो फ्री में मिलेंगी-2
(Ek Chodoge To Do Free Me Milengi-2)
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प्रेषिका : संजना
एक दिन रविवार को मैंने अपनी बीवी से कहा- 3-4 दिन हो गए अपने घर की सफाई नहीं हुई है, मैं घर जाकर सफाई कर आता हूँ।
मेरी बात सुन कर मेरी सास बोली, “लो, अब तुम झाडू पोंछा करोगे ! मैं तुम्हारे साथ चलती हूँ, तुम्हारी मदद कर दूँगी।”
भला मुझे क्या ऐतराज़ हो सकता था, मैं तो इसे एक मौक़े की तरह देख रहा था। रोशनी अपने फ्रेंड्स के साथ पिक्चर देखने गई थी। चाँदनी को समझा कर हम दोनों मेरे घर आ गए।
घर में घुसते ही मैंने अपनी सास को पकड़ लिया, “ओह रजनी, माई लव कब से तुम्हें पाने की चाहत थी, आई लव यू जान।”
“अरे, शशि, सब्र करो, पहले सफाई तो कर लें।”
“सफाई की माँ चुदाने, पहले अपनी सफाई कर लें, बाद में घर की देखेंगे !” कह कर मैंने अपनी सास को बेड पर पटक दिया और खुद उसके ऊपर जा गिरा।
उसने भी बिना देर किए मेरा चेहरा अपने हाथों में पकड़ा और मेरे होंठ अपने होंठों में भींच लिए।
“मैं तो खुद कब से मरी जा रही थी, सिर्फ़ चूसने से दिल नहीं भरता, मुझे तुम अपने अंदर चाहिए… मुझे ज़्यादा मत तड़पाना प्लीज़…।”
मैंने भी बिना कोई वक़्त गंवाए, अपनी सास की साड़ी, ब्लाउज, पेटीकोट, ब्रा सब उतार कर उसे बिल्कुल नंगी कर दिया और खुद भी एकदम नंगा हो गया। उसने भी अपनी चूत शेव कर रखी थी, गोरी-चिट्टी चूत देख कर मैं रुक ना सका और उसकी चूत पर टूट पड़ा। उसकी चूत के दोनों होंठ मुँह में ले लिए और चूसने लगा और फिर चूत की फाँकें खोल कर उसके अंदर जीभ से चाटने लगा।
सासू जी तड़प उठीं और उसने भी मेरा लंड मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। अभी सिर्फ़ 2 मिनट ही हुए होंगे कि सासू जी ने तेज़-तेज़ कमर उचकानी शुरू कर दी और मेरे लंड को तो लगभग चबा ही डाला। जब वो एकदम से अकड़ गईं, तो मैं समझ गया कि इसका काम तो हो गया।
वो हाँफ रही थी, मैं सीधा हो कर उसके ऊपर लेट गया और अपनी जीभ से उसके होंठ चात कर बोला, “अब अपने ख़सम को अंदर ले ले।”
उसने मेरी जीभ को अपने दांतो से पकड़ लिए और मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत पे रखा और बोली, “आ जाओ, मुझ में समा जाओ।”
मैंने ज़रा सा धक्का लगाया तो लंड उसकी चूत में ‘घुप्प’ से घुस गया। उसके बाद मैंने पूरी जान लगा दी। मैं ज़ोर-ज़ोर से ऊपर से पेल रहा था और वो नीचे से अपना योगदान कर रही थी। करीब 2-3 मिनट बाद ही उसने मेरे होंठों को अपने होंठों मे कस के पकड़ा और मुझे ज़ोर से अपनी बांहों में भींच लिया। वो झड़ चुकी थी।
मैंने पूछा, “इतनी जल्दी ! अभी तो शुरू ही हुआ है?”
वो बोली, “5 साल बाद लंड देखने को मिला है, लेना तो दूर की बात है, जब से रोशनी के पापा का देहांत हुआ है, मैं तो तरसी पड़ी थी, तब से आज जाकर प्यास बुझी है।”
मैंने खुशी की मारे और ताक़त लगा कर उसे चोदना चालू रखा।
वो बोली, “शशि, मैं चाहती हूँ कि तुम मेरे मुँह में आओ, ताकि तुम्हारा रस पी कर मैं अपनी प्यास बुझा सकूँ।”
“ओके !” मैंने कहा।
जब मुझे लगा कि मेरा भी होने वाला है, मैंने लंड उसकी चूत से निकाल कर उसके मुँह में दे दिया। उसकी चूत के पानी से मेरा लंड भीगा पड़ा था, पर उसने झट से लंड मुँह में ले कर चूसना शुरू कर दिया और एक मिनट में ही मैं उसके मुँह में स्खलित हो गया।
ढेर सारा माल छूटा, उसका मुँह भर गया, पर वो सारा गटक गई और उसके बाद भी जो एक-दो बूँद टपकी, उसे भी चाट चाट कर खा गई।
सेक्स के बाद काफ़ी देर हम नंगे ही लेटे रहे। मैंने पूछा, “रजनी मेरे साथ सेक्स करने को तुमने कब सोचा?”
वो बोली, “जानते हो जब तुम आते-जाते मुझे नमस्ते बुलाते थे, मैं तब ही तुम्हें पसंद करती थी। तुम्हारी मसकुलर बॉडी मुझे बहुत सेक्सी लगती है, मैं तो हमेशा से ही तुम से सेक्स करना चाहती थी, पर तुम ने चाँदनी को पसंद किया, तब भी मेरे दिल में ये ख्याल था, कि एक दिन मैं तुम्हें ज़रूर अपना बनाऊँगी।”
“अरे वाह, तुम तो छुपी रुस्तम निकलीं !” मैंने कहा।
“हाँ बड़ी लंबी स्कीम लगा के बैठी थी, आई लव सेक्स, मैं भी अपनी ज़िंदगी को एन्जॉय करना चाहती हूँ, अब तुम मिल गये हो तो, अब तो मज़े ही मज़े हैं।”
उसके बाद हमने घर की सफाई की और बाद में नहा-धो कर वापिस अपने ससुराल वाले घर में आ गए। अब क्योंकि सास से बात खुल चुकी थी, बीवी की डिलीवरी होनी थी, तो सासूजी ने मेरी खूब गर्मी निकाली। जब भी इच्छा होती, दोनों आते और एक-दूसरे से जी भर के प्यार करते।
एक दिन वैसे ही मेरे दिल मे ख्याल आया कि इस घर तीन में से दो चूतें तो मैं चोद चुका हूँ, अगर तीसरी भी मिल जाए तो मज़ा आ जाए। यह सोच कर मैंने स्कीम लड़ानी शुरू की कि कैसे रोशनी की चुदाई कर सकूँ। उसके साथ खुल्ला मज़ाक़ तो कर लेता था, पर कभी सेक्स तक बात नहीं पहुँची थी।
सो मैंने जानबूझ कर उसके साथ बदतमीज़ियां बढ़ा दीं। कई बार तो ज़बरदस्ती उसकी कमीज़ में हाथ डाल कर उसके मम्मे दबा देने, उसके सामने नंगा हो कर दिखाना और उससे सेक्स करने की खुली इच्छा ज़ाहिर करना।
मेरी बातें उस अच्छी तो नहीं लगती थीं, पर उसने कभी मेरी इन बातों का सख़्त विरोध भी नहीं किया, जिससे मेरी हिम्मत बढ़ती गई।
जब मेरी बीवी की बड़े ऑपरेशन से डिलीवरी हो गई, तो वो तो 3 महीने के लिए बेड-रेस्ट पर थी। उसने एक खूबसूरत बेटे को जन्म दिया, सो उसकी सारी देखभाल मेरी सास और साली ने की। भाग-दौड़ में मेरे भी 15-20 दिन निकल गए। बिना सेक्स के और रिश्तेदारों की वजह से मैं अपने घर जा कर सो जाता था।
एक दिन रविवार को मैं सुबह जिम से वापिस आया, तो बेड पर लेट कर मुझे सुस्ती सी आ गई और मैं फिर से सो गया। करीब साढ़े सात बजे रोशनी मंदिर से वापिस आई तो मेरे घर आ गई कि जीजू को चाय बना कर दे दूँ। जब वो आई तो मैं सो रहा था, उसने दरवाज़ा खटखटाया, मैं चड्डी में ही उठा और दरवाज़ा खोल कर फिर से बेड पर लेट गया।
मेरा लंड उस वक़्त पूरा तना हुआ था। मैं लेटा रहा तो रोशनी किचन में चली गई और चाय बना कर ले आई। जब उसने मुझे दोबारा जगाया तो मैंने आखें खोल कर देखा। वो बला की खूबसूरत लग रही थी, वो मेरे पास ही बेड पर बैठी थी। मैं उठ कर बैठा और उसके हाथ से चाय की प्याली लेकर साइड में रख दी और उसको बांहों से पकड़ कर उसे अपने पास खींचा और बोला, “रोशनी तुम बहुत सुन्दर लग रही हो, जी करता है तुम्हें कच्चा चबा जाऊँ।”
“हटो जीजू, सुबह-सुबह भगवान का नाम लेते हैं।”
तुम ही मेरी देवी हो, क्यों न आज तुम्हारी ही पूजा कर लूँ !”
“रहने दो, मम्मी ज़ी लोग जा रहे हैं, तैयार हो कर आ जाओ।”
वो उठ कर जाने लगी तो मैंने एकदम से उठ कर उसको पकड़ लिया और धक्का दे कर बेड पर गिरा दिया और खुद उसके ऊपर लेट गया।
“जीजू, ये क्या कर रहे हो आप?”
“जानेमन, अब और सब्र नहीं होता, 6 महीने हो गए सेक्स किए ! तेरी बहन तो पेट खुलवा कर पड़ी है, मैं कहाँ जाऊँ, मैं तो अब अपनी प्यास तुझसे ही बुझाऊँगा,” मैंने कहा।
“तो मैं क्या करूँ, मुझे छोड़ो।”
“अब तुम ही मेरी आग बुझा सकती हो, रोशनी।” ये कह कर मैंने उसके होंठ अपने होंठों मे ले लिए।
वो मेरा विरोध तो कर रही थी पर ये विरोध सिर्फ़ एक स्त्री-सुलभ दिखावा भर था। मैंने उसकी चुनरी उतार फेंकी, उसकी कुर्ती और ब्रा ऊपर उठा कर उसके मम्मे बाहर निकाल लिए। बिना उसे बोलने का कुछ मौक़ा दिए, मैंने उसके मम्मे चूसने शुरू कर दिए।
उसके दोनों हाथ मेरे सर पर थे। मम्मे चूसते-चूसते मैं नीचे उसके पेट, कमर और नाभि तक आ गया। वो मेरे नीचे लेटी तड़प रही थी। मैंने बिना कोई समय गंवाए, उसकी स्लेक्स उतार दी।
वाह ! एक कुँवारी, अच्छे से शेव की हुई चूत, मेरे सामने थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैंने झट से उसे मुँह में भर लिया और जीभ अंदर डाल कर चाटना शुरू कर दिया। उसके मुँह से मज़े की आवाज़ें निकल रही थीं। चूत चाटते-चाटते मैंने उसकी स्लेक्स और कपड़े उतार कर उसे बिल्कुल नंगी कर दिया। मैंने अपना अंडरवियर उतारा और उसके पेट पर आ बैठा।
“रोशनी, चूस अपने यार को !” मैंने कहा।
“नहीं, मैंने ऐसे कभी नहीं किया।”
“तो ट्राई तो कर !”
मेरे कहने पर उसने थोड़ा सा चूसा, पर पहली बार होने के कारण उसे कुछ खास मज़ा नहीं आया। मैंने बिना कोई देर किए, उसे अपने नीचे सैट किया और अपना लंड उसकी चूत पर रख दिया। उसने भी अपनी टाँगें ऊपर उठा कर सहमति जताई।
मैंने जब अपना लंड घुसेड़ना चाहा तो उसे तक़लीफ़ हुई, पर ये तो मेरे मज़े की बात थी सो बिना उसकी तक़लीफ़ की परवाह किए मैंने लंड ठेल दिया और मेरा सुपारा उसकी चूत में घुस गया, मगर उसका दर्द से बुरा हाल था।
“जीजू, निकाल लो… प्लीज़ बड़ा दर्द हो रहा, बहुत बड़ा है ये तो !”
“डोन्ट-वरी, जान जब ये एक बार घुसना शुरू करता है तो फिर बाहर नहीं आता, घुसता ही जाता है।”
मैं ठेलता रहा, वो दर्द से तड़पती रही और मैंने अपना पूरा लंड उसकी चूत में घुसा दिया। मेरे आनंद की कोई सीमा नहीं थी, एक तो कच्ची चूत फाड़ दी थी, दूसरी एक घर की सारी चूतें आज मैंने चोद दी थीं। उसके दर्द का कोई छोर नहीं था, एक तो पहली बार की चुदाई, ऊपर से मैं बॉडी बिल्डर।
खैर… वो दर्द से बिलबिलाती रही और मैं उसे चोदता रहा। 15-20 मिनट की चुदाई में उसकी “हाय-हाय” खत्म नहीं हुई और मैं मज़े से “आहा आहा” करता रहा। उसका हुआ कि नहीं मुझे पता नहीं, पर जब मैं उसके पेट पे झड़ा तो उसका पेट, छातियाँ और मुँह तक माल की पिचकारियाँ मार कर भर दिया।
मैं उसे चोदने के बाद नंगा ही लेट गया, वो उठ कर बाथरूम में चली गई। दोबारा फ्रेश हो कर वो बाहर आई और मेरा मुँह चूम कर वो बोली, “गंदे जीजू !”
और अपनी पूजा की थाली उठा कर वो घर को चली गई। मैं कितनी देर लेटा अपनी किस्मत पे इतराता रहा कि एक घर में तीन औरतें और तीनों मेरे लंड की दीवानी, तीनों को मैंने जी भर के चोदा।
अब अगली स्कीम क्या हो, क्या तीनों माँ बेटियाँ एक साथ…!!
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