तपस्या से मिले काम पुरुष- 1

(Wife Honeymoon Hot Kahani)

वाइफ हनीमून हॉट कहानी में मेरी शादी देर से हुई. शादी से पहले मैं चुदी नहीं थी तो मुझे पहली रात का इन्तजार था. मेरे पति ने मुझे बड़े प्यार से चोदा और मेरी चूत की सील तोड़ी.
यह कहानी सुनें.


दोस्तो, मैं रोमा!
आप सभी लोग मेरी कहानियां पढ़ते हो और उस कहानी का फीडबैक मुझे मेल कर के देते हो.
मुझे बहुत अच्छा लगता है.

अधिकतर मेल तो पुरुषों के होते हैं.
पर आजकल एक अच्छी बात यह हो रही है कि कहानी के फीडबैक के जितने मेल मुझे पुरुष करते हैं, उतने ही मेल अब मुझे महिलाओं के भी आने लगे हैं।

आजकल की जीवन शैली में जितने पुरूष सेक्स के लिए आतुर होता है, उतना ही अब महिलायें भी अपने जीवन में सेक्स को महत्वपूर्ण मानने लगी हैं और खुल कर अब सेक्स की बातें भी करती हैं और सेक्स भी करती हैं।
मेरी पिछली कहानी थी: मेरा दूध, तेरी मलाई मिल दोनों ने धूम मचाई

आज मैं आप सभी को ऐसी ही एक महिला के सेक्स की कहानी बताने जा रही हूँ।
पर इस कहानी का कोई अस्तित्व नहीं है. यह पूर्णतः काल्पनिक है.

तो आइए चलते हैं वाइफ हनीमून हॉट कहानी की तरफ।

मेरा नाम ज्योति है, मेरी उम्र 28 है और मेरा फिगर 36-34-34 का है.
मैं दिखने में काफी सुंदर और गोरी भी हूँ।

अपने माँ बाप की मैं इकलौती औलाद हूँ।

मेरी कुंडली में कुछ दोष होने के कारण मेरी शादी में काफी बाधाएं आ रही थी।
कहीं भी कोई रिश्ता जुड़ नहीं पा रहा था.

काफी पंडितों को मेरे माँ बाप ने मेरी कुंडली दिखाई पर सभी पंडितों का यही कहना था कि मेरी शादी के बाद मेरे पति की मृत्यु हो जाएगी।

जब भी कोई रिश्ता आता और वो मुझे पसंद करते.
उसके बाद जब वो मेरी कुंडली पंडित को दिखाते तो सब पंडित एक ही बात बोलते कि ये कन्या जिस किसी के साथ वैवाहिक जीवन में बंध कर यौन संबंध बनाएगी तो उसके पति की मृत्यु निश्चित है।
और मेरे सारे रिश्ते टूट जाते।

मेरे माँ बाप को मेरी बहुत चिन्ता हो रही थी.
और मेरी उम्र भी बढ़ती जा रही थी।

उसी दरमियान मेरे लिए एक रिश्ता आया।
लड़का अमेरिका में डॉक्टर था।

उसकी उम्र के 34 की थी.
वो दिखने में हट्टा कट्टा गबरू जवान था.

पढ़ाई के चलते उसने अभी तक शादी नहीं की थी.
जब वो लड़का मुझे देखने के लिए आया तो उसने मुझे देखते ही पसंद कर लिया और मैंने भी जब उसे देखा तो मैं भी उसे अपना दिल दे बैठी थी।

लड़के के घर वालों ने भी मेरी कुंडली अपने पंडित को दिखाई.
तो उनके पंडित ने भी वही बात कही कि शादी के बाद यौन संबंध बनाने से लड़के की मृत्यु हो जाएगी।

पर लड़का जिसका नाम अधवित था और वो अमेरिका के एक बड़े हॉस्पिटल में डॉक्टर भी था, तो उसने इस अंधविश्वास को मानने से साफ मना कर दिया।
उसने अपने माँ बाप से जिद की कि शादी वो मुझ से ही करना चाहता है.

अधवित के माँ बाप उसकी इस ज़िद के आगे हर गए और हमारा रिश्ता तय हो गया।

अधवित के माँ बाप ने कहा कि उनका लड़का 2 महीने की छुट्टियों पर यहाँ आया है तो वो चाहते हैं कि शादी जल्द से जल्द हो जाये।

जल्द ही शादी की तारीख तय हो गई।
तो मेरे माँ बाप भी शादी की तैयारियों में लग गए।

अधवित और मैं एक बार शादी से पहले एक कोफी शोप पर मिले.
हमारी एक दूसरे से बातें हुईं और हमने एक दूसरे को अच्छे से जाना।

जल्द ही शादी का दिन भी आ गया।

अधवित जी बारात लेकर मेरे घर आये।
हमारी शादी पूर्ण हिन्दू रीति-रिवाजों से सम्पन्न हो गई।

जल्द ही मेरी विदाई का भी टाइम गया और मेरे माँ बाप ने मेरी विदाई भी कर दी।

नई नवेली दुल्हन बन कर मैं अपने ससुराल पहुंची।

ससुराल में मेरा बड़ी ही धूमधाम से स्वागत किया गया।

रात का करीब 1 बज रहा था।
मेरी सुहागरात की घड़ी नजदीक थी, दिल में गुदगुदाहट थी।

मेरे सुसराल की कुछ भाभियों ने मुझे फिर से अच्छे से तैयार किया, फिर वे मुझे अधवित जी के कमरे में छोड़ कर चली गई।

पूरा कमरा फूलों से सजा हुआ था, बिस्तर पर गुलाब के फूल बिखरे हुए थे।

मैं बिस्तर पर घूंघट ओढ़ कर बैठ गई।

आप सभी जानते ही होंगे कि नवविवाहित जोड़े के लिए सुहागरात की क्या एहमियत होती है.
और मैं तो अभी तक कुँआरी थी.
मेरे दिल की धड़कन तेज थी.

पूरे सोलह शृंगार किये मैं सजी धजी सेज पर अधवित जी का इन्तज़ार कर रही थी।

कुछ ही देर में कमरे का दरवाजा खुलने की आवाज़ आई.
अब मेरे दिल की धड़कन और तेज हो गई।

अधवित जी कमरे में आये.
उनके आते ही उनके पास से चंदन, गुलाब और उनके परफ्यूम की महक आने लगी थी.

वो मेरे पास आ कर बिस्तर पर बैठ गए।
फिर उन्होंने मेरा घूँघट उठाया और मुझे मुँह दिखाई का एक तोहफा दिया.

उसके बाद हमने कुछ शादी से ही संबंधित बातें की.

फिर कुछ देर बाद वो मेरे और करीब आये और बड़े ही प्यार से मुझ से कहा- ज्योति, क्या मैं तुम्हें किस कर सकता हूँ?

शर्म के मारे मैंने अपना चेहरा नीचे कर लिया.
तो उन्होंने बड़े ही प्यार से मेरे चेहरे को अपने हाथों से ऊपर किया और मेरे गाल पर एक किस किया।

मैं ठंडी पड़ रही थी.
पर मुझे उनका इस तरह किस करना अच्छा भी लग रहा था।

फिर उन्होंने एक किस मेरे होंठ पर करके कहा कि जबसे उन्होंने मुझे देखा था, तब से वो इस दिन का बहुत ही बेसब्री से इंतजार कर रहे थे.

इधर मैं भी अपनी सुहागरात को ले कर बड़ी उत्सुक थी और मेरे मन में बहुत कुछ चल रहा था।

अधवित जी ने मुझे फिर से किस करना शुरू किया और अपने हाथ मेरी पीठ और कमर पर फेरने लगे.

मेरे हाथ उनके कन्धों पर थे.
उनका इस तरह मुझे किस करना बहुत ही अच्छा लग रहा था तो मैं उनको अपने तरफ खींच रही थी।

अब वो मेरे होंठों को चूसने लगे थे मैं भी उनका भरपूर साथ देने लगी।

फिर उनका एक हाथ मेरी कमर से होता हुआ मेरे स्तनों पर जा पहुंचा और ब्लाउज़ के ऊपर से ही मेरे स्तनों को दबाने लगा।
मैंने अपनी आँखें बंद कर ली और इस सब का पूरा मज़ा लेने लगी।

फिर उन्होंने मेरे कपड़े उतारने शुरू किए.
इससे मैं बहुत ही उत्तेजित हो गई थी क्योंकि आज पहली बार मैं किसी मर्द के सामने नंगी होने वाली थी.
और आज पहली ही बार मैं किसी मर्द को नंगा देखने वाली थी।

अधवित जी ने मेरे साड़ी के पल्लू को मेरे कन्धे से हटाया तो मैं उठ कर वहाँ से भागी जिससे मेरी साड़ी पूरी खुल गई।

अब मैं कमरे के एक कोने में उनके सामने पेटिकोट और ब्लाउज में खड़ी थी।

फिर वो उठ कर मेरे पास आये और उन्होंने मुझे अपनी बांहों में भर लिया.
हम दोनों एक दूसरे से बुरी तरह लिपट गये।

वो मुझे फिर से किस करने लगे और फिर उन्होंने धीरे धीरे मेरे ब्लाउज को खोलना शुरू किया।

फिर अधवित जी ने मेरे ब्लाउज को मेरे शरीर से अलग कर दिया।
मैं एक सेक्सी ब्रा पहने हुई थी जिसमें से मेरे स्तन बाहर आने के लिए बेताब थे।

फिर उन्होंने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और मुझे बिस्तर पर लिटा दिया।
मेरे पेटिकोट का नाड़ा खींच कर मेरे सुहाग ने मेरे पेटीकोट को मेरे शरीर से अलग कर दिया.

अब बिस्तर पर मैं सिर्फ ब्रा पेंटी में अधवित जी के सामने पड़ी थी।
अब वो मेरे ऊपर आये और उन्होंने मेरी ब्रा का हुक खोल दिया.

मेरे स्तनों के निप्पल उत्तेजना से खड़े हो चुके थे।

फिर उन्होंने मेरे एक स्तन को अपने मुंह में ले लिया और उसे चूसने लगे और दूसरे स्तन को अपने हाथ में ले कर सहलाना शुरू कर दिया.

हम दोनों की ही सांसें तेज चल रही थी।

अब अधवित जी मेरे स्तन से कभी खेलते तो कभी उन्हें अच्छे से देखते और बार बार मेरे दोनों स्तन के निप्पल को चूस रहे थे।

आज पहली बार मैं किस मर्द की बाहों में थी.

फिर कुछ ही देर में वे मेरे स्तनों पर से अपने हाथ को नीचे की ओर ले गए तो मुझे उनकी उंगलियां अपनी पैंटी के ऊपर महसूस हुई.
तो मेरे पूरे बदन पर एक झनझनाहट सी दौड़ गई।

अब वो मेरी कमर पर किस कर रहे थे और धीरे धीरे नीचे जाते जा रहे थे.

फिर मेरे पति मेरे पैंटी के ऊपर से ही मेरी चूत पर किस करने लगे।

अब उन्होंने धीरे धीरे मेरी पैंटी को नीचे करना शुरू किया.
तो मैंने भी उनका साथ देते हुए अपनी कमर ऊपर उठा कर पैरों को ऊपर कर दी ताकि उन्हें पैंटी निकलने में आसानी हो सके।

मेरे ऐसा करते ही उन्होंने मेरी पैंटी उतार कर अलग कर दी.
अब मैं बिल्कुल नंगी अधवित जी के सामने बिस्तर पर पड़ी थी।

अधवित जी ने अभी तक अपने एक भी कपड़ा नहीं उतारा था.

फिर उन्होंने देर न करते हुए अपने कुर्ते और पजामे को उतार दिया.
अब वो सिर्फ अंडरवियर में थे.

वे मेरे ऊपर लेट गए.

अब मैं अपनी चूत में कुछ गीलापन महसूस कर रही थी.

वो मुझ से लिपट कर बेतहाशा मुझे चूमने लगे।

अब मेरा हाथ उनकी अंडरवियर पर जाने लगा तो मैंने उनके लंड को अंडरवियर के ऊपर से ही पकड़ लिया.
उनका लंड बहुत ही बड़ा और कड़क हो चुका था।

कुछ देर में उनके लंड को यों ही सहलाती रही.
फिर वो अचानक खड़े हुए और अपनी अंडरवियर उतार दी।

आज पहली बार मैंने किसी मर्द का लंड देखा था.
वो भी इतना बड़ा और मोटा!
मैं तो डर ही गई कि यह मेरी चूत में जा भी पायेगा या नहीं!

अब हम दोनों ही पूर्णतः नंगे हो चुके थे और एक दूसरे से लिपट कर एक दूसरे के शरीर से खेल रहे थे।

अब उन्होंने मेरे स्तनों को मसलना और चूसना शुरू कर दिया।
फिर मुझे सीधा लिटा दिया और मेरी चूत को सहलाना शुरू किया।

मेरा बुरा हाल होने लगा, मेरे मुँह से आन्हें निकलने लगी।
हम दोनों से ही अब कंट्रोल नहीं हो रहा था.
मेरी चूत बुरी तरह गीली हो चुकी थी।

अब मैंने नीचे हाथ कर के उनके लंड को पकड़ लिया.
उनका लंड किसी लोहे की तरह कड़क और गर्म था.

मैंने लंड पकड़ कर उसे सहलाना शुरू किया.
उनका लंड पकड़ कर सहलाना मुझे काफी अच्छा लग रहा था।

फिर अधवित जी ने धीरे से मेरे कान में कहा- ज्योति, क्या तुम मेरे लंड को अपने मुँह में लेना चाहोगी?
मैं- क्या ऐसा भी करना होता है?
अधवित जी- हाँ अगर तुम चाहो तो! इससे हम दोनों को ही असीम सुख की प्रप्ति होगी।
मैं- ठीक है।

फिर मैंने उनके लंड के अपने मुँह में लिया और उसे चूसने लगी।

धीरे धीरे मुझे उनका लंड चूसने में मज़ा आने लगा तो मैं तेज तेज़ लंड चूसने लगी.
अब अधवित जी के मुँह से सिसकारियां निकलने लगी- आह हह हहह आहह हह हहह!

उन्हें भी मेरा इस तरीके से लंड चूसने से मज़ा आ रहा था।

कुछ देर बाद अधवित जी बोले- ज्योति ,अब मैं तुम्हारी चूत चूसना चाहता हूँ।
मैं- अधवित जी, मैं अब पूर्ण रूप से आप की हूँ आप जो चाहें कर सकते हैं।

मेरा ऐसा कहते ही उन्होंने अपना मुँह मेरी चूत पर टिका दिया और मेरी चूत को चूसने लगे।

एक मर्द के होंठों का स्पर्श पाते ही मेरी चूत ने फिर से अपना पानी छोड़ दिया।
वो मेरी चूत को चाटने और चूसने लगे मैं बिन पानी मछली की तरह तड़पने लगी।

कुछ दर बाद मुझ से रहा नहीं गया तो मैं अधवित जी से बोल पड़ी- अधवित जी, अब मुझ से रहा नहीं जा रहा!
अधवित जी- तो क्या अब तुम मेरा लंड चूत में लेने के लिए तैयार हो?
मैं- हाँ, मैं अब पूरी तरह से तैयार हूँ. मुझे सुहागरात का पूर्ण सुख दीजिये।

अधवित जी- ठीक है. पर देखो हो सकता है कि तुम्हें दर्द हो … पर ज्योति तुम्हें उस दर्द को थोड़ा बर्दाश्त करने होगा. तभी तुम चरम सुख की प्रप्ति कर पाओगी।
मैं- ठीक है अधवित जी, मैं इसके लिए तैयार हूं।

फिर वो मुस्कुराये और उन्होंने मेरी दोनों टांगों को खोल दिया और मेरी टांगों के बीच में आ गए।

उन्होंने अपने लंड को मेरी चूत के ऊपर रखा और अपने लंड से मेरी चूत को सहलाने लगे।

कुछ देर तक तो अधवित जी इस ही करते रहे।
मैं उनके लंड के टोपे को अपनी चूत पर महसूस कर रही थी।

फिर उन्होंने अपने लंड का टोपा मेरी चूत के अंदर डाल दिया।
जिससे मुझे बहुत तेज दर्द हुआ और मैं बहुत जोर से चिल्लाई.

मेरे चिल्लाने की आवाज़ सुन कर उन्होंने मेरे मुंह पर अपना हाथ रख दिया ताकि मैं चिल्ला न पाऊँ।

फिर वो थोड़ा रुक गए और मेरी आँखों में देखने लगे.
मैं भी अब उनकी आंखों में देख रही थी।

फिर मेरा दर्द कुछ कम हुआ तो मैं उनकी छाती पर अपने हाथ फिराने लगी जिससे उन्हें संकेत मिल गया अब मेरा दर्द कुछ कम हो गया था।
तो फिर से उन्होंने अपने लंड को धीरे धीरे अंदर डालना शुरु किया।

अब अधवित जी अपनी कमर आगे पीछे कर के लंड को चूत में अंदर बाहर करने की कोशिश कर रहे थे।

उनके ऐसा करने से अब मेरी चूत की सील टूट गई और खून निकलने लगा।
इससे मैं थोड़ा घबरा गई.

तब मुझे अधवित जी ने ही शांत किया, कहा- ये तो होना ही था. आज तुमने अपना कन्या रूप खो दिया है और आज से तुम एक औरत के रूप में आ गई हो।

फिर उन्होंने एक जोरदार धक्का लगाया जिससे उनका पूरा का पूरा लंड मेरी चूत की गहराई में चला गया.
और मैं फिर से जोर से चिल्लाई- आह हह हहह हहह मर गई।

इस बार उन्होंने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिये और मेरे होंठों को चूसने लगे जिससे कि मैं चिल्ला न पाऊं।

मेरी चूत के रस ने अधवित जी के लंड को पूरी तरह से भिगो दिया था जिससे अब उनका लंड आसानी से अंदर बाहर हो पा रहा था.
इधर मेरी आँखों से आंसू आने लगे थे.

जब अधवित जी ने देखा कि मेरी आँखों से आंसू निकल रहे हैं तो उन्होंने अपने होंठों से मेरे सारे आंसुओं को पी लिया और मुझे प्यार से पुचकारने लगे।

इधर मैं भी रुकी नहीं और अपने कूल्हे उठा कर उनके लंड को अपनी चूत में लेती रही।

अब हम दोनों एक दूसरे को बेतहाशा चूमे जा रहे थे.

कुछ ही देर में उन्होंने फिर से अपने लंड को चूत में अंदर बाहर करना शुरू किया जिससे जब जब उनका लंड मेरी चूत की दीवारों से टकराते हुए चूत की गहराई में जाता तो मुझे एक आनंद की अनुभूति होती।

अब उन्होंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी और चूत की चुदाई शुरू कर दी।

कुछ ही देर बाद उन्होंने कहा- ज्योति, अब मैं और नहीं रुक सकता, मेरा निकलने वाला है.
मैं- मेरे अंदर ही निकल दो, मैं यही चाहती हूँ।

फिर उन्होंने अपनी स्पीड और बढ़ाई और अधवित जी ने मेरी चूत के अंदर ही उन्होंने अपना वीर्य निकाल दिया.

मैंने महसूस किया कि उनके लंड से निकले वीर्य ने मेरी चूत को पूरा भर दिया था.

कुछ देर बाद जब अधवित जी ने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाला तो वो खून से पूरा लाल था.

थोड़ी देर तक तो हम दोनों ही निढाल होकर बिस्तर पर पड़े रहे।
मेरा सर उनके सीने पर था.

तभी अधवित जी ने पूछा- ज्योति, कैसा लग रहा है?
मैं- इतना अच्छा कि इसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है।

हमारी इस चुदाई के खेल में सुबह के 4 बज चुके थे और हम दोनों ही बुरी तरह थक चुके थे.
तो हम दोनों वैसे ही नंगे एक दूसरे से लिपट कर सो गए।

फिर सुबह करीब 8 बजे जब कमरे दरवाजे पर दस्तक हुई तो हम दोनों उठे.
दोनों साथ में ही बाथरूम में नहाए और तैयार हो गए शादी की दूसरी रस्मों के लिए।

फिर देखते ही देखते समय बीतने लगा और हम लोग लगभग रोज ही यह चुदाई का खेल खेलते.

मुझे तो जैसे चुदाई की लत लग गई हो.
अगर एक दिन में अधवित जी मुझे नहीं चोदते तो मैं चुदाई के लिए तड़प उठती थी।
हम रोज ही चुदाई करते थे।

फिर हमारी शादी को दो महीने बीत गए और अधवित जी की छुट्टियां खत्म हो गई.
अब वे मुझे साथ अमेरिका ले जाना चाहते थे जिसके लिए मेरा पासपोर्ट वीज़ा अब रेडी हो चुका था और हमारी फ्लाइट की टिकट भी बुक हो गई।

तभी अचानक हमारे अमेरिका जाने के ठीक एक दिन पहले अधवित की कार का एक्सीडेंट हो गया और उनकी आकस्मिक मृत्यु हो गई।

मैं तो जैसे टूट ही गई थी.
मेरा तो रो रो कर बुरा हाल हो गया।
आखिर पंडितों की कही हुई बात कि मेरी शादी करके यौन संबंध बनाने के बाद मेरी पति की मृत्यु हो जाएगी, सच साबित हुई।

पति के अंतिम संस्कार के बाद मेरे ससुराल वालों ने मुझे घर से निकाल दिया यह कह कर कि तू मनहूस है, तू हमारे बेटे को खा गई। हमने लाख मना किया था कि तुझसे शादी न करे. पर हमारा बेटा नहीं माना. और देख आज उसकी जान चली गई।

फिर मेरे माँ बाप मुझे अपने साथ घर ले आये।
मैं काफी डिप्रेशन में चली गई थी।

एक तो पति के मरने का गम और दूसरी तरफ बिना चुदाई के रहना मेरे लिए काफी कठिन हो रहा था।
वाइफ हनीमून हॉट कहानी अगले भाग में एकदम से नया रूप लेने वाली है.
इस भाग पर आप अपनी राय मुझ तक पहुंचाएं.
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वाइफ हनीमून हॉट कहानी का अगला भाग:

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