यौनसुख से वंचित पाठिका से बने शारीरिक सम्बन्ध -4
(Yaun Sukh Se Vanchit Pathika Se Bane Sharirik Sambandh- Part 4)
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उसने मुझे बहुत ज़ोर से अपनी बाहों में कस लिया और हिचकियाँ लेकर रोने लगी, एक पल के लिए मेरे मन में आया कि शायद वो अभी मानसिक तौर पर इस सम्बन्ध के लिए तैयार नहीं है, मैंने अपनी पकड़ थोड़ी ढीली की पर उसने मुझे और ज़ोर से कस लिया।
तब मुझे महसूस हुआ कि वो ज़्यादा भावुक ही गई है तो मैं अपना एक हाथ उसके बालों में फ़िराना शुरू कर दिया और दूसरे हाथ से उसकी पीठ सहलाने लगा ताकि उसे थोड़ा सा भावनात्मक संबल मिल सके ।
मेडिकल प्रोफ़ेशन में होने के कारण मैं जानता हूँ किसी का मन रोने से बहुत जल्दी हल्का हो जाता है तो मैंने उसे चुप होने के लिए नहीं कहा, बस उसका सिर और पीठ सहलाता रहा।लगभग 5 मिनट रोने के बाद उसकी रुलाई कुछ कम हो गई, अब मैं उठा और उसकी रसोई में जाकर फ्रिज में से पानी निकाल कर लाया और उसके वाले गिलास में डाला और गिलास उसे होंठों से लगा दिया।
जब वो पानी पी चुकी तो मैंने गिलास उसके हाथ से लिया और टेबल पर रख दिया और उसका चेहरा अपने हाथों में लेकर उसके गालों पर से उसके आँसू चाटने शुरू कर दिए।
मेरे इस प्रकार उसके गालों पर जीभ से उसके आँसू चाटने से अब उसका ध्यान भटक कर भावनाओं से हट कर सेक्स की तरफ हो गया था।
मैं अभी भी अपनी जीभ उसके गालों पर फेर रहा था कि उसने अपने होंठों में मेरे होंठ भर लिए और चूसने लगी उसके इस हमले से मैं भी हैरान रह गया पर साथ ही समझ गया कि 6 साल का वक्त बहुत होता है।
मैंने भी उसके इस हमले का जवाब उसी के तरीके से दिया और अपनी जीभ उसके मुँह में धकेल दी और उसने भी पुरजोश से मेरी जीभ चूसनी शुरू कर दी।
मैंने उसके कंधे से उसे पकड़ कर थोड़ा पीछे किया और उठकर खड़ा हो गया और उसे बोला- आओ बेड रूम में चलते हैं।
वो उठ कर खड़ी हो गई और मैं उसके साथ ड्राइंग रूम से निकला। ड्राइंग रूम के बाईं तरफ एक सुसज्जित बेड रूम था, उस कमरे में घुसते ही मैंने दरवाज़ा बंद कर दिया और मंजरी ने ए सी चालू कर दिया।
मैंने पलट कर उसे बाहों में भर लिया और फिर से हमारे मुँह जुड़ गये कभी उसकी जीभ मेरे मुँह में जाती और कभी मेरी जीभ उसके मुँह में!
इसके साथ ही उसके हाथ मेरी बेल्ट पर पड़े, उसने मेरी बेल्ट खोल दी और पेंट के हुक खोलने की कोशिश कर रही थी। मैंने उसे थोड़ा सा पीछे किया और पैंट उतार दी और साथ ही उसकी कमीज़ भी उतार दी।
सफेद ब्रा में कसे हुए उसके स्तन एकदम गोरे जैसे मक्खन में सिंदूर मिलाया हो, उन्हें देखते ही मुझे नशा हो गया, मैंने उसके स्तनों को ब्रा के ऊपर से ही दबाना शुरू कर दिया और ऐसे ही लिपटे हुए हम दोनो पलंग तक पहुँचे।
पलंग पर पहले हम दोनों बैठे और फिर ऐसे ही लिपटे हुए हम लेट गये, उसका सिर मेरी बाँईं बाँह पर था और दाँये हाथ से मैं उसका स्तन मर्दन कर रहा था।
मेरे होंठ उसके चेहरे पर घूम रहे थे, कभी मैं उसके होंठ चूस रहा था तो कभी उसके गाल और कभी उसकी गर्दन पर जीभ से चाट रहा था।
मेरी इन हरकतों से वो पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी।
अचानक वो एक झटके से उठी और मुझे नीचे गिरा कर मुझ पर सवार हो गई, मेरी जांघों पर बैठ कर मेरी शर्ट के बटन खोलने लगी।मैंने उसे हटाया और अपनी शर्ट और बनियान उतार दी।
मैंने देर ना करते हुए अपनी पगड़ी भी उतार दी।
मैंने जल्दी से उसकी सलवार भी उतार दी और ब्रा की हुकें भी खोल दीं।
अब मेरे शरीर पर अंडरवियर था और उसके शरीर पर केवल पेंटी उसके स्तनों पर ब्रा का निशान बना हुआ था और जो हिस्सा ब्रा के अंदर रहने वाला था वो गोरे शरीर पर भी और ज़्यादा गोरा था। उसके निप्पल मूँगफली के दाने के बराबर थे और एकदम गुलाबी रंग के थे, और उनके गिर्द एरोला भी हल्के गुलाबी के थे।
इतने सुंदर स्तन ! उन्हें देखकर मैं मंत्र मुग्ध सा उन्हें देखता ही रह गया।
मैं ज़्यादा देर ना करते हुए उसके बाँयें स्तन को मुँह में भर लिया और चूसने लगा और दाँयें स्तन हो कभी पूरा हथेली में भर कर मसलता और कभी उसके निप्पल को उंगली और अंगूठे में लेकर मसलता।
मंजरी से अपनी उत्तेजना बर्दाश्त नहीं हो पा रही थी, वो मुझे पकड़ कर अपने ऊपर खींच रही थी, एक हाथ मेरे सिर में फेर रही थी और दूसरा हाथ मेरे अंडरवियर में घुसा कर मेरे चूतड़ों को मसल रही थी, मुझे अपनी तरफ पूरे ज़ोर से खींच रही थी।
मैं समझ गया कि इससे अपनी कामाग्नि सहन नहीं हो पा रही।
मुझे भी सहवास करे हुए कई महीने हो चुके थे इसलिए मैं सोच रहा था कि अगर मैंने जल्दबाज़ी दिखाई तो मैं पहले स्खलित हो जाऊँगा, इसलिए मैं चाहता था कि मैं उसे इतना उत्तेजित कर दूं कि मेरा पहला प्रभाव उस पर सकारात्मक रहे और आगे भी मैं उसके साथ सम्बन्ध बनाए रख सकूँ क्योंकि मेरे अंदर का स्वार्थ जाग उठा था।
मैंने अपने को पूरी तरह संयत करते हुए एक लंबी साँस भरी, मन को एकाग्र किया (क्योंकि मैं नियमित तौर पर योग करता हूँ और सिखाता भी हूँ) मैंने उसे प्यार से हटाया और कहा- एक मिनट रूको, पेशाब कर लूँ!
और उसे यह बोल कर मैं बेडरूम से अटैच बाथरूम में घुस गया क्योंकि लिंग बहुत अधिक तनाव में था इसलिए पेशाब आने में ही दो मिनट लग गये और पेशाब करके मैंने अपने लिंग को वॉश बेसिन में पानी से धो लिया तो उत्तेजना कुछ नियंत्रित हो गई थी।
अब मैं वापस उसके पास आया तो वो अपने स्तन अपने ही हाथों से सहला रही थी मैंने उसके पास पहुँच कर सबसे पहले उसकी पेंटी उतार दी और अपना अंडरवियर भी उतार दिया।
मैंने पुन: अपनी क्रियाएँ उसके स्तनों से शुरू कर दी, दोनों स्तनों को बारी बारी से चूसना शुरू कर दिया और फिर धीरे धीरे मैं छाती कमर और पेट को कभी चूसता और कभी हल्के दाँतों से काट लेता।
इसी तरह से मैं उसकी जांघों तक पहुँच गया।
मंजरी अपनी उत्तेजना के मारे बहुत बुरी तरह से मचल रही थी और रह रह कर उसके मुँह से आआअह्ह ह्ह्ह्ह… सीईई ईईईई… की आवाज़ निकल जाती थी।
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अब मैंने अपनी जगह बदल दी और उसके पैरों की तरफ आ गया।
वो बेड पर लेटी हुई थी, उसको घुटनों से पकड़ कर मैंने बेड से नीचे की ओर खींचा तो वो भी नीचे को सरक गई।
मैं फर्श पर घुटनों के बल बैठ गया और उसकी पिंडलियों से चाटना शुरू कर दिया और बारी बारी से दोनों पिंडलियों से चाटता हुआ ऊपर जांघों की ओर बढ़ा और मैं उसकी जांघों को कभी बहुत प्यार से और कभी एकदम से जीभ को सख़्त करते हुए चाट रहा था।
वो बहुत बुरी तरह से मचल रही थी। जैसे ही मैं अपनी जीभ उसके शरीर पर चलाता था तो उसके पूरे जिस्म में एक सिहरन सी दौड़ जाती और रोंगटे खड़े हो रहे थे।
अपने दोनों हाथ ऊपर उठा कर मैंने उसके स्तनों को बहुत ज़ोर से मसलना शुरू कर दिया पर साथ ही इस बात का भी ख्याल रखा कि मेरा दबाव इतने ज़ोर का भी ना हो कि उसे दर्द हो।
जब मैं चाटता हुआ उसकी जांघों पर अंदर वाली साइड में चाटने लगा तो वो बहुत ज़ोर से मचलने लगी और मैंने भी रुकने की बजाए और ऊपर की ओर बढ़ना जारी रखा।
अंतत: मैं स्वर्ग द्वार तक पहुँच गया और जैसे ही मैंने उसकी भग क्लाइटोरियस पर जीभ लगाई तो वो एकदम से बहुत गीली हो गई और उसके मुँह में से आवाज़ निकली आआआहह ओफफ्फ़…
और उसकी योनि में से गाढ़ा सा तरल निकलना शुरू हो गया।
मैंने उसकी पेंटी उठाई और उसे पोंछ दिया और दोबारा से अपनी जीभ का जादू दिखाना शुरू कर दिया लेकिन मंजरी इतनी अधिक कामुक ही चुकी थी कि वो एकदम से उठी मेरे कंधे पकड़े और मुझे पलंग की ओर धकेलने लगी।
मैं समझ गया कि अब रुकना मुश्किल है, अपनी जीभ उसकी क्लिट पर चलाते हुए मैंने अपनी सीधे हाथ की पहली उंगली उसकी योनि में डाल दी और आगे पीछे चलते हुए थोड़ी सी मोड़ ली और और क्लिट की नीचे वाली साइड में एक थोड़े उभरे हुए स्पॉट को उंगली से थोड़ा सा रगड़ा तो मंजरी की जो हालत हुई उसे व्यक्त करने के लिए मेरे पास कोई शब्द नहीं हैं।
उसने अपने चूतड़ उछालने शुरू कर दिए तो मैं समझ गया कि अब बस आखिरी कदम ही बढ़ाना है, मैंने अपने आपको उसके ऊपर से उठाया और उसे भी बोला- अब तुम ऊपर हो जाओ!
और एक तकिया उठा कर उसके चूतड़ों के नीचे रखा, मैंने सही पोज़िशन ली अपने लिंग को उसकी योनि पर टिकाया और जैसे ही धक्का दिया, तो मेरा लिंग फिसल गया।
उसने तुरंत अपने हाथ में पकड़ कर सही जगह पर रखा, जैसे ही मैंने धक्का मारा तो उसके मुँह से हल्की सी चीख निकल गई- उईईईई माँ!
मैंने उसे कहा- क्या हुआ? तुम तो एक बच्चे की माँ हो!
वो बोली- 6 साल से कुछ नहीं किया है तो थोड़ा दर्द तो होगा ही! थोड़ा धीरे धीरे करो!
मैं लगभग आधा लिंग प्रवेश करवा चुका था, रुका तो नहीं जा रहा था पर फिर भी मैंने अपने आपको थोड़ा कंट्रोल किया और रुक गया पर मेरा मुँह उसकी छातियों में घुस गया और मैंने उसके बाँये स्तन को मुँह में भर लिया, कभी तो उसे पूरे ज़ोर से चूसता और कभी उसके निप्पल को अपनी ज़ुबान से छेड़ता, कभी उसके निप्पल को होंठ और दाँत की सहायता से हल्का हल्का काटता।
ऐसे ही करीब एक डेढ़ मिनट तक किया तो उसने मेरी पीठ और चूतड़ों पर हाथ से सहलाना शुरू कर दिया और अब उसकी आँखें भी अधमुंदी सी थीं, मुझे लगा कि अब सब ठीक है।
मैंने एक हाथ उसकी कमर के नीचे डाला और दूसरे से उसके सिर के बालों को सहलाने लगा, अपना वजन उस पर बढ़ा कर धीरे धीरे पूरा लिंग प्रवेश करवा दिया और लिंग को वहीं पर रोक कर अपने कूल्हों का दबाव और ज़्यादा बढ़ा दिया और अपने लिंग के ऊपर वाली हड्डी को उसकी योनि के ऊपर वाले हिस्से पर रगड़ने लगा।
इससे मेरा प्रेशर उसके क्लिट (भग्नासा) पर पड़ा और रगड़ के कारण उसकी उत्तेजना फिर से बढ़ने लगी।
(पाठक इस अनुभव को आजमा कर देखें इससे स्त्री जल्दी चरम सीमा तक पहुँचती है)
अब उसने नीचे से ज़ोर लगाना शुरू कर दिया, मैंने भी अपनी धक्के मारने की गति को थोड़ा सा बढ़ाया पर मैं मध्यम गति से लेकिन गहरे धक्के लगा रहा था, मैंने अब एक डीज़ल इंजन की भाँति गति कर रखी थी ना बहुत तेज़ ना ही बहुत धीरे और साथ ही मैंने अपनी सीधे हाथ जो पहले ही उसके शरीर के नीचे था को खिसका कर उसकी गुदा के छेद पर लगाया और बीच वाली उंगली से उसकी गुदा के छेद को थोड़ा दबाव बना कर सहलाना शुरू कर दिया।
इससे औरत अधिक उत्तेजित हो जाती है और जल्दी स्खलित हो जाती है।
इधर नीचे तो मैं उसकी गुदा को सहला रहा था, ऊपर मैं उसके मुँह में अपनी जीभ घुमा रहा था और साथ ही अपने बाँये हाथ से उसके दाहिने निप्पल को मसल रहा था।
मैं जैसे ही उसके निप्पल को मसलता या फिर उंगली से उसके पीछे के छेद पर दबाव बनाता तो उसके मुँह से आह निकलती आअहह लेकिन उसका मुँह मेरे मुँह से बंद होने के कारण आवाज़ बाहर नहीं निकल पा रही थी।
इधर मेरे धक्कों की गति बढ़नी शुरू हो गई थी पर फिर भी स्पीड बहुत तेज़ नहीं थी, मंजरी की आँखें बंद थीं और वो नीचे से पूरा ज़ोर लगा रही थी।
मैंने लगभग 5 मिनट तक तो ऐसे ही किया फिर मैंने अचानक अपना लिंग बाहर निकल लिया और जैसे ही मैंने लिंग बाहर निकाला, मंजरी चौंक गई और एकदम से अपनी आँखें खोल कर मेरी ओर देखने लगी।
मैंने उसे हाथ से इशारा किया और मैं नीचे लेट गया और उसे अपने ऊपर आने का इशारा किया।
वो मेरी बात समझ गई और तुरंत मेरे ऊपर आ गई, ऊपर आकर उसने अपने आपको सेट किया और फिर मेरे उसकी चिकनाई से सने हुए लिंग को पकड़ कर सेट किया और उसके ऊपर बैठती चली गई, मेरा लिंग भी उसकी योनि में ऐसे घुस गया जैसे गर्म चाकू मक्खन की टिक्की में घुस जाता है।
जैसे ही मेरा लिंग उसके अंदर प्रविष्ट हुआ, उसके मुँह से बहुत ही सेक्सी आवाज़ निकली आआआ आआअह्ह्ह ह्ह्ह्ह ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह ह्ह्ह मेरी जान हाआआआ आआअए राम्म्म्ममम!
और सेट होते ही उसने ऊपर नीचे होना शुरू कर दिया। इस आसन का फ़ायदा यह है कि इससे आदमी का संभोग का समय बढ़ जाता है और स्खलन को देर तक रोका जा सकता है।
अब वो मेरे ऊपर हिल रही थी तो उसके 36 साइज़ के स्तन हिलते हुए बहुत मनमोहक लग रहे थे।
मैंने अपने सिर के नीचे एक और तकिया लगाया और सिर थोड़ा ऊँचा हो गया तो उसके मम्मे मेरे मुँह के पास आने लगे तो मैंने उसका बाँया स्तन अपने मुँह में भर लिया और अपनी जीभ और दाँतों के बीच ले कर उसे चुमलाने लगा।
जितने ज़ोर से मैं उसका स्तन चूस रहा था, उतनी उसकी उत्तेजना अधिक बढ़ रही थी, और वो आने ऊपर नीचे होने की गति को उतनी आधी तेज़ कर रही थी।
लगभग 3-4 मिनट तक बाँया स्तन चूसने के बाद मैं उसका दाँया स्तन मुँह में भर लिया और बाँये स्तन को मैंने मुठ्ठी में भर कर दबाना शुरू कर दिया, मैं कभी तो उसके स्तन को पूरा मुठ्ठी में भर कर दबा रहा था और कभी उसके निप्पल को उंगली और अंगूठे में दबा कर मसलने लगता था।
इतनी देर में वो अब हाँफने लगी थी, शायद वासना की अधिकता और ज़ोर से धक्के मारने के कारण वो थक गई थी।
जब मैंने उसकी गति धीमी पड़ती देखी तो तो मैं समझ गया कि अब यह थक गई है तो मैंने उसके स्तन छोड़े और उसको अपने ऊपर से उठने का इशारा किया।
मेरे इशारा करते ही वो मेरी बात समझ गई जैसे ही वो उठकर बेड पर लेटी, मैं एकदम से उठ कर उसके ऊपर आ गया।
उत्तेजना इतनी अधिक थी कि अब प्रोग्राम लंबा चलने वाला नहीं था, मैंने पूरी तरह से गीली हो चुकी उसकी योनि को और अपने लिंग को उसकी पेंटी से ही पोंछ दिया और फिर से लिंग प्रविष्ट करवा दिया।
जैसे ही मेरा लिंग अंदर गया, मैंने अपने दोनों हाथ उसके चूतड़ों के नीचे पहुँचा दिए और उसके चूतड़ों को मसलने लगा।
उसने अपने दोनों हाथ मेरी पीठ पर बाँध दिए और नीचे से वो हिलने लगी, उसके मुँह से सिसकारी निकली सस्स्सिईई ईईईईईई आआआ आआआ आहहहह!
उसकी सिसकारी ने मेरा जोश भी बढ़ा दिया, मैंने और ज़ोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए।
तब मंजरी बोली- जल्दी करो, मेरा होने वाला है।
उसकी यह बात सुनते ही मैंने अपनी गति और बढ़ा दी, अपने हाथ उसके नीचे से निकाल कर उसके मम्मे पकड़ लिए, साथ ही अपने मुँह में उसके होंठ भर लिए और अपनी जीभ उसके मुँह में धकेल दी।
अब उस पर तीन तरफ से हमला हो रहा था, मुझे भी लग रहा था कि मैं भी जाने वाला ही हूँ, मेरी और उसकी लार मिल कर एक हो गई थी और इसके बारे में सोचने का टाइम ही नहीं था।
मेरे धक्के और तेज़ हो गये थे और उसके मुँह से घुटी उउम्म्म मम्म्मम उउऊँ… की आवाज़ आ रही थी।
इधर मुझे भी लग रहा था कि काम हुआ कि हुआ!
अचानक मंजरी ने मुझे बहुत ज़ोर से अपनी बाहों में कस लिया और टाँगें ऊपर को उठा लीं जिससे मुझे हिलने में दिक्कत हो रही थी तो मैंने अपने हाथ उसकी जांघों के नीचे से डाल कर ऊपर को उठा दिए जिससे उसकी टाँगें थोड़ी फैल गई थीं।
अब काम तो मेरा भी होने वाला ही था, मैंने भी पूरे ज़ोर से शायद 3-4 धक्के और मारे और मेरा काम भी हो गया और मैंने आख़िरी धक्का इतने ज़ोर से मारा जैसे कि मैं उसकी चूत में घुस जाना चाहता हूँ।
मेरा लंड उसकी बच्चेदानी से टकराया और मेरा वीर्य पिचकारी मार मार कर उसके अंदर निकलने लगा, मैं भी निढाल सा उसके सीने पर ही लेट गया, बस मैंने सहारा अपनी कोहनियों का ले रखा था जिससे कि मेरा पूरा वज़न उस पर नहीं आ रहा था।
मंजरी तो एकदम निढाल सी हो गई थी जैसे कोई नशा कर रखा हो!
ऐसे ही लेटे लेटे हम दोनों की आँख लग गई और शायद 10-12 मिनट बाद वो थोड़ी सी हिली जिससे मेरी खुमारी भी टूट गई।
यह एक ऐसी खुमारी होती है जो दुनिया के किसी भी नशे में नहीं मिलती। जिन लोगों ने ऐसा किया है, वही उसे महसूस कर सकते हैं।
अब तक मेरा लिंग भी सिकुड़ चुका था, बाहर आ गया था और हम दोनों का वीर्य और रज इतना अधिक निकला था कि चादर पर करीब 3-4 इंच का धब्बा बन गया था।
मैं मंजरी के ऊपर से उतर कर उसके साथ में लेट गया, उसे खींच कर अपनी बाहों में समेट लिया और उसने भी आगे बढ़ कर अपना सिर मेरे सीने पर रख दिया।
मुझे ऐसे लग ही नहीं रहा था कि हम पहली बार मिले हैं, वो मेरे साथ लेटी हुई ऐसे लग रही थी जैसे हम दोनों एक दूसरे को बरसों से जानते हों और हमारा ये रिश्ता बहुत गहरा हो।
कहानी जारी रहेगी।
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