बेशर्म साली-3
(Besharam Saali- Part 3)
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_left बेशर्म साली-2
-
keyboard_arrow_right बेशर्म साली-4
-
View all stories in series
मैंने हँसते हुए कहा- बात यह है रेखा कि तुझे दूसरों की तरह विधाता ने नहीं गढ़ा… उसने जब तुझे बनाने का टाइम आया तो जनाब ने कामदेव को यह कार्य सौंप दिया… कामदेव ने अपनी पूरी कलाकारी तेरे में भर डाली… हुस्न और सेक्स से भरपूर एक कन्या का निर्माण किया जो बड़ी होकर रेखा रानी कहलायी… यह है तेरी जनम की दास्तान.’
शर्म से रेखा का गोरा बदन सुर्ख हो गया, वो भर्रायी सी आवाज़ में बोली- आप बड़े वो हैं… जाइए मैं नहीं आपसे बात करती.
कह के उसने पलटी खायी और दोनों बाँहों के बीच में सिर घुसा कर उलटी होकर लेट गई.
मेरी ऊपर की साँस ऊपर और नीचे की नीचे रह गई. उसकी मलाई जैसी पीठ, मस्त गोल गोल चूतड़ और सांचे में ढली हुई टाँगें. सुन्दर सी एड़ियां और गुलाबी मुलायम तलवे. ऐसा लगा कि दिल की धड़कन रुक गयी हो. लौड़ा उछल उछल के अलग से पागल किये दे रहा था. उसकी चड्डी के पीछे का भाग इकठ्ठा सा होकर दोनों नितम्बों के बीच आ गया था जिसके कारण दोनों चूतड़ पूरे के पूरे अच्छे से दिख रहे थे.
उस मोहक, मादक दृश्य को निहारते हुए मैंने जल्दी जल्दी अपने कपडे उतार दिए. लौड़ा हरामी पूरे ज़ोरों से तन्नाया हुआ था, काफी देर से पैंट की क़ैद में फंसकर अकड़ा हुआ था और काफी परेशान था. बिस्तर पर चढ़ कर मैंने धीमे से अपनी जीभ रेखा की पीठ पर फिराई, और मेरा एक हाथ उसके चूतड़ों पर जाकर उनको सहलाने लगा. जब पिछली शाम यह चूतड़ फोटो सेशन में सहलाए थे तो यह नहीं मालूम था कि ये इतने नायाब निकलेंगे. सचमुच यह जवानी किसी शायर का ख्वाब का सत्य हो जाने समान थी.
मैंने उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और उसके दोनों तरफ घुटनो के बल बैठ कर पीछे से हाथ डाल कर चूचे पकड़ लिए, हौले हौले से उनको सहलाया. बहनचोद काफी बड़े संतरे जैसे चूचे थे हरामज़ादी के. अभी तो उनका दर्शन करना शेष था. बिना देखे ही दबाने में जब इतना मज़ा आया तो देख के क्या हाल होगा. वाकई में यह कुतिया तो महा मर्दमार आइटम थी.
जैसे ही मेरे हाथ उसके मम्मों पर लगे एक तेज़ कंपकंपी उसके बदन में आयी. उसके मुंह से ऊँऊँऊँऊँऊँ… ऊँऊँऊँऊँ की ध्वनि निकली- ‘क्या करते हैं… प्लीज़ तंग न करिये ना.’
मैंने झुक कर उसकी रेशमी पीठ पर रीढ़ की हड्डी पर जीभ फिराई. नीचे से ऊपर तक, ऊपर से नीचे तक. मुंह में रेखा जैसे पके हुए फल का स्वाद लूटने के लिए लार टपके जा रही थी इसलिए जीभ बहुत गीली थी. रेखा ने सिसकारियाँ लेनी शुरू कर दीं. वह अपना सिर दाएं बाएं हिला रही थी जिससे उसके लम्बे बाल इधर उधर झटक रहे थे. धीरे धीरे पूरी पीठ पर जीभ घुमानी शुरू कर दी. रेखा तड़प रही थी, आअह आअह आह आह कर रही थी.
मैं सोच रहा था कि जब साली बेहद गर्म हो जायगी तभी चूत में लंड दूंगा. जितनी तड़पेगी उतना ही चुदाई का आनन्द पाएगी मादरचोद रंडी.
पीछे से हाथ बढ़ाकर मैंने रेखा की चूचियां पकड़ के हल्के से दबायीं. रेखा चिहुंक उठी और आह आह आह करते हुए कांपने लगी. मैंने मम्मों को और ज़ोर से दबाया. रेखा ने और ज़ोरों से आहें भरीं. मैंने रंडी को उठाया और पलट कर सीधा कर दिया. फ़ौरन ही रेखा ने अपनी आँखों को दोनों बाँहों से ढक लिया. नंगी थी तो संभवतः शर्म लग रही होगी हरामज़ादी को. मैंने तसल्ली से उसके चूचुक पर निगाहें जमायीं. काफी बड़े संतरों जैसे गोल गोल गोल गोल चूचे थे. काली बड़ी बड़ी घुंडियां जिनके हल्के काले, काफी बड़े आकार के दायरे. बहनचोद निप्पल अकड़े हुए थे मानों कह रहे हों कि आओ मसल मसल के, कुचल कुचल के हमारी अकड़न दूर कर दो.
मैं रेखा के मुंह के पास लंड ले गया और उसकी बाँहों को आँखों पर से हटा कर बोला- हरामज़ादी रांड, ले इस लौड़े को देख… तेरी शान में मादरचोद तन्नाया हुआ है… जब से तुझे देखा है तब से यह कमीना अकड़ अकड़ के नाक में दम किये हुए है.
मैंने लौड़ा रेखा की नाक से लगा दिया. रेखा ने फ़ुनफ़ुनाते हुए लंड को देखा तो देखती रह गई. सुपारा फूल के कुप्पा था. लाल सुर्ख हो रहा था. लंड की नसें अकड़न से उभरी हुई थीं और अंडे सख्त हो रहे थे. लौड़ा बार बार तुनक रहा था.
रेखा ने लंड को गहरी गहरी साँसें लेते हुए अच्छे से सूंघा, सुपारी की खाल पीछे करके अपने गालों पर फिराया, फिर जीभ निकाल के सुपारी का स्वाद चखा. फिर अचानक से उसने लंड को जड़ से पकड़ लिया और उस पर चुम्मियों की बरसात कर डाली.
मैं बोला- बेटीचोद वेश्या, आया पसंद तुझे यह लंड? कुतिया, अब से यही तेरा मालिक है माँ की लौड़ी… अब से तू इसकी गुलामी करेगी हरामज़ादी… समझ गयी ना.’
रेखा ने फंसी फंसी आवाज़ में कहा- बहुत सुन्दर है यह नाग… एकदम कोबरा जैसा… मैं तो हो गई इसकी गुलाम… मैं तो तुम्हारी गुलाम उस दिन ही हो गई थी जिस दिन तुम्हे पहली बार शादी में देखा था… लेकिन तुम इतनी गन्दी भाषा क्यों बोलते हो.
“सुन मादरचोद रंडी की औलाद… ये प्यार की भाषा है… सच बोल तुझे अच्छी लगी न मेरी गालियां? आज से मैं तुझे रेखा रानी कहा करूँगा… ठीक है न? और तू मुझे राजे कहा करेगी.”
“जब तुम्हारी गुलामी ही कर ली तो जो तुम कहो सब मंज़ूर है… राजे राजे राजे… अब वो पाठ भी तो पढ़वाओ जिसके लिए यहाँ लेकर आए थे.”
मैं हंसकर बोला- क्यों, बहुत बेसब्री हो रही चुदने की… रुक ज़रा सा पहले तुझे अपनी जीभ का करिश्मा तो दिखा दूँ.
जवाब में रेखा रानी ने सिर्फ मुंह से आह आह आह की.
मैंने रानी के कान के पीछे अपनी जीभ गीली करके फिराई तो रेखा रानी कसमसाई. मैंने उसके कान की लौ को चूसा और फिर जीभ कान के अंदर घुमाई. रेखारानी मस्ती में आकर ऊँ… ऊँ… .ऊँ… करने लगी.
उसका बदन अब बार बार कंपकंपाने लगा था. मैंने उसका मुखड़ा हाथों में लेकर उसके रसीले होंठ चूसे तो उसने भी आनन्दमग्न होकर चुम्मे में मेरा पूरा साथ दिया. उसने अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दी और उसके मुखरस का मज़ा लेते हुए मैं उसकी छोटी सी जीभ चूसने लगा
फिर मैंने उसकी चूचियाँ निचोड़नी शुरू कीं. पहले मैं हौले हौले निचोड़ रहा था. रानी ने आहें भरनी शुरू कर दीं.
उसने अपनी टांगें मेरी टांगों से कस के लपेट दीं. मैंने चूची अब थोड़ा ज़ोर से दबाईं. रेखा को और मज़ा आया और वो सिसकारियां भरने लगी. मैंने चूचियाँ निचोड़ते हुए रेखा रानी के पेट को चाटना आरंभ किया. पेट पर जीभ गीली कर मैं दाएं से बायें चाटता, एक सिरे से दूसरे सिरे तक. उस सिरे पर पहुंच कर फिर चाटता हुआ वापस आता. इस चटाई ने तो रानी को बौरा दिया और वो अजीब अजीब सी आवाज़ें ऐसे निकाल रही थी जैसे उसका गला भिंच गया हो. अब वो कामावेश से तीव्र रूप से ग्रस्त थी.
मैं अब चूचियों को पूरी ताक़त से दबा रहा था, साथ साथ रेखा रानी के पेट को चाटते हुए अब मैं उसकी उभरी हुई नाभि तक जा पहुंचा था. नाभि को मुंह में लेकर मैंने चूसना शुरू कर दिया. फिर क्या था मज़े से पागल होकर रानी ने टांगें छटपटानी शुरू कर दीं. मैंने अपने दोनों अंगूठे रानी की चूचुक में पूरी ताक़त से गाड़ दिये.
वो मस्ता के बार बार राजे राजे राजे पुकारने लगी, बोली- अब कितनी देर और इंतज़ार करवाओगे तुम? नीचे सारा जूस निकल गया… आहहह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… राजे राजे राजे… कमीने… हाय हाय हाय… किस ज़ालिम से फंसी मैं… ओ… ओ… ओ… ओ… हो.
आप से तुम और तुम से तू पर आ गयी थी रेखा रानी और एक गाली भी दी थी, हा हा हा आ गई हरामज़ादी लाइन पर.
मैं बोला- चुप रह कुतिया… अब पड़ी रह और मज़ा भोग… फालतू बक बक की तो हरामज़ादी की मां चोद दूंगा.
अब उसकी चूत पर ध्यान देने के इरादे से मैंने उसकी पैंटी से नाक लगा कर गहरी सांस लेते हुए सूंघा. चूत की विशेष सुगंध से मेरे नथुने भर गए. आआह आआह आआह… दुनिया की सबसे नशीली सुगंध होती है चूत की सुगंध. मैंने नाक और भीतर घुसाने के कोशिश की तो कुछ सख्त सख्त सा महसूस हुआ. रेखा रानी ने सैनिटरी पैड लगाया हुआ था. क्या रेखा रानी माहवारी में थी? लेकिन चूत से माहवारी वाली खास गंध तो नहीं आयी. मैंने फिर से अच्छे से सूंघा. नहीं, माहवारी वाली सुगंध नहीं थी. फिर क्यों लगाया इस कुतिया ने पैड?
इसका उत्तर तुरंत ही मिल गया. जब मैंने पैंटी उतारी तो पाया कि वो पैड पूरी तरह से सना हुआ था. यहाँ तक की पैंटी का भी कुछ भाग सना हुआ था. समझ में आ गया कि चूत का रस है. लेकिन बहुत गाढ़ा गाढ़ा.
इसके पहले मैंने सिर्फ नंदा रानी की चूत में गाढ़ा जूस देखा था. नंदा रानी के बारे में जानने के लिए कहानी पढ़ें
चंदा रानी की कुंवारी बहन की नथ
लेकिन रेखा रानी का जूस कोई सामान्य जूस नहीं था, यह तो शहद जैसा गाढ़ा था. यह कह लो कि मर्द के लौड़े के लावा जैसा. इसी लिए रांड ने सेनेटरी पैड लगाया हुआ था वर्ना साली की पैंटी और सलवार में पिच्च पिच्च हो जाती.
मैंने मस्त होकर उछलते हुए कहा- रेखा रानी… यार तेरी चूत का जूस नहीं है, मलाई है… क्रीम है… रुक ज़रा चख के देखता हूँ.
मैंने पैड को ही अच्छे से चाटा. मादक स्वाद से भेजा भन्ना गया, शरीर में चुदास की ज़ोरदार तरंगें अपना ज़ोर मारने लगीं. चिकना चिकना, बहुत ही तेज़ नशे में टुन्न कर देने वाली मलाई थी. मैंने पैंटी को भी सूंघ सूंघ के चाट डाला. रानी की चूत और गांड की सुगंधों से नाक और मलाई के ज़ायके से मुंह के मज़े लग गए. भयंकर उत्तेजना से अंडे भारीपन से भर गए.
“आह आह आह… रेखा रानी तू तो हरामज़ादी सच मच में मर्द मार क़ातिल है. बहनचोद ऐसा जूस, जिसके सेवन से आदमी की रूह फड़क उठे! माँ की लौड़ी इसको रस कहना तो सरासर ग़लत होगा… ये तो मधु कहलाना चाहिए.”
इतना बोल कर मैंने रेखा रानी के झांट प्रदेश को चाटना आरम्भ किया. झांटें पांच छह रोज़ पहले साफ की गई थीं. बाल थोड़े थोड़े उगे हुए थे, किन्तु यह दिख रहा था कि बहुत गहरे काले रंग के झांटों के रोयें हैं. इसके अलावा झांटों का प्रदेश भी काफी बड़ा था. रानी के मुंह से बेसाख्ता सिसकारियाँ निकल रही थीं.
रानी बार बार मेरा नाम पुकारे जा रही थी. अब मैंने रानी की चूत के होंठों पर ध्यान दिया. चूत के होंठ काफी बड़े थे और गुलाबी गुलाबी थे. देखते ही अब मुझ पे पागलपन छा गया. मैंने होंठ चौड़े किये तो पूरी तरह मलाई से भरी गुलाबी चूत के जो दर्शन हुए तो यारों मेरा क्या हाल हुआ मैं बता नहीं सकता.
बुर से रस फफक फफक कर बहे जा रहा था. चूत के होंठों के ऊपर उसके स्वर्ण रस का प्यारा छोटा सा छेद दिखा जो कि ढका हुआ था. स्वर्ण रस के छेद की खाल को ज़रा सा ऊपर खींच कर छेद को नंगा कर दिया और अपनी जीभ अकड़ा के ज़ोर से छेद पर टुकुर करके मारी.
बस क्या था रेखा रानी तो जैसे बिदक गई. इतनी ज़ोर से सीत्कारें भरीं कि मैं डर गया कि होटल वाले दूसरे यात्री शिकायत ना कर दें कि इस कमरे में बहुत चोदाई का शोर हो रहा है.
मैंने जीभ से बार ज़ोर ज़ोर से स्वर्ण रस के छेद पर प्रहार किये तो रानी दसियों बार झड़ी. गिड़गड़ाने लगी- राजे, अब तो बख्श दे अब इतना तो मज़ा भी बर्दाश्त नहीं हो रहा.
मैंने गुर्रा कर कहा- अच्छा… तो बिल्कुल भी सबर नहीं हो रहा हराम की चुदक्कड़ पैदाइश… चल तू भी क्या याद करेगी अब ठोक ही देता हूँ तेरी मलाई वाली चूत को… भोसड़ी वाली रांड, अब हो जा तैयार इस लौड़े को झेलने!
जीजा साली सेक्स की कहानी जारी रहेगी.
चूतेश
What did you think of this story??
Comments