चिरयौवना साली-23
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लेखिका : कमला भट्टी
धीरे धीरे उन्होंने अपनी अंगुली का एक पोरवा मेरी गाण्ड में घुसा दिया था और चूत चाटते चाटते उसको धीरे धीरे अन्दर-बाहर कर रहे थे। हालाँकि उनकी अंगुली मेरी गाण्ड के छल्ले में नहीं घुसी थी पर वे उसको रवां करके घुसाने की तैयारी में ही थे। मेरी गाण्ड का छिद्र इतना छोटा था कि उसमें उनकी पतली अंगुली भी बहुत सारी थूक की चिकनाई होने के बाद भी मुश्किल से घुस रही थी।
तभी मेरा पानी छूटा, मेरी मस्ती कम हुई और मुझे अनचाहे मेहमान का पता चला !
मैंने फटाक से अपना हाथ नीचे कर जीजाजी का हाथ झटक दिया और बोली- क्या करते हो? आपका इरादा क्या है? मुझे इस जगह छूना ही पसंद नहीं है।
वे बोले- यार, मैं तो तुम्हारा रास्ता चौड़ा कर रहा था, सॉरी !
मैंने जीजाजी को कहा- आप अपनी अंगुली गलत जगह मत डालो, मेरा सारा मूड ख़राब होता है, मुझे वहाँ बिल्कुल पसंद नहीं है !
जीजाजी ने अंगुली हटाते हुए बोले- यार, जो तुझे कब्जी रहती है न, मैं तो उसके लिए इस छेद को चौड़ा बना रहा था, मुझे कोई इसमें लण्ड थोड़े ही डालना है !
मैंने मुस्कुरा कर कहा- मेरी कब्जी की आप चिंता न करें, आप तो लण्ड वहीं डालें जहाँ उसे डालना है, और पहले मैं आपकी दी हुई गोली इस डर से नहीं लेती थी कि कहीं नींद की गोली देकर मुझे नींद में चोद दो और अब भी डर लगता है कि नींद या नशे की गोली देकर मेरी गाण्ड न फाड़ दो !
जीजाजी कुछ मायूसी से बोले- तुमने मुझे ऐसे समझा है क्या जो तुम्हें बेहोश कर कुछ करूँगा ! मुझे मालूम है तुझे गाण्ड मराने का शौक बिल्कुल नहीं है, वर्ना जैसे तुझे पहली बार जबरदस्ती चोदा था वैसे तेरी गाण्ड भी मार सकता हूँ !
मैंने कहा- आप चोद तो सके थे जब मेरी भी सहमति बनी थी तब ! पर आप जबरदस्ती गाण्ड नहीं मार सकते, यह मैं आपको दावे के साथ कह सकती हूँ !
जीजाजी बोले- यार, तू मेरी प्रेमिका या साली ही सही थी, देख आज बीवी बनते ही सुहागरात के दिन ही अपनी बहस हो रही है ! अब इस विषय को बंद करो और अपनी सुहागरात में ध्यान लगाओ !
मैंने कहा- मैं तो तैयार हूँ, आप शुरू तो करें !
मेरे पूरे शरीर पर कोई कपड़ा नहीं था क्योंकि जीजाजी ने चूत चाटते चाटते कम्बल हटा दिया था, पर मैंने अपना मुँह उनकी लुंगी, जो इस धींगा मस्ती में उतर गई थी, उससे ढक रखा था। मुझे उसमें से हल्की हल्की झलक जीजाजी की दिखाई दे रही थी।
मेरी दोनों टांगें छत की तरफ ऊँची की हुई थी, जीजाजी ने अपनी चड्डी उतार दी थी, मुझे उनके उठे हुए सांवले लण्ड की एक झलक मिल गई थी और अब मुझे पता चल गया कि अब मेरी सुहागरात चालू होने ही वाली है। मैं भी मन ही मन कई दिनों के बाद चुदने के लिए तैयार हो रही थी क्यूंकि 20-25 दिन बिना चुदे निकलते ही मेरी चूत चिपक जाती है, थोड़ी देर मुझे दर्द होता है और जीजाजी को या मेरे पति को ऐसा लगता है जैसे वो नई नवेली दुल्हन की सील तोड़ रहे हैं, ऐसा उन्होंने मुझे कई बार बताया था !
इसलिए जब वे कई दिनों के बाद चुदाई शुरू करते तो थोड़ी देर सावधानी से चोदते और मुझे भी थोड़ी देर दर्द होता है !
अब जीजाजी अपने लण्ड के सुपारे पर पास में पड़ी पोंड्स की छोटी डिब्बी से क्रीम निकाल कर लगा रहे थे। और वो यूँ हुआ कि एक बार फोन करते करते जीजाजी ने एक चुटकुला सुनाया था- टीचर ने बच्चों से पूछा कि अंग्रेजों के बच्चे गोरे और हिन्दुस्तानियों के बच्चे काले क्यों होते हैं? तो बच्चे ने जबाब दिया था कि अँगरेज़ चोदते वक़्त लण्ड पर पोंड्स क्रीम लगाते हैं और हिन्दुस्तानी सरसों का तेल लगा कर चोदते हैं !
यह सुनकर मुझे बहुत हंसी आई थी। तब जीजाजी ने कहा था- अब जब भी हम होटल में रुकेंगे, तब मैं पोंड्स क्रीम की छोटी डब्बी लूँगा और वो लगा कर तुम्हें चोदूँगा। मैंने भी हंस कर हाँ कर दी थी और आज वे पोंडस लगा रहे थे चुदाई के लिए। अपने लण्ड के सुपारे पर लगा कर मेरी चूत के छेद में भी क्रीम भर रहे थे जो मुझे ठंडी ठंडी अजीब लग रही थी !
अच्छी तरह अंगुली से चूत के अन्दर लगाने के बाद उन्होंने अपना सुपारा मेरे चूत पर टिकाया जो मुझे गर्म गर्म अच्छा लगा। मुझे मालूम है वे पहले मुझे बिना कंडोम ही चोदते हैं फिर कंडोम लगाते हैं।
वे घुटनों के बल बैठे हुए थे, सुपारा टिका कर अपना एक हाथ मेरे निरावृत वक्ष पर रख दिया, उसे धीरे धीरे सहलाने लगे और अपनी कमर को हल्की सी थिरकन दी तो उनका सुपारा मेरी चूत में फिसल गया, भले ही कितनी भी चिकनी हो तो भी मेरे चूत से हल्की सी टीस उठी और मेरे मुँह से कराह निकल गई- आआआअ……ह्ह्ह्हह…
जवाब में उन्होंने मुँह से पुचकारा, एक हाथ से लगातार वक्ष सहलाते सहलाते दूसरे हाथ से लुंगी के ऊपर से मेरे गालों पर सांत्वना रूपी हाथ फेरा, थोड़ी देर रुके रहे सिर्फ अपने लण्ड को तना और ढीला कर रहे थे, यानि बिना कमर हिलाए अन्दर झटके दे रहे थे। फिर मेरी भी चूत ने इस कई दिन बाद आये इस पुराने जाने-पहचाने मेहमान का स्वागत संकुचन से किया और मेरी चूत भी मेरे काबू से बाहर होकर अपने आप जीजाजी के लण्ड को पकड़ और छोड़ रही थी !
30-32 साल से सेक्स कर रहे और सेक्स के अनुभवी जीजाजी ने सिगनल समझ लिए और वक्ष को और मेरे कंधे को पकड़ कर जोर से धक्का मार दिया। उनका लण्ड सारी रूकावटों को हटाता हुआ जड़ तक मेरी चूत में धंस गया। संकुचन की मस्ती मेरी चूत पर भारी पड़ गई थी, मुझे तो कराहने का भी मौका नहीं मिला था और अब जीजाजी मेरी दोनों टांगों को कंधे पर लेकर एक्सप्रेस ट्रेन बन गए थे। शायद उनको मेरे पीहर वाली बात याद आ गई थी और बड़े बेदर्द तरीके से पूरा लण्ड बाहर निकल कर एक झटके में वापिस डाल रहे थे, रगड़ और लण्ड चूत की गर्मी से सारी पोंड्स क्रीम तेल जैसी हो गई थी ! मुझे वास्तव में दर्द हो रहा था, अभी तक उनका लण्ड मेरी चूत में एडजस्ट नहीं हुआ था और वो दनादन धक्के पर धक्के मार रहे थे। मेरे मुँह से दर्द भरी कराहें निकल रही थी- आआ….ह्ह्ह्ह,ऊऊऊ ….ह्ह्ह, अरीईईईए, हाय ऊऊऊऊ, धीरे ईईईई, धीरे धीरे धीरे !
पर वो उन कराहों को मेरी मादक आहें समझ रहे थे !
उनकी कमर बिजली की रफ़्तार से चल रही थी और मुझे अन्दर उनके लण्ड से लग रही थी। आखिर मैं चिल्ला पड़ी- क्या करते हो? जब तक मैं आप पर चिल्लाऊँ नहीं, तब तक आप रुकोगे ही नहीं, मारोगे क्या? चोद रहे हो या कोई बदला चुका रहे हो?
मेरे इस प्रकार रूआँसी आवाज़ में चिल्लाते ही जीजाजी जड़वत हो गए, लण्ड तो आधा चूत में ही रखा, पर धक्के मारने बंद कर दिए। मेरी टांगों को कंधे से उतार कर कमर पर कर दी और मेरे चेहरे से लुंगी हटाई, मेरा चेहरा लाल हो रहा था, आँखों से आंसू निकल रहे थे !
मेरी यह हालत देख कर उन्हें अपनी गलती समझ आ गई कि मेरी चूत कई दिनों बाद काफी देर में चुदाई के लिए एडजस्ट होती है।
बोले- सॉरी यार, मैंने सोचा तुम्हें मज़ा आ रहा है, मुझे क्या पता तुम दर्द से कराह रही हो और तुम्हें मुझे पहले ही कह देना था।
मैंने कहा- मुझे साँस लेने का मौका ही नहीं दिया आपने, कब कहती?
फिर उन्होंने अपनी लुंगी को उठा कर दूर फेंकी और बोले- एक तो साली को न जाने कितनी शर्म आती है, अपना मुँह ढक लेती है। मैंने यह शर्म हटाने के लिए ही तो होटल में नंगा रहना चालू करवाया था और फिर से चुदाते हुए मुँह ढक रही है? क्या मतलब? मुँह ढके होने से मुझे तेरे दर्द का पता ही नहीं चला, नहीं तो मैं पहले ही रुक जाता !
फिर थोड़ी देर वे मेरे गालों के आँसू पौंछने लगे, मेरे वक्ष मसलने लगे, गालों पर चुम्बन दिए। थोड़ी देर के लिए मेरे साँस आने की जगह रख कर होंट भी चूसे।
अब मुझे फिर से मज़ा आने लग गया था इसलिए मैं नीचे से थोड़ा-ऊपर नीचे हो रही थी तो वो समझ गए और उन्होंने धीरे धीरे धक्के मारने शुरू कर दिए !
अब धीरे धीरे उनका लण्ड मेरी चूत में एडजस्ट हो गया था इसलिए उनके धक्कों की रफ़्तार भी बढ़ गई थी और अब मेरी मादक कराहें निकलने लगी थी !
और मैं आआह्हह्ह, जिजूऊउ, मज़ा आ रहाआ हीईईए, अभी मेरी चूत फाड़ देते अगर मैं नहीं रोकती तो फिर किस को चोदते? आराम से चोदो जानी, कोई किराये की थोड़े ही है, तुम्हारी अपनी साली की है, आधी घरवाली की है, तुम्हारे सारी जिंदगी काम आएगी, इस साईकिल को सीट पर बैठ कर चलाओ क्यों डंडे पर बैठ कर मचका रहे थे, चेन उतार जाती कुत्ते छिटक जाते, तुम्हारी ही साइकिल ख़राब होती ना !
फिर मैंने मस्ती में गालियाँ निकालनी शुरू कर दी- मादरचोद… मेरे पीहर में ही आ जाता है लण्ड हाथ में लेकर ! अरे जगह तो देखा कर ! हर जगह कैसे मैं तेरे नीचे टांगें उठाकर बिछ सकती हूँ? इतना कितना उठता है तेरा बुढ़ापे में बूढ़े… अभी तो मादरचोद मुझे रुला रहा था अब चोद मुझे कूद कूद कर ! अब मैं तुमसे हारने वाली नहीं हूँ !
ऐसी कई अनर्गल बातें मेरे मुँह से निकल रही थी और जीजाजी को भी मस्ती आ गई थी, वे भी मुझे गालियाँ दे रहे थे- मादरचोद तेरी माँ को चोदूँ, मुझे गाली निकाल रही है? मैं चोद चोद कर तेरी गाण्ड फ़ाड़ दूँगा, अभी रुक तेरी मस्ती उतर जाने दे, फिर कहेगी कि अब छोड़ दो, मेरा छुट गया है, मेरे दुःख रहा है, और मैं तुझे चोदता ही रहूँगा ! साली अपने पीहर में अपना पानी निकालने के लिए तो मैक्सी ऊँची कर चूत दिखा दी और जब मेरा पानी निकलने की बारी आई तो मुझे गेट आउट कर दिया? अब देख मैं कैसे तेरे बारह बजाता हूँ !
मुझे जीजाजी के स्टेमिना के बारे में पता था और अब मुझे उन्हें फिर से राज़ी करना था इसलिए मैंने कहा- वहाँ पता चल जाता तो आज हम यहाँ सुहागरात नहीं मना पाते। मेरे राजा, मेरे जानू मेरे जीजू, आप तो मेरी जान हो !
तब थोड़ा जीजाजी खुश हुए और मैंने सोचा- चलो बला टली !
मैंने देखा है कि औरत थोड़ा खुश हो कर बोल दे, अपना दुःख आदमी को बता दे तो आदमी खुश हो जाता है।
फिर वे धक्के मारते मारते बोले- अपनी जान को ज्यादा दुःख नहीं दूँगा, मेरी ही चीज है, इसे ख़राब थोड़े ही करूँगा ! तुम बताओ मेरे से बुढ़ा जाने तक चुदवाओगी?
मैंने कहा- मरते दम तक !
वो यह सुनकर खुश हो गए। अब तक मेरे भी दो बार पानी आ चुका था, मैंने उन्हें कहा तो उन्होंने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया और मेरे बराबर में सीधे लेट गए। उनका लण्ड सीधा खड़ा था, वो मुझसे बाते करने और मुझे सहलाने लग गए थे !
उनके हाथों में जादू था, वे मेरे चूत के दाने को सहला रहे थे और मेरी सांसें फिर से तेज़ हो गई थी। मैंने आज पहली बार उनके कहे बिना उनका लण्ड पकड़ा और उसे ऊपर-नीचे करने लगी !
मैंने उसे गौर से देखा, कुछ तिरछा था, उनके सुपारे की चमड़ी भी पूरी तरह से पीछे नहीं हो रही थी और 5 इंच का होगा, मेरे पति से तो पतला भी था और छोटा भी था। पर वो जब चोदता था तो मेरी नानी याद आ जाती थी और मुझे आनन्द बहुत देता था जबकि मेरे पति से मुझे आनन्द कभी कभी ही आता था। एक तो उनके लण्ड से मेरे अन्दर लगती थी और एक उनके 5 मिनट में पानी निकल जाता था इसलिए जब मेरा आने की तैयारी में होता तब तक वे रुक जाते। हालाँकि वे भी एक रात में 3-4 बार चोदते पर उनके राऊँड 5-7 मिनट के होते और वो मुझे बिना गर्म किये ही शुरू हो जाते इसलिए मुझे कभी कभी ही मज़ा आता था !
जीजाजी मेरी चूत चाट कर शुरू होते थे इसलिए मैं तैयार रहती थी और मेरा ओर्गाज्म भी 1-2 मिनट का होता है इसलिए जीजाजी अपने स्टेमिना के कारण पूरा ओर्गाज्म कराते हैं इसलिए मुझे प्यारे लगते हैं।
मेरे थोड़ी देर मुठ्ठी देने पर जीजाजी बोले- तेरे हाथ दुःख जायें तो भी ऐसे नहीं निकलेगा। यह तो चूत में जायेगा तब ही पानी छोड़ेगा ! तेरी दीदी जब माहवारी में होती है तो उसके बारी बारी से दोनों हाथ दुखने लग जाते थे और कभी कभी मुँह भी !
मैंने पूछा- दीदी मुँह में भी लेती हैं?
जीजाजी बोले- ज्यादा जोर देने पर थोड़ी देर के लिए !
मैंने कहा- छीः… अब दीदी के साथ खाना नहीं खाऊँगी।जीजाजी बोले- अरे, कोई महीनो में एक-दो बार लेती है यार ! हर वक्त उसके मुँह में मेरा लण्ड थोड़े ही रहता है? चलो अब तुम घोड़ी बन जाओ !
मैंने घोड़ी बनते बनते कहा- सुहागरात के दिन कोई दुल्हन घोड़ी थोड़े ही बनती है, इस दिन तो शर्म रखो !
जीजाजी बोले- शादी की सुहागरात आज है पर डेटिंग पर मैं पहले ही दुल्हन को ले गया था और घोड़ी भी बना दी थी ! मुझसे सेक्स में संतुष्ट होकर ही दुल्हन ने मुझसे शादी की है !
वो मेरे पीछे आ गए, मैंने कहा- जानू अब तुम अपना पानी निकाल लेना, फिर रात को ही करेंगे। अभी शाम को खाना खाने नीचे होटल में जाना पड़ेगा और ज्यादा चुदाई से मेरी चाल ही बदल जाएगी !
जीजाजी ने सहमति से अपना सर हिला दिया और मेरे पीछे से मेरी चूत का छेद टटोल कर अपना लण्ड फंसा दिया और हौले हौले हिलने लगे। यह मेरी डांट का असर था अब जबकि मेरी चूत रवां हो गई थी, वे धीरे धीरे ही चोद रहे थे।
मैंने अपन सर बिस्तर पर टिका लिया था और धक्के खा रही थी। हर धक्के में मेरे छोटे छोटे स्तन झूल जाते थे जिन्हें कभी कभी जीजाजी थाम कर सहला रहे थे, बाकी तो हर वक़्त उनके हाथ में मेरी पतली कमर ही रहती है जिसे वे जब भी धक्का मारते तब अपनी तरफ खींचते।
कमरे में फच फच की आवाज़े गूंज रही थी जो उस माहौल को और मादक बना रही थी, फिर से मेरा पानी छुट गया था !
जीजाजी ने मुझे फिर से सीधा लिटा दिया, कंडोम पहन लिया और मेरी टांगें सीधे रख कर ऊपर लेट गए। मेरे पैरों में पैर फंसा कर मेरे चूत में थोड़ा थूक लगा कर अपना लण्ड सरका दिया और कूद कूद कर मुझे चोदने लगे !
अब फच फच के साथ हमारी जांघों के टकराने की आवाज़ भी गूंजने लगी और मैं भी मस्ती में बड़बड़ा रही थी। जीजाजी भी कुछ बड़बड़ा रहे थे तो मुझे पता चल गया कि अब मंजिल करीब है, मुझे भी अपनी मंजिल पानी थी इसलिए मैं भी नीचे से उछल रही थी, मेरा फिर से पानी छुट गया, जीजाजी ने भी झटका खाया और उनकी कमर धीरे चलने लगी कंडोम की वजह से मुझे पानी आने का तो पता नहीं चला पर मुझे महसूस हो गया कि उनकी बन्दुक छुट चुकी है, अब बस पूरा पानी निकाल रहे हैं।
फिर वे हटे, मैं वैसे ही पड़ी रही। उन्होंने कंडोम को गांठ बांध कर दराज़ में रखा, पेशाब करके आये नंगे ही ! अब उनका लण्ड छोटा होकर झूल रहा था।
फिर उन्होंने मुझे सहारा देकर उठाया और बाथरूम तक छोड़ कर आये। मैंने भी गर्म पानी से चूत धोई, पेशाब किया और नंगी ही कमरे में पलंग पर जीजाजी के पास आ गई। उन्होंने कम्बल ओढ़ लिया था, मैं भी उनके कम्बल में घुस गई !
कहानी जारी रहेगी।
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