सुहागरात में बीवी की गांड और भाभी की चुत-1
(Suhagrat Me Biwi Ki Gand Aur Bhabhi Ki Chut- Part 1)
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यह कहानी मुझे मेरे ऑफिस में काम करने वाले एक युवक ने बतायी थी.
उसी के शब्दों में सुनिए.
मेरा नाम सूरज है, मैं पटना में रहता हूँ. हम लोग गांव के रहने वाले हैं. हमारा गांव पटना से 44 किलोमीटर दूर है.
पास के ही एक गांव में भैया की शादी हो गई. भाभी बहुत ही अच्छी थीं और खूबसूरत भी थीं. भैया की उम्र 21 साल की थी. भाभी उम्र में भैया से 2 साल छोटी थीं. मैं भाभी से उम्र में एक साल छोटा था. भाभी की उम्र 19 साल की थी. गांव में ये उम्र शादी के लिए काफी मानी जाती है.
शादी के बाद भैया की नौकरी पटना के एक कम्पनी में लग गई. वो पटना शहर में ही रहने लगे. उधर वो अकेले रहते थे और खुद ही घर का सारा काम करते थे. अपना खाना भी खुद ही बनाते थे. जब उन्हें खना बनाने में और घर का काम करने में दिक्कत होने लगी, तो उन्होंने भाभी को भी अपने पास पटना बुला लिया. मेरे घर में मम्मी तो थी नहीं, उनका निधन काफी पहले हो चुका था. केवल पापा ही थे. कुछ दिनों के बाद पापा का भी स्वर्गवास हो गया, तो भैया ने मुझे अपने पास ही रहने के लिए पटना बुला लिया.
मैं उनके पास पटना आ गया और वहीं रह कर अपनी पढ़ाई करने लगा. मैंने बीए तक की पढ़ाई पूरी की और फिर नौकरी की तलाश में लग गया.
अभी मुझे नौकरी तलाश करते हुए एक साल ही गुजरा था कि भैया का सड़क दुर्घटना में स्वर्गवास हो गया. उस समय मेरी उम्र 21 साल की हो चुकी थी. अब तक मैं एकदम हट्टा कट्टा नौजवान हो गया था. मैं बहुत ही ताकतवर भी था, क्योंकि गांव में मैं पहले कुश्ती भी लड़ता था.
मुझे भैया की जगह पर ही नौकरी मिल गई. अब घर पर मेरे और भाभी के अलवा कोई नहीं था. वो मुझसे मुझसे बहुत प्यार करती थीं. मैं भी उनकी पूरी देखभाल करता था और वो भी मेरा बहुत ख्याल रखती थीं. भाभी को ही घर का सारा काम करना पड़ता था, इसलिए मैं भी उनके काम में हाथ बंटा देता था. वो मुझसे बार बार शादी करने के लिए कहती थीं.
एक दिन भाभी ने शादी के लिए मुझ पर ज्यादा दबाव डाला, तो मैंने शादी के लिए हां कर दी.
भाभी के एक रिश्तेदार थे, जो कि उनके गांव में ही रहते थे. उनकी एक लड़की थी, जिसका नाम शालू था. भाभी ने शालू के साथ मेरी शादी की बात चलाई. बात पक्की करने से पहले भाभी ने मुझे शालू की फोटो दिखा कर मुझसे पूछा कि बताओ लड़की कैसी है?
मैं शालू की फोटो देख कर दंग रह गया. मैं समझता था कि गांव की लड़की है, तो ज्यादा खूबसूरत नहीं होगी, लेकिन वो तो बहुत ही खूबसूरत थी. मैंने हां कर दी.
शालू की उम्र भी उस वक्त 18 साल की ही थी. खैर शादी पक्की हो गई. शालू के मम्मी पापा बहुत गरीब थे. एक महीने के बाद ही हमारी शादी गांव के एक मन्दिर में हो गई. शादी हो जाने के बाद दोपहर को भाभी मुझे और शालू को लेकर पटना आ गईं.
घर पर कुछ पड़ोस के लोग बहू देखने आए. जिसने भी शालू को देखा, उसकी बहुत तारीफ़ की. शाम तक सब लोग अपने अपने घर चले गए.
अब रात के 8 बज रहे थे. भाभी ने मुझसे कहा- आज मैं बहुत थक गई हूँ. तुम जाकर होटल से खाना ले आओ.
मैंने कहा- ठीक है.
मैंने झोला उठाया और खाना लाने के लिए चल पड़ा. मेरा एक दोस्त था, उसका नाम विजय था. उसी का एक होटल था. मैं सीधा विजय के पास गया.
विजय मुझे देखते ही बोला- आज इधर कैसे?
मैंने उससे सारी बात बता दी. वो मेरी शादी की बात सुनकर बहुत खुश हो गया. हम दोनों कुछ देर तक गप-शप करते रहे.
विजय ने मुझसे कहा- तुझे मज़ा लेना हो, तो मैं एक तरीका बताता हूँ.
मैंने कहा- बताओ.
वो बोला- तुम शालू की चुत को कुछ दिन तक हाथ भी मत लगाना. तुम केवल उसकी गांड मारना और अपने आपको काबू में रखना. कुछ दिन तक उसकी गांड मारने के बाद तुम उसकी चूत की चुदाई करना.
मैंने सोचा कि विजय ठीक ही कह रहा है. मैंने उससे कहा- ठीक है, मैं ऐसा ही करूंगा.
उसने मेरे लिए सबसे अच्छा खाना, जो कि उसके होटल में बनता था, पैक करा दिया. मैं खाना लेकर घर वापस आ गया.
हम सबने खाना खाया. भाभी ने शालू को मेरे रूम में पहुंचा दिया.
उसके बाद उन्होंने मुझे अपने रूम में बुलाया और कहने लगीं- शालू अभी छोटी है. उसके साथ बहुत आराम से करना.
मैंने मजाक किया- मुझे करना क्या है?
भाभी हंस कर बोलीं- शैतान कहीं का … तू तो ऐसे कह रहा है कि जैसे कुछ जानता ही नहीं है.
मैंने कहा- सच में भाभी मुझे कुछ नहीं मालूम है.
भाभी ने मुस्कुराते हुए कहा- पहले उससे प्यार की दो बातें करना. उसके बाद अपने औजार पर ज्यादा सा तेल लगा लेना. फिर अपना औजार को उसके छेद में बहुत ही धीरे धीरे घुसा देना. जल्दीबाजी मत करना, नहीं तो वो बहुत चिल्लाएगी. वो अभी कमसिन उम्र की है … समझ गए ना.
मैंने कहा- हां भाभी, मैं सब समझ गया.
भाभी ने कहा- समझ गया, तो अब जा अपने कमरे में.
मैं अपने कमरे में आ गया. शालू बेड पर बैठी थी. मैं भी उसके बगल में बैठ गया. मैंने उससे पूछा- मैं तुम्हें पसंद तो हूँ न.
उसने अपना सिर हां में हिला दिया.
मैंने कहा- ऐसे नहीं, बोल कर बताओ.
उसने शर्माते हुए कहा- हां.
मैंने पूछा- तुम कहां तक पढ़ी हो?
वो बोली- केवल 6 तक.
मैंने कहा- मेरी भाभी ने मुझे कुछ सिखाया है … क्या तुम्हें भी किसी ने कुछ सिखाया है?
इस पर वो कुछ नहीं बोली.
तो मैंने कहा- अगर तुम कुछ नहीं बोलोगी, तो मैं बाहर चला जाऊंगा.
इतना कह कर मैं खड़ा हो गया, तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया. मैं उसके बगल में बैठ गया.
मैंने कहा- अब बताओ.
वो कहने लगी- मेरे घर पर केवल मेरे मम्मी पापा ही हैं. उन्होंने तो मुझसे कुछ भी नहीं कहा, लेकिन मेरे पड़ोस में रहने वाली भाभी ने मुझसे कहा था कि तुम्हारे पति जब अपना औजार तुम्हारे छेद में अन्दर घुसाएंगे, तब तुमको बहुत दर्द होगा. उस दर्द को बर्दाश्त करने की कोशिश करना. ज्यादा चीखना और चिल्लाना मत, नहीं तो बड़ी बदनामी होगी. अपने पति से कह देना कि अपने औजार पर खूब सारा तेल लगा लें. लेकिन मैंने आज तक औजार नहीं देखा है. ये औजार क्या होता है?
मैंने कहा- तुमने आदमियों को पेशाब करते समय कभी उनकी छुन्नी देखी है?
उसने कहा- हां, गांव में तो सारे मर्द कभी भी कहीं भी पेशाब करने लगते हैं. आते जाते समय मैंने कई बार देखा है. लेकिन उसे तो गांव में लंड कहते हैं.
मैंने कहा- उसी को औजार भी कहते हैं.
वो बोली- मैंने तो देखा है कि किसी किसी का औजार तो बहुत बड़ा होता है.
मैंने कहा- जैसे आदमी कई तरह के होते हैं, ठीक उसी तरह उनका औजार भी कई तरह का होता है. मेरा औजार देखोगी.
वो बोली- मुझे शर्म आती है.
मैंने कहा- अब तो तुम्हें हमेशा ही मेरा औजार देखना पड़ेगा. उसे हाथ में भी पकड़ना पड़ेगा. बोलो तुम देखोगी मेरा औजार?
वो बोली- ठीक है, दिखा दो.
मैं पहले से ही जोश में था. मैंने अपनी शर्ट और बनियान उतार दी. उसके बाद मैंने अपनी पेंट और चड्डी भी उतार दी. मेरा 9″ लम्बा और खूब मोटा देसी लंड फनफनाता हुआ बाहर आ गया.
मैंने अपना लंड उसके चेहरे के सामने कर दिया और लंड हिलाते हुए उससे कहा- लो देख लो मेरा औजार.
उसने तिरछी निगाहों से मेरे लंड को देखा और शर्माते हुए बोली- तुम्हारा तो बहुत बड़ा है.
इतना कह कर उसने अपने हाथों से अपने चेहरे को ढक लिया.
मैंने उसका हाथ पकड़ कर उसके चेहरे पर से हटा दिया और कहा- शर्माती क्यों हो. जी भर कर देख लो इसे. अब तो सारी जिन्दगी तुम्हें मेरा औजार देखना भी है और उसे अपने छेद के अन्दर भी लेना है. मैंने तो अपने कपड़े उतार दिए हैं, अब तुम भी अपने कपड़े उतार दो.
वो बोली- मैं अपने कपड़े कैसे उतार सकती हूँ, मुझे शर्म आती है.
मैंने कहा- अगर तुम अपने कपड़े नहीं उतारोगी, तो मैं अपना औजार तुम्हारे छेद में कैसे घुसाऊंगा.
वो कुछ नहीं बोली.
मैंने खुद ही शालू के कपड़े उतारने शुरू कर दिए, तो वो शर्माने लगी.
धीरे धीरे मैंने उसे एकदम नंगी कर दिया. मैं उसके संगमरमर जैसे खूबसूरत बदन को देख कर दंग रह गया. उसकी चुचियां अभी बहुत छोटी छोटी थीं.
मैंने उसे बेड पर लिटा दिया और उसकी चुचियों को सहलाते हुए उसके होंठों को चूमने लगा. मैंने देखा कि उसकी चुत पर अभी बहुत हल्के हल्के बाल ही उगे थे और उसकी चुत एकदम गुलाबी सी दिख रही थी.
उसकी चुचियों को मैंने मसलना शुरू कर दिया तो वो बोली- मुझे गुदगुदी हो रही है.
मैंने पूछा- क्या अच्छा नहीं लग रहा है?
वो बोली- बहुत अच्छा लग रहा है.
मैंने उसके निप्पलों को बारी बारी से मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया.
वो गर्म सिसकारियां भरने लगी. उसके बाद मैंने उसकी चुत को सहलाना शुरू कर दिया. उसे और भी ज्यादा गुदगुदी होने लगी.
उसने मेरा हाथ हटा दिया, तो मैंने पूछा- क्या हुआ?
वो बोली- मुझे बहुत जोर की गुदगुदी हो रही है.
मैंने कहा- अच्छा नहीं लग रहा है क्या?
वो बोली- अच्छा तो लग रहा है.
मैंने कहा- तो तुमने मेरा हाथ क्यों हटाया. अगर तुम ऐसा ही करोगी, तो मैं बाहर चला जाऊंगा.
वो बोली- ठीक है, मैं अब तुम्हें कुछ भी करने से मना नहीं करूंगी.
मैंने कहा- फिर ठीक है.
मैंने उसकी चुत को सहलाना शुरू कर दिया. थोड़ी ही देर में उसकी चुत गीली होने लगी. वो जोर जोर से कामुक सिसकरियां भरने लगी.
मैंने एक उंगली उसकी चुत के अन्दर डाल दी, तो उसने जोर की सिसकारी ली.
मेरा लंड अब तक बहुत ज्यादा सख्त हो चुका था. थोड़ी देर तक मैं उसकी चुत में अपनी उंगली अन्दर बाहर करता रहा.
कुछ ही देर में वो अकड़ने के साथ झड़ने लगी. झड़ते समय उसने मुझे जोर से पकड़ लिया. वो सिसयाते हुए बोली- तुम्हारे उंगली करने से मुझे तो पेशाब सी आ रही है.
मैंने कहा, ये पेशाब नहीं है … जोश में आने के बाद चुत से पानी निकलता है.
वो कुछ नहीं बोली.
मेरी उंगली उसकी चुत के पानी से एकदम गीली हो चुकी थी. मैंने उसके झड़ने के बाद भी उंगली चलाना जारी रखी.
थोड़ी ही देर में वो फिर से पूरे जोश में आ गई.
मैंने कहा- अब मैं अपना औजार तुम्हारे छेद में घुसाऊंगा. तुम पेट के बल लेट जाओ.
वो पेट के बल लेट गई.
मैंने देखा कि उसकी गांड भी एकदम गोरी थी. उसकी गांड का छेद बहुत ही मस्त और हल्के भूरे रंग का था.
मैं अपनी उंगली उसकी गांड के छेद पर फिराने लगा. उसके बाद मैंने एक झटके से अपनी एक उंगली उसकी गांड में घुसा दी.
वो जोर से चीख उठी.
मैंने कहा- अगर तुम ऐसे चीखोगी तो भाभी आ जाएंगी.
वो कराहट हुए बोली- मुझे दर्द हो रहा है.
मैंने कहा- दर्द तो होगा ही. अभी तो उंगली डाली है, इसके बाद मैं अपना लंड तुम्हारी गांड में घुसाऊंगा.
थोड़ी देर तक मैं अपनी उंगली उसकी गांड में अन्दर बाहर करता रहा.
वो बोली- मेरा छेद तो बहुत ही छोटा है और तुम्हारा औजार बहुत बड़ा है. ये अन्दर कैसे घुसेगा?
मैंने कहा- जैसे दूसरी औरतों के अन्दर घुसता है.
वो बोली- तब तो मुझे बहुत दर्द होगा.
मैंने कहा- इसी लिए तो तुम्हारी भाभी ने तुमसे कहा था कि दर्द को बर्दाश्त करना, ज्यादा चीखना चिल्लाना मत.
वो बोली- मैं समझ गई.
मैं उसके ऊपर चढ़ गया, तो वो बोली- तेल नहीं लगाओगे क्या.
मैंने कहा- लगाऊंगा.
मैंने अपने लंड पर ढेर सारा तेल लगा लिया. उसके बाद मैंने उसकी गांड के छेद पर अपने लंड का सुपारा रखा और उससे कहा- अब तुम अपना मुँह जोर से दबा लो, जिससे तुम्हारे मुँह से चीख ना निकले.
उसने कहा- ठीक है, मैं दबा लेती हूँ. लेकिन तुम बहुत धीरे धीरे घुसाना.
मैंने कहा- हां, मैं बहुत धीरे ही घुसाऊंगा.
उसने अपने हाथों से अपने मुँह को दबा लिया. मैंने थोड़ा सा ही जोर लगाया था कि वो जोर से चीख पड़ी. मेरे लंड का सुपारा भी अभी ठीक से उसकी गांड में नहीं घुस पाया था कि वो रोने लगी.
वो बोली- मुझे छोड़ दो, बहुत दर्द हो रहा है.
मैंने कहा- दर्द तो होगा ही. तुम अपना मुँह जोर से दबा लो.
उसने अपना मुँह फिर से दबा लिया, तो मैंने इस बार कुछ ज्यादा ही जोर लगा दिया.
वो दर्द से तड़पते हुए जोर जोर से चीखने लगी- उई माँ दीदी, बचा लो मुझे, नहीं तो मैं मर जाऊंगी.
इस बार मेरे लंड का सुपारा उसकी गांड में घुस गया था. उसकी गांड से खून निकल आया था. वो इतने जोर जोर से चीख रही थी कि मैं थोड़ा सा डर गया. मैंने एक झटके से अपना लंड बाहर खींच लिया. पुक्क़ की आवाज के साथ मेरे लंड का सुपारा उसकी गांड से बाहर आ गया.
मैंने उसे चुप कराते हुए कहा- अगर तुम ऐसे ही चिल्लाओगी, तो काम कैसे बनेगा?
वो बोली- मैं क्या करूं, मुझे बहुत दर्द हो रहा था.
मैंने कहा- थोड़ा सब्र से काम लो. फिर सब ठीक हो जायेगा. अब तुम अपना मुँह दबा लो, मैं फिर से कोशिश करता हूँ.
उसने अपना मुँह दबा लिया, तो मैंने फिर से अपने लंड का सुपारा उसकी गांड के छेद पर रख दिया. उसके बाद मैंने उसकी कमर के नीचे से हाथ डाल कर उसे जोर से पकड़ लिया. फिर मैंने पूरी ताकत के साथ जोर का धक्का दे मारा. वो बहुत जोर जोर से चिल्लाने लगी. वो मेरे नीचे से निकलना चाहती थी, लेकिन मैंने उसे बुरी तरह से जकड़ रखा था. मेरा लंड इस धक्के के साथ उसकी गांड में 3″ तक घुस गया.
वो जोर जोर से चिल्लाते हुए भाभी को पुकार रही थी- दीदी, बचा लो मुझे … नहीं तो ये मुझे मार डालेंगे … बहुत दर्द हो रहा है.
तभी कमरे के बाहर से भाभी की आवाज आई- राज, क्या हुआ. शालू इतना क्यों चिल्ला रही है.
मैंने कहा- मैं अपना औजार अन्दर घुसा रहा था, लेकिन ये मुझे घुसाने ही नहीं दे रही है … बहुत चिल्ला रही है.
भाभी ने कहा- तुम दोनों बाहर आ जाओ. मैं शालू को समझा देती हूँ.
मैंने लुंगी पहन ली और शालू से कहा- बाहर चलो, भाभी बुला रही हैं.
वो उठना चाहती थी, लेकिन उठ नहीं पा रही थी.
मैंने उसे सहारा दे कर खड़ा किया. उसने केवल अपनी साड़ी बदन पर लपेट ली.
मैं उसे सहारा देकर बाहर ले आया. वो ठीक से चल भी नहीं पा रही थी.
भाभी ने शालू से पूछा- इतना क्यों चिल्ला रही थी?
वो रोते हुए भाभी से कहने लगी- ये अपना औजार मेरे छेद में घुसा रहे थे … इसलिए मुझे बहुत दर्द हो रहा था.
भाभी ने कहा- पहली पहली बार दर्द तो होगा ही. सभी औरतों को होता है. ये कोई नई बात थोड़े ही है.
मुझसे भाभी ने कहा- मैंने तुझसे कहा था ना कि तेल लगा कर धीरे धीरे घुसाना.
मैंने कहा- मैं तेल लगा कर धीरे धीरे ही घुसाने की कोशिश कर रहा था. जैसे ही मैंने थोड़ा सा जोर लगाया और मेरे औजार का टोपा ही इसके छेद में घुसा कि ये जोर जोर से चिल्लाने लगी. इसके चिल्लाने से मैं डर गया और मैंने अपना औजार बाहर निकाल लिया. उसके बाद मैंने इसे समझाया, तो ये राजी हो गई. मैंने फिर से कोशिश की, तो शालू फिर जोर जोर से चिल्लाने लगी. जबकि अभी मेरा औजार केवल जरा सा ही अन्दर घुस पाया था. तभी आपने हम दोनों को बुला लिया और हम बाहर आ गए.
भाभी ने कहा- इसका मतलब तुमने अभी तक कुछ भी नहीं किया?
मैंने कहा- बिल्कुल नहीं … आप चाहो तो शालू से पूछ लो.
भाभी ने शालू से पूछा- क्या ये सही कह रहा है?
उसने अपना सिर हां में हिला दिया. भाभी ने शालू से कहा- तुम कमरे में जाओ. मैं इसे समझा बुझा कर भेजती हूँ.
शालू कमरे में चली गई.
कहानी जारी है.
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