मेरी सनसनी भरी कामुक बस यात्रा- 2
(Xxx Husband Sex Kahani)
Xxx हस्बैंड सेक्स कहानी में पढ़ें कि मैंने अपने पति से चुदाई का मजा लेने बस से जोधपुर गयी पर रास्ते में एक अनजान युवक से चुद गयी. उसका वीर्य चूत में लिए मैं पति से चूत चटवाने लगी.
कहानी के पहले अंश
अजमेर से जोधपुर स्लीपर बस में
में आपने पढ़ा कि दीपाली विरह की अग्नि बर्दाश्त ना कर पाने के कारण अपने पति आदित्य से मिलने जयपुर से जोधपुर के लिए बस द्वारा रवाना होती है। अजमेर से एक बैंक मैनेजर आकाश बस में सवार होता है और डबल बर्थ के केबिन में दीपाली को अकेला पाकर अंदर प्रवेश कर जाता है और उसे नींद में चोद डालता है.
उसके बाद दीपाली अपने पति के पास पहुंचती है।
आइए देखते हैं कि आगे क्या हुआ इस Xxx हस्बैंड सेक्स कहानी में :
यह कहानी सुनें.
आधा घंटे बाद बस जोधपुर बस स्टैंड पर लग गई.
मैंने आकाश से विदा ली, बस स्टैंड से टैक्सी पकड़ी और आदित्य के होटल जा पहुंची।
वहां पहुंचकर मैंने समय देखा, सुबह के 6:30 बज रहे थे.
मैंने आदित्य के कमरे की बेल बजाई।
आदित्य अपने नाइट सूट में था.
उसने दरवाजा खोला और मुझे देखकर वह बहुत बुरी तरह चौंक गया.
फिर जैसे उसको होश आया, उसको तो जैसे मुंह मांगी मुराद मिल गई. उसने मुझे खींचा और बाहों में भींचकर मेरे होठों पर होंठ रख दिए।
आदित्य मुझे दीवानों की तरह चूमने लगा और मेरे ब्लाउज और ब्रा को खोल फेंका।
जी भर के मेरे होठों का रसपान करने के बाद वह पलंग के एक तरफ बैठकर मेरे स्तनों के बीच अपने चेहरे को रखकर दोनों स्तनों को मसलते हुए मेरे बदन की गर्मी का आनन्द लेने लगा।
उसके बाद उसने मेरे दाहिने निप्पल को मुंह में लिया और हाथों से ऐसे मसलने लगा जैसे कि उसका रस निचोड़ना चाह रहा हो।
कुछ देर बाद उसने बायें स्तन को मुंह में लिया और आम की तरह चूसने लगा।
मैं तो अभी एक घंटा पहले ही तो चुद के आई थी लेकिन एक तो बस में मैं झड़ी नहीं थी, दूसरे पति से चुदाई को पांच दिन हो गए थे, मेरी चूत में खलबली सी मचने लगी।
मैं बार-बार अपने चूतड़ों को भींच भींच कर इस मस्ती का मजा ले रही थी।
फिर आदित्य ने मुझे पलंग पर पटक दिया.
मॉर्निंग इरेक्शन के कारण उसका लंड अकड़ा हुआ तो था ही … इसलिए वह चुदाई वाले हवन की तैयारी में अपने नाइट सूट को उतारने लगा।
मैं उसकी बेताबी देख कर मुग्ध थी।
आदित्य के नंगा होने तक मैंने भी अपनी साड़ी और पेटीकोट उतार दिए।
धार्मिक अनुष्ठान वाले हवन में तो पता नहीं प्रतिफल मिलता है या नहीं?
मिलता भी है तो क्या मिलता है?
और कब मिलता है?
लेकिन चुदाई वाले हवन में चूत के हवन कुंड में वीर्य की आहूति देते ही तुरंत आपको सारे तनावों से मुक्ति मिल जाती है।
आदित्य का लंड मेरी चूत में घुसने को उतावला हो रहा था लेकिन उसे तो अपनी आदत के अनुसार पहले चूत रस का स्वाद लेना था।
उसे पता नहीं था कि इस बार उसे केवल चूत रस नहीं बल्कि एक नए मर्द का वीर्य रस भी चखने को मिलेगा।
उसने मेरी पैंटी की और देखा तो उसने पाया कि वह बहुत अधिक फूली हुई थी, वह समझा कि मैं पीरियड से हूं इसलिए सैनिट्री नैपकिन लगा रखा है।
वह भन्ना गया और बोला- अरे यार, जब तुम पीरियड से थी तो मेरे खड़े लंड पर चोट करने यहां आई क्यों?
मुझे उसकी मनोदशा देखकर बहुत आनन्द आया।
मैंने कहा- यदि मैं पीरियड से होती तो रात भर का सफर करके यहां आती क्या बुद्धू?
तो उसने पूछा- फिर ये नैपकिन क्यों लगा रखा है?
मैंने कहा- तुम अपना काम शुरू करो, सब समझ में आ जाएगा।
आदित्य ने मेरी रिसती हुई चूत पर से नैपकिन हटाया और उस पर अपने जलते हुए होंठ रखे और जुबान को थोड़ा सा भीतर प्रवेश कराया।
उसके होंठ और जुबान मेरी चूत के रस और आकाश के वीर्य में सन गए।
उसने कहा- अरी भेनचोद, अब बस में किससे चुदवा के आई है तू?
मैंने कहा- बताती हूं … पहले मेरी रसभरी से उस मर्द का पूरा वीर्य अच्छे से चाटो जिसने मेरी चूत में अपना वीर्य भरा है।
वह अपनी जुबान को हरकत दे देकर मेरी चूत से सारा वीर्य अपने मुंह में खींचने लगा।
उसके बाद वह उठा और ऊपर की ओर आकर मेरे होंठ से अपने होंठ मिला दिए.
फिर अपनी जुबान को मेरे मुंह में डालकर पहले तो मुझे आकाश के वीर्य का स्वाद दिया फिर अपने मुंह में रोके सारे वीर्य को मेरे मुंह में धकेलने लगा।
हम दोनों की जुबान आपस में अठखेलियां करती हुई वीर्य रस को एक दूसरे की ओर धकेल रही थीं।
मुझे इस खेल में बड़ा मजा आ रहा था.
उसके बाद थोड़ा-थोड़ा वीर्य दोनों ने गटक लिया।
इस खेल के बाद उसने पूछा- अब तो बता कि बस में किस से और कैसे चुद के आई है? क्या वैभव तेरे साथ आया था?
मैंने कहा- पहले तुम चुदाई शुरू करो, मैं चुदवाती चुदवाती तुम्हें सब बताती हूं।
आदित्य ने मेरी चूत में अपना कड़क लंड डाला, मेरे शरीर में एक सिरहन सी दौड़ गई.
मैंने उसके कूल्हों को पकड़ के जोर से अपनी और खींच लिया।
कुछ पल बाद उसने चुदाई शुरू की।
मैं उसे पूरा घटनाक्रम बताने लगी कि कैसे मैं आदी के कामुक सपनों में खोई हुई थी।
मुझे पता नहीं चला कि कब अजमेर का एक बैंक मैनेजर आकाश, रात में उत्पन्न तामसिक प्रवृति के चलते, मुझे देखकर कामातुर हो गया और अवसर मिलते ही मेरे केबिन में आकर मेरे पीछे लेट गया।
उसने मुझे नींदों में ही इतना गर्म कर दिया कि मेरी चूत पानी छोड़ने लगी और लंड लेने को तैयार हो गई।
मेरी वासना ने मेरे सपनों के साथ में तालमेल बिठा लिया.
फिर कर वो रहा था और मुझे सपने में आदी दिखाई दे रहा था।
मेरी नींद तब उचटी जब उसने अपना पूरा लंड मेरी चूत में एक ही झटके से घुसेड़ दिया।
उसके बाद जब लंड घुस ही चुका था तो मैं क्या कर सकती थी?
तो मैंने सोचा कि क्यों ना तुम्हारे लिए एक नए गैर मर्द का ताजा-ताजा स्वादिष्ट वीर्य ले चलूं, सुबह-सुबह ये वाला एनर्जी ड्रिंक तुम्हारा मूड फ्रेश कर देगा।
हम दोनों हंस पड़े.
आदित्य मेरी बातों से आश्चर्यचकित था क्योंकि पिछली बार जब वह जोधपुर आया था तो मैं अपने मकान मालिक वैभव से चुदने जा पहुंची थी।
इस बार वह जोधपुर आया तो मैं जयपुर से जोधपुर के बीच किसी अनजान मर्द से चुदवाती हुई आ रही हूं।
मेरी चुदाई गाथा सुनते हुए उसकी वासना में उबाल आने लगा और उसके धक्कों में तेजी आ गई.
बस में मेरी चुदाई जरूर हुई थी लेकिन मैं झड़ी नहीं थी।
इसलिए आदित्य के धक्कों ने मेरी चूत में भी आनन्द का ज्वार भाटा पैदा कर दिया।
कुछ ही मिनट के रगड़ों के बाद उसके लंड के साथ साथ मेरी चूत भी जोर-जोर से फड़कने लगी।
हम दोनों के शरीर अकड़ गये और दोनों की सांसें हमारे काबू से बाहर हो गईं।
कई मिनट तक हम दोनों पसीने में भीगे हुए लंबी-लंबी सांसें लेते रहे।
जब हमारी स्थिति सामान्य हुई तो उसके बाद फिर से आदित्य ने मेरी अनोखी बस यात्रा के बारे में बातचीत का सिलसिला पुनः प्रारंभ किया।
उसने पूछा- आकाश ने तुम्हारी चुदाई करने के बाद क्या कहा?
मैंने फिर बताना शुरू किया:
उसने (आकाश) कहा- तुम्हें देखते ही मुझे वासना ने जकड़ लिया, मेरा लंड इतनी जोर से अकड़ गया था कि उस समय मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया और मैं अपने आप को तुम्हारे केबिन में घुसने से रोक नहीं पाया।
उसने यह भी कहा- मैं आमतौर पर कार से जाता हूं पर किसी कारणवश मुझे बस से आना पड़ा और तुम्हें देखकर मुझे ऐसा लगा जैसे कुदरत ने मुझे तुम्हारी चुदाई का मौका देने के लिए ही इस बार बस की यात्रा करवाई है।
तब आदित्य ने पूछा- तूने उससे फोन नंबर तो ले लिया होगा?
मैंने पूछा- क्यों?
उसने कहा- अब तू कोई एक बार उस से चुदवा कर तो चुप बैठने वाली है नहीं, मौका मिलते ही फिर चुदवाने का प्लान बनाएगी।
मैंने कहा- हां यार, सही बात है. बड़ी मुश्किल से नया लंड मिलता है। नए लंड से एक बार चुदवाने से मन तो नहीं भरता ना, और बस की पहली चुदाई में आकाश इतना अधिक उत्तेजित हो गया था कि मैं तो झड़ भी नहीं पाई थी।
फिर आदित्य ने पूछा- वह वापस कब जाएगा?
तो मैंने कहा- रविवार की रात यानि कल!
आदित्य ने पूछा- तो क्या तू जाते वक्त भी उसके साथ सोयेगी?
मैंने मुस्कुराते कहा- और क्या, तुमसे तो जयपुर जाकर भी चुदवा लूंगी, नए लंड से एक और बार चुदवाने का मौका क्यों छोड़ूं!
आदित्य रूआंसा हो गया और बोला- तो मैं अकेला क्या मुठ मारूंगा?
तो मेरी हंसी छूट गई, मैंने कहा- अब यह तुम जानो कि तुम क्या करोगे. मैं तो अजमेर तक के रास्ते में आकाश से कम से कम दो बार चुदवाऊंगी।
आदित्य उदास हो गया.
नाश्ते के बाद मैंने उसका लंड चूस के खड़ा किया और एक बार फिर हमारी चुदाई का दौर चला.
उसने जी भर के मुझे रगड़ा और उसकी उदासी एक हद तक दूर हो गई।
दोपहर में खाना खाकर हम दोनों सो गए।
दो घंटे की नींद के बाद आदित्य फिर से अकेला नहीं उठा, साथ में उसका लंड भी उठ चुका था।
फिर होना क्या था … जब लंड खड़ा हो और चूत गर्म हो तो चुदाई के अलावा और क्या हो सकता है?
तीसरी बार पुनः मेरी घनघोर चुदाई हुई।
मैं आज बहुत दिनों बाद एक ही दिन में चार बार चुद चुकी थी।
एक बार बस में आकाश ने चोदा था और तीन बार आदित्य चोद चुका था.
मेरी चूत तो आज जैसे चुद चुद के निहाल हो गई थी।
रात को हम जोधपुर घूमने निकले और खाना खाकर देर से लौटे।
आज मैं चार बार चुद के थकी हुई थी तो आदित्य भी तीन बार चोद के पस्त हो चुका था।
इसलिए रात को कोई चुदाई नहीं हुई।
शायद हम दोनों जोधपुर से जयपुर तक के सफर को यादगार बनाने के लिए भी अपनी ऊर्जा को संचित कर रहे थे।
रविवार की सुबह भी आदित्य जल्दी उठकर फील्ड में चला गया और शाम को लौटा।
आते ही उसे बस के टिकट की चिंता हुई.
मैंने उसे कहा- चिंता मत करो, आकाश ने टिकट बुक कर लिये हैं।
वह तो उसके साथ जाने के नाम से पहले ही मायूस था, जब उसे यह पता लगा कि टिकटें उसने बुक की हैं तो अब कोई संशय बाकी नहीं रहा था, यह और पक्का हो गया था कि उसने टिकट के साथ-साथ मेरी चूत को भी बुक कर लिया था और रास्ते में मेरी चुदाई तो वही करेगा।
यह सोचकर आदित्य का चेहरा और लटक गया।
मैं उसकी स्थिति को देखकर मन ही मन मजे ले रही थी।
हम खाना खाकर बस स्टैंड पहुंचे.
वहां पर मैंने देखा कि आकाश अपनी पत्नी शिल्पी के साथ खड़ा था।
मैंने आकाश और आदित्य का परिचय करवाया.
आकाश ने हम दोनों का परिचय अपनी पत्नी से करवाया.
अब आदित्य के दिल को थोड़ी तसल्ली मिली कि चलो अब आकाश मेरी चुदाई नहीं कर पाएगा।
सामान्य बातचीत के बाद हम चारों अपनी अपनी अपनी बर्थ पर पहुंचे।
बस जोधपुर से चली, आदित्य को चौबीस घंटों से अधिक का आराम मिल गया था।
उस पर उम्मीद के विरुद्ध उसे मेरे साथ मेरे ही केबिन में सोने का मौका मिल रहा था इसलिए वह अतिरिक्त उत्साह से भरा हुआ था।
बस के चलते ही आदित्य पर मस्ती चढ़ने लगी।
पहले उसने मेरे होंठ चूमे, उसके बाद में बारी-बारी से मेरे दोनों स्तनों को मसल कर, दबा कर चूस कर मुझे गर्म किया।
फिर 69 की पोजिशन में दोनों ने एक दूसरे को मुखमैथुन का सुख दिया।
फिर मुझे पलटा कर उसने पीछे से मेरी चूत में लंड डाला और मेरी चुदाई शुरू कर दी।
कम से कम आधा घंटे तक उसने मुझे चोदा।
चलती बस में चुदवाने का भी अपना एक अलग मजा है।
मर्द के धक्कों और बस के हिलने से ऐसा अहसास होता है जैसे दो मिलकर चोद रहे हों।
आदित्य की दमदार चुदाई ने आखिरकार मेरे को चरमसुख बिंदु तक पहुंचा दिया.
मेरा पूरा शरीर कांप रहा था, मेरी सांसें भारी हो चली थीं।
मैंने आदित्य को कहा- आदी … अब जरा कसके रगड़ दे यार!
Xxx हस्बैंड सेक्स करते हुए थोड़ी ही देर में चरम सुख का वह क्षण आया जिसको प्राप्त करने के लिए पूरी दुनिया की सारी औरतें और सारे मर्द पागल रहते हैं।
मेरा शरीर ऐंठा और चूत फड़कने लग गई, चूत के हर एक स्पंदन के साथ मेरा शरीर शिथिल पड़ता जा रहा था।
आदित्य अपना वीर्य का स्टॉक खाली करके मस्ती में डूबा हुआ था।
कुछ ही देर में हम दोनों मीठी नींद की आगोश में खो गए।
कहानी के अगले भागों में पढ़िए कि आकाश और दीपाली तथा आदित्य और शिल्पी के बीच में क्या कुछ घटित हुआ जो हमेशा के लिए यादगार बन गया।
Xxx हस्बैंड सेक्स कहानी के बारे में पाठक अपनी राय और सुझाव भेज सकते हैं।
मैं जवाब अवश्य दूंगी लेकिन बार-बार कहने के बाद भी कुछ लोग बहुत घटिया किस्म के मेल करते हैं।
सबसे निवेदन है कि कृपया कहानी पर कमेंट तक ही सीमित रहें।
मेरी मेल आईडी है
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Xxx हस्बैंड सेक्स कहानी का अगला भाग: मेरी सनसनी भरी कामुक बस यात्रा- 3
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