बूढ़े लंड में आग लगायी जवान बहू ने- 1

(Wife Husband Sex Kahani)

वाइफ हसबैंड सेक्स कहानी में मेरी बहू अकेली थी तो मेरी पत्नी उसके साथ सोने लगी. मुझे चूत की दिक्कत हो गयी. लेकिन एक दिन आधी रात को मेरी बीवी नंगी होकर मेरे बिस्तर में घुस गयी.

दोस्तो, मैं आपका प्यारा शरद एक बार फिर आपके सामने एक नई कहानी के साथ प्रस्तुत हूँ।

वैसे दिल की बात बताऊँ कि कोई जबरदस्त कहानी नहीं है मेरे दिमाग में, इसलिये कहानी लिखने का मन नहीं करता.
पर मेरे चाहने वाले बार-बार मुझ पर एक नई कहानी लिखने के लिये कह रहे हैं और साथ ही सजेशन दे रहे हैं कि किसी रिश्ते में हो तो मजा आ जाये।

काफी सोचने के बाद मुझे लगा कि बहू के साथ वाली कहानी में मजा आयेगा।

चूंकि वाइफ हसबैंड सेक्स कहानी पूरी काल्पनिक है, इसलिये आप सब केवल इस कहानी को पढ़ें और मजा लेने के बाद अपनी राय मुझसे मेरे मेल के माध्यम से साझा करें।

अब चूंकि इस कहानी को मैं लिख रहा हूँ तो इस कहानी का नायक मैं खुद को मान लेता हूँ और मेरी बहू का नाम मैं कनक, बेटा का नाम सुमित और पत्नी का नाम सुमन दे देता हूँ।

शुरुआत कुछ ऐसे होती है, कि मेरा बेटा एक मल्टीनेशनल कम्पनी में काम करता है और अब उसकी प्रोमोशन हो गयी और उसे विदेश में एक नई ब्रान्च खोलने के लिए जाना था।

समय 15 दिन का था तो वो अपनी तैयारियों में लगा हुआ था.
लेकिन केवल अपनी ही तैयारियों में लगा हुआ था, लाख समझाने के बावजूद वो अपनी पत्नी कनक को ले जाने के लिये कोई रूचि नहीं दिखा रहा था।
बस यही कह रहा था कि कोशिश कर रहा है, लेकिन अभी केवल उसी का वीजा फाईनल हुआ है।

मेरे अल्टीमेटम देने पर उसने बोला- पापा, मैं ले जाना तो चाहता हूँ. लेकिन कम्पनी ने कहा है कि ब्रान्च एस्टेबिल्श हो जाने के बाद ही एम्पलाई के फैमिली एम्पलाई के साथ जा सकती है।
अब सच क्या था क्या झूठ, मुझे तो मालूम नहीं, इसलिये मैंने पत्नी सुमन से कहा कि जरा कनक से पता करो कि क्या बात है।

कनक मेरी प्यारी बहू, उम्र 23 वर्ष की, गोरी-चिट्टी, लम्बी, अच्छे नाक-नक्श की मॉर्ड्न सब कुछ था।
अच्छा फिगर था। स्लिम थी।
मतलब एक मर्द को अपने काबू में करने के लिये उसके पास वो सब कुछ था।

सुमित की बात सही भी हो सकती है।

चूंकि मैं और मेरी बीवी ओपेन माइंडेड हैं इसलिये मैंने और न ही मेरी पत्नी ने उसके ओढ़ने-पहनने में कोई पाबंदी लगायी थी।
चाहे वो कैपरी और टॉप पहने या फिर नाईटी में हो या फिर टाईट जींस पहने वो उसकी अपनी च्वाईस थी।

इसलिये हमारे घर में हँसी खुशी का माहौल है।

लेकिन छ: महीने का एक लम्बा वक्त था, उसके पहले सुमित वापिस आ नहीं सकता था इसलिये मैंने सुमित को कनक के मायके छोड़ आने का फरमान सुना दिया।

सुमित तो तैयार हो गया.
लेकिन कनक ने साफ मना कर दिया कि वो अपने मायके नहीं जायेगी।

मेरे सामने अब कोई च्वाईस नहीं बची थी।

फिर एक दिन वो वक्त आ ही गया जब सुमित ने हम सब्को अगले छ: महीने के लिये छोड़कर विदेश चला गया।

उसी दिन से सबकी दिनचर्या बदल चुकी थी।

मेरी बीवी अब मेरे साथ न सोकर कनक के साथ सोने लगी और मैं रंडवा की तरह अपने बिस्तर पर अपने लंड को हाथ में पकड़कर सोने की कोशिश करता।

लेकिन यह सब कितने दिन तक चलता।

इधर मैं भी कसमसा रहा था और उधर मेरी बीवी भी।

55 की उम्र में भी दोनों के अन्दर चुदाई का वो जज्बा अभी भी बचा हुआ था।
तो एक रात कोई बारह-एक बजे की रात में मेरी बीवी कंबल के अन्दर घुसी और मेरे लौड़े को पकड़कर हाथ में लेते हुए बोली- मेरी चूत की याद आ रही है?
मैं आम तौर पर रात के समय पूर्ण नग्न अवस्था में सोता हूँ।

मैं सुमन को कसकर अपनी बाहों में जकड़कर और उसके होंठों को चूसने के बाद बोला- जानेमन, जिस घोड़ी की सवारी पिछले 27 सालों से कर रहाँ हूँ। उसकी याद नहीं आयेगी तो किसकी याद आयेगी।
मेरी सुमन भी इस समय पूर्ण नग्न थी।

जब मेरे हाथ उसकी नंगे जिस्म पर पड़े तो मेरे मुँह से निकल ही गया- तुम भी 8 दिन मेरे लौड़े के बिना बिता नहीं पायी, इतनी जल्दी थी मेरे लौड़े को चूत के अन्दर लेने की कि तुम नंगी ही आ गयी।

“हाँ इतना समय नहीं है ना, जल्दी से तुमसे चुदूँ तो फिर उसके पास जाकर सो जाऊं।”
“लेकिन एक घंटे से कम नहीं लगेगा, तुम्हारी चूत भी जो पीनी है।”
“बिल्कुल मेरे राजा, मुझे भी तुम्हारे लंड चूसने का बड़ा मन कर रहा था।”

मेरे मुँह से निकल पड़ा- बेचारी कनक … बिना लंड के कसमसा रही होगी।
“हाँ रातभर करवटें तो बदलती रहती है। लेकिन हम लोग कुछ कर भी नहीं सकते।”

मैंने अपने ऊपर पड़े कंबल को एक ओर फेंका और सुमन से बोला- कनक की बात बाद में … पहले हम लोग मजा ले लें.
कहकर मैं सुमन के दूध को मुँह में भर के चूसने लगा।

तभी मेरी नजर बाहर से आ रही हल्की रोशनी से कनक पर पड़ी।
वो हमें देखने का प्रयास कर रही थी।

जब सुमित था तो हम लोग अपने कमरे की खिड़की और दरवाजे सब बन्द रखते थे.
लेकिन सुमित के जाने के बाद और सुमन का कनक के साथ सोने के कारण मैंने खिड़की और दरवाजा बन्द करना बंद कर दिया और आज की रात भी मैंने खिड़की और दरवाजे को बन्द नहीं किया.

तभी सुमन कमरे में बिना किसी आहट के आ गयी थी।
पहले मैंने सोचा कि सुमन को बता देता हूँ और चुदाई के कार्यक्रम को रोक देता हूँ.
लेकिन दूसरे पल मैंने अपना प्लान बदल दिया और कनक को तिरछी नजर से देखने लगा।

लेकिन इस समय जिस पोजिशन में मैं था, उस पोजिशन से देखने पर कनक को भी पता चल जाता।
मैं बिस्तर पर सीधा हो गया और सुमन को 69 पोजिशन में आने के लिये बोला।

सुमन 69 पोजिशन में आ गयी।
कनक खिड़की के थोड़ा और पास आ गयी।

मैं चूत चुसाई का मजा कम ले रहा था … मेरा सारा ध्यान कनक पर था जो बाहर खड़े होकर अपने चूचियों को मसले जा रही थी और अपने होंठों को काटे जा रही थी.
शायद अपनी चूत को भी सहला रही होगी।

तभी सुमन की आवाज आयी- डार्लिंग, मुझे मजा नहीं आ रहा है अच्छे से चाटो मेरी चूत और गांड को।

पर मेरी नजर कनक पर से हट ही नहीं रही थी।

तभी गुस्से से सुमन मेरे सीने में मुक्का मारते हुए बोली- तुम्हारा ध्यान किधर है, मेरी चूत की माँ चुदी पड़ी है और तुम कोई मजा नहीं दे रहे हो।
मैंने सुमन को बांहों में कसा और धीरे से उसके कान में कहा- जानेमन, खिड़की के बाहर से कनक देख रही है।

सुमन ने कनखियों से कनक को देखा और फिर करवट होकर मुझसे चिपक कर बोली- जाने मन, जब मेरी चूत आठ दिन लंड के बिना नहीं रह सकी तो सोचो उसकी चूत तो गरम है, फिर वो कितना तड़प रही होगी।

“बात तुम्हारी तो सही है.” कहते हुए सुमन को मैंने सीधा किया और उसकी चूत के अन्दर लंड ठेलते हुए बोला- तो मैं कहाँ जाऊँ उसके लिये लंड का इंतजाम करने? सुमित से बोला था कि उसको अपने साथ ले जा। अब जो हो गय वो हो गया।
“तुम आज रात उसकी चूत की प्यास बुझा दो।”

मैं सुमन की बात सुनकर आवाक रह गया, जिसके कारण मैं रूक गया।
“क्या कह रही हो तुम? वो बहू है।”
मेरे सीने पर मुक्का मारते हुए बोली- चूत चोदना रोको नहीं, चोदते रहो। इस समय उसको बहू नहीं एक औरत समझो जिसे लंड की जरूरत है।

“तो तुम्हारे कहने का मतलब है कि मैं उसके पास जाऊँ और बोलूं कि कनक तुम परेशान न हो तुम्हारी चूत के लिये मेरा लंड हाजिर है।”
“अरे नहीं, मैं उसको बोलूँगी।”
सुमन की बात सुनकर मेरा जोश और बढ़ गया और धक्के की स्पीड भी।

सुमन मुस्कुराते हुए बोली- बहुत बड़े वाले मादरचोद हो तुम, दूसरी चूत मिलने की खुशी में तुम्हारी स्पीड बढ़ गयी??
“जानम, मैं नहीं मेरा लंड खुश हो गया है बस।”

हम दोनों ने फिर खुलकर वाइफ हसबैंड सेक्स का मजा लिया.
और शायद कनक ने हमारी चुदाई को खुलकर देखा भी वो भी लाईव!

चुदाई खत्म होने के बाद सुमन थोड़ी देर तक मुझसे चिपकी रही और फिर बोली- मैं कनक को समझाती हूँ, अगर मान जाती है तो तुम्हारे लंड की आज बल्ले-बल्ले है।

मैं सुमन को अपने से सटाते हुए बोला- जान, ये अच्छा नहीं लग रहा।
“अच्छा तो नहीं लग रहा है लेकिन …”
“लेकिन क्या?”मैंने पूछा.
“कुछ नहीं … इंतजार करो।”

कोई 20 मिनट बाद सुमन आयी।

मैं बहुत ज्यादा उत्सुक था यह जानने के लिये कि कनक ने हामी भरी या नहीं।

लेकिन मुझे अपनी उत्सुकता सुमन के सामने जाहिर नहीं करनी थी।

सुमन मेरे पास आयी और बोली- मैंने कह तो दिया है, पर मुझे लगता है कि संकोच के कारण हाँ नहीं बोल पायी, जबकि मन ही मन चाह रही है।
“तुमने क्या कहा उसको?”

“मैं भी पगली, मैं नंगी ही चली गयी और उसकी रजाई के अन्दर घुसकर उससे सटी.
तो वैसे ही बोली- मम्मी, आप नंगी हो?
मैंने उसे अपनी तरफ करते हुए पूछा- तुमने कैसे जाना?
वह बोली कुछ नहीं।
फिर मैंने ही बोला- काफी दिन हो गये थे चुदे हुए … और आज बड़ी इच्छा हो रही थी तो तुम्हारे पापा के पास चुदने चली गयी। और जिस रात तुम्हारे पापा और मेरी चुदाई का खेल शुरू होता है, उस पूरी रात मैं और तुम्हारे पापा नंगे ही सोते हैं। चुदते समय मुझे तुम्हारा ख्याल आया कि तुम्हारी चूत में भी तो खुजली हो रही होगी, तुम कैसे बर्दाश्त करती होगी?
तो तुम्हारे पापा को बोला.

पहले पहल तो वे बोले- नहीं ये अच्छा नहीं है.
लेकिन बाद में तैयार हो गये.
लेकिन उन्होंने कहा कि तुम्हारी इच्छा के बिना नहीं।
अब तू बता तेरा क्या मन है।

मैंने कई बार पूछा, पर कुछ नहीं बोल रही थी।
मैंने उसके मनोभाव को समझते हुए उससे कहा- यह बात हम तीनों के बीच ही रहेगी, तुम चिन्ता मत करो।
मैं उनसे कहने जा रही हूँ। शर्म आ रही हो तो एक काम करना, अपने कपड़े उतार लेना, ये रजाई के अन्दर तुम्हें देखे बिना ही तुम्हारी चूत की गर्मी निकाल देगे।

कहकर सुमन ने अपनी बात खत्म की और मुझे कनक के कमरे में जाने के लिये बोली.

मैंने एक बार फिर सुमन को सोचने के लिये कहा.
सुमन बोली- जाओ, अगर कनक का समर्थन मिले तो करना … नहीं तो चले आना।

मैं भी नंगा ही कनक के कमरे में चला गया।
दरवाजा खुला था और रजाई ओढ़े कनक लेटे हुए मेरा इंतजार कर रही थी कि कैसे मुझे मना करेगी, इस बात को सोच रही थी।
खैर सुमन के कहने पर मैं उसकी रजाई के अन्दर घुस गया।

कनक को जब मैंने अपनी बांहों में लेने का प्रयास किया तो पाया कि वो कपड़े पहने हुए थी.
इसका मतलब था कि कनक को यह अच्छा नहीं लगा.
तो क्या हुआ अगर वो खिड़की के बाहर हमारी चुदाई देखते हुए अपने चूजे और चूत को मसल रही हो?

“सॉरी बेटा!” मैं हटने लगा.
तो मेरा हाथ पकड़ कर वह बोली- सेक्स मजे के लिये होता है, खानापूर्ति के लिये नहीं।
“तो तुमने अपनी मम्मी से बोल दिया होता?”
“अगर मम्मी से बोल देती तो आपको नहीं लगता कि कनक चुदने के लिये ज्यादा उतावली हुयी जा रही है।”

मैंने कनक से चिपकते हुए कहा- तो बताओ मैं क्या करूँ कि तुम्हें सेक्स में मजा आये।
“पहले तो आप कपड़े पहन कर आयें। मैं चाहती हूँ जब हम दोनों के जिस्म मिलें तो कपड़े के ऊपर से ही एक दूसरे के सामान को पकड़े, मसले, दबाये, सहलाये, एक दूसरे की सेक्स की तरीके और पसंद नपसंद पूछे और फिर एक-एक करके एक-दूसरे के कपड़े उतारे और फिर चुदाई करें। भरपूर समय के साथ सेक्स और चुदाई का आनन्द लें।”

“ठीक है मेरी जान!” उसकी चूची के दबाते हुए कहा- मैं अभी अपने कपड़े पहनकर आ रहा हूँ।

मुझे अपनी सुहागरात याद आ गयी थी, जब सेज पर पहली बार सुमन के आगोश में समाया था।

मैं अपने कमरे में पहुँचा.
तो सुमन बोली- क्या हुआ?
“कुछ नहीं, बस उसका मन है कि सेक्स हो … न कि सीधा चुदाई।”
“ठीक ही कहा है उसने, उसी तैयारी से जाओ, जैसा कनक ने कहा है। और उसको एक-एक पल का मजा देना और सुबह से पहले इस कमरे में मत आ जाना!” कहते हुए सुमन ने आँख मारी।

मैंने भी पायजामा कुर्ता पहना और डियो लगाया और एक बार फिर कनक के कमरे में आ गया।

दोस्तो, कहानी को परिकल्पना समझ कर ही पढ़ियेगा।
वाइफ हसबैंड सेक्स कहानी के प्रत्येक भाग पर अपनी राय भेजते रहें.
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वाइफ हसबैंड सेक्स कहानी का अगला भाग:

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