निम्फोमेनिया : सेक्स की लत- 1

(Sex Need After Marriage)

सनी वर्मा 2025-03-30 Comments

सेक्स नीड आफ्टर मैरिज : यह एकदम सामन्य जरूरत है जो हर किसी को चाहिए. कहानी में पति तो शादी से पहले सेक्स कर चुका था पर पत्नी ने अपनी जवानी अपने पति के लिए बचा रखी थी.

दोस्तो, आज की कहानी पुराने सारे विषयों से हटकर एक नए विषय पर आधारित, मेरी एक पाठिका की बताई कहानी है.
कहानी वास्तिविकता के धरातल पर शुरू होती हुई, पाश्चात्य संस्कृति के अंध-अनुगामी युवा वर्ग की मानसिकता पर चलती हुई जिन्दगी के कड़वे सत्यों पर पहुँचती है.

समाप्त तो यूं नहीं कहूंगा कि जब तक जीवन है, जीने के रंग हर मोड़ पर बदलते रहते हैं.

सेक्स नीड की कहानी संजीव और सिम्मी की है.
संजीव पंजाबी है और होशियारपुर के किसी पिंड के जमींदार का बेटा है. लंबा-चौड़ा, बलिष्ठ. पंजाबी जाट है आखिर.

पढ़ने में शुरू से तेज था तो जमींदार रंधीर सिंह ने कोई कसर नहीं छोड़ी उसे लायक बनाने में.

संजीव ने यहाँ से पढ़ाई पूरी करके अमेरिका से एमबीए किया और एक मल्टी नेशनल कंपनी में खासी तनखा पर लग गया.
उसे पोस्टिंग बेंगलोर में मिली.

संजीव बाहर रह आया था और अपने पिंड में भी उसे शहजादा मजनू बनाकर रखा गया था तो वो एक आवारा मजनू वाला दिल ले बैठा था.
उसे लड़की और टिल्लू की चाट में कोई फर्क नजर नहीं आता था. उसे दोनों ही तीखी और चटपटी चाहिये थीं.

शादी से पहले उसने इंडियन, अमेरिकन सब लड़कियों को चटकारे ले लेकर चख लिया था.
ये बात कैसे न कैसे उसके पियो रंधीर सिंह को मालूम पड़ गयी थी तो उन्होंने जूता निकाल लिया.

पर संजीव के मां ने बीच-बचाव करके इस बात पर मामला रफा दफा किया कि संजीव की जल्दी ही शादी कर दी जाए.

अब ढूंढ शुरू हुई संजीव की कदकाठी और पढ़ाई के मुताबिक किसी पंजाबी पटाखा कुड़ी की.
पटाखा शब्द इसलिए जोड़ा कि संजीव ने अपनी मां के पैर पकड़ के कहा था कि किसी सुंदर और चुलबुली लड़की को ही पसंद करें. अब लम्बी भी हो, गोरी और सुंदर भी हो और पढ़ी लिखी भी हो; मतलब सारा कुछ एक ही पैकेज में और सबसे बड़ी बात की मजबूत कद काठी की हो क्योंकि पतली दुबली पंजाबिन उसका वजन और दीवानापन नहीं झेल सकती थी.

संजीव के मामा पंजाब यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे.
संजीव की मां ने सारी बात उन्हें बतायी तो गुरु की मेहर से उनके एक मित्र सिख परिवार की लड़की सिमरन उन्हें नजर आई.

सिमरन जिसे सब प्यार से सिम्मी कहते थे की पैदायश कनाडा में हुई थी.
ग्रेजुएशन भी वहीं हुआ और दो साल पहले उसके पिता का देहांत हो गया तो पूरा परिवार वापिस हिन्दुतान आ गया.

पैसे की कोई कमी नहीं थी.
सिम्मी लम्बी, गोरी चिट्टी, सुंदर सब तरह से अच्छी थी.
मांसल जिस्म था उसका पर पिता की मौत के बाद वो शांत रहने लगी थी.

उसकी मां कहती थी कि उसे गम खा गया वरना वो तो इंतनी चंचल थी कि उन्हें डर लगा रहता की वो नया क्या बखेड़ा खड़ा कर दे.

दोनों परिवारों ने एक दूसरे को पसंद कर लिया.

अब मामला आया संजीव और सिम्मी की मुलाक़ात का.

दोनों पढ़े-लिखे थे, परिवार समझदार थे.
तो दोनों को एक पूरा दिन दिया गया एक दूसरे को समझने को.

दोनों परिवार डलहौजी में मिले.

संजीव और सिम्मी अकेले पहाड़ों में घूमते-बतियाते हुए निकल गए.
एकांत था.
संजीव ने सिम्मी को अपने बारे में सब बताया और ये भी कहा कि वो बहुत प्यार करने वाला और ध्यान रखने वाला पति साबित होगा. वो मेहनत करने में और पैसा कमाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा पर उसे बेइंतिहा प्यार करने वाली चुलबुली लड़की चाहिये.
संजीव ने साफ़ कह दिया कि उसे सेक्स का बहुत शौक है और उसमें भी थ्रिल पसंद है. चूंकि उनका रिश्ता घर वालों की सहमति बन चुकी है तो वो ईमानदारी से इस विषय पर भी बात करना चाहता है.

सिम्मी चुप थी.

संजीव ने फिर आगे बात सँभालते हुए कहा कि चूंकि वो भी विदेश में पढ़ा-रहा है और सिम्मी भी. तो वहां पाश्चात्य लाइफ स्टाइल से दोनों ही अच्छी तरह वाकिफ हैं.
संजीव ने माना कि उसे वहां का खुलापन और ईमानदारी अच्छी लगती है.

उसने पूछा कि क्या सिम्मी को भी?
अब सिम्मी बोली कि वो हर तरह से उसका साथ देगी पर अभी वो मानसिक रूप से अपने पापा के देहांत को स्वीकार नहीं कर पा रही है. उसे थोड़ा वक्त लगेगा.

संजीव ने उसका हाथ थाम लिया.
सिम्मी ने कोई एतराज़ नहीं किया.

संजीव ने उससे कहा कि सिम्मी उसे हर तरह से पसंद है और उसे यकीन है कि दोनों की जोड़ी सुपर हिट होगी.
सिम्मी अबकी बार हंस पड़ी.

वो बोली- सिखनी हूँ, दबूंगी नहीं. पर हाँ प्यार से सब मान जाऊंगी.
संजीव भी फ्लर्टिंग के अंदाज़ में बोला- अजी हमारा तो एक ही टारगेट होगा कि आपको खुश रखूँ ताकि हम दोनों खुश रह सकें. बाक़ी मेरी जिन्दगी में किसी चीज़ की कोई लिमिट नहीं होती.
सिम्मी मुस्कुरा दी.

सिम्मी ने उससे पूछा कि क्या वो सेक्स कर चुका है.
संजीव झिझका पर उसने दृढ़ होकर कहा- हाँ. पर इस मिनट के बाद जिन्दगी भर तुमको कोई शिकायत नहीं होगी.

संजीव ने सिम्मी से पूछ ही लिया कि क्या वो वर्जिन है.
सिम्मी ने मुस्कुरा कर बड़े आत्मविश्वास से कहा- हाँ, आज तक तो हूँ. दोस्तों में मस्ती तो बहुत की है, पर वर्जिनिटी अपने राजा के लिए संभाल कर रखी है.

दोनों काफी देर तक बात करते रहे.
सिम्मी अब सहज थी.

थोड़ी देर बाद दोनों हाथ में हाथ थामे अपने घरवालों के सामने थे.

संजीव की मां ने जब इन्हें इसे हाथ में हाथ लिए आते देखा तो झट उन्होंने अपनी सोने की चेन सिम्मी के गले में डाल दी.

बस फिर क्या देर थी.
अगले एक महीने में ही जमींदार रंधीर सिंह ने एक शाही शादी करके दोनों को बंधन में बाँध दिया.

इस एक महीने में संजीव ने बार बार सिम्मी को इधर उधर घुमाने के लिए ले जाने की आदत ने सिम्मी की माँ को भी उलझन में डाल दिया पर उन्हें सिम्मी पर भरोसा था.
सिम्मी ने भी संजीव की लाख कोशिशों के बावजूद उसे चुम्बन से आगे नहीं आने दिया.

अब दोनों पाश्चत्य संस्कृति में रहे थे जहां शादी की बात ही सब कुछ हो जाने के बाद शुरू होती है.
पर सिम्मी के हिन्दुस्तानी संस्कार उसे अपनी लिमिट नहीं लांघने दिए.
पर इतना तो सिम्मी भी समझ गयी की उसका ये आशिक आवारा उसके सारे नट बोल्ट ढीले कर देगा और वो मन से इसका इंतज़ार भी कर रही थी.

लाख सिम्मी चंचल रही हो, उसने अपने दोस्तों के साथ खूब खुराफात की हों, पर उसने अपना कौमार्य अक्षत रखा था.
हालाँकि संजीव उससे ये स्वीकार कर चुका था कि वो फिसल चुका है पर सिम्मी ने ये विश्वास कर लिया कि जो हुआ सो हुआ, अब संजीव सिर्फ उसका है.

शादी के बाद संजीव और सिम्मी हनीमून के लिए यूरोप गए.

बकौल सिम्मी संजीव ने उसे टांगें नीचे करने ही नहीं दीं.
एक तो हनीमून दूसरे स्विटज़रलैंड का रोमांटिक डेस्टिनेशन.

संजीव और सिम्मी सेक्स के भस्सी हो गए थे.
उन्हें हर समय सिर्फ सेक्स सूझता.
कामसूत्र की सारी मुद्राएँ और थ्रिल जो भी संभव था उन्होंने सब किया.

सच में संजीव को झेलने के लिए सिम्मी ही सक्षम थी.
एक तो रात को देर रात तक सेक्स और सुबह अक्सर सिम्मी ही पहले उठती.
और संजीव की आँख तब खुलती जब सिम्मी उसका लंड चूस चूसकर खड़ा कर देती.

सिम्मी के लिए सेक्स का पहला अनुभव था पर पोर्न तो उसने ढेरों देखी थीं.
संजीव की चुदाई इतनी दमदार होती की सिम्मी को खूब शोर करने की आदत सी पड़ गयी.

संजीव ने आजतक जो भी दो-चार लड़कियां चोदी होंगी, वे सब प्रोफेशनल थीं.
सिम्मी अक्षत यौवना थी तो उसकी चूत पूरी कसी हुई थी.

सिम्मी मजबूत जिस्म की थी तो संजीव को कभी कभार तो वो दबोच-सा लेती.
दोनों के बीच गुत्थम-गुत्था मुकाबले की होती.

सिम्मी भी जब उसका लंड चूसती तो संजीव को उससे अपना लंड छुड़ाना भारी पड़ जाता.
और जब संजीव उसके मम्मे लपकता तो लाल करके ही छोड़ता.

हाँ, जब संजीव ने सिम्मी के पीछे से करना चाहा तो सिम्मी को बहुत दर्द हुआ और उसने संजीव से प्यार से मना कर दिया.

संजीव भी ये सोच के मान गया कि चलो थोड़े दिनों बाद सही.

सिम्मी संजीव की इच्छा मुताबिक़ कपड़े पहनती, मतलब न के बराबर … खूब छोटे.
सिम्मी सुंदर थी और मजबूत जिस्म की मालकिन थी तो उस पर हर ड्रेस फब्ती.

संजीव-सिम्मी ने यह तय कर लिया था कि अगले पांच साल बच्चा नहीं करेंगे.
तो उसके लिए उन्होंने मेडिकल प्रोटेक्शन ले लिया था.

अब जब चिंता न हो तो फिर कभी भी और कहीं भी वाली स्थिति थी उनकी सेक्स की.

सिम्मी की सारी खुराफातें जो उसके पिता के बाद दफ़न थीं, सब उभर कर बाहर आ गयीं.

दोनों ने एक दो एडल्ट सेक्स शो भी देखे.
इन सबमें संजीव से ज्यादा सिम्मी उत्साहित थी.

और उसे उत्साहित देख संजीव के कलेजे को ठंडक पड़ती कि उसे ऐसी ही तो लड़की चाहिए थी.

पंद्रह दिनों के हनीमून में सिम्मी बिलकुल बदल कर लौटी.
अब उसका भी मन संजीव के बिना बिलकुल नहीं लगता.

उसकी मां ने उसे एक हफ्ते के लिए मायके बुलाया तो तीसरे दिन ही संजीव लेने पहुँच गया.

सिम्मी की मां ने अपनी माथा पीट लिया जब उन्हें सिम्मी ने बताया कि उसी ने संजीव को फोन करके बुलाया है क्योंकि संजीव उसे रात भर फोन पर बात करके सोने ही नहीं देता था. दोनों फोन पर ही सेक्स करने लगते.

सिम्मी की पड़ोस की शादीशुदा सहेलियां/भाभियाँ उसके बदले हुए रूप और सोच से हैरान थीं.

अब सिम्मी सिवाय सेक्स के कुछ और टॉपिक पर बात ही नहीं करती थी.
बात बात पर सिम्मी नॉन वेज बात ले आती.

सिम्मी तो अपनी भाभियों से सेक्स की नयी नयी कलाएं पूछती.
कभी उनके पतियों के लंड के साइज़ पूछती.

हाँ, एक अनुभव सिम्मी को अब हुआ की शादी के बाद भी उसकी सभी सहेलियों और भाभियों के दोस्तों की लिस्ट में एक दो आदमी जरूर शामिल थे जिनसे वो बातें या चैट अपने पतियों से छिपाकर करती थीं.

वो लोग उनके पतियों के दोस्त ही थे पर वो भी अपनी बीवियों से छिपाकर ही बात या चैट करते थे.
ये बाद सिम्मी को गुदगुदा गयी.

उसने अपनी एक हमराज भाभी से पूछ ही लिया- भाभी, भैय्या के रहते दूसरे मर्द से बातें क्यों?
तो उन्होने कहा- दोस्त दोस्त ही होता है. पति से अब क्या बातें करें, उनसे बातों में वो चटपटापन नहीं आता जो दोस्त से आता है.
सुनकर सिम्मी भी हंस पड़ी.

मायके से आने के बाद एक दो दिन ससुराल रहकर संजीव और वो वापिस बंगलौर आ गए.

संजीव ने अब मकान बदल लिया, एक कोठी की ऊपरी मंजिल ले ली थी.
बंगलौर में जो भी कोठी किराए पर मिलती, वो पूरी फर्निश्ड होती.

संजीव के पोर्शन में पूरा फर्नीचर, किचन का लगभग पूरा सेट अप और एसी, टीवी सब कुछ था.

संजीव ने मकान मालकिन से बात करके बाथरूम में बाथटब और लगवा लिया.
अब उनके पास ऐश-मस्ती का पूरा जुगाड़ था.

सिम्मी को ड्रिंक्स से परहेज नहीं था.
उसकी परवरिश ऐसे माहौल में हुई था जहां ये सब सामान्य था.

तो अब संजीव को बस दो ही काम थे.
पहला अपनी नौकरी में खूब मेहनत करना और उसके बाद सिम्मी की बाँहों में मस्ती ही मस्ती.

संजीव हफ्ते में पांच दिन तो गधे की तरह काम करता पर वीकैंड पर काम की और मुंह भी नहीं करता और गधे की तरह ही चुदाई करता.
उसे सेक्स के लिए सिम्मी को उकसाना नहीं पड़ता.
वो तो पहले से ही मूड बना कर बैठती. उसकी सेक्स नीड सामान्य से थोड़ी ज्यादा थी.

वर्किंग डेज में संजीव ज्यादा ही व्यस्त रहता.
सुबह 6 बजे उठकर दोनों जिम जाते.
आते ही फिर भागादौड़ी होती ऑफिस जाने की.

पर उसी भागादौड़ी में समय निकालकर संजीव सिम्मी से लिपटा लिपटी कर ही लेता.

हाँ, ये तय था कि घर पर सिम्मी या तो बिना कपड़ों के होती या एक छोटी सी फ्रॉक डाल लेती.

किचन में ब्रेकफास्ट बनाते समय संजीव अक्सर उसकी फ्रॉक पीछे से उठाकर उसकी चूत में उंगली कर देता या घोड़ी बनाकर एक ट्रिप लगा लेता.

ऑफिस जाने की भागा दौड़ी में सिम्मी को भी वक्त ज्यादा नहीं मिल पाता.
हाँ, संजीव के जाने के बाद सिम्मी अपनी कॉफ़ी बनाती और सिगरेट के सुट्टे मारते हुए टी वी देखती.

घर के काम की मेड आ जाती और दो घंटे में सारा काम निबटा कर चली जाती. फिर सिम्मी शावर लेती और उसके बाद दो घंटे दबा कर सोती.
दोपहर देर से उठती तो उलटा सीधा खाकर फिर मोबाइल से चिपक जाती.

अब उसकी फैन्टेसीज़ शुरू हो जातीं.
उसकी सहेलियां और भाभियाँ भी पूरी बिगड़ी हुई थीं.
उनकी बातों में घूम फिर कर सेक्स आ ही जाता.

सेक्स नीड की यह कहानी लम्बी चलेगी.
आप हर एक भाग पर अपने विचार भेजते रहें.
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सेक्स नीड की कहानी का अगला भाग: निम्फोमेनिया : सेक्स की लत- 2

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