चिरयौवना साली-21

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लेखिका : कमला भट्टी

मेरे गाँव से थोड़ी दूर कोई 10-12 किलोमीटर पर देवी का मंदिर है और सबका वहाँ जाने का कार्यक्रम बन गया।

हम सब वहाँ गए, देवी के दर्शन किये। वहाँ कुमकुम था, उससे जीजाजी सबके टीका लगा रहे थे और जब सब उस मंदिर से बाहर निकल रहे थे और मैं आँखें बंद कर प्रार्थना कर रही थी, जीजाजी ने सबकी नज़र बच कर उस कुमकुम से मेरी मांग भर दी।

मैं चौंक पड़ी, मैंने कहा- यह क्या कर रहे हो?

तो वे बोले- आज देवी माँ के सामने तेरी मांग भर दी है, इसलिए तुम भी मेरी पत्नी हो, अब मेरे और तुम्हारे मन में कोई अपराधबोध नहीं रहेगा !

मैं बोली- ऐसे मांग भरने से कोई पत्नी थोड़े ही होती है, और मैं पहले से किसी की पत्नी हूँ !

तो वे बोले- इसे गन्धर्व विवाह कहते हैं और द्रौपदी 5 पतियों की पत्नी थी तो तुम क्या दो की नहीं हो सकती?

मैंने हंस कर उनकी दलील को ख़ारिज कर दिया और कहा- शादी आज कर रहे हो और सुहागरात पहले ही मना ली?

तो वे बोले- इस शादी की सुहागरात तो अब मनेगी ! बोलो, मुँह दिखाई में क्या दूँ?

मैंने कहा- अब क्या मुँह दिखाई? आपने मुँह क्या, सब कुछ ही देख लिया है।

और ऐसी बातें करते करते हम मंदिर की सीढ़ियाँ उतर कर गाड़ी के पास आ गए, फिर सब वहाँ से चल पड़े।

रास्ते में वो ड्राइवर कुछ ज्यादा ही बोल रहा था, मैंने उसका नाम कुछ अजीब से बोला तो उसने कहा- मेरा नाम निसार है।

तो मैंने एक चुटकुला कहा- निसार पैदा कैसे हुआ?

तो निसार शरारत से बोला- जवानी जानेमन, हसीं दिलरुबा, मिले जो दिल जवान निसार हो गया !

मैंने उसे डाँटा तो वो कुढ़ कर रह गया।

जीजाजी ने उसे कहा- तू चिढ़ मत, यह तेरे से बड़ी है।

तो वो बोला- मेरे से कहाँ बड़ी? मैं 25 साल का हूँ।

तो जीजाजी बोले- अरे यह 30 साल की है।

मैं वैसे लगती नहीं हूँ तो बेमन से वो यह बात माना कि मैं उससे 5 साल बड़ी हूँ !

मेरा पीहर आया, वहाँ मैं और मेरा भाई उतर गए। वो गाड़ी कहीं किराये पर जानी थी और वो लेट हो रही थी इसलिए जीजाजी और दोनों जीजियाँ और उनके बच्चे मुझे टाटा कर अपने गाँव चले गए।

मैं फिर से अपनी ड्यूटी पर जयपुर चली गई।

जीजाजी ने कहा था कि यह ड्राइवर भी तुझ पर मरने लगा है।

मैंने हंस कर बात टाल दी थी पर एक दिन उसका फोन आ गया और मुझसे पूछा- आप कहाँ हो?

मैंने उसकी आवाज़ पहचान ली और डांट कर पूछा- तूने मेरे मोबाईल पर काल क्यूं की?

तो वो घबरा कर बोला- मेरे इस फोन पर आपका मिस काल आया हुआ था, इसलिए मैंने फोन किया।

तो मैंने कहा- झूठ बोलता है? मेरे पास तेरा नंबर ही नहीं है, उस दिन तूने हाल में मेरे मोबाइल से अपने फोन में घंटी कर मेरा नंबर लिया था और आज तूने फोन कर दिया, तेरी इतनी हिम्मत हो गई !

मेरे इस प्रकार डांटने से वो घबरा गया क्यूंकि मैं सी बी आई की तरह सवाल कर रही थी।

वो घबरा कर बोला- मैं अभी के अभी आपका नंबर हटाता हूँ और आपको कभी काल नहीं करूँगा, आप प्लीज़ भाई साहब को मत कहना, वर्ना मेरी पिटाई हो जाएगी।

वो मेरे छोटे और बड़े दोनों जीजाजी से डर रहा था।

मैंने कहा- नहीं कहूँगी पर अब कभी काल मत करना !

और फिर उसका कभी काल नहीं आया और कभी जीजाजी की गाड़ी चलाते मिला तो भी उसकी आँखें कभी ऊपर नहीं उठी।

यह बात मैंने अपने बड़े वाले जीजाजी को कही तो वे बोले- उसकी पिटाई करनी पड़ेगी।

तो मैंने कह दिया मैंने उसको काफी डांट दिया है, अब अगर वो और काल करेगा तो मैं आपको बता दूँगी, आप फिर उसे पीटना, अभी तो उसने माफ़ी मांग ली है और कोई विशेष बात की नहीं।

तो जीजाजी सहमत हो गए ! अब उनकी बातें फिर से मेरे साथ सुहागरात मनाने पर आ गई थी और मैं उन्हें टाल रही थी कि अभी मेरी छुट्टी नहीं है।

फिर एक दिन मेरे नाक का लोंग बाथरूम में मेरे पैर के नीचे आकर टूट गया, यह बात मैंने उन्हें कही तो वे बोले- मैं आज ही नया लोंग लेकर आ रहा हूँ जो तुम्हें सुहागरात पर मुँह दिखाई में दूँगा !

मैंने कहा- मैं दूसरा ले आई हूँ !

पर वे बार बार आने को कहने लगे तो मैंने कहा- मैं ऐसा करती हूँ, शादी में एक रात कहीं जाने का कह दूंगी मकान मालिक को और हम एक रात होटल में रुक जायेंगे। दूसरे दिन मैं वापिस अपने कमरे पर चली जाऊँगी।

जीजाजी मान गए और हमने होटल में रुकने की तारीख पक्का कर ली।

उस वक़्त प्रशासन गाँवों के संग चल रहा था और मुझे उसमें जाना जरूरी था इसलिए छुट्टी नहीं मिल रही थी। वहाँ एक तहसीलदार मिल गया जो मुझ पर मरने लगा और मुझे पटाने की कोशिश में बोला- आप बिल्कुल मेरे उदयपुर वाली गर्लफ्रेंड की तरह लगती हो।

मैंने सोचा, वो यहाँ कहाँ आ गई, मैंने मन में कहा कि बच्चू अब मैं टीनएजर नहीं हूँ जो तुम्हारी इन मीठी बातों में आ जाऊँ।

फिर कहने लगा- मेरी बचपन में शादी हो गई और मेरी पत्नी मुझे पसंद नहीं है।

तो मैंने कहा- अब तो आपको जिंदगी उसके साथ ही गुजारनी पड़ेगी !

फिर वो एस एम एस भेजने लगा मैंने उसके एस एम एस कभी पढ़े ही नहीं ! उसका कई बार फोन आता तो मैं पूछती- कौन बोल रहा है?

तो वो कहता- मेरे नंबर सेव नहीं है क्या?

तो मैं कहती- मुझे आपसे क्या काम है जो नंबर सेव करूँ?

तो वो कहता- कभी यहाँ आप मकान खरीदोगी तो उसकी रजिस्ट्री मैं ही करूँगा।

तो मैं कहती- मुझे मकान खरीदना ही नहीं है।

और वो मायूस हो जाता ! कभी कहता- आपके पति इतने कम पढ़े हैं और आप इतने पढ़े हैं तो आप खुश नहीं होंगे।

तो मैं कहती- मैं बहुत खुश हूँ और जो ईश्वर ने दिया है उसके लिए ईश्वर को शुक्रिया अदा करती हूँ, उसकी शिकायत किसी से नहीं करती।

तो वो कट कर रह जाता। फिर कई दिन फोन नहीं करता तथा फिर कई दिन बाद फोन करके कहता आपने मुझे इतने दिन याद ही नहीं किया तो मैं कह देती- मुझे किसी की याद नहीं आती !

और इस प्रकार धीरे धीरे उसे हतोत्साहित करके मैंने अपना पीछा छुड़ा लिया, वो भी समझ गया कि यहाँ दाल गलने वाली नहीं है।फिर एक दिन मैंने अपने मकान मालिक को और उनकी बहुओं को कहा- मुझे एक दिन के लिए सहेली के घर जाना है, उसके बच्चा हुआ है !

ऐसा कह कर मैंने जीजाजी को बता दिया कि अभी 25 दिसम्बर वाली छुट्टियों में आ जाओ जयपुर ! आपकी सुहागरात मनवा देती हूँ !

सुनकर जीजाजी बहुत खुश हो गए !

जीजाजी ने कई बार मुझे गुदामैथुन के वीडियो दिखाये जिसमें लड़के और लड़कियाँ दोनों ही गुदामैथुन करवाते पर मुझे वो बहुत बेकार लगते थे और मैं जीजाजी को उन्हें हटाने के लिए कहती थी !

जीजाजी कई लड़कों के साथ और पुरुषों के साथ गुदामैथुन कर चुके थे, ऐसा उन्होंने मुझे कई बार बताया पर मुझे इन बातों में कोई दिलचस्पी नहीं थी और मैं उन्हें इस काम के लिए सख्ती से मना कर देती थी।

कई बार वे कहते- जो तुम्हें यह कब्जी रहती है, एक बार गाण्ड मरा लो, सारी कब्जी निकल जाएगी।

पर मैं कहती- मुझे अपनी कब्जी नहीं निकलवानी ! आपको सिर्फ मेरा एक ही छेद मिलेगा जो प्राकृतिक रूप से सही है और जो आप बार बार गाण्ड मराने की बात करते हो तो फिर मैं आपसे चुदवाना भी बंद कर दूंगी !

मेरा ऐसा रौद्र रूप देख कर फिर वो चुप हो जाते पर मुझे पता था कि उनके मन से मेरी गाण्ड मारना नहीं निकला है। इसलिए मैं चुदाते वक़्त सावधान रहती हूँ और उनका सुपारा मेरे गुदा द्वार के पास ठिठकता है तो मैं फटाक से कह देती हूँ- थोड़ा ऊपर !

और सावधानीवश मैं खुद उसे पकड़ कर चूत के छेद में फंसा देती हूँ, क्या पता मेरी जान निकाल दे तो !

कई बार वो कहते हैं तो मैं कहती हूँ- आप गाण्ड मरवा कर मुझे बताओ कि आपको कितना मज़ा आया।

तो वो कहते- तू मेरी गाण्ड अपने बोबों से मारेगी क्या ! वे भी छोटे छोटे हैं !तो मैं कहती- आप किसी दूसरे आदमी से गाण्ड मरवा कर दिखा दो ! फिर मैं मरवाने की सोचूंगी, नहीं तो ऐसा करो कि प्लास्टिक का झाड़ू ले आओ, उसका पीछे का हत्था मैं आपकी गाण्ड में फंसा देती हूँ फिर मुझे बताना कि कितना मज़ा आया !

तो जीजाजी चुप हो जाते और कहते- मुझे मराने का नहीं मारने का शौक है !

तो मैं कहती- मुझे भी गाण्ड मराने का नहीं सिर्फ चुदवाने का ही शौक है, मेरे पति ने इन 15 सालो में 150 बार कहा होगा पर मैंने उनकी बात भी नहीं मानी और न कभी मानूँगी इसलिए जब मैं आपके साथ होटल में होती हूँ तो दर्द की गोली भी डर डर के लेती हूँ, कहीं नींद की या बेहोशी की ना दे दें और फिर मेरी गाण्ड मार लें !

तो वो बोले- ऐसा मैं कभी नहीं करूँगा, तेरा मन होगा तो ही करूँगा, तुम चिंता मत करो, मुझे मालूम है कि तेरी मर्ज़ी के बगैर कुछ किया तो तू जिंदगी भर मेरे हाथ नहीं आएगी और मैं तुझे खोना नहीं चाहता !

मैंने कहा- तब ठीक है, ज़िन्दगी में कभी मुझे लण्ड चूसने और गाण्ड मराने का मत कहना !

जीजाजी इस बात के लिए सहमत हो गए !

फिर मैंने उन्हें कहा- 28 तारिख को जयपुर आकर होटल में कमरा ले लो।

तो वे बोले- तू एकदम चिकनी बन कर आना, मेहंदी भी लगी होनी चाहिए !

तो मैंने कहा- आप अपना रेज़र ब्लेड लेकर आना, मैं होटल में ही सफाई कर लूँगी और वहीं नहाऊँगी।

वो बोले- ठीक है !

जीजाजी ने मुझे बस स्टैण्ड पर मिलना था तो नियत समय पर मैं बस स्टैण्ड आने के लिए गाड़ी में बैठी तो उस गाड़ी में मेरी बारहवीं में प्रिंसीपल रही मैडम मिल गई जो अब जिला शिक्षा अधिकारी बन गई थी। उसने मुझे पहचान लिया था। मैंने भी जीजाजी को बस स्टाइण्ड आने के लिए मना कर दिया और कहा- इस मैडम के जाने के बाद मैं सिटीबस में बैठकर उस होटल के पास आ जाऊँगी। नहीं तो यह मेरे साथ होगी और आपका क्या परिचय दूँगी !

जीजाजी ने कहा- ठीक है, मैं होटल के बाहर सड़क पर तेरा इंतजार कर रहा हूँ !

पर वो मैडम पास के रेस्तराँ में मुझे जूस पिलाने ले गई। जीजाजी इंतजार में बार बार फोन कर रहे थे और मैं उन्हें 5 मिनट, 5 मिनट कर रही थी !

मैडम ने पूछा- किसका फोन आ रहा है? मैंने कहा- मेरी सहेली का ! वो मेरा इंतजार कर रही है।

फिर मैं जूस पीकर सिटी बस में बैठी ! मैंने साड़ी पर काला रेग्जीन का कोट पहन रखा था और उस काले कोट में मेरा बिना नहाई हुई का भी गोरा चेहरा चमक रहा था।

यह मुझे बाद में जीजाजी ने बताया था !

तब तक सिटी बस में उनके 3-4 फोन आ गए। मैं पहुँची तो वे सड़क पर लेफ्ट-राईट कर रहे थे।

आखिर मैं सिटी बस से उतरी और वो मुझे होटल की ओर ले गये।

कहानी जारी रहेगी।

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